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सात पौराणिक पात्र जो आज भी है जीणित (7 Immortals (Chiranjeevi) of Hindu

Mythology)
AUGUST 4, 2014 BY PANKAJ GOYAL 1 COMMENT
7 Immortals (Chiranjeevi) of Hindu Mythology (Hindi Story)

हमारे धमम ग्रंथो में एक श्लोक है

‘अश्वत्थामा बणिर्व्ाम सो हनुमां श्च णिभीषिः।


कृपः परशुरामश्च सप्तैते णिरं जीणिनः॥
सप्तैतान् संस्मरे णित्यं माकमण्डे यमथाष्टमम्।
जीिे द्वषम शतं सोणप सिम र्व्ाणधणििणजमत।।’

इस श्लोक की प्रथम दो पं क्तियों का अथम है की अश्वत्थामा, बणि, र्व्ास, हनुमान, णिभीषि, कृपािायम और भगिान परशुराम ये सात महामानि णिरं जीिी हैं । तथा
अगिी दो पं क्तियों का अथम है की यणद इन सात महामानिों और आठिे ऋणष माकमण्डे य का णनत्य स्मरि णकया जाए तो शरीर के सारे रोग समाप्त हो जाते है
और 100 िषम की आयु प्राप्त होती है ।

आइये जानते है इन सात महामानिों के बारे में णजनके बारे में माना जाता है की िो पृ थ्वी पर आज भी जीणित है । योग में णजन अष्ट णसक्तियों की बात कही
गई है िे सारी शक्तियााँ इनमें णिद्यमान है । यह सब णकसी न णकसी ििन, णनयम या शाप से बंधे हुए हैं और यह सभी णदर्व् शक्तियों से सं पि है ।

1. परशु राम (Parshuram) :

भगिान णिष्णु के छठें अितार हैं परशुराम। परशुराम के णपता ऋणष जमदणि और माता रे िु का थी ं। माता रे िु का ने पााँ ि पु त्रों को जन्म णदया, णजनके नाम क्रमशः
िसु मान, िसु षेि, िसु , णिश्वािसु तथा राम रखे गए। राम ने णशिजी को प्रसि करने के णिए कठोर तप णकया था। णशिजी तपस्या से प्रसि हुए और राम को अपना
फरसा (एक हणथयार) णदया था। इसी िजह से राम परशुराम कहिाने िगे। इनका जन्म णहन्दी पं िां ग के अनुसार िै शाख मास के शु क्ल पक्ष की तृतीया को
हुआ था। इसणिए िै शाख मास के शु क्ल पक्ष में आने िािी तृतीया को अक्षय तृ तीया कहा जाता है । भगिान पराशु राम राम के पू िम हुए थे , िेणकन िे णिरं जीिी
होने के कारि राम के काि में भी थे । परशु राम ने 21 बार पृ थ्वी से समस्त क्षणत्रय राजाओं का अं त णकया था। ( सम्पू िम कथा आप यहां पढ़ सकते है आक्तखर
क्ों भगिान परशुराम ने णकया था 21 बार क्षणत्रयों का सं हार ? ) , इसके अिािा एक बार इन्होने अपनी माता रे िु का का भी िध कर णदया था परशुराम ने
आक्तखर ऐसा क्ों णकया जानने के णिए पढ़े जाणनए, अपनी माता का िध क्ों णकया था परशुराम ने और कहााँ णमिी थी उन्हें मातृहत्या के पाप से मु क्ति ?

2. बणि (Bali) :

राजा बणि के दान के ििे दू र-दू र तक थे । दे िताओं पर िढ़ाई करने राजा बणि ने इं द्रिोक पर अणधकार कर णिया था। बणि सतयु ग में भगिान िामन अितार
के समय हुए थे । राजा बणि के घमं ड को िूर करने के णिए भगिान ने ब्राह्मि का भे ष धारि कर राजा बणि से तीन पग धरती दान में मााँ गी थी। राजा बणि
ने कहा णक जहााँ आपकी इच्छा हो तीन पै र रख दो। तब भगिान ने अपना णिराट रूप धारि कर दो पगों में तीनों िोक नाप णदए और तीसरा पग बणि के
सर पर रखकर उसे पाताि िोक भे ज णदया। शास्त्ों के अनुसार राजा बणि भि प्रहिाद के िं शज हैं । राजा बणि से श्रीहरर अणतप्रसि थे । इसी िजह से श्री
णिष्णु राजा बणि के द्वारपाि भी बन गए थे ।

3. हनु मान (Hanuman):

अं जनी पु त्र हनुमान को भी अजर अमर रहने का िरदान णमिा हुआ है । यह राम के काि में राम भगिान के परम भि रहे हैं । हजारों िषों बाद िे महाभारत
काि में भी नजर आते हैं । महाभारत में प्रसं ग हैं णक भीम उनकी पूाँ छ को मागम से हटाने के णिए कहते हैं तो हनुमानजी कहते हैं णक तुम ही हटा िो, िे णकन
भीम अपनी पू री ताकत िगाकर भी उनकी पूाँ छ नही ं हटा पाता है । सीता ने हनु मान को िंका की अशोक िाणटका में राम का सं देश सु नने के बाद आशीिाम द
णदया था णक िे अजर-अमर रहें गे।
4. णिणभषि (Vibhishana) :

राक्षस राज रािि के छोटे भाई हैं णिभीषि। णिभीषि श्रीराम के अनन्य भि हैं । जब रािि ने माता सीता हरि णकया था, तब णिभीषि ने रािि को श्रीराम से
शत्रु ता न करने के णिए बहुत समझाया था। इस बात पर रािि ने णिभीषि को िं का से णनकाि णदया था। णिभीषि श्रीराम की से िा में ििे गए और रािि के
अधमम को णमटाने में धमम का साथ णदया।

5. ऋणष र्व्ास (Rishi Vyas) :

ऋणष र्व्ास णजन्हे की िे द र्व्ास के नाम से भी जाना जाता है ने ही िारों िे द (ऋग्वे द, अथिम िेद, सामिे द और यजुिेद) , सभी 18 पु रािों, महाभारत और
श्रीमद्भागित् गीता की रिना की थी । िे द र्व्ास, ऋणष पाराशर और सत्यिती के पु त्र थे । इनका जन्म यमु ना नदी के एक द्वीप पर हुआ था और इनका रं ग
सां ििा था। इसी कारि ये कृष्ण द्वै पायन कहिाए। इनकी माता ने बाद में शान्तनु से णििाह णकया, णजनसे उनके दो पु त्र हुए, णजनमें बडा णित्रां गद यु ि में मारा
गया और छोटा णिणित्रिीयम सं तानहीन मर गया।

कृष्ण द्वै पायन ने धाणमम क तथा िै राग्य का जीिन पसं द णकया, णकन्तु माता के आग्रह पर इन्होंने णिणित्रिीयम की दोनों सन्तानहीन राणनयों द्वारा णनयोग के णनयम से दो
पु त्र उत्पि णकए जो धृ तराष्टर तथा पाण्डु कहिाए, इनमें तीसरे णिदु र भी थे । (सम्पू िम कथा आप यहां पढ़ सकते है 16 पौराणिक कथाएं – णपता के िीयम और माता
के गभम के णबना जन्मे पौराणिक पात्रों की )

6. अश्वत्थामा (Ashwathama) :

अश्वथामा गुरु द्रोिािायम के पु त्र हैं । ग्रं थों में भगिान शंकर के अने क अितारों का ििम न भी णमिता है । उनमें से एक अितार ऐसा भी है , जो आज भी पृ थ्वी पर
अपनी मु क्ति के णिए भटक रहा है । ये अितार हैं गुरु द्रोिािायम के पु त्र अश्वत्थामा का। द्वापरयु ग में जब कौरि ि पां डिों में यु ि हुआ था, तब अश्वत्थामा ने
कौरिों का साथ णदया था। धमम ग्रंथों के अनुसार भगिान श्रीकृष्ण ने ही ब्रह्मास्त् ििाने के कारि अश्वत्थामा को णिरकाि तक पृ थ्वी पर भटकते रहने का श्राप
णदया था।

अश्वथाम के सं बंध में प्रिणित मान्यता… मध्य प्रदे श के बुरहानपु र शहर से 20 णकिोमीटर दू र एक णकिा है । इसे असीरगढ़ का णकिा कहते हैं । इस णकिे में
भगिान णशि का एक प्रािीन मं णदर है । यहां के स्थानीय णनिाणसयों का कहना है णक अश्वत्थामा प्रणतणदन इस मं णदर में भगिान णशि की पू जा करने आते हैं ।

7. कृ पािायम (Kripacharya) :

कृपािायम अश्वथामा के मामा और कौरिों के कुिगुरु थे । णशकार खे िते हुए शां तनु को दो णशशु प्राप्त हुए। उन दोनों का नाम कृपी और कृप रखकर शां तनु ने
उनका िािन-पािन णकया। महाभारत यु ि में कृपािायम कौरिों की ओर से सणक्रय थे । कृप और कृणप का जन्म महणषम गौतम के पु त्र शरद्वान के िीयम के सरकंडे
पर णगरने के कारि हुआ था। (सम्पू िम कथा आप यहां पढ़ सकते है 16 पौराणिक कथाएं – णपता के िीयम और माता के गभम के णबना जन्मे पौराणिक पात्रों की )

ऋणष माकम ण्डे य (Rishi Markandeya) :

भगिान णशि के परम भि थे ऋणष माकमण्डे य। इन्होंने णशिजी को तप कर प्रसि णकया और महामृ त्युंजय मं त्र को णसक्ति णकया। महामृ त्युंजय मं त्र का जाप मौत
को दू र भगाने णिए णकया जाता है । िुणक ऋणष माकमण्डे य ने इस मन्त्र को णसि णकया था इसणिए इन सातो के साथ साथ ऋणष माकमण्डे य के णनत्य स्मरि के
णिए भी कहा जाता है ।

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