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ु ाला - ब
चन । Madhushaalaa - Harivanshrai Bachchan. Kaavyaalaya: The House of Hindi Poetry Page 1
मधश
ु ाला
मदृ ु भाव के अंगरू क आज बना लाया हाला,
!यतम, अपने ह$ हाथ से आज पलाऊँगा )याला,
पहले भोग लगा लँ ू तेरा +फर !साद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा .वागत करती मेर$ मधश ु ाला।।१।
भावक
ु ता अंगूर लता से खींच क=पना क हाला,
क व साक बनकर आया है भरकर क वता का )याला,
कभी न कण-भर खाल$ होगा लाख पएँ, दो लाख पएँ!
पाठकगण ह7 पीनेवाले, प.
ु तक मेर$ मधश
ु ाला।।४।
सन
ु , कलक\ , छलछ\ मधुघट से Xगरती )याल म: हाला,
सनु , ^नझन
ु ^नझन ु चल वतरण करती मधु साकबाला,
बस आ पहुंच,े दरु नह$ं कुछ, चार कदम अब चलना है,
चहक रहे, सनु , पीनेवाले, महक रह$, ले, मधश
ु ाला।।१०।
म: हद$ रं िजत मद
ृ ल
ु हथेल$ पर माaणक मधु का )याला,
अंगूर$ अवगुंठन डाले .वण4 वण4 साकबाला,
पाग ब7जनी, जामा नीला डाट डटे पीनेवाले,
इbcधनष ु से होड़ लगाती आज रं गील$ मधश ु ाला।।१२।
समु ुखी तN
ु हारा, सुbदर मुख ह$, मुझको कbचन का )याला
छलक रह$ है िजसमं◌े माaणक ^प मधुर मादक हाला,
म7 ह$ साक बनता, म7 ह$ पीने वाला बनता हूँ
जहाँ कह$ं Tमल बैठे हम त ु वह$ं गयी हो मधश
ु ाला।।६४।
दो Fदन ह$ मधु मझ
ु े पलाकर ऊब उठo साकबाला,
भरकर अब aखसका दे ती है वह मेरे आगे )याला,
नाज़, अदा, अंदाज से अब, हाय पलाना दरू हुआ,
अब तो कर दे ती है केवल फ़ज़4 -अदाई मधशु ाला।।६५।
मझ
ु े पलाने को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला!
िजसने मझ
ु को )यासा रrखा बनी रहे वह भी हाला,
दे ने को जो मझ
ु े कहा था दे न सक मझ ु को हाला,
दे ने को जो मझु े कहा था दे न सका मझ ु को )याला,
समझ मनज ु क दब ु ल
4 ता म7 कहा नह$ं कुछ भी करता,
+कbतु .वयं ह$ दे ख मुझे अब शरमा जाती मधश ु ाला।।१०७।
बँद
ू बँद
ू के हेतु कभी तझ
ु को तरसाएगी हाला,
कभी हाथ से 5छन जाएगा तेरा यह मादक )याला,
पीनेवाले, साक क मीठo बात म: मत आना,
मेरे भी गुण य ह$ गाती एक Fदवस थी मधश ु ाला।।११३।
पjरश~ से
- ब
चन