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पकी सु नहली फसल ों से ज अब की यह खललहान भर गया

मेरी रग-रग के श लित की बूँ दें इसमें मुस्काती हैं ।

नये गगन में नया सयय ज चमक रहा है

यह लिशाल भखण्ड आज ज दमक रहा है

मेरी भी आभा है इसमें।

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