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ये नव वर्ष हमे स्वीकार नही ीं

है अपना ये त्यौहार नही ीं

है अपनी ये तो रीत नही ीं

है अपना ये व्यवहार नही ीं

धरा ठििु रती है सर्दी से

आकाश में कोहरा गहरा है

बाग़ बाजारोीं की सरहर्द पर

सर्दष हवा का पहरा है

सू ना है प्रकृठत का आँ गन

कुछ रीं ग नही ीं , उमींग नही ीं

हर कोई है घर में र्दु बका हुआ

नव वर्ष का ये कोई ढीं ग नही ीं

चींर्द मास अभी इीं तजार करो

ठनज मन में तठनक ठवचार करो

नये साल नया कुछ हो तो सही

क्ोीं नक़ल में सारी अक्ल बही

उल्लास मींर्द है जन -मन का

आयी है अभी बहार नही ीं

ये नव वर्ष हमे स्वीकार नही ीं

है अपना ये त्यौहार नही ीं

ये धुीं ध कुहासा छीं टने र्दो

रातोीं का राज्य ठसमटने र्दो

प्रकृठत का रूप ठनखरने र्दो

फागु न का रीं ग ठबखरने र्दो

प्रकृठत र्दु ल्हन का रूप धार

जब स्नेह – सु धा बरसाये गी

शस्य – श्यामला धरती माता

घर -घर खुशहाली लाये गी

तब चैत्र शुक्ल की प्रथम ठतठथ


नव वर्ष मनाया जाये गा

आयाष वतष की पुण्य भू ठम पर

जय गान सु नाया जाये गा

यु क्ति – प्रमाण से स्वयीं ठसद्ध

नव वर्ष हमारा हो प्रठसद्ध

आयों की कीठतष सर्दा -सर्दा

नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रठतपर्दा

अनमोल ठवरासत के धठनकोीं को

चाठहये कोई उधार नही ीं

ये नव वर्ष हमे स्वीकार नही ीं

है अपना ये त्यौहार नही ीं

है अपनी ये तो रीत नही ीं

है अपना ये त्यौहार नही ीं

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