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अज रोया या तु म रोए थे ?
लशवजी की तीसरी आँ ख से
घृतलमलित सू खी सलमधा सम
लचत्रकूट के सु भग लशखर पर
उस बे चारे ने भे जा था
उन पुष्करावता मेघों का
पर-पीड़ा से पूर-पूर हो
अमि-धविलगरर के लशखरों पर
लप्रयवर तु म कब तक सोए थे ?