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ते रे ख़त आज मैं गँ गा में बहा आया हँ

आग बहते हुए पानी में लगा आया हँ

कितना बे चैन उन्हें लेने िो गँ गा-जल था

जो भी धारा था उन्ही ीं िे कलए वो बे िल था

प्यार अपना भी तो गँ गा िी तरह कनममल था

ते रे ख़त आज मैं गँ गा में बहा आया हँ ।

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