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हे महाबु द्ध !

मैं मंदिर में आई हूँ

रीते हाथ/ फूल मैं ला न सकी...

हे महाबु द्ध !

अदपित करती हूँ तु झे

वही-वही प्रत्येक प्याला जीवन का,

वही-वही नैवेद्य चढा

अपने सु न्दर आनंि-दनदमष का /ते रा हो,

हे दवगतागत के, वति मान के, पद्यकोष !

हे महाबु द्ध !

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