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ब ाँटोगे
लेखक
संतोष ससंह
प्रकाशक: OnlineGatha – The Endless Tale
पता: सी -2, तृतीय तल, खुशनुमा कॉम्प्लेक्स, मीरा बाई मार्ग,
हजरतर्ंज, लखनऊ, उत्तर प्रदेश 226001
संपकग: + 91-9936649666
वेबसाइट: www.onlinegatha.com
ISBN: 978-93-86915-74-0
मूल्य: ₹ 60/-
वर्ग: 2019
प्रकाशक पत्री
©सभी अधिकार कॉपीराइट सहहत लेखक के साथ आरधित है ।
ऑनलाइनर्ाथा पुस्तक प्रकाशन का एक संर्ठन है । यह स्थान
ऑनलाइन साहहत्यिक, शैिणिक और वैज्ञाननक दनु नया में एक क़दम
है । यह काग़ज़ी प्रनत की रचनाओं को ऑनलाइन दनु नया से जोड़कर
काम करता है ।
यह पुस्तक सद्भावना में प्रकाशशत की र्ई है नक लेखक का कायग
मौललक है । पुस्तक को त्रुटट मुक्त करने के ललए सभी प्रयास नकए र्ए
हैं । पुस्तक का कॉपीराइट लेखक के पास अनुरधित है और इस पुस्तक
का कोई भी हहस्सा प्रकाशक और लेखक की ललणखत अनुमनत के नबना
नकसी भी तरीके से पुनः उत्पन्न नहीं नकया जा सकता है ।
संतोष ससंह | ii
प्रस्तावना
मुझे पूिग नवश्वास है नक हहिंदी साहहि पढ़ने में हम में से बहुतों को अिंत
आनन्द का अनुभव होता है । हहिंदी प्रेममयों का हरदम मन करता है नक
नई हहिंदी रचनाओं को पढ़ा और सुना जाये । मैंने अपने आस-पास जो
देखा, महसूस नकया, वही ललखा है । इस नकताब की हर कनवता, मुझे
नकसी न नकसी घटना की याद टदलाती है । उदहारि के तौर पर, "हहन्द ू
की र्ीता" कनवता मैंने दंर्ो से प्रेररत होकर ललखी है ।
संतोर् धसिंह
संतोष ससंह | iv
समर्पण
यह कनवता कोर् सममपित है, मेरे उन सभी हहिंदी पढ़ने और सुनने वालों
को, जो कनवता से और कनव की सोच से प्रेम करते हैं ! मैं सदा आभारी
रहाँर्ा मेरे उन दोस्तों का, णजन लोर्ों ने मुझे डायरी दी ललखने के ललए ।
मैं सदा आभारी रहाँर्ा उस वक़्त का णजसने मेरे अंदर अच्छा ललखने का
सामर्थ्ग पैदा नकया । मैं सदा आभारी रहाँर्ा इन सााँसों का, णजन्होंने मेरा
साथ टदया इन कनवताओं को ललखने में ।
आपका आभारी
संतोर् धसिंह
संतोष ससंह | v
अनुक्रमसणका
रोज थोड़ी सी दरू रयां ........................................................................................ 1
कब तक हमको बााँटोर्े .................................................................................... 2
ना टोपी न टीका .............................................................................................. 4
मैं शशिक हाँ ....................................................................................................... 6
पहचान करा दाँू .................................................................................................. 8
बाबूजी के ज़माने में ......................................................................................... 9
मेरे र्ांव सा ...................................................................................................... 11
कोई दोस्त ममला ............................................................................................ 13
तलाश .............................................................................................................. 15
कल की कहानी .............................................................................................. 18
बस इतने ही हैं उसूल ..................................................................................... 20
टदल का टु कड़ा .............................................................................................. 22
तेरे चेहरे पे ....................................................................................................... 24
पैसे हैं नहीं ....................................................................................................... 27
मेरे वसूल..........................................................................................................29
तुम कमग करो ................................................................................................... 31
ररश्तों में दरू ी ....................................................................................................32
ख्वाब क्या हैं...................................................................................................34
भारत और भारती .......................................................................................... 36
तुम्ह े याद होर्ा मप्रये ........................................................................................38
एक टदलरुबा.................................................................................................. 40
संतोष ससंह | vi
साथ उम्र भर का ............................................................................................. 41
उसका हाँसना ...................................................................................................43
ख्वाब हो पलें ..................................................................................................45
इक र्ीत........................................................................................................... 47
खुली वाटदयााँ ................................................................................................. 49
ललखता चला र्या .......................................................................................... 51
प्यार हमेशा ऐसा हो ....................................................................................... 53
मंणज़ल नहीं बदलते.........................................................................................54
कोई ग़ज़ल ...................................................................................................... 55
संतोष ससंह | 1
कब तक हमको बााँटोर्े
संतोष ससंह | 2
मंटदर में कहीं राम बनाया और कहीं घनश्याम बनाया !
मस्जिद में आकर पााँचों पहर, तुमने अपना शीश झुकाया !!
मिर भी कहो क्या तुमने मुझको, अपने पास कहीं पाया !!
राम का मंटदर, रहीम की मस्जज़द
कब तक हमको बााँटोर्े !!
संतोष ससंह | 3
ना टोपी न टीका
संतोष ससंह | 4
ना टोपी सर पे, न टीका सर पे
ना देखो हमको, ऐसी नज़र से !!
कबीरा समझ के ही मपला दो
प्यार से बस पानी मपला दो !!
संतोष ससंह | 5
मैं शशिक हाँ
संतोष ससंह | 6
णज़म्मेदारी बड़ी है मेरी, ये बात खूब समझता हाँ !
इसललए हर र्ांव, हर कसबे को मैं शशधित करता हाँ !!
संतोष ससंह | 7
पहचान करा दाँू
संतोष ससंह | 8
बाबूजी के ज़माने में
संतोष ससंह | 9
दोस्त-यार जब हाथ में लेकर, बुलेट बम िोड़ा करते थे !
बाबूजी र्ुस्से में लाल, चचल्लाते घर ले जाया करते थे !!
संतोष ससंह | 10
मेरे र्ांव सा
संतोष ससंह | 11
हर कोई यहााँ तैयार है,
अपनों पे वार करने को
हर सांस यहााँ तरसती हैं,
दो पल का प्यार पाने को ।
संतोष ससंह | 12
कोई दोस्त ममला
संतोष ससंह | 13
सांसों का बोझ यहााँ अब तो उठा नहीं पाएंर्े !
जाने के बाद यहााँ से, मिर लौट के ना आएंर्े !!
संतोष ससंह | 14
तलाश
संतोष ससंह | 15
मैं रुका जहां भी,
वहीं पेड़ों की शाखों पे अिसाने ललखे !
देख के सबने यही कहा,
कल होंर्े यहााँ दीवाने ममले !!
इक मुसामिर से मंणज़ल,
दरू कब तक रहेर्ी
है चलना ही काम णजनका,
उनसे खिा नकस्मत कब तक रहेर्ी
पांव थके पर हौसले न कम हुए मेर,े
और थकावट की न आई बू कभी सांस से मेरी !
ममट भी र्ये ये णजस्म तो,
पसीने की खुशबू आती रहेर्ी लाश से मेरी !!
संतोष ससंह | 16
मंणज़ल नहीं, साहहल नहीं,
हुआ कु छ भी हाधसल नहीं,
तलाश से मेरी !
तलाश ही मंणज़ल बनी, तलाश ही साहहल,
तलाश ये कै सी रही,
पूछो एहसास से मेरी !!
संतोष ससंह | 17
कल की कहानी
संतोष ससंह | 18
हर आाँखों में कई ख़्वाब जले, हर टदल में कई तस्वीर !
मिर भी ढू ंढ रहे हैं लोर्, ख़्वाबों में ही तक़दीर !!
हर कोई है जख़्मी यहााँ, जख़्म अभी मेरे भी ताज़े !
ढू ंढ रहा हाँ मैं भी उनको, जो तोड़ र्ए हैं टदल के िार्े !!
संतोष ससंह | 19
बस इतने ही हैं उसूल
संतोष ससंह | 20
साथ छू टने के बाद, कोई साथ था,
ये एहसास हुआ तो क्या हुआ !
सााँसें रुकने के बाद, णज़िंदर्ी थी पास,
ये एहसास हुआ तो क्या हुआ !!
संतोष ससंह | 21
टदल का टु कड़ा
संतोष ससंह | 22
इस घर को बनाया घर, तेरा ये पहला कदम
तू लर् जा र्ले से मेर,े अब टदल में नहीं कोई र्म !!
संतोष ससंह | 23
तेरे चेहरे पे
संतोष ससंह | 24
इस बार नकसी की सांसें टू टने का,
लर्ता है तुझे भी हुआ है र्म !!
दरर्ाहों में दआ
ु मांर्ते,
मेरी तरह तू भी आने लर्ी नज़र !
चौंकने की बात नहीं,
तू ही नहीं हम पे, हम भी रखते हैं तुझ पे नज़र !!
ये रात भयंकर,
ये सुबह डरावनी !
ये जर्ह बनी है आज,
लाशे-बेकिन की छावनी !!
संतोष ससंह | 25
ये रोती हुई आाँखें देखकर,
मैं डरने लर्ा हाँ इनसे !
इन लाशों में वो भी पड़े हैं,
जो आज ममलने का वादा नकए थे हमसे !!
संतोष ससंह | 26
पैसे हैं नहीं
आज के इस दौर से,
हमने सीखा है कल जीने का सबब !
नहीं ममलता है कु छ भी,
पकड़े रहने से दामन वसूलों का महज़ !!
टदया करता था कभी सौर्ाते,
तुझे आज के टदन मैं !
क्या कहाँ नकतना शममिंदा हाँ,
तुझे आज के टदन मैं !!
संतोष ससंह | 27
इस वक़्त हमारे पास,
तोहिे के ललए पैसे हैं नहीं !
मैं तुम्ह ें कु छ दे सकूाँ , इन अल्फाज़ों के धसवा,
हालात मेरे पहले जैसे है नहीं !!
संतोष ससंह | 28
मेरे वसूल
मैं जानता हाँ मैं सही हाँ, मिर भी मैं र्लत बहुत हाँ !
मैं चलते-चलते थक र्या, अब भी मंणज़ल कहती है, मैं तुमसे दरू बहुत हाँ
हर चीज़ मेरे पास थी, एक महकता चमन, एक मासूम सी कली
ले र्या सब कु छ उठा के , मैं सोया ही रहा, जाने कै सी थी हवा चली !!
संतोष ससंह | 29
कब बदलेर्ा सबकु छ, जब जल जायेर्ा जो है कु छ !
रोके न कोई मुझको, मैं चला यहााँ से, लेकर आया था जो कु छ !!
संतोष ससंह | 30
तुम कमग करो
संतोष ससंह | 31
ररश्तों में दरू ी
संतोष ससंह | 32
ररश्तों में थोड़ी सी दरू ी होनी ही चाहहए !
णज़िंदर्ी में मजबूरी होनी ही चाहहए !!
संतोष ससंह | 33
ख्वाब क्या हैं
संतोष ससंह | 34
जब णज़िंदर्ी बेरर्
ं सी हो, ख्वाब ही संभालता है !
जब कोई ना साथ हो, ख्वाब ही साथ ननभाता है !!
संतोष ससंह | 35
भारत और भारती
संतोष ससंह | 36
राजनेताओं की राजनीनत को अब बदलना ही होर्ा !
ममल-बैठ के इस मुद्दे को, अब सुलझाना ही होर्ा !!
अब नहीं कोई वीर-जवान, कश्मीर की बलल चढ़ेर्ा !
अब सरहद के पार कोई, हहिंदस्त
ु ानी नहीं मरेर्ा !!
संतोष ससंह | 37
तुम्ह े याद होर्ा मप्रये
संतोष ससंह | 38
उन र्ललयों में जाकर र्ुज़रे लम्हे को याद नकये !!
तुम्ह े याद होर्ा मप्रये, तुम्ह े याद होर्ा मप्रये...!!
संतोष ससंह | 39
एक टदलरुबा
संतोष ससंह | 40
साथ उम्र भर का
संतोष ससंह | 41
मैं आज हाँ तेरे प्यार में, कल तेरे इंतज़ार में !
मेरी दनु नया तुझ तक ही है, एक तू ही मेरे संसार में !!
संतोष ससंह | 42
उसका हाँसना
संतोष ससंह | 43
जाने नकस बात पे था, कल उसका हाँसना !
जाने नकस बात पे है, आज ये उदासी !!
संतोष ससंह | 44
ख्वाब हो पलें
संतोष ससंह | 45
वो ममले तो कह द,ाँू नक तुमसे नहीं कोई अच्छा !
वो ममले तो कह द,ाँू नक तुम रब से भी हो सच्चा !!
वो ममले तो कह द,ाँू नक बंि जाओ मेरे बंिन में !
वो ममले तो कह द,ाँू नक बस जाओ मेरी िड़कन में !
वो ना ममले तो कै से, कह दाँू और नकसी से
नक प्यार हमे है तुमसे, तुम आ जाओ जीवन में !!
संतोष ससंह | 46
इक र्ीत
संतोष ससंह | 47
इक र्ीत ललख रहा हाँ, तुम्ह े देने के ललए !
कई सााँस खींच रहा हाँ, इन्हे संजोने के ललए !!
कभी कभी मैं सोचता हाँ, क्यों चलता हाँ तुझे ख़्यालों में लेके !
बड़ी अजीब सी उलझन, णजसका नाम नहीं कोई !
बड़ी अजीब सी मेरी हर सुबह, णजसकी शाम नहीं कोई !!
मुझे रात नहीं ममलती, अब रोने के ललए
संतोष ससंह | 48
खुली वाटदयााँ
संतोष ससंह | 49
करते चाहत का ये शोर !
ये सुन, टदल मेरा भी झूमा !!
संतोष ससंह | 50
ललखता चला र्या
लबों पे जो है कह दो,
अदाओं से अपनी !
मेरी बाहों में आ जाओ,
संतोष ससंह | 51
सुन के िड़कने अपनी !!
तेरी नज़रों में देखी है,
मैंने खुद की तस्वीर !
तेरा नहीं मैं, पर मेरी तो,
तू ही है तक़दीर !!
संतोष ससंह | 52
प्यार हमेशा ऐसा हो
संतोष ससंह | 53
मंणज़ल नहीं बदलते
संतोष ससंह | 54
कोई ग़ज़ल
वो णज़िंदर्ी को दीवाना,
नकसी महमिल में नज़र ना आए तो
नबना उसकी यादों में खोए,
क्या ये टदल रह पायेर्ा !!
संतोष ससंह | 55
नबना नकसी शायर के ख़्वाब के ,
कोई ग़ज़ल क्या र्ायेर्ा !
नबना नकसी आपके जवाब के ,
कोई कै से सुर ममला पायेर्ा !!
संतोष ससंह | 56
मैं संतोर् धसिंह, बोकारो स्टील धसटी का रहने वाला हाँ । बोकारो मेरी
जन्म भूमम है ! अभी बोकारो झारखण्ड राज्य में आता है लेनकन मेरे
ललए वो आज भी नबहार ही है । सरहदे बदलने से यादे नहीं बदलती !
मैंने अपनी प्रारंलभक शशिा बोकारो से ही नकया है । उसके बाद आर्े
की पढाई के ललए मैं भारत के कई राज्यों में र्या और अपनी
पढाई की । मैं मास्टर ऑफ़ कं प्यूटर एलीके शनस (M.C.A., VTU
University, Belgaum) की पढाई पूरी करने के बाद आईटी में
कायगरत हाँ । मपछले १० साल से बैंर्लोर मेरी कमग भूमम है और जन्म से
हहिंदी मेरी मातृभार्ा । हहिंदी के प्रनत मेरा प्रेम कभी कम नहीं हुआ ।
..........आपका अपना
संतोर्
Email Id:
singhsanrec@gmail.com
संतोष ससंह | 57