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कवयित्री
पारुल शमाा
मुकम्मल ख़्वाब
izdk'kd i=h
ii
मुकम्मल ख़्वाब
िन्यवाद
-शजद्दी पारुल
iii
मुकम्मल ख़्वाब
‘‘मुकम्मल ख्वाब”
iv
मुकम्मल ख़्वाब
- शजद्दी पारुल
E-mail – Ziddiparul@gmail.com
v
मुकम्मल ख़्वाब
शशक्षिका
डॉ. रश्मि र्ुप्ता
vi
मुकम्मल ख़्वाब
समपाि
हडिर मैम,
vii
मुकम्मल ख़्वाब
viii
मुकम्मल ख़्वाब
‘‘हडिर मैम’’
ix
मुकम्मल ख़्वाब
कवयित्री
पारुल शमाा
x
मुकम्मल ख़्वाब
अनुक्रमणिका
इं सायनित .............................................................. 1
(1) .................................................................... 12
(2) ................................................................... 14
टू टा ख्वाब ........................................................... 24
xi
मुकम्मल ख़्वाब
रास्ता िुि
ूँ में भी रोशन है ....................................... 30
शज़न्दर्ी ............................................................... 34
चलो उठो............................................................. 38
उम्मीदें ................................................................. 41
संघर्ा ................................................................... 43
प्रश्न . . . . . . ..................................................... 49
जीत का उद्घोर्...................................................... 52
हार-जीत .............................................................. 55
उड़ चले ............................................................... 59
xii
मुकम्मल ख़्वाब
शज़द्दी ................................................................... 71
छािा ................................................................... 75
टू टा शसतारा ......................................................... 80
परींदे ................................................................... 84
िूप ..................................................................... 85
रास्ते ................................................................... 86
xiii
मुकम्मल ख़्वाब
बस की खखड़की से ................................................ 98
रं र्...................................................................... 99
xiv
मुकम्मल ख़्वाब
xv
इं सायनित
******
मुकम्मल ख़्वाब
भाग्य तुम्हारा
******
2
मुकम्मल ख़्वाब
सब्र करो
सब्र कर,
तुझे भी पहचान यमलेर्ी
कुछ दे र से सही
लेककन जरूर यमलेर्ी
******
3
मुकम्मल ख़्वाब
******
4
मुकम्मल ख़्वाब
मेहनत कर
मेहनत कर मंशज़ल को पा
ख्वाबों को तू हफर से उठा
जुनून को तू हफर से जर्ा
मेहनत कर मंशज़ल को पा
बबन मेहनत के मुकाम नहीं
पथ में राही आराम नहीं
तू मेहनत ही करता जा
मेहनत कर मंशज़ल को पा !!
******
5
मुकम्मल ख़्वाब
मन की खखड़की खोल
जि - जि बोल !!
******
6
मुकम्मल ख़्वाब
हाथ तो बढ़ाओ
******
7
मुकम्मल ख़्वाब
******
8
मुकम्मल ख़्वाब
शज़न्दर्ी नाराज़ मत हो
शज़न्दर्ी नाराज़ मत हो
थोड़ा वक्त लर्ेर्ा तुझको पाने में
शज़न्दर्ी नाराज मत हो
अभी समि खुद व्यस्त है मुझे आजमाने में
शज़न्दर्ी नाराज मत हो
शशद्दत से लर्ी हूँ मैं तुझे पाने में
शज़न्दर्ी नाराज मत हो
हर सम्भव प्रिास करूूँर्ी मैं
तेरे साथ मुस्कुराने में
शज़न्दर्ी . . . . . . . . . !!
******
9
मुकम्मल ख़्वाब
मेरी आदशा
10
मुकम्मल ख़्वाब
दुिनों को मारकर
व्ययक्तत्व को यनखार दो
शसर उठाकर जीना शसखाती
ऐसी है मेरी लक्ष्मी बाई।
******
11
मुकम्मल ख़्वाब
जीवन की पररभार्ा
(1)
आज मन भी उदास है
व्यस्त है वो जीवन को समझने में
आखखर जीवन है क्या ?
आज कलम भी व्यस्त है
जीवन की पररभार्ा शलखने में
इतना सरल नहीं है जीवन
कक मैं उसको समझ सकूूँ
शलख दूूँ कोई ककवता और
समझा सकूूँ, असमथा हूँ
मैं जीवन को समझाने में
लेककन कर रही हूँ प्रिास
जीवन को पररभाकर्त करने में
मेरे शब्दों में,
जीवन एक संघर्ा है
जीवन एक जीत है
जीत के बाद हर्ा है
12
मुकम्मल ख़्वाब
******
13
मुकम्मल ख़्वाब
(2)
होने का नाम है
ककसी और से नहीं
खुद आत्म-कवश्वास से
भर जाने का नाम है
******
14
मुकम्मल ख़्वाब
कर शलिा है फैसला,
तो हफर ना मन भटकाओ
जो करना है कर जाओ
मन उदास क्यों है
तुम प्रसन्न हो जाओ
चाहे कुछ न हो
लेककन नकारात्मकता मत लाओ
15
मुकम्मल ख़्वाब
जो करना है कर जाओ
इतना मत सोचा करो . . . . . . ।
******
16
मुकम्मल ख़्वाब
दृढ़ यनश्चि
कर शलिा, कर शलिा
कर शलिा, दृढ़ यनश्चि
अब कुछ करना है
अब कुछ करना है
17
मुकम्मल ख़्वाब
******
18
मुकम्मल ख़्वाब
सब साथ है
हफर भी िे मन उदास है
क्या मेरे हदल में
कोई उल्लास नहीं है
19
मुकम्मल ख़्वाब
20
मुकम्मल ख़्वाब
21
मुकम्मल ख़्वाब
22
मुकम्मल ख़्वाब
******
23
मुकम्मल ख़्वाब
टूटा ख्वाब
******
24
मुकम्मल ख़्वाब
असफलता से सफलता की ओर
कल रात ही तो टू टी थी
परीिा के पररिाम से
आज सुबह हफर यनकल चली
एक निे लक्ष्य की ओर
अपनी मशज़ल की ओर
ना हफक्र है हारने की
ना खुशी है जीतने की
एक बार हफर शज़न्दर्ी से खेलने
हार हो िा जीत िे दे खने
25
मुकम्मल ख़्वाब
26
मुकम्मल ख़्वाब
लाइफ इज़ आ रे स
इसशलए होकर खुद से ही प्रेररत
लेकर खुद से ही प्रेरिा
मैं यनकल चुकी हूँ
एक निे लक्ष्य की ओर
अपनी मंशज़ल की ओर!!
******
27
मुकम्मल ख़्वाब
कुछ करने का
कुछ बनने का
एक मौका सबको यमलता है
कुछ पढ़ने का िा
पढ़ने लािक कुछ शलखने का
एक मौका सबको यमलता है।
इततहास पढ़ना है
िा रटना है
िे तुम्हारी इच्छा है
लेककन इततहास रचने का
एक मौका सबको यमलता है।
******
28
मुकम्मल ख़्वाब
इन्तज़ार है मुझे
******
29
मुकम्मल ख़्वाब
रास्ता िुि
ूँ में भी रोशन है
******
30
मुकम्मल ख़्वाब
******
31
मुकम्मल ख़्वाब
वाह! शज़न्दर्ी
32
मुकम्मल ख़्वाब
******
33
मुकम्मल ख़्वाब
शज़न्दर्ी
34
मुकम्मल ख़्वाब
35
मुकम्मल ख़्वाब
शािद अन्जान है कक
मैं शजद्दी हूँ
िा जानकर भी अनजान
बन रही है शज़न्दर्ी
मैं मानना चाहती हूँ
खुद को दोर्ी
परन्तु ककस्मत पर कवश्वास
चाहती है शज़न्दर्ी
36
मुकम्मल ख़्वाब
मुझे तो शजद है
सीखने की, जीतने की
एक हदन वक्त भी करे र्ा अफसोस
लेककन मैं तुझसे नाराज नहीं हूँ
सच में, बहुत खूबसूरत है मेरी शज़न्दर्ी
आई लव माई शज़न्दर्ी !!
******
37
मुकम्मल ख़्वाब
चलो उठो
अब प्रतीिा ककसकी है
खुद ही चलना है तुमको
अब आस ककसकी है
ला दो एक क्रात्मन्त
अब हफक्र ककसकी है
रुकना नहीं है
पकड़ ली है राह
तो मुड़ना नहीं है
38
मुकम्मल ख़्वाब
तू कर जा कुछ ऐसा
शब्द न हो ककसी के पास
मत बरबाद कर समि
जो बनना है बन जा
जो करना है अब
जल्दी से कर जा
मत भार् प्रततज्ञा के पीछे
प्रततभा को पहचान
जो करना है खुद कर
ना ककसी से आश रख
होंर्े तेरे सपने पूरे
भर्वान पे कवश्वास रख
39
मुकम्मल ख़्वाब
सपना है ऑल रांउडर का
उसको िाद रख
इसशलए प्रततज्ञा और प्रततभा
दोनों साथ रख !!
******
40
मुकम्मल ख़्वाब
उम्मीदें
हर शक्श सोचता है
मैं IAS बनूूँर्ी
सबको कवश्वास है
41
मुकम्मल ख़्वाब
******
42
मुकम्मल ख़्वाब
संघर्ा
संघर्ा के हदन है
जो हो रहा है
वो तो होर्ा ही
तुम नहीं घबराना
चलते जाना है
संघर्ा से लड़कर
अपनी मंशज़ल को पाना है
हो रही है परीिा
तुम्हारे िैिा की, आत्मकवश्वास की
तुम्हारी हहम्मत की,
उस हहम्मत को ही तो अब हदखाना है
43
मुकम्मल ख़्वाब
******
44
मुकम्मल ख़्वाब
सब के भ्रम को तोड़ना है
होकर सफल चारो हदशाओं में
हवा बन कर बहना है
चारो हदशाओं में
र्र्न को छूना है
सार्र की र्हराई नापनी है
45
मुकम्मल ख़्वाब
******
46
मुकम्मल ख़्वाब
माूँ की िाद
अब जब भी आए तेरा नाम
बस आूँखों में पानी है।
******
47
मुकम्मल ख़्वाब
चलते रहहए
******
48
मुकम्मल ख़्वाब
प्रश्न . . . . . .
सब पूछते हैं,
इतने शब्द कहाूँ से लाती हो
कैसे शलखती हो िे ककवताएूँ
कैसे शब्दों को माला में सजाती हो
कहाूँ से आते हैं इतने कवचार
शजनसे तुम आककर्ित कर जाती हो
कैसे सोच पाती हो इतना, कैसे
तुम एक काल्पयनक कैनवास बनाती हो
भरके तुम इसमें रं र्
कैसे तुम भावों को जर्ाती हो
आखखर कैसे तुम ककवता को बनाती हो
कैसे तुम शलखे ककरदार को जीवंत कर जाती हो
उत्तर . . . . . .
49
मुकम्मल ख़्वाब
******
50
मुकम्मल ख़्वाब
पहाड़ की पुकार
******
51
मुकम्मल ख़्वाब
जीत का उद्घोर्
पररस्थस्थतत कोई भी हो
उसको स्वीकार कर
सि का सामना कीशजए
यर्र ही तो र्िे हो
उठकर हफर से
जीत का उद्घोर् कीशजए
******
52
मुकम्मल ख़्वाब
जीत को लड़ जािेंर्े
******
53
मुकम्मल ख़्वाब
ककसने कहा,
राही का कोई तलबर्ार नहीं होता
मंशज़ल को राही से प्यार नहीं होता
कौन कहता है
दूर भार्ती है मंशज़ले
खुद को कोई र्ुनहर्ार नहीं कहता
******
54
मुकम्मल ख़्वाब
हार-जीत
शज़न्दर्ी है
हार-जीत लर्ी रहती है
हार से घबराकर
रुक जाना
इतना भी तो सही नहीं है
शज़न्दर्ी है
हार जीत लर्ी रहती है
हारने का डर होता है
लेककन डर से डर जाना
इतना भी सही नहीं है।
******
55
मुकम्मल ख़्वाब
तन्हा पेड़
56
मुकम्मल ख़्वाब
57
मुकम्मल ख़्वाब
तू क्यों तन्हा है
खुद की तन्हाई से
क्यों है तू भार्ीदार
खुद की तनहाई में
तू जीना सीख
हार को हराकर
तू जीतना सीख
तू क्यों तन्हा
तुझे दे ख पेड़
तन्हा है।
******
58
मुकम्मल ख़्वाब
उड़ चले
चलो आओ
उड़ चलें
भीड़ से दूर
एक अलर् जर्ह
निे ख्वाबों की ओर
आओ,
उड़ चले
59
मुकम्मल ख़्वाब
मंशजल की ओर
उड़ चले . . . . . . . . . .
ख्वाबों की ओर
उड़ चले . . . . . . . . . .
चलो आओ . . . . . . . . . . ।
******
60
मुकम्मल ख़्वाब
फूँस र्ए है
******
61
मुकम्मल ख़्वाब
62
मुकम्मल ख़्वाब
******
63
मुकम्मल ख़्वाब
******
64
मुकम्मल ख़्वाब
65
मुकम्मल ख़्वाब
******
66
मुकम्मल ख़्वाब
शचहड़िा घर से यनकली है
ककसने कहा
भाग्य शलखा है
हाथों की लकीरों में
शचहड़िा को पंख
फड़फड़ाने पड़ते हैं
बंद दीवारों में
र्रीबी हो िा अमीरी
शचहड़िा, शचहड़िा होती है
संघर्ा करना होता है
शचहड़िा को आजाद होने में
शचहड़िा घर से यनकली है
आूँखों में कुछ सपने शलए
आजाद भारत में आजादी यमलेर्ी उसको
लेककन अभी वक्त लर्ेर्ा
शचहड़िा को पररिंदे बन जाने में।
******
67
मुकम्मल ख़्वाब
ना कोई कोमा
ना कोई कवराम है
जीत की लड़ाई िहाूँ
जीत ही वीर का प्रमाि है
कुछ रुकने पर,
हफर से चलना है जीवन
जीतने के बाद भी
एक निा संघर्ा है जीवन
******
68
मुकम्मल ख़्वाब
आईने से िारी रख
िे दुयनिा एक रं र्मंच है
ना ककसी से ररश्तेदारी रख
तू आईने से िारी रख
जब-जब दुयनिा
तुझे यर्राएर्ी
आईना ही तुझे ताकत हदखलाएर्ा
जब तू दे खर्
े ा
आइने में
खुद को पहचान पािेर्ा
तू आइने की ही
शजम्मेदारी रख
तू आइने से िारी रख
ना ककसी से ररश्तेदारी रख।
******
69
मुकम्मल ख़्वाब
******
70
मुकम्मल ख़्वाब
शज़द्दी
िूूँ ही,
नहीं बना जाता शज़द्दी
शज़द करनी होती है
िूूँ ही,
नहीं होती शज़द
हदल में जुनून होना चाहहए
िूूँ ही,
नहीं होता जुनून पैदा
सपनों में आर् होनी चाहहए
िूूँ ही,
नहीं लर्ती सपनों में आर्
इच्छा शयक्त मजबूत होनी चाहहए
िूूँ ही,
नहीं होती इच्छा शयक्त मजबूत
शज़द्दी होने की वजह होनी चाहहए
71
मुकम्मल ख़्वाब
िूूँ ही,
नहीं यमल जाती वजह
पहले अपमान होना चाहहए
िूूँ ही,
नहीं होता अपमान
पहले भर्वान द्वारा शलखा होना चाहहए
िूूँ ही,
नहीं शलखते भर्वान
कुछ असािारि कराना होता है
िूूँ ही,
नहीं बन जाता कोई असािारि
पहले उसकी काबबशलित का परीिि होता है
******
72
मुकम्मल ख़्वाब
73
मुकम्मल ख़्वाब
जुनून को जर्ाओ
पंखों की परवाह करते हो क्यों
पंखों के टू टने से डरते हो क्यों
तुम शचिंता करते हो क्यों।
******
74
मुकम्मल ख़्वाब
छािा
75
मुकम्मल ख़्वाब
76
मुकम्मल ख़्वाब
******
77
मुकम्मल ख़्वाब
साथ चलो
ज्यादा न सही
थोड़ी दूर तो साथ चलो
रास्ता िूूँि में
भी हदखेर्ा
तुम हहम्मत तो रखो
मैं िैिा रख लूर्
ूँ ी
पहुूँ च जाऊूँर्ी मंशज़ल तक
तुम एक-दो सीढ़ी
तो साथ चलो
ज्यादा न सही
थोड़ी दूर तो साथ चलो
मंशज़ल पर पहुूँ चाना है र्र
तो हमेशा साथ चलो
तुम मेरे साथ चलो।
******
78
मुकम्मल ख़्वाब
हार से सीखकर
जीत को बनाले आिार
बन्दे मत मान हार
जीवन में यछपा है श्ृंर्ार।
******
79
मुकम्मल ख़्वाब
टूटा शसतारा
शसतारा टू ट सकता है
सहारा छूट सकता है
लेककन तुम मत हारना
हफर से उठना
जुड़ना और चलते जाना
टू टे शसतारे में भी
कुछ चमक होती है
जो अपनी न सही
ककसी और की होती है
लेककन शसतारा भी
रोशन है।
सहारा छूट र्िा तो क्या
तुम खुद के सहारे बनो
खुद का अच्छा दोस्त बनो
जान लो खुद के बारे में
इससे अच्छा मौका भी न यमल सकता
तुम खुद के सहारे बनो
तुम खुद ही शसतारे बनो।
******
80
मुकम्मल ख़्वाब
मेरा सपना
मेरा सपना,
मेरा सपना है
मुझे ही इसको
पूरा करना है
जब सपना अपना है
तो क्यों उम्मीद लर्ािी है
र्ैरों से
मैम तो साथ हैं
बस चलना है
मैम की अूँर्ुली पकड़
खुद के पैरों से
मैम रास्ता हदखा रही है
बस उनके बतािे अनुसार
चलना है
मैम की उम्मीदों को
पूरा करना है
जहाूँ वो देखना
चाहती है
उस शीर्ा पर
81
मुकम्मल ख़्वाब
पहुूँ चना है
मेरा सपना
जो मैम का भी
है अब अपना
उसको पूरा करना है
खुद के शलए
न सही
मैम के शलए
शीर्ा पर पहुूँ चना है
सपनों को पूरा
करने की कोई
वजह नहीं थी
अब यमल र्ई है
वजह है मेरी मैम
शजनके हर एक
ख़्वाब को मुकम्मल
करना है
मेरा सपना
मेरे शलए न सही
मैम के शलए ही
पूरा करना है।
******
82
मुकम्मल ख़्वाब
पीड़ पराई
पीड़ पराई
जाने कौन ?
मैं कुछ कर सकती हूँ
माने कौन ?
मनवाना नहीं
हदखाना है
बबन कुछ ककिे
पहचाने कौन
पीड़ पराई
जाने कौन
रुकावट का सामना
खुद करना है
सभी को कार्ज के
टु कड़े पर पररिाम चाहहए
ज्ञान की पहचान
नहीं है कार्ज
इस बात को जाने कौन ?
पीड़ पराई
जाने कौन ?
******
83
मुकम्मल ख़्वाब
परींदे
परींदो से सीखे
ततनका-ततनका चुनकर
घौंसला बनाना
दाने की तलाश में
मीलो चलते जाना
मौसम के अनुसार
खुद की राहें बनाना
जीवन को संघर्ा नहीं
खुशी से जीना
घौंसला टू ट जाने पर भी
पुनः यनमााि करना
जीवन कहठन नहीं है
इस बात को स्वीकार करना
परींदो से सीखे
बादल से ऊूँची उड़ान भरना
परींदो से सीखे
पहचान साथ लेकर चलना
आओ पररिंदो से सीखे।
******
84
मुकम्मल ख़्वाब
िूप
******
85
मुकम्मल ख़्वाब
रास्ते
मेरे सामने
दो रास्ते हैं
एक रास्ता
खुशहाल जीवन की ओर
मेरे सपनों की ओर
मेरी मंशज़ल की ओर
शजस पर चलना
थोड़ा कहठन है
लेककन नामुमककन नहीं है
इस रास्ते पर
चलकर, उिवल
भकवष्य के ख़्वाब
बुन सकती हूँ
सारे सपने, चीजें
अपनी पसन्द से
चुन सकती हूँ
अपने मन के अनुसार
जीवन को र्ुजार सकती हूँ
86
मुकम्मल ख़्वाब
87
मुकम्मल ख़्वाब
******
88
मुकम्मल ख़्वाब
दस्तक दे कर दे खे
बबना कोशशश के
खुद को असफल मानना
अपने जीवन को
ककस्मत पर छोड़ना
िे कैसी समझदारी है
अर्र ककस्मत ही है
सब कुछ तो
कमों की फसल उर्ाना
तुम्हारी शजम्मेदारी है
ककस्मत ही तो है
तुम ककस्मत के दरवाजे पर
दस्तक दे कर देखो
सपनों के शलए
मेहनत करके दे खो
हफर दे खना
89
मुकम्मल ख़्वाब
******
90
मुकम्मल ख़्वाब
******
91
मुकम्मल ख़्वाब
******
92
मुकम्मल ख़्वाब
सपना दे खा
93
मुकम्मल ख़्वाब
******
94
मुकम्मल ख़्वाब
शज़न्दर्ी की दौड़
कभी िूप है तो
कभी छाूँव हैं
कुछ तो अलर् है
शजिंदर्ी की दौड़ में
95
मुकम्मल ख़्वाब
******
96
मुकम्मल ख़्वाब
िीरज रखखिे
******
97
मुकम्मल ख़्वाब
बस की खखड़की से
कई बार
बस के सफर में
जीवन को समझने की कोशशश करो
बस की खखड़की से
बाहर के वातावरि को देखो
जोड़ो उसको जीवन से
बस के सफर को
जीवन का सफर समझो
अपने लक्ष्य की ओर
तुम नजर करो।
******
98
मुकम्मल ख़्वाब
रं र्
िे रं र्
बोलते हुए रं र्
इशारों में समझाते हुए रं र्
लक्ष्य को हदखाते हुए रं र्
आककर्ित करते िे रं र्
मन को भाते िे रं र्
समृयद्ध के िे रं र्
बशलदान, हररिाली
का प्रतीक है िे रं र्
ततरं र्े के है िे रं र्
बहुत खूबसूरत है िे रं र्
बहुत प्यारे हैं िे रं र्
बोलते हुए रं र्
इशारों में समझाते हुए रं र्।
99
मुकम्मल ख़्वाब
ऊूँचा: ककतना ?
आसमान से ऊूँचा
ख़्वाब तुम्हारा हो
भीड़ से अलर्
नाम तुम्हारा हो
******
100
मुकम्मल ख़्वाब
आखखर कहाूँ
101
मुकम्मल ख़्वाब
आखखर कब तक
िूूँ ही चलते रहोर्े
भीड़ का हहस्सा
तुम बनते रहोर्े
कुछ तो अलर् करो
हदल से पूछ कर
जाना कहाूँ है
जल्दी िे सुयनत्यश्चत करो
आखखर कब तक
बने बनािे रास्ते पर
चलते रहोर्े
102
मुकम्मल ख़्वाब
तुम िे ति करो
कैसे जाना है
ति करो
******
103
मुकम्मल ख़्वाब
कई बार ,
खुद का ज्ञान नहीं करते
यछपा है कुछ, पहचान नहीं करते
मेहनत तो करते हैं
104
मुकम्मल ख़्वाब
क्या है तुम्हारे
जीवन का रहस्य
कभी नहीं खोजते
तुमको रहस्य बता रही हूँ मैं
कहानी शलख रही हूँ मैं
105
मुकम्मल ख़्वाब
मेरी कलम से
मेरी कहानी शलख रही हूँ मैं
कहानी शलख रही हूँ मैं ।।
******
106
मुकम्मल ख़्वाब
107
मुकम्मल ख़्वाब
******
108
मुकम्मल ख़्वाब
दूर
सपनों के शलए
घर से दूर
मैं मजबूर
बहुत कुछ छूटा
हो र्ई सब से दूर
मैं मजबूर
अपनी प्यारी चीजों को छोड़
प्यारी जर्ह को भी छोड़
हूँ बहुत दूर
मैं मजबूर
सपनों के शलए
घर से दूर
मैं हूँ मजबूर ।
******
109
मुकम्मल ख़्वाब
मन की आशा
मन की एक
छोटी सी आशा
मेरे जीवन की पररभार्ा
लक्ष्य तक ले जाना
मेरे मन की है इक आशा
िही है मेरे जीवन की पररभार्ा ।
******
110
मुकम्मल ख़्वाब
राही
राही हम मतवाले
हदखते हैं भोले-भाले
राही हम मतवाले
जो मन करे
वो करते हैं
ना ककस्मत थाम
के रोने वाले
राही हम मतवाले
सूरत हमारी मासूम है
हदल के सच्चे
लेककन है हम
इततहास रचने वाले
राही हम मतवाले
हदखते हैं हम
भोले-भाले ।
******
111
मुकम्मल ख़्वाब
तततशलिाूँ - ख्वाब
112
मुकम्मल ख़्वाब
शािद िे भी बड़ी
बात है उनके शलए
तभी वो खुद को
भाग्यवान देखती है
113
मुकम्मल ख़्वाब
वो भी कुछ बड़े से
बड़ा कर सकती है
अपनी शयक्त को नहीं पहचानती
जीवन को जीना चाहती तो है
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114
मुकम्मल ख़्वाब
नजर अंदाज़
जो यमला है उसको
नजर अंदाज़ मत करना
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115
मुकम्मल ख़्वाब
र्ीत
असफलता से सीखूूँ
सीखकर, तकदीर शलखूूँ मैं
क्या र्ीत शलखूूँ मैं
भूला-बबसरा अतीत शलखूूँ मैं
116
मुकम्मल ख़्वाब
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117
मुकम्मल ख़्वाब
भार्ा
भार्ा
जो कक इक जररिा है
अपने कवचार दशााने का
भार्ा
जो कक इक माध्यम है
प्यार व्यक्त करने का
भार्ा
मेरी मातृभार्ा हहन्दी है
मुझे प्रािों से प्यारी है
भार्ा
मेरी मातृभार्ा
जो मेरे देश को
पहचान हदलाती है
मेरी मातृभार्ा
जो र्वा से बताती है
कक हम हहन्दुस्तानी है
भार्ा
मेरी मातृभार्ा
118
मुकम्मल ख़्वाब
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119
मुकम्मल ख़्वाब
निे रास्ते
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120
मुकम्मल ख़्वाब
कमरे की चीजें
कमरे की बबखरी
चीजों में र्ुम है
अनकहे, अनसुलझे
कुछ ककस्से
अभी भी
र्ुम है
डािरी के कुछ
पन्ने खोिे हैं
कमरे की बबखरी
चीजों में र्ुम
कुछ चीजे, बाते
121
मुकम्मल ख़्वाब
अभी भी र्ुम है
कुछ एहसास
अभी भी र्ुम है ।
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122
मुकम्मल ख़्वाब
कुछ चीजें,
जो िूूँ ही बबखरी रहती है
काम नहीं है उनका कुछ
चीजें अक्सर टू टी रहती है
फेंकने का मन नहीं
करता, इन टू टी-बबखरी चीजों कों
अक्सर िे चीजें
हदल के करीब होती है
टू टने के बाद भी
उम्मीद होती है
थे चीजें अक्सर बबखरी रहती है
मन नहीं करता सूँभालने को
हर पल आूँखें दे खना चाहती है
मन नहीं करता, इनको समेटने का
123
मुकम्मल ख़्वाब
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124
मुकम्मल ख़्वाब
जो खोना था खो र्िा
उसको पाने की शज़द में क्यों अड़े हो
तुम अब तक क्यों खड़े हो
ककस सोच में पड़े हो
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125
मुकम्मल ख़्वाब
# DEAR MA’AM
एक उदास मन को भी
खुश रहना शसखा हदिा
मेरे हाथ में कलम दे कर
मेरा जीवन सूँवार हदिा ।
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126
मुकम्मल ख़्वाब
# DEAR MA’AM
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127
मुकम्मल ख़्वाब
128
मुकम्मल ख़्वाब
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129
मुकम्मल ख़्वाब
हफा-हफा शलखा है
हफा-हफा शलखा है
शज़न्दर्ी का अफसाना
कभी वक्त यमले
तो आओ पढ़ने
बहुत शशद्दत से इकट्ठा
ककिा है मोततिो को
कभी वक्त यमले
तो आओ र्ढ़ने
क्यों बेरंर् पड़े हो
रं र् भरे मौसम में,
क्यों बेरंर् पड़े हो
जो खो र्िा उसको
पाने की शज़द में
क्यों अड़े हो, तुम
अब तक क्यों खड़े हो
तुम अब तक क्यों ?
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130
मुकम्मल ख़्वाब
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131
मुकम्मल ख़्वाब
आत्मा आवाज़ दे ती है
जब राही पथ से भटके
आत्मा आवाज दे ती है
जब सपनों को भूले तब
आत्मा आवाज दे ती है
जब राही थक कर बैठे
आत्मा आवाज दे ती है
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132
मुकम्मल ख़्वाब
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133
मुकम्मल ख़्वाब
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134
मुकम्मल ख़्वाब
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135
मुकम्मल ख़्वाब
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136
मुकम्मल ख़्वाब
आखखर तू है कहाूँ
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137
मुकम्मल ख़्वाब
इरादा करके दे खो
जो राह है कहठन
उसको भी आसान पाओर्े
इरादा करके तो दे खो
तुम कर जाओर्े
जो शसफा सपने है
उनको सच कर हदखाओर्े
आत्म-कवश्वास तो लाओ
तुम जीत जाओर्े
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138
मुकम्मल ख़्वाब
आओ चाि कपए
रकववार का हदन है
आओ चाि कपए
चाि एक ज़ररिा है
139
मुकम्मल ख़्वाब
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140
मुकम्मल ख़्वाब
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141