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ऐ ज़माने क्या ते री तहज़ीब का दस्तू र है

मार ही डालेगा उसको जो बहुत मज़बू र है //१

रात ददन मरता यही है हर गली हर गााँ व में

आज दिर सोया है भू खा दे ख ये मज़दू र है //२

रुक गया जो हार के तो सोच क्या पाये गा तू

दो क़दम चल तो सही मन्ज़ज़ल नही ीं अब दू र है //३

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