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मेरे एहसास

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Published by: OnlineGatha – The Endless Tale


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Website: www.onlinegatha.com
ISBN: 978-93-86915-22-1
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लेखक के बारे में
मैं रिया शमाा हूँ, मेिी उम्र 19 साल है | मेिा सपना एक
लेखिका बनने का है | मैंने अपनी 12वी कक्षा एस. आि.
टी. डी. ए. वी. पब्ललक स्कल, बबलगा से पास की है |
अभी मैं डी. ए. वी. ववश्वववद्यालय में अध्ययनित हूँ |
मेिी पहली पुस्तक की सफ़लता ने मुझे आगे ललिने के
ललए प्रेरित ककया है औि अब मैं आपके सामने अपनी
दसिी पस्
ु तक ले के आई हूँ | आशा है आप मझ
ु े पहले की
तिह ही अपना प्याि दें गे | मेिी दसिी पस्
ु तक का नाम
“मेरे एहसास” है | आप के प्याि औि स्नेह का हृदय से
आभाि |

रिया शर्ाा

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ककताब के बारे में
‘शायिाना सी है ब्िन्दगी’ मेिी ब्िन्दगी औि जीवन के
अनुभवों पि आधारित कववताओं का संकलन थी | “मेिे
एहसास” संकलन भी ववलभन्न ववषयों पि आधारित है |
जीवन के कुछ अनछुए पहल औि महहलाओं की आवाि
की गंज भी है इसमें तो कुछ प्याि की बातें भी हैं |
वो बातें भी हैं जो हदल में कहीं छुपी होती हैं |
रिया की िब
ु ानी सन
ु ो हदल की बातें |

“नादां हदल मेिा किता है शोखियाूँ


कभी बड़ों सी समझदािी
तो कभी बच्चों की तिह रूठना
किि कभी मान भी जाना
रिया को आता है िब सािी बातें बनाना |’’

ररया शमाा

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आभार
सवाप्रथम नमन मेिे गुरु ॐ स्वामी जी को ब्जन्होंने मेिे
कदम पड़ने से पहले अपने हाथ ििे कक मेिे कोमल पांव
छछल न जाएं |
दजा नमन मेिे माता-वपता को, मेिे साथ वो तो नहीं है
पि उनका आशीवााद मेिे साथ एक छाया की तिह िहता
है |
मेिी नानी माूँ ब्जन्होंने मझ
ु े इस मक
ु ाम तक लाने में
अपनी सािी ताकत लगा दी |
मेिी छोटी-बहन ललजा को भी ढे ि सािा प्याि |
हे मा दीदी ब्जन्होंने हि समय मेिा साथ हदया, मझ
ु े आगे
बढ़ने के ललए प्रेरित ककया उनको मैं हदल से धन्यवाद
किती हूँ औि आशा किती हूँ कक आप यूँ ही मेिा साथ
दें गे |
मैं अपनी सहे ली पजा औि लललता दीदी का भी धन्यवाद
किती हूँ जो हमेशा मेिी मदद के ललए तैयाि होती है |
मैं अपने स्कल के वप्रंलसपल सि िवव शमाा जी का एवं
अपने सभी अध्यापकों का भी धन्यवाद् किती हूँ |
ज्योछत दी जब भी िरूित पड़ी तो आप मेिे साथ होती हो
हमे लमले ज्यादा समय तो नहीं हुआ पि आपने मुझे जो

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स्नेह हदया उसका धन्यवाद् शलदों में नहीं कि सकती |
आपकी प्रेिणा, आपकी करुणा ने मुझे औि भी संवािा है |
छनकंु ज, ओम औि बबंहदया जी का हृदय से आभाि किती
हूँ ब्जनकी विह से यह सब संभव हुआ है |
जयंत भईया जो कक केवल एक अच्छे इंसान ही नहीं बहुत
अच्छे भाई भी हैं ब्जन्होंने मुझे ललिने के ललए हमेशा
प्रेरित ककया है उनका भी मैं हदल से धन्यवाद् किती हूँ |
मैं उन सबका हदल से धन्यवाद् किती हूँ ब्जन्होंने भी मेिा
हमेशा साथ हदया है | आप सबका हदल से आभाि |

ररया शमाा

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कविता के नाम

1. मेिे स्वामी 11
2. भगवान जब साथ होते हैं 12
3. ब्िन्दगी 13
4. बारिश 15
5. क्या सोच िही त अभी 16
6. कुछ कि 18
7. ककताबें 20
8. सिज 21
9. बस स्टैंड 22
10. शायिी 23
11. हदल 24
12. क्या चली जाएगी वो ? 25
13. मेिे दे श का हाल 27
14. कलम 29
15. माूँ 30
16. जते 31
17. आंस 32
18. एक लड़की नािुक सी 33
19. ख़याल मेिे तेिे ललए 35

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20. गीत 36
21. टटा हदल 38
22. समपाण 39
23. बबदाई 40
24. मासलमयत 41
25. दोस्ती 42
26. मुस्कुिाहट 44
27. अकेलापन 45
28. लड़की की आवाि 46
29. पागल कोन है ? 48
31. वो चाूँद 49

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मेरे स्िामी
सब मुझसे पछते हैं तेिे स्वामी कौन हैं ?
ििा हमें भी तो बता |
मुझे वो प्याि किें तो माूँ से प्यािे होते हैं ,
बबना बोले ख़याल ििें तो वपता बन जाते है ,
हि बाि नई बात बताएं तो गुरु बन जाते हैं |

जो कभी उनकी आूँिों में दे िा


तो बस िद
ु को ही पाया है ,
उनकी उन आूँिों में बस प्रेम ही तो समाया है ,
मझ
ु को िमी से उठा के िलक पे बबठाया है ,
कभी अनजानी ख़शु ी तो कभी मझ
ु िोते हुए को
हूँसाया है ,

हि बाि मुझे तो उन्होंने ही संभाला है ,


हदल ने न जान कैसे कोलशश किी है ,
स्वामी मैंने तो बस हदल की बात कही है |

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भगिान जब साथ होते हैं
वो भी क्या पल होते हैं ,
जब आप मेिे संग होते हैं ,
िरूित नहीं इस जग में अब ककसी की ,
क्योंकक मालम है मुझे ,
पग-पग पि आप मेिे संग होते हैं |

चेहिा िल सा खिल जाता है ,


जब आपका दीदाि होता है ,
क्या बताऊूँ मेिे ‘हरि जी’ ,
आपके संग बैठने का क्या स्वाद होता है |

साक्षात ् नािायण हो आप ,
ब्जससे की है मैंने मीिा सी मोहलबत ,
मेिा वो ही प्याि हो आप |

अंग-संग मेिे हरि जी आप िहना ,


यही है मेिे हदल ही कामना ,
िहे मेिे सि पे आपका हाथ ,
िहे आप सदा ही मेिे साथ |

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ज़िन्दगी
ख़श
ु ी जो कभी लमलने आती है ,
तो जन्नत सी लगती है ,
ये ब्िन्दगी |

जो कभी ग़म लमलने आते हैं ,


तो बस रुक जाते हैं ,
तो िहि सी लगती है ,
ये ब्िन्दगी |

चलना लसिा दे ती है ,
तो कभी िोक भी दे ती है ,
कहना , कभी तो चप
ु होना लसिाती है ,
ये ब्िन्दगी |

मुस्कुिाने का अंदाि बताती तो कभी ,


आंसओं से भी भि दे ती है ,
प्याि किना तो लसिाती है ,
तो कभी भलना लसिाती है ,
ये ब्िन्दगी |
जो कभी छुप के कोने में कहीं ,
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सोचती है ‘रिया’ क्या है भला ये ब्िन्दगी ?
तो अंदि से एक आवाि आती है ,
अपने सपनो को पाना ही है ,
ये ब्िन्दगी |

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बाररश
जो कभी - कभी काले - काले बादल छाते हैं ,
किि ‘रिया’ को कुछ ललिने का हदल किता है ,
ओढ़ के अिमानों की चनि ,
किि कुछ सपने अनदे िे ललिती है ,
हदल का हाल कुछ इस तिह से बयां किती है |

बूँद - बूँद बिसती बूँदें ,


दे िो कुछ तो कहती हैं ,
हदल में बजाती हैं धन
ु ,
प्यािी - प्यािी मीठी - मीठी सी ,
या कोई प्रेम कहानी सन
ु ाती है ,
बूँद - बूँद बिसती बूँदें |

सहदा यों में अग़ि ये बूँदें गगिें ,


तो आछतश ,
गलमायों में गगिें
तो शबनम ,
सोए अिमान जगाती है ,

बहािें संग लाती है ,


यह बूँदें | |

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क्या सोच रही तू अभी
क्या सोच िही त अभी ,
क्या ललिं या क्या करू मैं अभी |
या सोच िही है त इस दछु नया के बािे में ,
इन लोगों के बािे में ,
जो दे िहें बस धोिा तुझे ,
जो कि िहे शोषण तेिा ,
क्या किना चाहती त अभी ?

इतना दे िने के बाद भी तझ


ु े िास न आई ,
हदल तेिा किि भी ढं ढे प्याि हि ककसी में ,
अिे ! बस कि , बस कि अब पगली ,
यह दछु नया न कभी तेिे िास आई |

त तो मासम है , भोली है ,
मगि यह दछु नया नहीं ,
त पछती है अपने हदल को ,
मगि मत भल यह ,
यह दछु नया हदलवालों की नहीं अब पैसे वालों
की है |
रिया बस कि याि अब बस भी कि ,
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नहीं दे सकता यहाूँ कोई भी प्याि ,
ब्जनसे त ििती है बहुत उम्मीदें ,
जब वो तोड़ जाएंगें तो दे िती िह जाएगी ,
औि किि त ही कहे गी यहाूँ है सब ही दरिन्दे |

बस कि अब बस भी कि ,
संभाल अपने इस पागल हदल को ,
बैठ जा अब त चप
ु – चाप ,
तुम्हे चलना है लसिा अकेले |

मगि दावा है आज मेिा तुझसे ,


आज जो भी जा िहे तुझे ठोकि माि ,
कल वही तुझे दे िने को िड़े होंगे बीच कताि |

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कुछ कर
उठ िड़ी हो ,
जा कहीं जा ,
बढ़ त आगे बढ़ ,
सि पि हाथ धि बस बैठ मत ,
जा , जाकि कुछ कि |

अभ्यास कि , सफ़ल बन ,
सो मत जाग जा अब ,
ब्िन्दगी है छोटी – सी ,
इसको यूँ ही बबााद न कि ,
चल जा , जाकि कुछ कि |

दसिों से उम्मीद न कि ,
ख़द
ु के ललए ख़द
ु किम कि ,
सोच मत सफ़लता का त ,
बस अपना किम किता चल ,
चल जा , जाकि कुछ कि |

कहना तो आसान है ,

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किना उतना ही मुब्श्कल ,
किनी औि कथनी में ििक न कि ,
चल जा , जाकि कुछ कि |

कुछ भी कि ,
बस बैठ मत ,
अपनी ककस्मत को त कोस मत ,
अपना समय बबााद न कि ,
चल जा , जाकि कुछ कि |

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ककताबें
ककसी की ब्िन्दगी हैं ये ककताबें ,
ककसी का पहला प्याि है ये ककताबें ,
ककसी की चाहत है ये ककताबें ,
औि क्या कहूँ मैं यािा ,
ककसी की िातों का सुकन है ये ककताबें |

कोई पढ़ता है इन्हें शौक़ के ललए ,


कोई पढ़ता है इन्हें मिबिी के ललए ,
मगि कुछ तो पढ़ते हैं इन्हें मिाक के ललए |

कुछ तो ललिी होती हैं प्याि के ललए ,


कुछ ललिी होती हैं मिबिी के ललए ,
कुछ ललिी होती हैं जीने के ललए ,
मगि होती है हि ककताब कुछ न कुछ लसिाने
के ललए |

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सूरज
क्या िास अंदाि है इस सिज का ,
कड़ी सदी में छनकल के िाहत दे ता है ,
औि यही गमी में छनकल के िाहत लेता है ,
मगि वही किि एक बहुत अच्छा सन्दे श छोड़
जाता है ,

आता है हि िोि वो एक नया हदन लेकि ,


औि चला जाता किि वो एक कल की कहानी
बन कि |

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बस - स्टैंड
बसें आ िही हैं ,
बसें जा िही हैं ,
नए लोग आ िहे हैं ,
पुिाने लोग यहाूँ से जा िहे हैं ,
कुछ पाते यहाूँ प्याि हैं ,
वहीीँ कुछ िोते यहाूँ अपना ही प्याि हैं ,
यहाूँ पे हि कोई आता कोई जाता है ,
मगि यहाूँ पे कोई कभी ठहिता नहीं है ,
शायद इसीललए ये बस - स्टैंड कहलाता है |

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शायरी
शायिी ललिना ,
शायिी सोचना ,
कोई कला नहीं ,
कोई अल्िाि नहीं ,
ये तो बस वो िेल है ,
जो हि कोई िेलना चाहता है ,
मगि िेलता बस वही है ,
ब्जसके हदल से कोई िेल जाता है ,
तो किि बस वो एक हदन िद
ु ही शायि कहलाने
लग जाता है |

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ददल
हदल भी नािुक रुमाल की तिह है ,
कोई आता है उस से
अपना दुःु ि पोंछ जाता है ,
कोई आता है उसे गन्दा कि चला जाता है ,
मगि वो ये भल जाता है ,
बाद में वो रुमाल वैसा नहीं िहता ,
जैसा नािुक उसने कभी पाया था |

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क्या चली जाएगी िो ?
क्या सोच िहा है ,
वो वापस आएगी ?
भल जा जब त गया तब वो गई ,
मगि जैसे त गया ,
वैसे वो नहीं गई |

वो तेिी भलाई चाहती िही ,


मगि त समझ न पाया ,
तुझे उसकी बातें ,
उसका ग़रू
ु ि लगने लगी |

कभी कहता था ब्जसे अपना भगवान त ,


कभी पजता था हि पल ब्जसे त ,
एक लमनट में छोड़ पिाया कि गया ,
बोल हदया आसानी से तने उसे ,
कक मुझे कोई औि लमल गया |

मगि उसने तो तेिे अलावा


ककसी औि के बािे में सोचा ही नहीं ,

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अभी भी बैठी उडीक िही है तुझे वो ,
आ जाना अग़ि कभी याद आए उसकी तो |

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मेरे दे श का हाल
मेिे दे श का हाल,
एक निि घुमा के दे िा ,
जब एक कवछयत्री ने अपने दे श का हाल ,
िोक न पाई अपने आंस ,
हुई हाल से बेहाल |

ब्जधि भी दे िा उसने ,
बस अूँधेिा ही अूँधेिा पाया ,
कहने को तो हमािा दे श आगे बढ़ िहा है ,
पि हक़ीकत क्या है ,
इससे तो हम सब ही जाछनजान हैं |

भगत लसंह जी , महात्मा गाूँधी जी तो अपने


दे श के ललए जान दे कि चले गए ,
मगि शायद हमें ही यह आिादी िास न आई ,
काम न लमलता है यहाूँ इतना पढ़ने के बाद ,
इसललए आज यहाूँ आई ववदे श जाने की बाढ़ |

किप्शन, िे प के ककस्से सन
ु – सन
ु के थक गए
हैं आज हम , अपनी ही ब्िन्दगी को
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िि हथेली में जी िहे आज हम ,
अिे जागो – जागो , मत भलो
यह कक अपने ही दे श में िहते हैं हम |
बहुत सुंदि है दे श हमािा ,
बहुत प्यािा है यहाूँ का निािा |

सबसे अलग है हमािी पहचान ,


िकि से कहना चाहते हो

अग़ि इंडडयन ख़द
ु को ,
तो समझो इसको अपनी जान |

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कलम
जब चलती है एक कवव की कलम ,
तब लगा दे ती है बहुतों के दुःु िों पे मिहम |
सच्चाई ललिती है ककसी की कलम ,
झठ भी ललिती है वही कलम |

ककसी का भववष्य बना दे ती है यह कलम ,


तो वहीं ककसी का भववष्य
ख़िाब कि दे ती है यह कलम |

यािों, चलते िहना भी बहुत िरूिी है इसका ,


क्योंकक रुकने पि सब िोक दे ती है यह कलम |

नीले िं ग की कलम ववद्याथी की पहचान किाए ,


लाल िं ग की कलम अध्यापक की पहचान किाए ,
अिे ब्जसकी भी जेब में हदि जाए यह ,
तो बस सबसे अलग उसकी पहचान बन जाए |

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मााँ
माूँ क्या ललिं आपके ललए ,
काश! मेिे कुछ शलद माूँ का मतलब
बयान कि पाते |

माूँ वो है जो ख़द
ु ा की पहचान है ,
ब्जसकी गोद में जन्नत का निािा है ,
हाथ िेिे जब सि पे वो ,
तो बस ममता का सागि लगे मझ
ु े वो |

बंद आूँिों से मुझे वो पहचाने ,


बबन पछे मेिे हदल का हाल वो जाने |
मुस्कुिाती है जब वो ,
मुस्कुिा उठता है मेिा जहाूँ ,
दुःु िी होती है जब वो ,
तो रूठा लगता है मेिा हि समा ,

बस कहना चाहती हूँ यह कक


मेिा ख़द
ु ा है मेिी माूँ |

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जूते
महं गें से महं गें जते पहनना
आदत है कुछ लोगों की ,
पि इबादत किना उनकी
ऐसी सोच न है ककसी की |

िहते हैं हि पांव के नीचे वो ,


क्या - क्या लसिाते हैं हमे यह न जाने वो |
सबसे बड़ा सन्दे श तो यह दे जाते वो ,
किोड़ों के बन के भी
िमीन पे िहना लसिा जाते वो |

ब्जन लोगों के पास होते ,


इतने जते कक वो उनकी कदि न जाने ,
औि ब्जनके पास नहीं है जते बस वही उनकी
असली कदि पहचाने |

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आंसू
कुछ लोग सोचते हैं कक क्या है यह आंस ?
अक्सि ककसी ने जब ककसी का हदल दि
ु ाया तो
छनकल आते है यह आंस ,

जब कोई ककसी के याद में तड़पे ,


तो उसका ददा बन छनकल आए यह आंस ,
सुना है हदल को हल्का कि जाते है यह आंस ,
ककसी की भि के कािण है यह आंस ,

तो कहीं ककसी की मोहलबत ,


बयान कि जाते हैं यह आंस ,
पि ख़श
ु ी में छनकल आए अग़ि यह कहीं तो ,
अलग ही अनुभव दे जाते है यह आंस ,

कभी आूँि से बाहि आ बह जाते हैं यह ,


तो कभी हदल ही हदल में बह जाते हैं यह आंस ,
अक्सि महसस ककया है मैंने कक ,
ददा में आूँिों में समुन्दि ,
ख़श
ु ी में पलकों पे मोती दे जाते हैं यह आंस |

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एक लड़की नािुक सी
एक लड़की नािुक सी ,
हदल से बहुत है मासम सी ,
प्यािी – प्यािी लगती है भोली सी ,
क्या कहना उसका याि लगती है
मुझे वो अपनी सी |

बचपन से िही प्याि के ललए तड़पती जो ,


उसको आखिि दे ही हदया उसने वो ,
क्या कहना उसका याि ,
ममता का सागि है वो |

शिािती है बहुत वो लड़की ,


तड़पाती भी है मुझे वो लड़की ,
क्या बताऊूँ यािो अब मैं उसके बािे में ,
हदल में िहती है मेिे हि पल वो लड़की |

डांटती है हमेशा गलत चीिों के ललए मझ


ु े वो ,
बाद में गले भी लगा लेती है मुझे वो ,
लगता है मझ
ु े अब तो ,
मेिे हिी ने भेजा है उसको मेिे ललए |
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जलन होती है मुझे बहुत तब ,
गले लगाती है जब सबको वो |

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ख़याल मेरे तेरे ललए
ख़्यालों में हि पल आती हो ,
होठों पे हि पल मुस्कान लाती हो ,
मेिी पहचान कहूँ तुमको ,
या आया कोई नया मेहमान हो |

जान अपनी कहना तो ग़लत होगा आपको ,


हदल, हदमाग, धड़कन अपना कहना होगा आपको ,
ख़द
ु ख़द
ु ा ने आकि हदया है ब्जसे मझ
ु े ,
वो ख़द
ु ा का तोहिा कहना होगा आपको |

चाूँद का चांदनी से ,
सिज का ककिणों से ,
रिश्ता हो हमािा बबलकुल ही वैसे |

नािाि होना तो आपका चलता है ,


मगि बीच में छोड़ जाना नहीं चलेगा ,
आप ही में हूँ याद ििना यह तम
ु ,
मेिा सब कुछ ही बस हो तुम ही तुम |

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गीत
कुछ गीत ऐसे होते हैं ,
जो हमे हमािी कहानी लगते हैं ,
तो कुछ गीत ऐसे होते हैं ,
जो हमे हमािी ही जुबानी लगते हैं ,
गीतों की बात अब चल ही पड़ीं है तो ,
बतातें हैं गीत हमािे क्या लगते हैं |

कभी – कभी यह गीत ग़म का ,


सागि बन जाते है ,
तो कभी यह गीत हमािी ही ,
ख़श
ु ी को बयान कि जाते हैं |

अच्छे िासे बैठे इंसान को ,


नचा जाते हैं यह गीत ,
कभी – कभी मुस्कुिाते हुए ,
इंसान को रुला जाते हैं यह गीत ,
हि मुब्श्कल काम को आसान ,
बना जाते हैं यह गीत ,

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ककसी की आदत तो ककसी का ,
हुनि बन जाते हैं यह गीत |

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टूटा ददल
जब हदल टटता है बस आवाि नही आती ,
मगि उसकी गूँज दि-दि तक सुनाई दे जाती |
जब सपने टटते है हदल तब जो टटता है ,
तब तो बस वही जानता है ब्जसका टटता है |

कभी–कभी यह हदल बबना ,


बात के ही टट जाता है ,
जब कोई पछे तो विह भी न होती है |

हदल ब्जसका टटता है ,


बस किि तो लसिा वही जानता है ,
उसका ददा क्या होता है ,
एक बात याद ििना ,
टटा हदल कभी वावपस न जुड़ता है |

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समर्ाण
समपाण एक ऐसा शलद है ,
जो ललि कि बताना बहुत मुब्श्कल है ,
मगि जो बता गया ,
उसके ललए बस वही समपाण है |

समपाण एक ऐसी आवाि है ,


जो लसिा अंदि से छनकलती है ,
मगि सन
ु ाई बस उसे दे ती है ,
ब्जसे सुनने की इच्छा होती है ,
औि ब्जसको एक बाि सुनाई दे जाती है ,
उसकी तक़दीि ही बदल जाती है |

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बबदाई
बबदाई जब होती है ,
बहुत ददा नाक होती है ,
ब्जसकी होती है , बस उसके साथ
उसके अिमानो की भी हो जाती है ,
एक लड़की की जब बबदाई होती है ,
तब वो अपना संसाि िो जाती है ,

औि नई दछु नया की शरू


ु आत
का सपना साथ ले जाती है |
जब एक माूँ की बबदाई होती है ,
तब वो अपने बच्चे अनाथ बना जाती है ,
बबदाई तो ऐसी होनी चाहहए यािों ,
ब्िस्म दो औि गचता एक जल िही हो |

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मासलू मयत
वो मासलमयत जो पत्थि को वपघला दे ,
िोते हुए चेहिे पे िौनक़ ला दे ,
मुिझा िहे िल को खिला दे ,
सिज की गमााहट को भी ठं डक पहुंचा दे ,

आूँिों की नमी को अपने प्याि में छुपा ले ,


वो हि ककसी में नहीं होती ,
ब्जसमे होती है उसकी
ककसी को पहचान नहीं होती |

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दोस्ती
क्या प्यािा शलद है दोस्ती ,
ब्जसके बबना हम सब अधिे हैं ,
अच्छे दोस्त की िोज
बस िोज ही बन जाती है ,
जब मतलबी संसाि से मुलाकात हो जाती है |

ललिते–ललिते एक ख़याल आया है ,


आखिि यह अच्छा दोस्त क्या है ?
बहुत सोचा , बहुत ववचािा ,
मगि अच्छा दोस्त तो
मैंने भी न कभी पाया |

दोस्ती वो बंधन है ,
जो हि कोई पाना चाहता है ,
पि यह भल जाता है यह बंधन तो ,
शादी के बंधन से भी भािी है |
बस यही जवाब पाया ,
इतना सोचने के बाद ,

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दोस्ती वो है जो ,
ककसी ने िोने के बाद पाई ,
तो कहीं ककसी ने पाकि िोई |

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मस्
ु कुराहट
मुस्कुिाना ककतना आसान है न ?
पि लसिा कुछ लोगो के ललए ,
कुछ मुस्कुिाते है लसिा हदिाने के ललए ,
ओह! कुछ अक्सि सौ में छनन्यानवे ही ऐसे हैं ,
हदल में लािों ददा छुपाते हैं ,
मगि किि भी मुस्कुिाते हैं ,
वाह! क्या कहना उस मस्
ु कुिाहट का ,

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अकेलार्न
हदल बहुत तड़पता है ,
जब वो अकेला होता है ,
ककसी की गोद को मांगता है ,
जब कोई बच्चा अपनी माूँ िोता है ,
ककसी से प्याि पाने को तिसता है ,
जब यह हदल अकेला होता है ,
पि एक बात बोलं ,
या हदल की बात िोलं ,
अकेलापन का मिा भी बहुत अलग होता है |

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लड़की की आिाि
एक लड़की जब जनम लेती है ,
पता नहीं क्या सोच िही होती है ,
कुछ मना िहे ख़श
ु ी होते है ,
तो कहीं गम की बिसात होती है |

धीिे –धीिे जब वो बड़ी होती है ,


तो अक्सि लोगों की निि बदल जाती है ,
बबन कपड़े के जब वो आई थी ,
तब तो ककसी ने दे िा नही ,
7 साल की होते ही उसकी
िबसिती हदिती है ,
तब वही लड़की कपड़े की
चादि में बंध जाती है |

जब किि वो कॉलेज जाती है ,


सपने हिािों लेकि जाती है ,
मगि घि की इज्ित हमेशा बनाए ििती है ,
पि दुःु ि तो तब होता है ,

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जब माूँ-बाप को अपनी बेटी से ,
ज्यादा दसिों पे भिोसा हो जाता है |

लड़के िात को 12 बजे आए ,


तो हमािा बेटा बड़ा हो गया ,
वही अगि लड़की 8 बजे आएं ,
तो लड़की को हवा लग गई ,
वाह! आपकी सोच के ,
इतना पढ़ने के बाद भी लड़की ,
लड़की ही िही |

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र्ागल कोन है ?
इस संसाि के निरिए से ,
पागल वो है जो बहुत मस्
ु कुिाता है ,
जो अच्छे काम किता है ,
अगि कोई बच्चा गलती से पढ़ िहा हो ,
तो उसके दोस्त अक़्सि उसे पागल कहते हैं |
जो ककसी से बेइब्न्तहाूँ मोहलबत किता हो ,
औि उससे केवल प्याि मांगे ,
तो वो भाई पागल है ,
उसको औि कोई काम नहीं है |

जो कोई ककसका साथ मांगे


तो पता क्या कहते हैं ,
चल जा यहाूँ कोई ककसी का नहीं ,
अपनी ब्िन्दगी िुद के ललए जी ,
हसी वाली बात तो यह है ,
सच में वो इंसान पागल ही तो है ,
जो िद
ु को छोड़ दसिों का
हाथ थामना चाहता है |

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िो चााँद
आज मैंने आसमान को दे िा ,
वो चाूँद की िबसिती कुछ
औि भी छनिि के आई ,
िेल िहा था आज वो सिज के साथ ,
धिती की पिछाईं के पीछे आूँि लमचोली ,
पि उसके इस िेल के पीछे ,
सब के मि
ु पि चन्र - ग्रहण की बात आई ,
आज इतना िश
ु था वो कक ,
उसकी गालों पि लाली औि भी उभि कि आई ,
पि लोगो के हदल में
किि से उस पि ग्रहण की बात आई |

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किययत्री का सन्दे श
जय श्री हरर ,

मैं रिया शमाा एक कवछयत्री हूँ , जो लसिा अपने हदल


की बातें ही ललिती हूँ | मैं हमेशा वो ललिती हूँ जो मैं
दे िती हूँ | मैं अपनी कववता को सिल से सिल भाषा
में ललिना पसंद किती हूँ क्यंकक मैं चाहती हूँ उसको
हि कोई समझ पाए | मैं बस एक ही बात कहना चाहती
हूँ , सपने लसिा दे िो ही मत उनको हालसल भी किो |
मुब्श्कलें बहुत आएंगी उनसे भागो मत बब्ल्क उनका
सामना किो | उम्र चाहे कुछ भी हो बस अपने सपनो
को पाने की कोलशश किते चलो |

धन्यिाद्

ररया शमाा

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