You are on page 1of 171

For many other free resources, log on to:

T k ho u
ls
l k { k kR d kj
Tkhou ls lk{kkRdkj
eq>s eks{k rFkk LkPpah 'kakfr dSls feyh

आओ , पाओ , जाओ

c`ts’k pksjksfV;k
जीवन से सा ा कार
मुझे मो तथा स ची शांित कैसे िमली

कॉपीराइट © 2008, बृजेश चोरो टया


तृतीय संःकरण 2008
[पहला संःकरण 2008 (2000 ूितयाँ), तीय संःकरण (संि ) 2008 (2000 ूितयाँ)]

इस पुःतक म िलखे सभी बाइबल वचन, बाइबल सोसायट ऑफ़ इं डया ारा


ह द म ूकािशत ‘प वऽ बाइबल’ (The Holy Bible, Hindi O.V. Re-edited,
ISBN 81-221-2141-1) से िलये गये ह।

सवािधकार सुरि त
इस पुःतक का कोई भी भाग त य को बदलकर कसी भी प म लेखक
क िलिखत अनुमित के बना नह ं संचा रत कया जा सकता है । त य को
बदले बना सुसमाचार ूचार के उ े ँय से इस क़ताब क फोटोकॉपी इ या द
करने क अनुमित लेखक क ओर से इसी अिधकार सूचना म द जाती है ।

ूकाशक:
बृजेश चोरो टया
अपनी ूित सुरि त करने के िलये स पक कर - Chorotia@gmail.com

मू य: 30 पये
ःमृित

मे रे प ता ःव . ौी रा म ःव प चो रो ट या क या द म
सम पत

यह क़ताब ूभु यीशु मसीह को तथा प वऽ आ मा को सम पत है िज ह ने


मुझे अपने असीम अनुमह से अनंतकाल का जीवन दया तथा मुझे इस
क़ताब को िलखने क ूेरणा द ।

म यह क़ताब उन सभी लोग को भी सम पत करता हँू जो आि मक जीवन


को ूा करने के इस दिनया
ु के असं य तर क म खोये हए
ु ह क कसी
ूकार शांित तथा मो ूा कर सक। मेरा ूयास है क म उनके वाल
के जवाब दे सकूँ जो कभी मेरे मन म भी उठे थे।
आभार

म सवूथम मसीह म मेर बहन, रिँम का ध यवाद करता हँू िजसने ई र


के ूेम के बारे म मुझे बताया और उ ार के िलए मेरा माग ूशःत कया।

म उन सभी भाइय तथा बहन का भी ध यवाद करना चाहता हँू जो मेरे


इस ूथम ूयास को साथक करने म ूाथनाओं म मेरे साथ रहे । अपने उन
सभी िमऽ और सहायक का भी म आभार य करना चाहता हँू िज होन
इस क़ताब के ूथम संःकरण क आरं िभक ूितलीपी को पढ़कर अपने
वचार य कए थे।

म मेर म मी ौीमती मीरा चोरो टया के िलये ूभु का ध यवाद करता हँू
जो मेरे िलये ूेरणाौोत रह ह। मेर प ी ूेरणा के िलये भी म ूभु का
ध यवाद करता हँू िजसके ूेम तथा साथ के बना मेर गवाह अधूर है ।

म थॉमसन भाई, पाःटर दे वे ि, पाःटर अरनेःट, पाःटर डक लस, टे रे स


भाई का प रवार, राजकुमार भाई, ूेरणा, पंकज, हे मा, संजीव और म मी का
ध यवाद करता हँू िज ह ने अपने ूयास से ूथम संःकरण के छपने और
फर उसको बाँटने म मेरा बहत
ु साथ दया।
ूःतावना

“जो परमे र के पुऽ पर व ास करता है वह अपने ह म गवाह


रखता है । िजसने परमे र पर व ास नह ं कया उसने उसे झूठा ठहराया,
य क उसने उस गवाह पर व ास नह ं कया जो परमे र ने अपने पुऽ
के वषय म द है । और वह गवाह यह है क परमे र ने हम अनंत जीवन
दया है , और यह जीवन उसके पुऽ म है । िजसके पास पुऽ है उसके पास
जीवन है ; और िजसके पास परमे र का पुऽ नह ं, उसके पास जीवन भी
नह ं है ।”
[1युह ना 5:10-12]

वे सभी लोग जो ूभु यीशु मसीह के ारा परमा मा म व ास करते है वो अपने


जीवन म एक गवाह रखते ह।

म भी उनमे से एक हँू ।

जीवन से सा ा कार मेरे जीवन म ई र क असीम कृ पा से कये गये काय का


वणन है । यह मेर आ मकथा नह ं है पर तु मेरे जीवन क गवाह है । मने अपने
जीवन के उन सभी पहलुओं का वणन कया है िजनम ूभु क कृ पा से बड़ा प रवतन
आ गया है ।

म भौगोिलक सूचना ूणाली (GIS) से जुड़े यवसाय म कायरत हँू तथा उपमह से ूा
िचऽ कई बार अपने काय के दौरान दे खता हँू । मैने पाया है क जो चीज हम ऊँचाई से
दे ख पाते ह उनको समान धरातल पर रहते हए
ु दे खना और समझना असंभव है । आज
जब म जीवन को मानवीय कोण से ऊपर उठकर आि मक नज़र से दे खता हँू तो
जीवन का एक अलग ह िचऽ मुझे नज़र आता है । वह म आपको इस पुःतक के ारा
दखाना चाहता हँू ।
मेरा ज म हं द ू प रवार म हआ
ु था, इसिलए मेर अपनी एक वचारधारा थी तथा जब
मने पहली बार मसीह व ास (ईसाई धम नह ं) के बारे म सुना तो मेरे िलए यकायक
इसम व ास करना आसान नह ं था । मेरे मन म कई ू उठे थे िजनके उ र पाये
बना मेरे िलये इस मत पर व ास करना नामुम कन था। ःवयं ई र ने मेरे उन सभी
सवाल का जवाब दया जो मेरे व ान ूभा वत तथा तक संचािलत दमाग म उठे थे।

मने उन सभी वषय को छूने क चे ा क है जो मेरे सामने तब आये जब मने ई र


क वाःत वकता क खोज करना शु कया। मेरे वचार म हरे क वो य जो ईसाई
ु , जब वह ई र क स चाई क खोज शु
प रवार म पैदा नह ं हआ करता है तो इन
सवाल का सामना ज़ र करता है ।

इस क़ताब क वषय़वःतु इतनी वशाल है क मुझे लगता है क शायद म इससे पूरा


याय न कर सकूँ फ़र भी म ूयास क ँ गा क अपना सारा अनुभव इन प न म
उं डे ल दं ।ू म अपने आपको इस यो य नह ं समझता क परमे र के वचन (बाइबल) के
िस ांत को समझा सकूँ, इसिलए मने अपने अनुभव और व ास के अनुसार िसफ़ वो
बात िलखीं ह जो मेरे जीवन म घट ह और ूभु ने मुझे समझाई ह।

जैसा क मने कहा है क यह क़ताब मेरे जीवन क स यकथा है इसिलए कई जगह


नाम , ःथान तथा समय का उ लेख भी इसम िमलेगा। मने अपनी जानकार म सभी
बात स चाई के साथ िलखी ह। फर भी सभी घटनाएँ समयानुसार बम म िलखीं ह ,
ऐसा आवँयक नह ं है ।

यह तृतीय संःकरण ( तीय संःकरण इस कताब का एक संि प था) इस बात का


ूतीक है क महान ई र ने अपनी दया से द इस कृ ित को इःतेमाल कया है और
िनरं तर इसम सुधार भी कया है । इस नये संःकरण म पुरानी सार ऽु टय को
सुधारने का पूरा पूरा ूयास कया गया है । इसके पढ़ने पर ूभु आपको आशीष द।

ूकाशक तथा लेखक,


बृजेश चोरो टया
वषय-सूची

vkvks!
ifjap; 15
;g iqLrd D;ksa 23
D;k vki rS;kj gSa 33
ikfjokfjd i`"BHkwfe 41
ijes'oj Lks feyu 53
ifjoZru 61
m)kj 73

ikvks!
izkFkZukvksa ds mRrj 83
ijes'oj dh fo'okLk;ksX;rk 107
vk'kh"ksa 121

Tkkvks!
bZ'ojh; thou dSls th;sa 141
fu"d"kZ 153

ifjf'k"V- iz'Uk vkSj Hkzkafr;ak i


v k v k s!
1 ifjap;
जीवन! जी हां; यह क़ताब जीवन के वषय म है । उनके बारे म जो जीवन को
भरपूर से जी रहे ह और उनके वषय म जो इसे खो रहे ह।

या आपको नह ं लगता क आप
िज दगी से कुछ और चाहते ह? “ूिस दाशिनक, इितहासकार और
तकशा ी, बशाड रसैल, जो अनेक
या आपको ऐसा लगता है क जीवन दाशिनक मथ के लेखक रहे है तथा जो
म कुछ तो कमी है ? या आप अपनी अपने नािःतक वचार के िलए जाने
जाते ह, उ ह ने कहा है – जब तक
िज दगी बेहतर जीना चाहते ह –
हम एक ई र क क पना ना कर या
भरपूर के साथ? उससे कह ं बेहतर,
उसके अिःत व को ना मान ल, तब
सफल और साथक, जैसी वो आज है !
तक जीवन के उ े ँय के बारे म सोचना

अगर आपका उ र ‘हां’ है , तो मेरे िनरथक है ।”

साथ इस याऽा म शािमल हो जाइये!

एक समय म भी अपनी िज दगी के मह वपूण पहलुओं से अनजान था और


एक भरपूर िज़ंदगी से मह म था, पर आज म अपने जीवन को बहत

गहराई से, भरपूर के साथ जी रहा हँू । मेरे जीवन म म एक ऐसी शांित
और आनंद का अनुभव करता हँू जो मेर समझ से बाहर है । मेरा पूरा
ू आःथा ई र म है जो क मेरा परमिमऽ हो गया है
व ास तथा मेर अटट
और मेरे जीवन का अिधकार अपने हाथ म रखता है । वो मेरे सारे टे ढ़े मेढ़े
माग को सीधा करता है , हर मुिँकल म मेर सहायता करता है , अपनी
आशीष मुझे दे ता है और एक वजयी जीवन जीने म मेर सहायता करता
है ।

म ये सार आशीष आपके साथ बांटना चाहता हँू ।

***
जीवन से सा ा कार 16

मेरा व ास है क हमारे सृ कता ने हम सबक सृ कसी उ े ँय के साथ


क है । हम भी जब कसी चीज़ का िनमाण करते ह तो उसके पीछे कुछ ना
कुछ लआय और उसके इःतेमाल के िलए कुछ योजना ज़ र होती है । उसी
ूकार मेरा मानना है क हमारे सृ कता ई र ने हम म से हरे क के िलए
एक योजना रखी है और हरे क के जीवन का एक उ े ँय़ रखा है ।

हम अपने जीवन के लआय खुद तय करते ह और उ ह पाने के सतत ूयास


करते रहते ह; परं तु अनंत आशा से भरपूर, आशी षत तथा संतु जीवन
जीने क कुंजी है – उस उ े ँय को खोजना तथा उसको पूरा करना जो ई र
ने हमारे िलये तय कया है ।

ूिस दाशिनक, इितहासकार और तकशा ी, बशाड रसैल, जो अनेक


दाशिनक मथ के लेखक रहे है तथा जो अपने नािःतक वचार के िलए
जाने जाते ह, उ ह ने कहा है – जब तक हम एक ई र क क पना ना कर
या उसके अिःत व को ना मान ल (का पिनक ह सह ), तब तक जीवन के
उ े ँय के बारे म सोचना िनरथक है । दसरे
ू श द म कह तो जीवन के सह
उ े ँय के बारे म वचार करते समय एक ई र का होना अवँय है ।

यह उसी तरह का िस ांत है जैसा हमने बचपन म ःकूल म सीखा था।


गिणत के सवाल (और ूमेय अथात योरम) हल करने के िलए हम क ह ं
बात को मान लेते थे और उसी पूवधारणा के तहत अपने सवाल हल कर
लेते थे। कसी ने कभी इस बात पर ू नह ं कया क हमने अपने सवाल
क पना के आधार पर य हल कये।

तो य न हम ऐसा ह कर। य द आप ई र पर आःथा नह ं भी रखते


तौभी हम कुछ दे र के िलए इस बात को मान लेते ह क ई र है और हम
म दलचःपी रखता है ।

य द आप ई र म व ास तो करते ह परं तु उसे य गत प से नह ं


जानते, यह ऐसा है जैसे स भवतया आप भारत के ूधानमंऽी को जानते तो
ह, परं तु य गत तौर पर नह ं, तौभी हम कुछ दे र के िलए इस बात को
भी मान लेते ह क ई र हमसे य गत स बंध रखने म िच रखता है ।
17 प रचय

हम इसी पूवधारणा के साथ आगे बढ़ते ह। जैसे जैसे हम आगे चलगे, य द


आप व ास करगे तो ई र का अनुभव कर सकगे। आपका इस क़ताब को
पढ़ने का िनणय इस बात का संकेत है क आपक इ छा ई र को पाने क
है । मेर ूाथना है क ूभु आपको मनचाहा वरदान द।

आप कौन ह, आपने य़ा हाँिसल कया है , आप कन बात म सफ़ल या


िनंफ़ल रहे ह, इन बात से ई र के ूेम पर कोई फ़क नह ं पड़ता। म
आपको एक बात बताना चाहता हँू क हम अपनी सीिमत बु और संकुिचत
कोण के कारण जीवन क एक बहत
ु छोट और धुंधली तःवीर दे ख
सकते ह, य क हमार सोच का दायरा उन सभी बात से बनता है जो क
हम अपने प रवार क पर परा, हमार संःकृ ित, हमारा धम िजसम हम पैदा
ु , हमार प रिःथित, हमार िश ा तथा हमारे अनुभव के कारण, सीखते
हए
ह। परं तु हमारे सृ कता के पास इस जीवन क स पूण तथा ःप तःवीर
है ।

हमार इस याऽा के अंत तक आप ई र क आपके बारे म योजना और


उ े ँय को समझ सकगे; और य द आप उसे पूरा करने का िनणय लगे तो
शांित, आनंद तथा ई र क आशीष से भरपूर जीवन आपका होगा।

***

अपनी इस याऽा को शु करने से पहले हम कुछ खास बात को समझ ल


जो इस क़ताब को सह तर के से पढ़ने और ई र से आशीष पाने म हमार
सहायता करे गी।

आइए, एक वै ािनक डा टर का उदाहरण दे ख-

मान लीिजए, कसी डा टर ने एक आम बीमार का ट का या दवा का


अ वंकार कया, जैसे क – सरदद या कुछ और, जो ग भीर ना हो और
िजससे हम डर ना लगता हो; तो हमम से कतने लोग इस अ वंकार म
िच लगे?

मेरे उयाल से एयादा नह ं, या शायद कोई नह ं।


जीवन से सा ा कार 18

परं तु उसी वै ािनक ने य द कसर या ए स जैसी ग भीर तथा घातक


बीमार के ट के का िनमाण कया हो तो शायद सार दिनया
ु क नज़र उसी
अ वंकार पर लग जाएँगी, खासतौर पर तब, जब यह बीमार महामार क
तरह फ़ैल रह हो। हम ज़ र अपने आपको और अपने प रवार को सुरि त
करना चाहगे।

उसी ूकार य द हम इस याऽा के मह व को ना समझ, तो बहत


ु संभव है
क हम इस क़ताब को पढ़ने के लआय को भी खो द। यह कताब जीवन के
ु मह वपूण है । और पाप घातक है । पाप
बारे म बात करती है जो क बहत
कसर और ए स से भी यादा भयंकर बीमार है – जो न िसफ़ इस जीवन
का नाश करता है बि क मृ यु के बाद के आि मक जीवन का भी नाश
करता है ।

म आपको सावधान करना चाहता हँू और यह बताना चाहता हँू क जीवन


बहत
ु क़ मती है – यह िसफ़ ई र क ओर से िमलता है ।

सोिचये क आज क सबसे आधुिनक िच क सा व ान और तकनीक के


बावज़ूद वै ािनक जीवन पैदा नह ं कर सकते ह और न ह कसी मृत य
म जान फ़ूँक सकते ह। यह िसफ़ ई र का काम है ।

शायद कोई मुझसे ववाद करना चाहे क वै ािनक ने डॉली भेड़ का लोन
बनाया है । बना कसी ववाद म पड़े , म िसफ़ इतना कहँू गा क जो लोन
वै ािनक ने बनाया था उसम भी आरि भक ऊ क या ड .एन.ए. पहले से
जी वत भेड़ से उठाया गया था, िजसको ई र ने ह रचा था।

मेरे एक ूय िमऽ, जो क सूआम-जै वक (माइबोबायोलॉजी तथा


ं ान छाऽ ह, उनके साथ ई र, सृ , पाप
बायोटै नोलॉजी) म व ान अनुसध
तथा उ ार के स बंध म बातचीत करते समय एक बार उ ह ने कहा क वह
भी ई र होने का दावा कर सकते ह य क उ ह ने अपने अनुसंधान के
दौरान रसायन के ूयोग से कुछ नए ूाणी-जीव का िनमाण कया है ।

िजतने व ान वो ह, मुझे इस बात म संदेह नह ं है क उ ह ने ऐसा ूयोग


कया हो, परं तु म इस बात को जानता हँू क वो सफ़ल नह ं रहे ह गे।
19 प रचय

िजतने लोग ऐसा दावा करते ह, उन सभी से म एक सवाल करना चाहता हँू
तथा एक सुझाव दे ना चाहता हँू ।

मेरा ू है – ऐसे तमाम ूयोग के िलए ज़ र साममी (अथात रसायन


इ याद ) कसने बनाया – या वै ािनक ने या ई र ने? मेरा सुझाव है –
य द आप ई र म व ास नह ं करते, तो कोई बात नह ं, कसी दन शायद
कर – परं तु अपने आपको ई र बनाने क या स चे ई र का ब हंकार
करने क गलती भयंकर भूल कभी ना कर।

ई र आपसे ूेम करता है , य द आप इस बात को समझ नह ं सकते – तो


िसफ़ व ास ह कर लीिजये। यूं भी, आि मक तथा आ याि मक जीवन का
स बंध समझ से नह ं बि क व ास से होता है ।

म समझता हँू क कोई भी वै ािनक अपने पता को पता मानने से पहले


ड .एन.ए. (DNA) टे ःट नह ं कराते। वे भी अपनी माँ, प रजन तथा अ य
प रिचत लोग क गवाह से यह बात मान लेते ह। शायद ऐसी पर ा करने
क बात का वचार भी उनके दमाग म ना आता हो।

परम ई र पर व ास करना भी इसी तरह है । आपने उसको नह ं दे खा तो


या हआ
ु , िज ह ने उसे दे खा है , उसको महसूस कया है , उसके साथ चले ह
– उनक गवाह पर व ास क िजये। अपने जीवन म बहत
ु से काम हम
व ास के ारा करते ह। उन बात को समझना और सा बत करना मुिँकल
या नामुम कन हो सकता है । यहाँ तक क हम इस बात क ज़ रत भी नह ं
समझते।

उदाहरण के िलए – या हम बस या टै सी म बैठने से पहले साइवर का


लाइसस दे खते ह क वो बस चलाना जानता भी है या नह ं, या फर या
हम हवाईजहाज म बैठने से पहले पाइलट क हवाईजहाज उड़ाने क मता
को जानने क कोिशश करते ह। कुस पर बैठने से पहले या हम इस बात
को जाँचते ह क वो हमारा बोझ संभाल सकती है या नह ं या फर या हम
सरदद क दवा लेने से पहले दवाइय का रासायिनक वंलेषण करते ह?
बक म पैसा जमा करने से हम अपने कड़े प रौम से कमाये पैसे को य
सुरि त समझते ह? मह ना भर काम करने से पहले हमारे पास या आशा
जीवन से सा ा कार 20

होती है क हमार तनउवाह (सैलेर ) हम िमल जाएगी? ये सभी काम और


इनके अलावा बहत
ु से और काम हम व ास से ह तो करते ह। जब हम
कार या बस म याऽा करते ह तब तो हम िनशान, हॉ डग तथा दशा-िनदश
को दे खकर ये जान लेते ह क हम कस दशा म जा रहे ह और कहाँ तक
पहँु चे ह, पर तु जब हम हवाईजहाज म याऽा करते ह, तो हम ना तो दशा-
िनदश दखते ह न कुछ और – िसफ़ बादल; और य द और ऊँचाई पर चले
जाएँ तो कुछ भी नह ं बि क गहरा नीला आकाश। फ़र भी या हम व ास
नह ं रहता क हम अपने गंत य (लआय/ ठकाने) पर पहँु चगे?

जब हम पाइलट पर भरोसा कर सकते ह, तो ई र पर य नह ं?

इस भौितक दिनया
ु म, हम एक कहावत अ सर सुनते ह – व ास, दे खने
से होता है – परं तु आि मक दिनया
ु म – दे खना, व ास से होता है । ई र
को िसफ़ व ास से ह दे खा जा सकता है । य द आप उसे दे खना चाहते ह
तो व ास क िजए क वो है और उ ह िमलता है जो पूरे मन तथा व ास
से सह जगह उसको खोजने क इ छा रखते ह।

इन सब बात के कहने से मेरा मतलब यह है क – िजस ूकार य गत


गवा हयाँ आज भी दिन
ु याभर म एयादातर अदालत म मुक़दम को सुलझाने
तथा िनणय लेने म इःतेमाल होती ह – उसी ूकार यह क़ताब मेर गवाह
है क कस ूकार ूभु ने मेरे जीवन म बड़ा प रवतन कया है । मने पूरा
ूयास कया है क सब बात स चाई के साथ बता सकूँ क कैसे ई र ने
मेरा जीवन साथक बना दया है ।

म अपने जीवन का खुला िचऽ आपके सामने रखना चाहता हँू – क म


कौन था, कस ूकार ई र से मेर मुलाक़ात हई
ु , कस ूकार उसने मेरा
जीवन प रवतन कया, कैसे उसने पाप क मेर बड़ समःया का िनवारण
कया, कस ूकार उसने मुझे शैतान क गुलामी से ःवतंऽ कया और कस
ूकार वो हर पल मेरे साथ रहकर आशी षत जीवन जीने म मेर सहायता
करता है । मेरे जीवन क प रिःथितयाँ आपके जीवन से अलग हो सकती है ,
परं तु ई र का आशीषमय ःव प नह ं बदलेगा। वो आपको भी आशीष दे गा।

***
21 प रचय

आइए, इस याऽा के िलए हम कुछ िनयम बना ल, ता क इस याऽा का पूरा


लाभ उठा सक। आप इनम से कुछ या सारे िनयम को तोड़ना चाह तो म
आपको रोकूंगा नह ं, परं तु तब आप इस क़ताब के पढ़ने का उ े ँय खो दगे।
हम िन निलिखत िनयम का पालन करगे:
o हम बाइबल को परमे र का प वऽ तथा जी वत वचन समझगे, चाहे
आपस म हमारे कतने भी वैचा रक (या धािमक भी) मतभेद य न
ह।
o जहां भी बाइबल के वचन इस क़ताब म िलखे ह उ ह हम ऊँची
आवाज़ म पूर िन ा के साथ पढ़गे और उस पर कुछ दे र वचार करगे
क ई र हमसे या कहना चाहता है । संभव है क ऐसा करके आप
उसक मीठ मह न आवाज़ को सुन सक। उसके बाद ( बना पढ़े और
बना वचार कए नह ं) आप अपने िनंकष िनकाल सकते ह।
o शायद आपने ई र को उस तरह से ना पहचाना हो, जैसे म आपको
बता रहा हँू ; फ़र भी आप उसे जी वत मानगे, ठ क उसी तरह जैसे
आप जी वत ह। शु म शायद ये थोड़ा अज़ीब लगे, पर आप उससे वैसे
ह बात कर सकते ह जैसे कसी भी दसरे
ू जी वत य से करते ह।
उसक बात सुनने के िलए हम बाइबल से पढ़ने क ज़ रत पड़ती है
य क ई र आ मा है और शार रक कान से उसक आवाज़ सुनना
मुिँकल है (परं तु नामुम कन फ़र भी नह ं)।
o हम इस बात को आधार लेकर आगे चलते ह क आप सच म ई र को
जानना और पहचानना चाहते ह और आप इसके िलये सभी वो बात
पूरा करगे जो ज़ र ह। मेरा मानना है क य द आप नॆता और
द नता के साथ ूभु के स मुख आएँगे तो वो आपको िनराश नह ं
करगे।
o इस क़ताब म द गई सभी जानकार य तथा ववरण को आप मेरे
य गत अनुभव क से दे खगे।
o - बाइबल से पढ और वचार कर

***
जीवन से सा ा कार 22

इस समय, जब आप इस क़ताब को पढ़ते ह, तो मेर ई र से ूाथना है


क वो आपके हरे क ू का उ र दे जो आपके दमाग म वष से रहे ह गे।
मु दाता, शांितदाता ई र आपके साथ रहे । आइए हम साथ म ूाथना कर
-

हमारे सृ कता ई र, हम मानते ह और व ास करते ह क आप ह ने


सार सृ क रचना क है । सूरज, चाँद, तार और सारे मह अथात पूरे
ॄहमांड के रचनाकार आप ह। धरती और इसम दखनेवाली हरे क वःतु को
आपने सृजा है । हम आपके आभार ह क आपने हम यह पुःतक द है ।
जब हम इसको पढ़ते ह, हम अपना अनुमह द िजए ता क हम परमस य को
जान सक। हमार सहायता कर ता क हम आपसे उ ार पा सक। हमारे
य गत पाप को मा कर द िजए और अपने प वऽ आ मा से भर द िजये
और हमार आि मक आँख को खोल द िजये ता क हम आपको दे ख सक
और सारे शार रक तथा आि मक बंधन से छूट जाएँ। आमीन
2 ;g iqLrd D;ksa
या आपको आ य हो रहा है क जब इतनी सार क़ताब, शायद लाख ,
पहले ह ई र तथा व ास के वषय म िलखी जा चुक ह तो फ़र एक
और क़ताब क या ज़ रत है ?

मेरे पास इस बात का उ र है । कताब से बढ़कर, यह मेरे जीवन म घट


घटनाओं का िलिखत वणन है जो मुझे हरदम याद दलाएगी क ई र ने
मेरे िलए या कया है । मेरे इन अनुभव से न िसफ म बि क अ य लोग
भी उसक सामथ को दे ख सकते ह ता क उसम व ास कर सक।

कुछ लोग ई र को कसी के


“कुछ लोग ऐसा मानते ह और कहते भी
अनुभव क से समझना पसंद
ह क ई र, नक तथा उ ार इ या द
नह ं करते य क कसी के भी
कमज़ोर लोग ारा गढ़े हए
ु वचार ह जो
अनुभव को नकारना या उसक जीवन क क ठन प रिःथितय से लड़ने
जाँच करना, अस भव नह ं भी, क ह मत नह ं रखते और इन बात का
तो मुिँकल ज़ र है । ले कन मेरे सहारा लेते ह। पर मेरे वचार म, हम म
सारे अनुसंधान तथा खोज से मुझे से हरे क को परमे र के अिःत व म
यह मालूम हआ
ु क हम ई र को व ास करना ह चा हए, चाहे हम कसी

समझ (सीख) नह ं सकते पर भी धम के अवल बी य न ह ।”

उसके ूेम का अनुभव कर सकते


ह और उसक सव या उपिःथित को महसूस कर सकते ह।

इसका मतलब यह नह ं है क वो है ह नह ं, या का पिनक है । नह ं ऐसा


नह ं है , परं तु उसके ःव प को समझाना क ठन है । इसे िसफ़ व ास से
समझा जा सकता है ।

य द आप उन लोग म से एक ह जो अनुभव से नह ं बि क िस ांत और


ान से उसे जानना चाहते ह, तो शायद यह क़ताब आपके िलए ना हो;
जीवन से सा ा कार 24

फ़र भी म आपसे आमह क ँ गा क इसे आप पूरा पढ; इससे आपको पता


चलेगा, क परमे र अपने लोग के जीवन म या या करता है और कैसे
वो जीवन प रवतन करता है । या पता, कल को यह आपका भी अनुभव
सा बत हो।
***

परमे र ने मुझे ूेरणा द क म अपनी मो क कहानी को िलखूँ ता क


ऐसा न हो क म खास और ज़ र बात को भूल जाऊं। तब मने एक प ने
का लेख िलखकर इं टरनेट पर डाला। उसको पढ़ने के बाद एक बहन ने कहा
क सच म ूभु के मेरे जीवन म कए बड़े काम क गवाह को पढ़कर
उनका उ साहवधन हआ
ु था और उ ह ने मुझसे आमह कया क म इसे
और वःतार से िलखूँ। उस बहन के कहने पर मने इसे 3 प न म िलखा।
उसके बाद जब म अपनी प ी स हत िग डय स सेवा का भाग बना और
उ ह मालूम हआ
ु क जो पहली बाइबल मुझे द गई थी वो एक िग डयन
बाइबल थी तो संःथा के अगुवा लोग ने मुझे इसे और वःतृत प से
िलखने को कहा ता क सेवक को उ सा हत कया जा सके। म इस बात का
जीवंत उदाहरण था क जब कसी को (जाित, धम, िलंग तथा ःथान का
भेद कया बना) परमे र का वचन दया जाता है तो उससे जीवन प रवतन
का तथा मो का कैसा अनूठा काम होता है । मने अपनी जीवन प रवतन
क कहानी को और वःतृत प म िलखा।

इसके बाद मेरा ऐसा कोई वचार नह ं था क म इसे एक क़ताब के प म


िलखू।ँ
***

कुछ दन पहले मने एक कहानी सुनी िजसने मुझे इस क़ताब (मेर


वःतृत ग़वाह ) को िलखने के िलए ूे रत कय़ा। इसके पीछे परमे र ने जो
उ े ँय मुझे दया है वो ये है क वो सभी लोग जो उसी धम म पैदा हए
ु ह,
िजसम म भी हआ
ु और जो अपने सृ कता परमे र से दरू होकर अंधकार
म भटकते हए
ु ई र क खोज कर रहे ह पर उससे कोस दरू ह (परं तु वो
उनके इतना नज़द क है , फ़र भी वे उसे दे ख नह ं सकते), उसको जान सक
और उसे पा सक।
25 यह पुःतक य

कहानी जो मने सुनी, वो एक जवान लड़के संजय (प रवितत नाम – असली


नाम ॄायन) के वषय म थी। वह 17 वष क उॆ म एक सड़क दघटना
ु् म
मारा गया। इसे एक स य घटना भी माना जाता रहा है । जोशुआ हे रस ारा
िलखी गई पुःतक (आई कःड डे टं ग गुडबाय) म एक कहानी म संजय
अपनी असामियक मृ यु से पहले एक लेख िलखता है ।

उस लेख म संजय ने िलखा क उसने एक ःव न दे खा िजसम एक वशाल


कमरा था। उसक द वार पर चार तरफ़ दराज़ लगी थीं, जैसे क बक के
लॉकर म या पुःतकालय (लाइॄेर ) म, जहां पुःतकालय म उपल ध सभी
क़ताब क सूची, लेखक तथा क़ताब के नाम से लगी होती है । उस कमरे
म इन फ़ाइल का जैसे अंबार सा लगा था।

जैसे वो पास गया, पहली दराज़ जो उसने दे खी, उसपर िलखा था –


‘लड़ कयां िज ह म चाहता था‘। उसने उसे खोला और सूची-पऽ (काड) को
पढ़ने लगा। उसे यह दे खकर बड़ा झटका लगा क वो उन नाम को जानता
था। वो ज द ज द सभी दराज़ को खोल खोल के दे खने लगा। उस
िनज व कमरे म उसके जीवन क सभी छोट से छोट और बड़ से बड़
बात का पूरा क चा िच ठा मौजूद था; यहां तक क उन बात का भी िज़ब
था िज ह वो कभी का भुला चुका था।

एक एक कर खोल कर दे खते समय कुछ अ छ तो कुछ बुर बात, कुछ


गौरवाि वत करने वाली तो कुछ शिमदा करने वाली बात सामने आने लगीं।
अपने लेख म संजय िलखता है क कुछ बात तो उसे इतना शिम दा कर
रह ं थीं क वो इधर उधर दे ख लेता था क कोई उसे दे ख तो नह ं रहा।

वो आगे िलखता है - ‘दोःत’ नामक दराज़ म जो फ़ाइल थीं उनम से एक


थी – “दोःत: िज ह मने धोखा दया”। उस फ़ाइल के सभी प ने स चाई से
मेर दाःतां बयान कर रहे थे।

उसने आगे िलखा है क सभी प न पर अलग अलग शीषक (टाइटल) िलखे


थे। उसके आ य का कह ं ठकाना नह ं था य क उसके जीवन क हरे क
बात इन फ़ाइल म िलखीं थी। हरे क प ने पर अंत म उसका नाम तथा
हःता र अं कत थे।
जीवन से सा ा कार 26

इस तरह उसके जीवन के हर ेऽ के शीषक से फ़ाइल तथा प ने (सूची-


पऽ) वहां थे – क़ताब जो मने पढ़ ं, झूठ जो मने बोले, सहायता जो मने
क , चुटकुले िजनपर म हँ सा इ या द।

अ ततः उसको एक फ़ाइल िमली – ‘हवसपूण वचार’ ।

वो िलखता है क एक िसहरन उसके सारे शर र म दौड़ गई। यह फ़ाइल


कुछ यादा ह मोट थी। उसने थोड़ा सा फ़ाइल को बाहर िनकालकर पढ़ने
क कोिशश क ले कन उसम द गई बार क जानका रय को दे खकर वो
ह का ब का रह गया। वो सोच रहा था क कौन है जो उसके बारे म इतना
कुछ जानता है ।

वो आगे कहता है – “िसफ़ एक वचार मेरे मन म क ध रहा था – कोई


इस फ़ाइल को कभी ना दे खे – यहाँ तक क कोई भी कभी इस कमरे को
न दे खे, मुझे यह सब न करना है ।”

पागल क तरह वह उस फ़ाइल को फ़ाड़ने क कोिशश करने लगा। आ य


क बात यह थी क वह एक भी प ना फ़ाड़ नह ं सका, वो प ने जैसे ःट ल
के बने थे। वो अपना िसर पकड़कर द वार के सहारे खड़ा होकर सोचने लगा
क इस घड़ म वो या करे । उसने एक द घ सांस ली – जैसे कह रहा हो
“ या मेरे बस म कुछ भी नह ं”। वह बहत
ु िनराश हो चला था।

वो नीचे बैठ गया जैसे उसके घुटन म जान न हो और ज़ोर ज़ोर से रोने
लगा। उसे अपने आप पर शम आ रह थी। वो फ़ाइल उसक आंख के
सामने घूम रह थीं। बस यह वचार बार बार आ रहा था क कोई कभी भी
इस कमरे के बारे म ना जाने – हो सके तो इस कमरे को हमशा के िलए
ताला लगाकर चाबी कह ं छुपा दे ।

इतने म उसने दे खा क यीशु मसीह ने उस कमरे म ूवेश कया और हरे क


फ़ाइल को पढ़ने लगे। संजय आगे िलखता है क उसने यीशु मसीह क
आँख म बहत
ु वेदना दे खी – इतना दखः
ु िजतना खुद उसे भी नह ं था। वो
हरे क प ने पर संजय क जगह अपने हःता र करने लगे।
27 यह पुःतक य

ूभु को हःता र करते दे ख संजय बेतहाशा उन प न को दे खने लगा और


ूभु यीशु को हःता र करने से रोकने लगा। वह बोल रहा था - नह ं, नह ं,
आपका नाम वहां नह ं होना चा हए। पर सारे प न पर यीशु मसीह के
हःता र थे, पता नह ं ूभु ने यह कैसे कया। वो हःता र इतने गहरे थे
क संजय का नाम कह ं दखता ह नह ं था। वे ूभु यीशु के लहू से िलखे
थे। ूभु यीशु ने हरे क प ने पर, जो संजय के पाप के लेख थे, एक एक कर
अपने हःता र कर सारे पाप का िज़ मा अपने ऊपर ले िलया।

संजय पापमु हो गया था य क यीशु ने उसके सारे पाप मा कर दए


थे।
***

जब मने पहली बार इस कहानी को सुना था तो मेर आँख से आंसू िनकल


पड़े थे। इस कहानी ने मुझे इस क़ताब को िलखने के िलए ूे रत कया
य क मुझे यह अहसास हआ
ु क यह िसफ़ संजय क कहानी नह ं है
बि क यह हम म से कसी क भी कहानी हो सकती है ।

ज़रा सोिचए, आपने अपने जीवन म


या या कया है जो आप सबसे सोिचए. या यह आपक
छुपाना चाहगे। आपक असफ़लताएँ, कहानी नह ं हो सकती है ?
आपक गलितयां, वो सारे ग़लत वचार
जो आपने अपने माता- पता और भाई-बहन के बारे म कए। वो समय जब
आपने अपने सबसे अ छे िमऽ क आलोचना क , वो समय जब आपने
कसी लड़के अथवा लड़क को यिभचार के िलए लुभाने क कोिशश क ,
आपके कामुकतापूण वचार, वो पुःतक और कहािनयां जो आपने पढ़ ं, वो
चुनाव जो आपने कए, वो झूठ जो आपने बोले, वो लोग िजनको आपने
सताया, यह सूची का़फ ल बी हो सकती है ।

य द आप अपने आप से स य बोल सकते ह तो आप जानगे क जो मने


कहा वो एक स चाई है । आप इस याऽा म मुझपर आपक अगुवाई करने के
िलए व ास कर सकते ह।

***
जीवन से सा ा कार 28

व ास आि मक जीवन का आधार है , और जो ई र को जानना चाहे , उसे


इस बात पर व ास करना चा हए क बाइबल परमे र का वचन है िजसके
ारा परमे र अपने आपको मानवजाित पर ूकट करना चाहता है । म कई
तक और सबूत के आधार पर यह सा बत करने क कोिशश कर सकता हँू
क बाइबल परमे र का जी वत वचन है – परं तु फ़र भी व ास के बना
आप इसे समझ नह ं सकते।

इतने पर भी य द आप बाइबल पर व ास नह ं करते, तो भी एक बार को


सोिचये – या हो य द बाइबल ह एकमाऽ स चाई हो। अग़र बाइबल ह
परमस य है तो आप इसपर अ व ास करके कहां जाएँग?े और य द बाइबल
म िलखी बात सच ह तो आप अपना अनंतकाल का जीवन कहां बताएँग।े

बाइबल म सुसमाचार 1 म ऐसा िलखा है -

“कुछ ढका नह ं, जो खोला न जाएगा; और न कुछ िछपा है , जो जाना


न जाएगा। इसिलए जो कुछ तुम ने अ धेरे म कहा है , वह उजाले म सुना
जाएगा; और जो तुम ने कोठ रय म कान -कान कहा है , वह छत पर से
ूचार कया जाएगा।”
[लूका 12:2, 3]

संजय के ःव न को हम एक ई र य ांत के प म दे ख सकते ह। हम म


से हरे क को इस दिनया
ु को छोड़ने के बाद याय िसंहासन के सामने खड़ा
होना पड़े गा। या आप उस प वऽ परमे र के सामने खड़े हो सकगे?

कदा प नह ं। जब तक आपके पाप का लेखा िमट ना जाए जैसे क वो कभी


थे ह नह ं, तब तक आप ःवग के रा य म ूवेश नह ं कर सकते और न
ह परमे र से नज़र िमला सकते ह।

1[म ी, मरकुस, लूका तथा युह ना रिचत सभी सुसमाचार परमे र के मानव प म
मनुंयजाित के पाप मा करने के िलए एक उ ारकता के ःव प म आने क खुशखबर है ।
यह म ी, मरकुस, लूका तथा युह ना नामक चेल क नज़र से तथा प वऽ आ मा क ूेरणा से
यीशु मसीह के आने क तथा उनके ारा कए गए प वऽ बिलदान का ववरण है जो हम
परमे र के असीिमत ूेम तथा दया के बारे म बताते ह]
29 यह पुःतक य

यीशु मसीह इस पापमय दिनया


ु म इसिलये आए थे, ता क बूस पर अपने
ूाण का बिलदान कर हम पापमु कर। ूभु यीशु ने अपना र बहाकर
हमारे पाप को धोकर साफ़ कया है और हम मृ यु के ब धन से मु
कया ह। इसे हम व ास ारा अनुभव कर सकते ह।

म यह खुशखबर सबको सुनाना चाहता हँू और यह पुःतक इस दशा म


मेरा एक कदम है । आप इस बात िन न ांत के ारा समझ सकते ह।

क पना क िजए क म एक गर ब आदमी था और मुझे एक ऐसी बीमार हो


गई िजसका इलाज मेरे शहर म उपल ध नह ं था। मुझे बताया गया क
दसरे
ू दे श म एक िच क सक (डॉ टर) था जो मेर बीमार का इलाज कर
सकता था। तो या म उस िच क सक से िसफ इसिलये इलाज नह ं
करवाता य क वो मेरे दे श म नह ं रहता? म तो तैयार था मगर मेरे पास
इतने पैसे नह ं थे। फ़र भी मने उससे बात क और उसने अपने खच पर
आकर मेरे घर म मेरा इलाज कया। मुझे कह ं जाने क ज़ रत नह ं पड़ ।
वो मेर प रिःथित को समझता था और इसीिलए उसने मुझसे कुछ फ़ स
भी नह ं ली।

या ये मेर कृत नता नह ं होगी क म अपने दल क गहराई से उसका


ध यवाद ना क ँ ?

या आप मुझे ःवाथ नह ं कहगे य द म अपने चार और उन लोग को


दे खूं जो उसी बीमार से मिसत ह िजसम कभी म भी था, और फर भी
चुपचाप रहंू ? या आप को य द उस बीमार से छुटकारा िमला होता और
आप अपने प रजन तथा िमऽजन को उस बीमार म दखः
ु पाते दे खते, तो
या आप उस डॉ टर का पता उन सबको न बताते?

हम सब ‘पाप’ क गंभीर बीमार से मिसत ह जो अ ततः आि मक मृ यु


को लाती है जो क कुछ और नह ं बि क हमशा के िलए ई र से अलगाव
और नक क आग म जलना है । ूभु यीशु हम इससे छुटकारा दला सकते
ह। आप मेर बात पर यक़ न कर या न कर – पर तु यह स चाई है ।

***
जीवन से सा ा कार 30

कुछ लोग ऐसा मानते ह और कहते भी ह क ई र, नक तथा उ ार


इ या द कमज़ोर लोग ारा गढ़े हए
ु वचार ह जो जीवन क क ठन
प रिःथितय से लड़ने क ह मत नह ं रखते और इन बात का सहारा लेते
ह।

य द ई र को मने य गत प से अनुभव के ारा नह ं जाना होता तो म


भी ऐसे ह लोग म शािमल होता। ले कन अपने जीवंत अनुभव के ारा म
जानता हँू क परमे र एक स चाई है , यीशु मसीह परमे र के पुऽ ह, प वऽ
आ मा जी वत ह जो हम हर दन जीने क सामथ दे ते ह।

कसी का भी अ व ास इस स चाई को बदल नह ं सकता।

य द म कहंू क म ‘कार’ नामक कसी वःतु म व ास नह ं करता और


इसी व ास (या कार म अ व ास) के साथ य द सड़क के बीच -बीच
चलता रहँू तो सामने से तेज गित से आती कार से म अपने आप को बचा
नह ं सकता और न ह उस दघटना
ु के प रणाम से।

मेरे वचार म, इं डोनेिशया म आए सूनामी, अमर का म आए कतर ना तथा


ओमान म आए गोनू समुि चबवातीय तूफ़ान म सबसे एयादा नुकसान
उठाने वाले (यहाँ तक क जान गवाँने वाले) लोग वो ह थे िज होन या तो
इन चेताविनय पर यक न नह ं कया या समय रहते सुरि त जगह पर
शरण नह ं ली। जो सबसे कम ूभा वत हए
ु वो वे लोग थे िज होन चेतावनी
पर व ास कया और सह समय पर सुरि त ःथान पर चले गए।

ई र, ःवग, नक, पाप, मृ यु तथा उ ार सभी सच ह – त य ह। हालां क


हम इन पर व ास करने या ना करने के िलए ःवतंऽ ह परं तु जो व ास
नह ं करते उनको ई र के याय के दन के िलए कोई आशा नह ं होती।
परमे र का वचन तथा उसके सेवक समय समय पर लोग को इनके वषय
म चेतावनी दे ते रहे ह।

कलीिसया (चच) पछले 2000 वष से इस दिनया


ु को पाप तथा मृ यु के
खतरे से आगाह करती रह है और मनुंय के िलए परमे र क आवँयकता
तथा उसके ूेम के बारे म बताती रह है – या आप चेतावनी पर यान
दे कर अपने आपको अनंतकाल के िलए सुरि त करना नह ं चाहगे?
31 यह पुःतक य

परमे र व मान है । जो लोग इस बात को नह ं मानते (नािःतक) वे या तो


इस बात का वरोध करते ह या वो िसफ़ स चाई से मुँह मोड़कर और अपनी
आँख बंद कए रहते ह। य द हम इस ॄ ांड क वशालता को दे ख, सारे
मह को, चाँद-िसतार को और धरती म के सारे सु यविःथत (िनयमशील)
ूाकृ ितक ू कयाओं को दे ख तो हम कसी भी तरह ई र के अिःत व को
नकार नह ं सकते। हम अवँय ह यह जान लगे क यह सब ज़ र एक
समझदार और अित व ान सृ कता के ारा रचा गया है जो जी वत है
और जो क इस ूकृित का भाग कतई नह ं हो सकता। मेरे वचार म ई र
के ना होने का ूमाण ढंू ढना एयादा मुिँकल है ।

इस बात म कोई संदेह नह ं क हम म से हरे क को परमे र के अिःत व म


व ास करना ह चा हए, चाहे हम कसी भी धम के अवल बी य न ह।
परमे र धम क परवाह नह ं करता य क धम परमे र के ारा नह ं
अ पतु मनुंय के ारा ई र के बारे म बनाये गये वचार तथा उसे पाने के
तौरतर के और र ित रवाज ह। धम क तो भले ह नह ं पर परमे र हमार
परवाह ज़ र करता है य क उसे हम से ूेम है ।

***

म इसी स चाई के बारे म सबको बताना चाहता हँू , चाहे वो कसी भी धम,
जाित अथवा वचारधारा के मानने वाले य न ह । उन सभी लोग तक
पहंु चने के िलए, िजन तक म य गत प से नह ं पहँु च सकता, मने
अपने अनुभव इस पुःतक म िलखे ह ता क वे इस स चाई से अनिभ न
रह और उनके व ास करने से परमे र क म हमा हो और उनका उ ार
हो।

इस धरती पर जो जीवन हम बताते ह वो एक बहत


ु ह सीिमत समय के
िलए है जो क अनंत जीवन क तुलना म कुछ भी नह ं है । यह इस ूकार
है जैसे क यहाँ से लेकर चाँद अथवा सूरज तक खींची गई एक रे खा पर,
जो क अनंत जीवन के समान मानी जा सकती है , एक बंद ु भर अं कत
कर दया जाए तो वो इस धरती पर हमारे मानवीय जीवन का समय होगा।

हम इस बंद ु िजतने जीवन के िलए तो सब कुछ करते ह पर अनंत जीवन


के िलए कुछ नह ं।
जीवन से सा ा कार 32

वह परमे र जो हमारे शर र म इतनी नस लगा सकता है जो क ल बाई म


जोड़ने पर धरती के तीन च कर काट सकती है तो या वो अपनी साम य
से हमारा उ ार नह ं कर सकता? या उसे हमारे कम क ज़ रत है ?

इस क़ताब को िलखने का उ े ँय यह नह ं है क म कसी धम वशेष या


पंथ क आलोचना क ँ , परं तु ये क परमे र ारा मेरे जीवन म कए गए
आ यजनक काम का बयान क ँ । म आपको उ सा हत करना चाहता हँू क
आप भी स चे ई र म व ास कर, उसके ूेम का अनुभव कर, उसक
सामथ म चल और उसक म हमा को अपने जीवन म काम करते दे ख।
3 D;k vki rS;kj gSa
सामा यतया हम अपने धम का चुनाव नह ं करते ह बि क यह हमारे ज म के
साथ ह तय हो जाता है क हमारा धम या होगा ठ क उसी ूकार जैसे ज म के
साथ ह हमारा िलंग भी तय हो जाता है । हम इनम से कसी को भी बदलने क
ज़ रत नह ं है , हालां क कुछ लोग ऐसा करते ह। धम हम जीवन जीने क नैितक
बात तो िसखा सकता है पर मो नह ं दला सकता, उसके िलये हम ई र के साथ
आि मक संबंध बनाना पड़ता है । या आप इसके िलये तैयार ह?

अपनी िज दगी के इ क स वष मने बना सुख-शांित के गुज़ार दए। म


अपने प रजन के साथ दःख
ु म जीवन यतीत करता रहा। म मु ठ म से
िनकलती रे त के समान अपना जीवन खोता जा रहा था।

21 वष क उॆ म मने जाना क केवल ई र ह आनं दत, शांितमय और


अनंत जीवन का ॐोत है । वह हम ऐसी शांित और आनंद दे ता है जो हमार
प रिःथितय पर िनभर नह ं करते बि क ये दःख
ु क क ठन घड़ म और
भी यादा उभर आते ह। वो िनराशा के समय म आ म व ास और आशा
का संचार करता है ।

यीशु मसीह को अपने उ ारकता ूभु के प म जान लेने के बाद मने इस


बात पर गहन वचार कया क स ची शांित तथा आशीष का अनुभव करने
म मुझे इतने वष य लगे।

अपनी सार खोज तथा वचार के बाद मने यह िनंकष िनकाला क ूभु
यीशु को जानने से पहले म परमे र के समीप ह नह ं जाता था और न ह
उसके बारे म कुछ सोचता था। म बस जीवन से या तो संघष करता जा रहा
था या सभी बात को ऐसे लेने लगा था जैसे वे मेर िनयित थी, जैसे कई
लोग कहते थे – मेर कःमत।
जीवन से सा ा कार 34

स ची शांित और खुशी िसफ़ परमे र क ओर से आती ह। इ ह धन,


स प , संबध
ं , यौन सहवास, ूिस इ या द दिनया
ु क अ या य चीज़ म
खोजने के बजाय य द आप परमे र क चाहत कर तो वो आपके जीवन म
सुख-शांित व आन द क भरपूर दे गा।

कसी भी य के िलए, जो सच म परमे र से भट करना चाहता हो, उसे


कुछ ू के उ र खोजने क ज़ रत पड़े गी। संभवतया, पहले कुछ सवाल
‘कौन’ से शु ह गे, जैसे -

म कौन हँू ?

ई र कौन है ?

सृ का रचनाकार कौन है ?

मेरे पाप का याय कौन करे गा?

कौन मुझे मेरे पाप से छुड़ा सकता है ?

दसरे
ु तरह के सवाल म ‘ या’ क ौेणी आती है -

पाप या है ?

मेरे पाप का प रणाम या है ?

म ई र को पाने के िलए या क ँ ?

मेरे जीवन का उ े ँय या है ?

मृ यु के बाद या होता है ?

ःवग और नक या होता है ?

स चाई क खोज के दौरान अगले ू क ौेणी ‘ य ’ वाली होगी-

म य मानता हँू क कोई ई र है ?


35 या आप तैयार ह

मुझे उससे िमलने क इ छा य होती है ?

परमे र ने मुझे और सार मानवजाित को य बनाया?


हम पाप य करते ह?

दिनया
ु म बीमा रयां और दःख
ु य होते ह?

हम मृ यु य आती है ?

आिखर ू क माला ‘कैसे’ वाले सवाल से पूर होती है ।

इस सार सृ का िनमाण कैसे हआ


ु ?

अपने आप से आप ये सवाल
मेर रचना कैसे हई
ु ?
कर और दे ख क आपको या
मेरे पाप कैसे मा हो सकते ह? उ र िमलते ह?

म ई र से कैसे िमल सकता हँू ?

म कैसे आशी षत, शांितमय तथा साथक जीवन जी सकता हँू ?

हम स य क ूाि के िलये इन सारे और शायद कुछ और सवाल के उ र


खोजने क ज़ रत पड़े गी। य द हम ऐसा कर सक तो कुछ कावट तो ःवतः
ह हट जाएँगी। म आपको इन सवाल के हल ढंू ढने के िलए ूे रत करना
चाहता हँू ।

***

यीशु मसीह के बारे म ूथमतया सुनने के तुरंत बाद जो पहला काम मने
कया वो ये था क मने ई र, धम तथा मो के बारे म अपने सारे ान
को जो क ह द ू शा , स तमत, अ बेड़करवाद क क़ताब तथा बौध धम
और राधाःवामी स संग के मंथ को पढ़कर अथवा स संग म जाकर मने
सीखा था, उन सबको मने उपरो ू क कसौट पर कसा और पाया क
ये सभी एक समान बात करते ह परं तु मेरे सारे सवाल का उ र दे ने म
असमथ ह।
जीवन से सा ा कार 36

अपने इन ू के उ र पाने के िलए मने बाइबल को भी पढ़ा। मने पाया


क बाइबल तो शु ह इन ू के उ र के प म होती है । बाइबल का
ूथम अ याय इस बात को खोलकर बताता है क कैसे परमे र ने सृ का
िनमाण कया। बाइबल आगे यह बताती है क कैसे और कस उ े ँय के
साथ परमे र ने ूथम नर और नार (आदम तथा ह वा) क सृ क और
फ़र कैसे उ ह ने परमे र क नज़र म पहला पाप कया और दःख
ु , मृ यु
तथा बीमा रय के ौाप को अपने ऊपर ले िलया। उसके बाद से यह पाप
संतानो प के साथ ह पीढ़ से पीढ़ हरे क इं सान म फैलता चला गया है ।

बाइबल ःप र ित से सभी बात का खुलासा करती है क य हम पाप


करते ह, य हम जीवन म अलग अलग समःयाओं का सामना करते ह।
पाप के कारण ह हमारे जीवन म बीमार , दःख
ु तथा मृ यु को आती है ।

बाइबल ये भी बताती है क परमे र ने मानव क सृ वशेष तर के से इस


उ े ँय के साथ क क वो उसके साथ संगित करे और अपनी ःवतंऽ इ छा
से उससे यार करे , यह कारण है क य िसफ़ मनुंय ह ई र को पाने
क इ छा रखता है परं तु जानवर नह ं और यह ह इस बात का भी कारण है
क य मानव ई र को पाने के िलए अलग अलग धम के प म नए नए
तर के इज़ाद करता है ।

बाइबल हम परमे र के ःवभाव तथा हमारे ूित उसक योजनाओं का भी


उ लेख करती है । बाइबल म मेरे सभी ू का सुःप जवाब िमला। और
गौरतलब बात ये है क बाइबल का अनुवाद व क बहत
ु सी भाषाओं म
ु सी ःथानीय भाषाओं म हो चुका है । आप इस पुःतक
तथा भारत क बहत
म िलखी बात को परमे र के वचन से जांच सकते ह। आप आज ह
बाइबल क एक ूित लेकर ऊपर बताये सभी सवाल के उ र पा सकते ह।
यह एक अनोखी पुःतक है जो जीवन दे ती है । जब हम परमे र क आवाज़
सुनना चाहते ह तो यह हमसे जीवंत प म बात करती है ।

बाइबल परमे र का जी वत वचन है जो क प वऽ आ मा क ूेरणा से


िलखा गया। यह अपने आप म एक पूरा पुःतकालय है जो क ऐसी 66
क़ताब का संकलन है जो क 40 अलग अलग लेखक के ारा, जो क
अलग अलग य व के ःवामी थे तथा जीवन ेऽ से संबंध रखते थे
37 या आप तैयार ह

(जैसे कोई गड रया, कोई राजा, कोई वै और कोई चुग


ं ी लेने वाला और
कोई मछुआरा), तथा जो क 1500 वष के समयकाल म 3 अलग अलग
महा प (अ६ का, एिशया और युरोप) म 3 अलग अलग भाषाओं म
ु भी सभी क़ताब परमे र के
िलखी ग । इतने व वध कारक के होते हए
ूेम के एक ह वषय के बारे म बात करती ह और िजनम कसी ूकार का
वरोधाभास नह ं ह।

या ये आ यच कत करने वाली बात नह ं है ?

ये सभी त य इस बात को सा बत करने के िलए काफ़ ह क बाइबल


परमे र ारा रिचत मंथ है । य द आप इस बात पर व ास नह ं करते तो
म आपको एक नॆ चुनौती दे ता हँू क आप इस दिनया
ु के कसी भी
पुःतकालय से ऐसी 66 क़ताब को ढंू ढ जो 40 लेखक के ारा (जो क
विभ न ौेणी के लोग ह ) 3 विभ न महा प म 1500 वष के समयकाल
म िलखी गई ह जो क एक ह वषयवःतु का ववरण हो और उनम आपस
म कसी भी तरह का कोई वरोधाभास न हो। म समझता हँू क आप इस
चुनौती को पूरा नह ं कर पाएँगे।

ई र के मेरे अनुभव के िनचोड़ म म आपसे िसफ़ एक ह बात कह सकता


हँू – हम परमे र को अपनी सीिमत बु से जान नह ं सकते, तौभी
परमे र के िलए ऐसी कोई बाधा नह ं िजसे पारकर वह हम ढंू ढ ना सके या
अपने आप को हम पर ूकट ना कर सके। इसीिलए ूभु यीशु मसीह इस
दिनया
ु म इं सान बनकर आए। वह कोई परदे सी नह ं है बि क हमारा
सृ कता परमे र है िजसे पाने क आकां ा और ूाथना हम जीवनभर
करते रहे ह। हालां क हम उसे समझ नह ं सकते परं तु व ास के ारा
उसका अनुभव ज़ र कर सकते ह।

म आपको पाप क मा तथा अनंत जीवन क आशा पाने के िलए दो


तर के बता सकता हँू । पहला ये क आप व ास कर क यीशु मसीह
परमे र के पुऽ ह जो आपके य गत पाप क मा कराने तथा ःवग के
ार आपके िलए खोलने के िलए मानव प म आए। यह व ास करने के
बाद आप उनको अपना उ ारकता ःवीकार कर और उ ह अपने जीवन का
स पूण अिधकार दे द। अ यथा दसरा
ू तर का यह है क इस वषय म आप
जीवन से सा ा कार 38

पूर खोज कर और सारे िनंकष िनकालने के बाद जब आप पाएँ क यीशु


मसीह ह स चा परमे र है (जो क मेरा व ास है क ऐसा ह होगा) जो
आपसे ूेम करता है और जो आपके पाप को मा कर सकता है तो फ़र
उसपर व ास कर और ूाथना के ारा उसे अपने जीवन का ःवामी बनाएँ।

मेरे वचार म, य द आप पूरा व ास कर सकते ह तो पहला तर का अ छा


है अ यथा आप दसरे
ू तर के पर वचार कर।

***

मेरे य गत जीवन म, म परमे र को पाने क अथवा उसे ढंू ढने क कोई


इ छा नह ं रखता था, फ़र भी अपने असीम ूेम के कारण परमे र ने
मुझसे भट क तथा मुझे स चाई का माग दखाया ता क म आशी षत तथा
साथक जीवन जी सकूँ।

मेरा ज म ह द ू प रवार म हआ
ु था। हम लोग इस धम क पालना
मूितपूजा के ारा नह ं करते थे, बि क हम मौन साधना तथा स संग प ित
म व ास करते थे। जैसा हम िसखाया गया था उसके अलावा हम ई र के
बारे म कसी भी और तर के से नह ं सोचना जानते थे।

सामा यतया हम अपने धम का चुनाव नह ं करते ह बि क यह हमारे ज म


के साथ ह तय हो जाता है क हमारा धम या होगा ठ क उसी ूकार जैसे
ज म के साथ ह हमारा िलंग भी तय हो जाता है । हम इनम से कसी को
भी बदलने क ज़ रत नह ं है , हालां क कुछ लोग ऐसा करते ह। हम
ःवाभा वक तौर पर ह अपने अपने धम का पालन करने लगते ह और इसी
कारण कई बार हम अपने आप को उसी धम वशेष क सीमाओं म ऐसे बांध
लेते ह क स चाई क खोज करने तथा उसे ःवीकार करने म हम असु वधा
होती है , खासतौर पर तब, जब स य हम कसी और ह धममंथ और
व ास क ओर संकेत करता है ।

मने धम-प रवतन नह ं कया, और न ह धम ने मेरा जीवन प रवतन


कया; इसिलए म कसी धम म व ास नह ं करता और इसीिलए कसी भी
धम क पैरवी नह ं क ँ गा। म समझता हँू क धम हम अपने र ित रवाज म
बांधता है जब क परमे र हम ःवतंऽता दे ता है । बाइबल के अनुसार उसने
39 या आप तैयार ह

हम यहां तक ःवतंऽता द क हम ःवयं इस बात का चुनाव कर क हम


उससे ूेम करना चाहते ह या उसका ितरःकार। म आपको आ ःत करना
चाहता हँू क म धम के वषय म बात नह ं क ँ गा न ह कसी बात को
मानने के िलए आपको बा य क ँ गा इसिलए आप बना कसी संकोच के
इस पुःतक को पढ़ सकते ह।

हाँ, म बीच बीच म आपको आ ममंथन के िलए उ सा हत ज़ र करता


रहँू गा। म आपसे नॆ िनवेदन करता हँू क आप भी अपने पूवामह को
छोड़कर परमे र को नये तर के से दे खने का ूयास कर।

चाहे आप कसी भी स ूदाय के मानने वाले य न ह , रोमन कैथोिलक,


मुिःलम, हं द,ू ईसाई (िजसने नये ज म का अनुभव नह ं कया), अथवा
कसी भी और मत को मानने वाले, स चाई ये है क ई र ने कसी धम
का ूितपादन नह ं कया इसिलए धम के वषय म सोचना अथवा ववाद
करना यथ है । मेरे वचार म परमे र को तथा अनंत जीवन को पाना तभी
संभव है जब क हम उसके साथ एक ूेम संबध
ं ःथा पत कर। हम सभी
हाड़-मांस के इं सान है और सांसा रक प से शर र म ज मे ह, पर तु
परमे र के साथ संबध
ं बनाने और उसम जीवन यतीत करने के िलए हम
आि मक ज म लेना आवँयक है । परमे र आ मा है और हम उससे
आि मक तौर पर ह स बंध रख सकते ह।

म म यमवग य प रवार म पैदा हआ


ु और पला बढ़ा। मने वो सब कुछ
कया जो अपनी बढ़ती उॆ म शायद हरे क लड़का करता है । मने गलितयां
भी क और अपनी समझ म अ छे काम भी कये। अपने जीवन म मने
खुशी के ण भी दे खे और दःख
ु क घ ड़यां भी बता । जीवन िनरं तर
अपनी गित से एकसमान चलता जा रहा था जब तक क य़ीशु मसीह से
मेरा सा ा कार नह ं हआ
ु जो क ःवयं हमारे जीवन के लेख का लेखक है ।
जी वत परमे र को जान लेने से मेरा जीवन समूल प रवितत हो गया।
ु एक बेट के
उसने अपनी चुनी हई ारा अपने आप को मुझ पर ूकािशत
कया।

कई बार हम ऐसा सोचते ह क हम ई र क खोज करते ह पर तु स चाई


इसके वपर त है । परमे र हमसे यार करता है और उसका यह ूेम हम
जीवन से सा ा कार 40

पर इसी र ित से ूकट हआ
ु है क जब हम पाप ह म थे तभी मसीह हमारे
खाितर मानव प म आया ता क हम हमारे पाप से छुटकारा दलाए तथा
परमे र के साथ, जो क हमार जड़ है और िजसके बना हम सूखते जा रहे
ह, हमारा मेल कराये। उसने हमारे जैसा साधारण पर तु पापर हत जीवन
जीया, हमारे िलए कांट और कोड़ क मार को सह िलया, हमारे पाप क
क मत चुकाने के िलए बूस पर अपने ूाण याग दए तथा तीसरे दन जी
उठकर 40 दन तक अपने चेल के साथ रहा और फ़र जी वत ःवग म
उठा िलया गया। अब वो पता परमे र के दा हनी ओर बैठा है और हमारे
िनिम वकालत करता है । मने इस संदेश पर व ास कया है और अपने
पाप से प ाताप कर यीशु को अपना मो दाता महण कया है । इसिलए मेरे
पास अनंत जीवन है तथा परमे र म संपण
ू ् आशा है ।

म एक छोट सी कहानी आपको बताना चाहता हँू । एक िग ने बहत


ु ऊँचाई
पर उड़ते हए
ु एक लाश दे खी जो पानी म बहती चली जा रह थी। उसने
तुरंत नीचे गोता लगाकर उस लाश पर अपने पंजे टका दये। वह उसम से
नोच-नोचकर माँस खाने लगा। थोड़ दे र म उसने दे खा क पानी क धारा
िजसम बहते लोथ पर वो बैठा था एक झरने क तरह नीचे िगरने पर थी।
उसने सोचा क यह तो अभी दरू है और माँस खाने म यःत रहा। ऐसा कर
समय गुजारते हए
ु यकायक िगरने का ःथान बलकुल पास आ गया और
िग ने सोचा क अब समय है , परं तु जैसे ह उसने उड़ने क कोिशश क ,
उसके पंजे के तेज नाखून लाश (बाल म) म अटक गये और तेजी से िगरते
झरने म लोथ के साथ ह वो भी िगर गया और मर गया। समय रहते य द
उसने बु मानी से िनणय लेते हये
ु लालच छोड़कर उड़ने का िनणय ले िलया
होता तो वो अपने आपको भयानक प रणाम से बचा सकता था।

या आप परमे र से आशीष पाने के िलए तैयार ह या अभी आप सह


समय का इं तज़ार कर रहे ह? या आपने परमे र को य गत प से
जानने कॆ तैयार कया है ? म ूाथना करता हँू क समय रहते आप परमे र
पर व ास कर और मो पाय।
ikfjokfjd i`"BHkwfe
4
दादाजी और उनका व ास

मेरा ज म 17 फरवर 1977 को भारत के राजःथान ूदे श के जयपुर िजले


म हं द ू प रवार म हआ
ु था। मेरे दादाजी रे ल वभाग म सेवारत थे। दाद जी
के खराब ःवाः य के कारण उ ह ने चालक पद से सफ़ाई िनर क के तौर
पर तबादला ले िलया। दादाजी को ब चे ‘अंमेज बाबा’ के नाम से पुकारते
थे।अपने बचपन म हम जब भी गाँव जाते तो हम बड़ा यार और आदर
िमलता था।

दादाजी राधाःवामी स संगी थे और संतमत के मानने वाले थे। उनके साथ


ह साथ, पूरे तौर पर न सह , परं तु आंिशक प से तो हम सभी इसी मत
के अवल बी थे।

संतमत का शाि दक अथ होता है – संत का मत। संत का एक सामा य


अथ माना जाता है – ‘एक अ छा य ’ परं तु ऐितहािसक तौर पर इस
श द का इःतेमाल म य सामियक भारत के क व गु ओं के स बंध म
कया जाता है ।

तेरहवीं शता द से लेकर आगे समय समय पर उ र तथा म य भारत म


संत क व आ या म क नई नई िश ाएँ लेकर आते रहे । विभ न संत क व
जैसे कबीर, मीराबाई, नामदे व, तुकाराम आ द ने ह द ू धम म ूचिलत
जाितूथा के वरोध म आम बोलचाल क भाषा म तथा लोकभाषाओं म
विभ न रचनाएँ क । आमतौर पर सभी संत क वय क िश ा, ई र क
खोज अपने ह अंदर भ के ारा करने क रह है ।

यूं तो म ई र के हमारे अंदर होने क बात क बाइबल क से ववेचना


करने क इ छा रखता हँू पर म अपनी वषयवःतु से दरू नह ं जाना चाहता
और इसिलए िसफ़ इतना कहँू गा क बाइबल के अनुसार ई र हमारे अंदर
जीवन से सा ा कार 42

नह ं रहता। वह यह चाहता है क हम अपने पाप से मन फराकर उसको


अपना ूभु अंगीकार कर और उसे अपने जीवन म आमं ऽत कर। हमारे ऐसा
करने पर वो हमारे शर र पी मि दर म रहने लगता है ।

राधाःवामी स संिगय को साि वक जीवन जीने क सलाह द जाती है


िजसम मांस तथा म दरा का सेवन और मूितपूजा ूितबंिधत है । स संगी को
नाम के भजन क कमाई (साधना) करने क िश ा द जाती है िजसके ारा
वे अपने मो क ओर अमसर हो सक। सामा यतया ये साधना घर म ह
शा त वातावरण म क जाती है । इसम हर दन 2.5 घ टे क साधना को
अ छा माना जाता है ।

इस मत म ऐसा िसखाया जाता है क गु मो क मूल कड़ ह तथा उनके


सािन य म ह चेले साधना के ारा ई र का अनुभव कर सकते ह। इतनी
सार िश ाओं को सीखने तथा मेहनत करने के बाद भी उ ार का ःप
आ ासन कोई नह ं दे ता तथा सब गु महाराज क कृ पा पर िनभर करता
है ।

उनक क़ताब म बाइबल क आयत का उ लेख भी िमलता है । बाइबल के


वचन के ऐसे इःतेमाल से म सहमत नह ं हँू य क वे उसे उसके असली
संदभ से बाहर लाकर उसका ूयोग करते ह जो क तक-स मत नह ं है और
ठ क भी नह ं। वे अलग अलग धमशा के अंश अपनी वचारधारा के ूसार
के िलए उपयोग तो करते ह पर इस िमिौत ान के कारण वे उन सारे
ू के उ र दे ने म असमथ ह जो मने पछले अ याय म िलखे ह।

कुल िमलाकर ये पंथ भी और धम क भांित कम के ारा उ ार कमाने क


िश ा दे ता है जो क मेर समझ म नामुम कन है । कम से कम आज तक
मुझे एक भी य नह ं िमला िजसने अपनी सभी इं िय पर िनयंऽण कर
िलया हो तथा िजसे उ ार का पूरा आ ासन हो जैसा क मुझे यीशु मसीह
म है । नैितक जीवन जीने के िलये उनक िश ाएँ अ छ तो ह परं तु उ ार
कराने क सामथ नह ं रखती जो क िसफ़ परमे र के ारा संभव है ।

***
43 पा रवा रक पृ भूिम

मेरा व ास

म सोचता था क या तो अपनी समझ क कमी के कारण दादाजी जो क


पछले 40 वष से राधाःवामी व ास म थे, मेर िज ासाओं को पूरा नह ं
कर पाए। बाद म अपनी खोज म मने पाया क उनके पास असल म स य
क पूर जानकार ह नह ं थी य क उनके पास स चा परमे र नह ं था।
उनका राधाःवामी व ास हमारे प रवार म कोई बड़ आि मक उ नित नह ं
लेकर आया। पापा बचपन म कुछ इतवार को हम स संग म लेकर जाया
करते थे। बाद म हमारा स संग म जाना बंद हो गया य क वो इस मत
क शराब ना पीने क मूल शत को ह पूरा नह ं कर पा रहे थे। अ ततः हम
इस व ास म मज़बूत नह ं हए।

इस मत के व ासी होने का ूभाव ये हआ


ु क हमारे घर म मूितपूजा नह ं
होती थी। म यदा कदा अपने दोःत के साथ मं दर चला जाता था।

इन सब बात का दंूभाव
ु ये हआ
ु क म ई र के बारे म लापरवाह हो
गया था। भजन और साधना वैसे भी मेरे िलए बहत
ु मुिँकल थी और
मूितय म मेरा व ास था ह नह ं। सो कुल िमलाकर परमे र के वषय म
बेपरवाह हो गया जैसे क कोई ई र हो ह नह ं। म व ासह न और
ई रर हत इं सान बन गया था।

दादाजी राधाःवामी स संग म तब तक जाते रहे थे जब तक क यीशु मसीह


ने उनके जीवन के आिखर साल म उनको छू नह ं िलया। हमारे संपूण
घराने म यादातर लोग जो राधाःवामी स संग म व ास करते ह और
सबका जो झुकाव आ या म क तरफ़ है , उसका ौेय म फर भी दादाजी को
ह दे ना चाहता हँू ।

हमारे मूितपूजक नह ं होने का एक सकारा मक ूभाव यह हआ


ु क हमारा
पालन पोषण काफ़ खुले वचार के साथ हआ
ु और इसिलए हम कसी भी
वचारधारा या व ास को जानने, उसपर वचार करने तथा य द हम चाह
तो उसका पालन करने के िलए ःवतंऽ थे। म जो ई र म व ास नह ं
करता था यह ज़ र मानता था क अगर कोई ई र है तो भी हम उसे
अपने हाथ से नह ं बना सकते।
जीवन से सा ा कार 44

मने इसे सकारा मक इसिलए कहा है य क बाद म बाइबल से मने सीखा


क जी वत परमे र मूितपूजा से ूस न नह ं होता बि क नाराज होता है ।
बाइबल बताती है क हम उस अनदे खे परमे र क अन र म हमा को
अपनी क पनाओं के ारा न र चीज म प रवितत करने क कोिशश करते
ह, जो क ठ क नह ं है ।

न जाने य आमतौर पर तो हम कसी य के दे ह छोड़ दे ने के बाद ह


उसक तःवीर अथवा मूित पर मा यापण करते ह पर अपनी ौ ा से
अिभभूत होकर ई र क मूित अथवा तःवीर पर माला तथा फ़ूल चढ़ाते ह।
या परमे र जी वत नह ं है ?

बाइबल कहती है :

“तुम मूरत क ओर न फरना, और दे वताओं क ूितमाएँ ढालकर न


बना लेना;म तु हारा परमे र यहोवा हँू ।”
[लै य यवःथा 19:4]

“तुम अपने िलये मूरत न बनाना, और न कोई खुद हई


ु मूित या लाट
अपने िलये खड़ करना, और न अपने दे श म द डवत ् करने के िलये
न काशीदार प थर ःथा पत करना; य क म तु हारा परमे र यहोवा हँू ।”

[लै य यवःथा 26:1]

जब म अ व ासी था तब भी यह बात अपने गले नह ं उतार पाता था क


हम कैसे अपने सृ कता का िनमाण कर सकते ह, और अब जब म ई र
म पूर आःथा रखता हँू तो भी ऐसा ह है । कुछ लोग कहते ह क उ ह
व ास करने के िलए कसी मूित या तःवीर को दे खने क ज रत पड़ती है ।
वो लोग जो ऐसा कहते ह वे बताएँ क हवा के अिःत व म व ास करने
से पहले या उ ह ने हवा का िचऽ दे खा था। बजली के अिःत व का पता
हम उसक तःवीर दे खकर चलता है या तब जब बजली के ूभाव से पंखा
चलता है ? जब हम दिनयावी
ु चीज म बना दे खे व ास कर लेते ह तो
परमे र पर व ास करने के िलए हम कसी वःतु क या ज़ रत है ?

***
45 पा रवा रक पृ भूिम

पापा

पापा हम अपने बचपन क कई बात बताया करते थे। उ ह ने बताया क


उनके कुछ ईसाई िमऽ भी बन गए थे िजनके के साथ उ ह ने शराब पीना
भी सीखा था। मुझे यह बताने का मौका कभी नह ं िमला क ईसाई प रवार
म ह पैदा हो जाने से कोई य मसीह नह ं हो जाता अ पतु अपने
पापमय ःवभाव को बूिसत कर मसीह म नया ज म लेने पर ह कोई य
असली मसीह संतान हो सकता है ।

जहाँ तक मुझे याद पड़ता है , पापा ने कुछ दोःत के साथ बीयर पीने से
शराब पीने क शु आत क थी। फ़र जैसे जैसे नशे क आदत और ज़ रत
बढ़ती गई, बीयर पीछे छूट गई और शराब हावी होती चली गई। हालां क
उ ह ने अ छा जीवन जीने क भरपूर कोिशश क परं तु कुछ हद तक ह
सफ़ल हो सके। इससे मुझे यह यक न हो गया क अपने ूयास से अ छा
जीवन जीना द ु र है ।

पापा ने हम बताया क उ होन अपने जीवन म कभी बुरे तो कभी अ छे


समय दे खे। उ ह ने बहत
ु सी ऐसी बात बता जो उन पर गुज़र थीं – जैसे
उ ह ने रे वे ःटे शन पर सामान बेचा और अपनी पढ़ाई का खच उठाने के
िलए यूशन पढ़ाया। उनक माताजी (हमार दाद जी) हमशा बहत
ु बीमार
रहती थीं इसिलए बचपन से उ ह ने बहत
ु दःख
ु भी उठाए। बहत
ु सी बात
ऐसी थीं िजनके कारण उनका मन कड़वा हो गया था िजसके फ़लःव प
उनका ःवभाव काफ़ कड़क और गुःसैल हो गया था, और शायद इसी
कारण वो कसी क सुनते भी नह ं थे।

पापा धािमक ःवभाव के य नह ं थे, कम से कम म तो ऐसा ह


समझता हँू ; परं तु वो सामािजक कुर ितय के उ मूलन म बढ़ चढ़कर भाग
लेते थे तथा पछड़ जाितय के उ थान के िलए अथक ूयास करते रहते
थे।
जीवन से सा ा कार 46

उ ह ने हम ब च के िलए काफ़ बड़े बड़े लआय िलए और बहत


ु हद तक
उनको पूरा भी कया। मेर उ च िश ा उसी का एक प रणाम है । वो मेरे
िलए कई मायने म ूेरणाॐोत रहे ह। उ ह ने मुझे हमशा ऊँचा लआय रखने
तथा उसे पाने के िलए िनरं तर कायशील रहने के िलए उ सा हत कया।

पापा ने अपनी पहली नौकर भारतीय सेना के अिभयां ऽक वभाग


(िमिलटर इं जीिनय रं ग स वसेज) म क थी। बाद म वो भारतीय ःटे ट बक
म आ गए तथा जीवनपयत उसी म सेवारत रहे । वो कमचार संगठन के
नेता भी थे और अपने ओजःवी भाषण से, नेत ृ व के ःवाभा वक गुण के
कारण लोग के मन म जगह बनाने म स म रहे थे।

***

म मी और भाई-ब हन

मेर म मी एक सरल औरत ह। वो हमशा से म हणी ह रह ह और कम से


कम पैसे म घर चलाने क उनक द ता दे खते ह बनती है । मने हमशा
उनको घर क ज़ रत के िलए अपनी इ छाओं को दबाते दे खा है । वो हमसे
इतना यार करती ह क हमारे खाितर उ ह ने सार शार रक व मानिसक
ूताड़नाओं को भी सह िलया ता क हमारे उ जवल भ वंय से कसी ूकार
का समझौता न हो।

मने हमशा से उनको धािमक ूवृित का ह पाया है । पहले वो बड़ आःथा


से राधाःवामी साधना म लगी रहती थीं। अपने जीवन क परे शािनय का
हल ढंू ढने के िलए ऐसी श को ढंू ढती थी जो उनक परे शािनय से उ ह
िनज़ात दला सके। उनको स ची शांित िसफ़ ूभु यीशु को अपना उ ारकता
मान लेने के बाद ह िमली।

मेरे एक भाई और एक बहन भी है । भाई का नाम पंकज है तथा बहन का


नाम हे मा है । और कुछ हो न हो, हम तीन म एक बात काफ़ ल बे समय
तक एकसमान रह है (कम से कम यीशु मसीह को अपना ूभु मान लेने
तक) – क हम तीन ह का गुःसे पर काबू नह ं था। ूभु म व ास कर
47 पा रवा रक पृ भूिम

लेने के बाद से हमारे व ास के अनुसार हमारे यवहार म प रवतन आ


गया है ।

हम तीन म से कोई भी पढ़ने म बहत


ु होिशयार तो नह ं ह रहे फ़र भी
ु अ छे प रणाम दखाए थे। बचपन म,
हे मा और पंकज ने बचपन से बहत
हे मा जयपुर के सबसे ूित त व ालय म से एक, जयपुर क MGD
पि लक ःकूल म पढ़ती थी जो क पापा के अथक ूयास का एक प रणाम
था, तथा पंकज को भी पलानी के ूित त व ालय, बड़ला पि लक ःकूल
म ूवेश िमल गया था पर तु कसी नेता क कसी दसरे
ू व ाथ क
िसफ़ा रश के कारण उसका एडिमशन र कर दया गया। जैसे भी हो,
मुिँकल प रिःथितय से जूझते हए
ु सभी ने अ छा मुकाम हाँिसल कर ह
िलया है और ूभु से ूेम करते हए
ु अपने अपने तर के से जीवन बसर कर
रहे ह।

आज म जानता हँू क वे सब कसी ना कसी प म मेरे िलए आशीष का


मूल रहे ह और सभी ने मुझे कुछ न कुछ ूेरणा द है ।

***

प रवार म मुसीबत

पापा हमसे बहत


ु यार करते थे। वो हम अ छा िखलाने- पलाने म तथा
बेहतर न कपड़े पहनाने म िच रखते थे। मेरे दसवीं क ा म आने तक मेरे
कपड़े पापा ह िसलते थे। म आज तक यह समझ नह ं पाता हँू क इतना
यार करने वाले हमारे पता बाद म कैसे हमसे इतना दरू होते चले गए क
हमारे यार को और उनके यार क हमार ज़ रत को समझ ह नह ं सके।

वो शराब के वषय म कसी के सुझाव को नह ं सुनते थे। धीरे धीरे वो पूर


तरह से शराब के चंगल
ु म फ़ँसते चले गए और सभी से अपने स बंध
खराब कर बैठे। उनके परम िमऽ, परमार अंकल, तँवर अंकल, खान अंकल,
सब उनको समझाकर थक चुके थे।

हर शाम को पापा शराब के नशे म धु लौटते थे और घर म घुसने के साथ


ह मारपीट शु कर दे ते थे। उनको गुःसा होने के िलए कसी सह कारण
जीवन से सा ा कार 48

क ज़ रत नह ं होती थी। बाद म वो समय भी आ गया जब वो सबके


सामने म मी और हम सब ब च को पीटने लगे। हम उनक इस आदत से
बहत
ु शिमदा होते थे पर कोई राःता भी नह ं था, वो इस आदत के िखलाफ़
कुछ भी सुनने को ह तैयार नह ं थे। सन 1990 और उसके बाद, रात-ब-रात
हम अपना घर छोड़कर कसी पड़ोसी के घर शरण लेना एक आम बात हो
गई थी।

हर शाम को हमारा दल बैठने लगता था। हम मनाते रहते थे क शायद


आज पापा शराब पीकर ना आएँ पर हमार दल क इ छा शायद ह कभी
पूर होती हो। हर रात आराम से िनकालना हमारे िलए एक चुनौती होता
था। हम लोग शार रक और मानिसक तौर पर ूता ड़त हो रहे थे, म मी
इस सब म सबसे यादा पसती थीं।

इस रोज के चलन से हम बहत


ु दःखी
ु हो चुके थे और इसका ूभाव हमार
पढ़ाई पर भी पड़ने लगा। पाप हमशा हम पढ़ते दे खना चाहते थे, और हम
िसफ़ उनको दखाने के िलए क़ताब िलए बैठे रहते थे। शाम को पढ़ाई म
हमारा मन नह ं लगता था। म दसवीं क ा म दसर
ू ौेणी से पास हआ
ु ,
11वीं म एक वषय म फ़ेल हआ
ु और 12वीं म पूर तरह फ़ेल हो गया।

एक ःथाई वैचा रक ं द हमारे प रवार म पैदा हो गया था। जब भी म पापा


को शराब पीना बंद करने के िलए बोलता था, वो कहते, “म इसिलए पीता हँू
य क तुम अ छे प रणाम नह ं लाते।” और म कहता, “म अ छे प रणाम
नह ं ला सकता य क मुझे पढ़ने के िलए अ छा वातावरण नह ं
िमलता...।” यीशु मसीह म उ ार पाने के बाद ःवयं पापा ने ह ये गवाह
द क शायद उ होन कुछ लाख पय क शराब तो पी ह डाली होगी।

हम अपने पापा से ह डरने लगे थे, और हमारे पास कोई आशा नह ं थी।
हमारे और उनके बीच म एक दरार आ रह थी जो बढ़ती ह जा रह थी।
आज म इस बात को समझता हँू और जानता भी हँू क शैतान हमारे
प रवार का नाश करने क कोिशश कर रहा था ता क हम ई र से दरू बने
रह और स ची खुशी से वंिचत रह। ूभु यीशु ने इस बारे म चेताते हए
ु कहा
है क शैतान तो एक झूठा है जो लूटने, घात करने और नाश करने के िलए
ह आता है । वो काफ़ हद तक इस म सफल भी हो गया था।
49 पा रवा रक पृ भूिम

शराब मानवजाित पर एक बहत


ु बड़ा ौाप है और यह बहत
ु से प रवार को
तोड़ रह है । परमे र क रचना को नाश करने के िलए शैतान के सबसे
खतरनाक हिथयार म से यह एक है । ये िसफ़ हमारे प रवार क कथा नह ं
है बि क शायद आपके प रवार, या रँतेदार या पड़ोस म भी ऐसा ह कुछ
घट रहा हो। आप उ ह न िसफ़ सां वना दे सकते ह बि क परमे र म
आशा भी दे सकते ह।

जब म पीछे मुड़कर दे खता हँू तो पाता हँू क हमारे प रवार पर एक ौाप था



जो क अभी टटना था, पर हम पता नह ं था – कैसे...।

***

बा यकाल से जवानी तक का सफ़र

मेरे बचपन म जब भी कभी मुझे ःकूल पहंु चने म दे र होने लगती थी तो


मार पड़ने के डर से म अपने राधाःवामी गु जी को याद कर ूाथना करने
लगता था क वो मुझे सज़ा से बचा ल। म उनसे अपने पापा क शराब क
आदत छुड़ाने के िलए भी ूाथना करता था। मेर लगभग सभी ूाथनाएँ
अनु र चली जाती थीं।

मने अपने मन म यह ठान िलया क कोई ई र है ह नह ं। जैसे जैसे म


उॆ म बढ़ता गया, ई र से और दरू होता चला गया। मेरे िलए संकट म
कोई सहायता नह ं थी, क ठन प रिःथितय म कोई आशा नह ं थी। ऊपर से
सब रँतेदार मुझे कहते थे क म पापा को कुछ समझाता नह ं – जो क
जले पर नमक का काम करता था। म अपनी पूर कोिशश कर रहा था पर
हमशा असफ़ल हो जाता था। कोई हमारा दःख
ु नह ं समझता था।

म अपने य गत जीवन के बारे म बात क ँ तो म यह कहँू गा क म


अपने प रवार से, खासतौर पर अपनी म मी से और अपने भाई-बहन से म
बहत
ु यार करता था। फ़र भी हे मा और पंकज को बहत
ु सताता भी था। म
बलकुल भी दयालु ःवभाव का य नह ं था और अपने ःवाथ के िलए
उनको परे शानी म भी डाल दे ता था।
जीवन से सा ा कार 50

इस बारे म मुझे एक कःसा याद है जब मने पंकज को पतंग लाने के िलए


वो पैसे दये जो मने रसोई से उठा िलए थे जहाँ म मी अकःमात ज रत
के िलए खुले पैसे रख दे ती थी। जब म मी ने उसे पतंग िलए आते दे खा तो
वो आगबबूला हो ग और पूछने लगी क उसे वो पैसे कहाँ से िमले। जवाब
ना िमलने पर म मी ने उसे बहत
ु पीटा। म वह ं था पर मने अपनी गलती
ु भी सच बोलकर उसे पटने से नह ं बचाया और अपने खाितर उसे
होते हए
परे शानी म डाल दया।

दसरा
ू कःसा तब का है जब म 8वीं क ा म था और पंकज शायद तीसर
या चौथी क ा म रहा होगा। हम लोग गूजर क थड़ नाम क जगह पर
रहते थे। मालवीय नगर िःथत हमारे ःकूल से घर तक क कुल दरू कर ब
8-10 कलोमीटर होगी। यातायात के सुलभ साधन न होने के कारण सुबह
तो पापा हम छोड़ दे ते थे पर वापस आते समय कई बार हम पैदल ह आ
जाते थे। उसके पीछे मेरा दसरा
ू उ े ँय अपने जेबखच के िलए पैसे बचाना
भी होता था।

इस सड़क पर भार वाहन (शक) क आवाजाह बहत


ु रहती थी। पैदल चलते
समय म पंकज का पूरा उयाल रखता था और उसे का पिनक फ़ मी
कहािनयां भी सुनाता था ता क उसे दरू का भान न हो।

पर तु म एक बात म बहत
ु द ु ता दखाता था। पैदल चलते समय जब म
थकने लगता था तो तेज़ चलकर म थोड़ा आगे जाकर बैठ जाया करता था
और जब वो मुझतक पहँु चकर बैठने क कोिशश करता तो म घर पहंु चने म
दे र होने के डर से उसे चलते रहने के िलए बा य करता था। इस बात को
सोचकर म आज बहत
ु आ चच कत होता हँू क म ऐसा य कया करता
था, यक नन ऐसी द ु ता करने से मुझे कभी कोई लाभ नह ं हआ
ु था।

म अपने बड़े होने का नाजायज़ फ़ायदा उठाता था और अपने भाई-बहन से


लड़ता था। एयादातर तो म ह उ ह पीटा करता था। खासतौर पर हे मा
अपने अ ड़यल ःवभाव के कारण कुछ यादा ह पटती थी। मेर बुर
आदत के कारण वे दोन मुझे पसंद नह ं कया करते थे। म समझ नह ं
पाता था क वो ऐसा य करते थे य क म मन से तो उनसे बहत
ु यार
करता था। म यह समझ ह नह ं सका क मुझे अ तमन से ह नह ं अ पतु
51 पा रवा रक पृ भूिम

बाहर भी ूेम दखाने क ज़ रत है य क वे मेरे मन म नह ं झांक सकते


थे।
***
अपनी कशोरावःथा म म बहत
ु दबाया गया, इसिलए आबोश मेरे अंदर
जमा होता चला गया और जवान होने पर म इसे कह ं न कह ं िनकालना
चाहता था। इसिलए म लड़ाई झगड़ म पड़ने लगा। म पढ़ाई म असफ़ल
था, बगड़ा हआ
ु ब चा था, गंदा भाई था, प रवार पर बोझ था। हर तरफ़ से
हार, असफ़लता और दख
ु ने मेरा दामन थाम रखा था।

इसके अलावा सबसे आिखर म अगर म कुछ िलखना चाहंू तो वो मेरा च रऽ


है । शायद कुछ काम के वषय म तो लोग जानते भी ह जो मने अपने
जीवन म कये परं तु उनसे अलग ऐसे काम भी थे जो िसफ़ म या मेरा
ई र जानता है । बहत
ु से पाप तो मने बस क पना म कए थे। बाइबल
पढ़ने के बाद मुझे पता चला क परमे र हम हमारे वचार म कए गए
पाप के िलए भी उ रदाई ठहराता है य क वो हमारे मिःतंक से गुजरने
वाले हर वचार को भी जांचने वाला परमे र है । वासनामयी वचार पर
मंथन करना, गंद फ़ म दे खना, लड़ कय पर फ़करे कसना, सःता
सा ह य पढ़ना आ द मेरे कशोरावःथा से जवानी तक के वे पाप थे िज ह
बहत
ु कम लोग जानते ह।

ये बड़े दःख
ु क बात है क शार रक संबध
ं से जुड़े पाप जवान लोग पर
अपना िशकंजा जकड़ लेते ह क चाह कर भी वे इसम से अपनी साम य से
तो बाहर नह ं ह आ पाते ह।

ऐसे पाप करते समय मेरा मु य बहाना ये होता था क सभी ऐसा करते ह
तो इसम कौन सी बड़ बात है । शायद कई लोग इन बंधन म बंधे ह पर तु
इसका अंगीकार करने क ह मत उनम नह ं है । िसफ वे लोग जो प वऽ
आ मा के ारा ूे रत कए जाते ह वे उसका अंगीकार तो करते ह ह साथ
ह साथ मा मांगकर आगे का जीवन ूभु के साथ चलाते ह।
ijes'oj Lks feyu
5
परमे र का मेरे जीवन को तैयार करना

ःकूल क पढ़ाई के बाद, 1995 म म कॉलेज गया। कॉलेज क पढ़ाई के


पहले साल म मुझे 55% अंक िमले। तीय वष म मने कॉलेज के चुनाव
म नामांकन पऽ भरा, चुनाव लड़ा और हार गया। इस वष म मेरे 45% अंक
ह आए। म अंधकारमय भ वंय क ओर अमसर था।

कॉलेज के दन म छाऽावास (हॉःटल) म रहने वाले छाऽ बस म कराया


नह ं दे ते थे। हालां क म हॉःटल म नह ं रहता था पर तु फ़र भी उनके
नाम से मुझत म सफ़र कया करता था। बस वाले छाऽावास के नाम से
डरते थे इसिलए पैसा नह ं मांगते थे। फ़र भी य द कसी ने मांग ह िलए
तो म उनको डराने क कोिशश करता था और मारपीट भी कर लेता था।

एक बार मैन एक बस वाले से कराए के मामले म हई


ु नोक-झ क को
इतना बढ़ा दया क हमने बहत
ु से वाहन को रोका, ित पहंु चाई, चालक
और सहचालक को पीटा और यहाँ तक क एक बस को आग लगाने क भी
कोिशश क । इसके कारण िनजी बस क बहत
ु बड़ हड़ताल हो गई। कई
बस वाले हिथयार लेकर मुझे ढंू ढते थे क मुझे सबक िसखाएँ। म बहत
ु डर
गया था। मुझे कई दन तक छुपना पड़ा ता क बात ठं ड हो जाए। म
अकेले कह ं नह ं जाता था और बस म तो कतई भी नह ं। पापा ने अपना
ःकूटर मुझे दे दया था। म ःकूटर म अपनी सुर ा के िलए हिथयार रखता
था क कुछ अनहोनी हो तो संभाल सकूँ।

ऐसी कुछ घटनाओं के अित र यादातर लड़ाईयां मेर अपनी नह ं होती थीं
बि क म दसर
ू के िलए लड़ता था। म सोचता था क दसर
ू क सहायता
करने से ह शायद मुझे शांित िमले, पर मेर इस आदत ने कभी कभी मुझे
बहत
ु शिमदा भी कया।
जीवन से सा ा कार 54

जब म व ान ःनातक क कॉलेज क पढाई के तीसरे वष म आया तो एक


अंजान ताकत ने मुझे अपने बीते जीवन का अवलोकन करने तथा भ वंय
के िलए एक उ े ँय ढंू ढने के िलए ूे रत कया। जब मने यह वचार कया
तो पाया क म पूर तौर पर एक असफ़ल जीवन जी रहा था िजसका कोई
ःविणम भ वंय नह ं हो सकता था।

मेर ःनातक क पढा़ई के दो वष का औसत 50% ह आ रहा था।

ई र के बारे म न तो म वचार करता था और न ह उसका कोई भय मेरे


मन म था। ‘मेरे जीवन का उ े ँय या है ’, बस यह सवाल मेरे मन-
मिःतंक म घूमता रहता था।

पहली बार मेरे जीवन म ऐसा समय आया था क म इस तरह क


असमंजस क िःथित म पड़ा था। म एक अ छ िज दगी जीना चाहता था
और अपनी म मी तथा भाई-बहन को खुशमयी जीवन दे ना चाहता था,
उनके चेहरे पर खुशी क झलक दे खना चाहता था, पर जैसा जीवन म जी
रहा था, उससे यह कतई संभव ह नह ं था। मुझे अपने आप पर शम भी
आती थी।

उस अंजान साम य क अगुवाई म मने अपने आप ह तीसरे वष म 84%


अंक लाने का िनणय िलया। आप सोचगे क जो िगरते पड़ते पास होता हो
वो ऐसे सपने कैसे ले सकता था, म भी ऐसा ह सोचता था। यह एक ऐसा
पहाड़ था िजसे म अपने आप से नह ं हला सकता था, तौभी उस अंजान
ताकत के चलाए म मेहनत करने लगा और आ य क बात ये हई
ु क आधे
साल म ह मने लगभग सब पढ़ाई पूर कर ली। म अपनी क ा के सबसे
कुशाम छाऽ क भी मदद करने लगा और मेरे कुछ सहपा ठय ने तो
यूशन जाना ह बंद कर दया। म उनक मदद करने म स म हो गया
था। म नह ं जानता था क कौन मेरे िलए यह सब कर रहा था पर यह बात
सच है क मेरा जीवन बदलने लगा था। आज म भलीभांित जानता हँू क
परमे र मेरे जीवन म एक बड़े प रवतन क तैयार कर रहा था।

***
55 परमे र से िमलन

मुझे सुसमाचार सुनाया गया

ःनातक पढ़ाई के तीसरे वष म, भौितक के कुछ सवाल के िलए मने एक


यूशन पढ़ना शु कया। उसी यूशन म मेर मुलाकात रिँम से हई।
ु म
तो उससे दोःती करना चाहता था परं तु परमे र क योजना कुछ और ह
थी।

लड़क जो मेरे िलए एक कमज़ोर थी उसे ह परमे र ने अपनी म हमा


ूकट करने के िलए इःतेमाल कया।

एक बार हमारे यूटर चाहते थे क हम सब अित र क ा के िलए इतवार


क सुबह आ जाएँ पर रिँम बलकुल तैयार ह नह ं थी। बहत
ु समझाने पर
वो 1:00 बजे के बाद आने को तैयार हई।
ु मने जब उससे इसका कारण
जानना चाहा क उसके जीवन म पर ा क तैयार से बढ़कर ऐसा या था
क वो आने को तैयार नह ं थी, तब उसने बड़े ःप श द म बताया, “म
चच जाती हँू और कसी भी कारण से उसे छोड़ नह ं सकती।”

मने फ़र पूछा, “तुम तो हं द ू हो, फ़र चच य जाती हो?” और उसका


जवाब था क वो एक जी वत परमे र को जान गई थी जो क उससे यार
करता था, िजसने उसके पाप को मा कर दया था तथा उसे उ ार (मो
का आ ासन) दया था। इनम से कोई भी बात मेरे दमाग म नह ं घुस
पा । मुझे यह सार बात बड़ भार लग रह था और म सोच रहा था –
कौन इस उॆ म यह सब बात करता है ।

उसने बताया क परमे र ने इं सान को बनाया ह इसिलए क उसके साथ


संगित करे , इसीिलए, य प पाप के कारण इं सान आज परमे र से दरू है
तौभी उसे पाने के िलए अलग अलग तर के से ूयास करता रहता है । उसने
और भी बताया क हम अपने सृजनहार अन र परमे र क सृ अपने
न र हाथ नह ं कर सकते। कसी ने ई र को नह ं दे खा और इसीिलए
उसक सह तःवीर या मूित बना पाना असंभव है । उसका तक काफ़
श शाली था, मेरे पास उसका कोई तोड़ भी नह ं था।
जीवन से सा ा कार 56

उसने मुझे बताया क कैसे परमे र ने इस पूर दिनया


ु से, बना कसी
जाितगत तथा धमगत भेदभाव के, इतना ूेम कया क अपना इकलौता पुऽ
दे दया और यह भी क क कैसे यीशु मसीह ने पापर हत होते हए
ु भी
हमारे पाप क मा के िलए अपने ूाण दे कर हमारे सभी पाप क क मत
चुका द ।

कई बार यह वचार हमारे मन म आ सकता है क कैसे कोई हमारे पाप के


िलए हमारे ज म से भी पहले उसक क मत चुका सकता है । और यह भी
क पाप क क़ मत चुकाने के िलए कसी को मरने क या ज़ रत है और
वह भी ःवयं ई र को। तो इसके उ र म यहां सारांश म म यह कह सकता
हँू क बाइबल के अनुसार सबने पाप कया है और परमे र क म हमा से
र हत ह और पाप से छुटकारा पाए बना ःवग म ूवेश नह ं िमल सकता।
पाप क मज़दरू अथात क़ मत मृ यु (परमे र से आि मक अलगाव) है ।
सभी को यह क़ मत चुकानी ह पड़े गी। य क हम लोग इस यो य नह ं क
इस क़ मत को चुका सक इसिलए परमे र ने अपने आपको मानव प (ूभु
यीशु) म दया िजसने हमारे पाप के िलए 2000 साल पहले ह क मत
चुका द । इसे हम बीमा क तरह दे ख सकते ह जो हम पहले से करते ह
परं तु यह लागू तब ह होता है जब हम कसी दघटना
ु का सामना करते ह।

अगले दन उसने मुझे एक िग डयन बाइबल उपहार ःव प भट क । म


नािःतक नह ं था इसिलए उस कताब को फ़का नह ं पर अपने घर म रख
िलया। कई मह न तक मने उसे कभी नह ं पढ़ा। इस दौरान हमार िमऽता
बढ़ती चली गई और हमने आने वाली पर ाओं क तैयार साथ म करना
शु कर दया।

एक बार उसने मुझे चच (कलीिसया) आने के िलए आमं ऽत कया। पहली


बात तो ये क म चच क आराधना प ित नह ं जानता था, और दसर
ू ये
क फ़ म को दे खकर चच क जो तःवीर मेरे दमाग म बनी हई
ु थी उससे
बाहर आ पाना मेरे िलए मुिँकल हो रहा था। मने अपनी पुरज़ोर कोिशश क
क म वहाँ न जाऊं पर उसके आमह के आगे मेर एक न चली और
आिखरकार म उसके साथ जाने के िलए तैयार हो गया।
57 परमे र से िमलन

पहली बार चच जाने का मेरा अनुभव सच म अ वःमरणीय रहा। यह चच


कतई भी वैसा नह ं था जैसा मने सोचा था। म सोचता था क चच का
मतलब एक अंमेज के जमाने क पुरानी इमारत िजसम एक चच फ़ादर हो
जो क बड़े शा त मगर रोबदार श द म बच पर बैठे लोग को कुछ िसखा
रहे ह या फ़र एक छोटे से जालीदार कमरे म कसी के पाप का अंगीकार
सुन रहे ह ।

ले कन यहाँ जो मने दे खा वो ये था क एक घर जैसी इमारत थी िजसके


एक बड़े हॉल के बाहर बहत
ु से च पल-जूते बाहर उतरे हए
ु थे। अंदर जाकर
मने दे खा क कुछ बुजुग लोग कुिसय पर बैठे थे पर बा क सब लोग
जमीन पर बछ हई
ु दर पर बैठे थे। एक सरसर नज़र से दे खने पर मने
पाया क मेर क पना के उलट सभी औरत और लड़ कयां सलवार सूट या
साड़ पहने थीं और सभी ने अपने िसर चु नी या साड़ के पहलू से ढँ क रखे
थे। एक बड़ सी गीत मंडली के बजाय 2-3 जवान लड़के-लड़क आराधना
के गीत िगटार और अ य बाज के साथ गा रहे थे। पूर सभा जैसे ई र क
वंदना म खोई हई
ु थी। मेर क पनाओं के वपर त चच के पाःटर ने एक
बड़े से सफ़ेद चोगे के बजाय साधारण पतलून-कमीज पहन रखी थी और वो
ह सबको परमे र क आराधना करने को ूे रत कर रहे थे।

यह सब कुछ अिभभूत कर दे ने वाला ँय था। म इसे दे खते हए


ु अपने ह
वचार म म न था क तभी आराधना का समय ख म हो गया और पाःटर
ने ूाथना का समय घो षत कया। उ ह ने कहा क जैसे परमे र का प वऽ
आ मा अगुवाई करे और बोझ दे वैसे ह सब लोग अपनी जगह से उठकर
दसरे
ू लोग के िलए दआ
ु कर। मुझे कुछ समझ नह ं आ रहा था – य
लोग एकाएक अपनी जगह छोड़कर अलग अलग य के पास जाकर
ूाथना करने लगे। मने यह सब दे खकर अपनी आख बंद कर ली य क
एक तो म नया था और यह सब नह ं जानता था, और दसरे
ू कोई और भी
मुझे नह ं जानता था और मुझे कुछ करने क ज़ रत नह ं थी। तभी म एक
आवाज़ को सुनकर च क गया। एक बुज़ुग य मेरे पास खड़े थे।

मुझे बड़ा आ य हआ
ु क इस य को मेरे िलए कहां से अगुवाई और
बोझ िमला य क म तो पहली बार आया था। ये प वऽ आ मा कौन है जो
मुझे जानता है और मेरे िलये बोझ दे ता है ?
जीवन से सा ा कार 58

उन बुजुग य का नाम ज़े वयर था। उनके पूछने पर मने अपना नाम


बताया। उ ह ने फ़र पूछा क या मुझे कसी वशेष वषय म ूाथना
कराने क इ छा थी। मुझे इस तरह क ूाथना के बारे म कुछ पता नह ं था
तो मने बस अपने पापा क शराब क आदत छूट जाने के िलए दआ
ु करने
को कहा। ज़े वयर अंकल ने मेरे िलए ऐसी वेदना और ूेम के साथ ूाथना
क जैसे क वो मेरे प रवार के भाग ह और हमारे दख
ु से रोज गुजरते ह ।
उनक दआ
ु म बहत
ु अिधकार झलक रहा था जैसे कोई ब चा अपने पता से
अिधकार के साथ कुछ मांगता है । मने पहली बार मसीह ूेम दे खा।

जब हम चच से बाहर िनकल रहे थे तो रिँम ने मुझे पाःटर से िमलाया।


पाःटर ने एक बात बोली जो मेरे अंदर बैठ गई, उ ह ने कहा, “बृजेश, हम
कसी धम म व ास नह ं करते, बि क हम परमे र के साथ एक जी वत
संबंध म व ास करते ह।” उ ह ने आगे बताया क परमे र हमारा ःवग म
वराजमान पता है िजसने हम पैदा कया है और वो हम म िच रखता है ।
वो हम य गत संबंध बनाने के िलए बुलाता है ता क हम उसके साथ
हमशा के िलए एक हो जाएँ।

***

रिँम द ली क रहने वाली थी। जयपुर म वो िसफ़ पढ़ाई के िलए आई हई



थी। एक दन उसने पूछा क या वो मेरे घर म कुछ दन रह सकती थी,
य क उसे रहने क समःया हो गई थी। मने म मी से पूछा और उ ह ने
सकारा मक जवाब दे ते हए
ु कहा क वो हमारे घर म मेर बहन के साथ
उसके कमरे म रह सकती थी।

अब हम एयादा समय साथ बताने लगे। म बड़ गहराई से उसको जांच रहा


था और हर बात म ूभु से उसके ूेम, जीवन तथा यवहार म शु ता और
परमे र म उसक आशा को दे खकर बड़ा आ यच कत होता था। मने उससे
सवाल पूछना शु कया और वो बड़े धीरज के साथ मेर सब िज ासाओं
को शा त करती रह । उसने मुझे ूाथना करना िसखाया और आराधना के
नए नए गीत और भजन िसखाए। मने उसके साथ बाइबल पढ़ना शु
कया। शु आत म म बाइबल को समझ नह ं पाता था पर उसने मुझे यह
भी िसखाया क म बाइबल को कैसे पढ़ंू ।
59 परमे र से िमलन

बाद म रिँम ने और भी कई बात मुझे बता जैसे क य द हम परमे र म


व ास कर और उससे ूाथना कर तो वो ज़ र उ र दे गा। उसने यह भी
बताया क बाइबल परमे र का वचन है िजससे वो हमसे बात करता है ।
उसने यह भी बताया क बाइबल के वचन हमार आ मा का भोजन है
िजसके बना हमार आ मा कमज़ोर हो जाती है और पाप म िगर सकती है
इसिलए इसम से रोज़ पढ़ना ज़ र है । उसने ज़ोर दे कर फर से इस बात
को समझाया क परमे र ने मानव प म ज म िलया, उसने अपने जीवन
म कभी पाप नह ं कया फर भी हमारे पाप के िलए बूस पर अपने ूाण
याग दये। ऐसा और कौन ई र या गु है िजसने हमारे िलए अपने ूाण
दये ह ? उसने कहा क य द म इस बात पर व ास क ँ तो मेरा मो
उसी समय हो जाएगा और म ःवग म ूवेश करने का अिधकार पा लूँगा
उसने बताया क ये िसफ व ास क बात है जो शायद हमारे ान के ारा
हम समझ न आ सके।

तब से म बाइबल को एक भूखे य क तरह खाने लगा और ूभु मुझसे


वचन के ारा बात करने लगे। परमे र ने मेर अगुवाई करना शु कर
दया और आ या म के तथा सफल जीवन के भेद बताना शु कर दया।
तीतुस 3:5, 1युह ना 1:10, मरकुस 16:16 तथा युह ना 3:16, 17 मेर ूय
आयत बन ग ह िज ह ने मेरा जीवन हमशा के िलए बदल दया है ।

रिँम, ूभु म मेर बहन, मेरे जीवन म परमे र क एक दत


ू बनकर आई।
उसके काम, उसक बात और जीवन जीने का उसका तर का मुझे ूभा वत
कर गया। उसका परमे र से अगाढ़ ूेम मुझे उसके ौोत को जानने के िलए
ूे रत करते रहे । उसने उस ‘अनजानी ताकत’ को जानने म पूर सहायता
क।

वो अनजानी ताकत अब मुझे मालूम हो गई थी क वो ूभु यीशु थे।


परमे र को म अपने य गत ई र और अपने उ ारकता के प म जान
गया था।
ifjoZru
6
प रवतन क एक ूाथना, जो बचपन से मने सीखी थी वो इस ूकार है -
असतो मा सदगमया,
तमसो मा योितगमया,
मृ योमा अमृतं गमया।।

ये ूाथना मने बचपन म अपने ःकूल क डायर म कई बार पढ़ थी


िजसका अथ इस ूकार िलखा था – हे ई र, मुझे अस य (झूठ) से स य
क ओर, तमस (अंधेरे) से ूकाश क ओर तथा मृ यु से जीवन क ओर
लेकर जाएँ। इस अथ को मने कई बार पढ़ा था परं तु फ़र भी इसका उ र
मेरे पास नह ं था।

“म आपको यह बताना चाहता हँू क इस ूाथना का उ र मुझे तब ह


उ ार (मो ) य गत होता है । न तो िमला जब मने यीशु मसीह को
हमारे पूवामह (पुराने ढ़ वाद
जाना। ूभु यीशु को जानने के
वचार ) और न ह हमारे क ह ं
बाद मुझे पता चला क उनके नाम
स बंध के कारण हम अपने आपको
म क गई हमार हरे क ूाथना
परमा मा से िमलन करने से रोकना
चा हए। परमे र हमसे ूेम करता ह परमे र ज र सुनता है और
और हम म से हरे क को पाप से मु उनका उ र भी दे ता है – उसक
दलाना चाहता ह।” अपर पार दया म ‘हाँ’, या उसक
असीिमत बु और ान म हमारे
भले-बुरे को जानते हए
ु ‘नह ं’। स चे परमे र के नाम से क गई कोई भी
हमार ूाथना यथ नह ं जाती।

य द उपरो ूाथना स चे मन से, स चे परमे र से क गई हो तो इस


ूाथना का उ र िमलना आवँयक है । परमे र मानवजाित से ूेम करता है
इसिलए उपिनषद क इस ूाथना का जवाब, परमे र के वचन, बाइबल म
िमलता है -
जीवन से सा ा कार 62

“...माग और स य और जीवन म ह हँू ; बना मेरे ारा कोई परमे र


तक नह ं पहँु च सकता”
[युह ना 14:6]

“म तुमसे सच सच कहता हँू , जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजने वाले पर


व ास करता है , अन त जीवन उसका है ; और उस पर द ड क आ ा नह ं
होती पर तु वह मृ यु से पार होकर जीवन म ूवेश कर चुका है ।”
[युह ना 5:24]

“यीशु ने फर लोग से कहा, “जगत क योित म हँू ; जो मेरे पीछे हो


लेगा वह अ धकार म न चलेगा, पर तु जीवन क योित पाएगा।”
[युह ना 8:12]

एक और ूाथना के वषय म म आपको बताता हँू – गायऽी मंऽ।

ॐ भूभुवः ःवः
त स वतुवरे यं
भग दे वःय धीम ह
िधयो योनः ूचोदयात।्

िजसका मतलब (भावाथ) होता है – ओ बृहमांड के सृ कता परमे र, हम


आपक असीम म हमा पर यान धरते ह। ऐसा होने दे क आपक
वैभवमयी साम य हमार बु को ूकािशत करे , हमारे पाप को मा करे
तथा सह माग म हमारा पथ ूदशन कर।

स दय से मानव स य, शांित तथा साथक जीवन क खोज करता रहा है ।


यह खोज इस ूाथना के प म इस मंऽ म िनकलती है , परं तु साथ ह ये
बात समझने क भी ज़ रत है क यह ूाथना सृ कता परमे र से क गई
है , इसिलये इसका उ र िसफ़ जी वत अमूत ूेमी सृ कता परमे र क ओर
से ह आ सकता है ।

य द इस ूाथना को ह हम गौर से दे ख तो हम समझ सकते ह क


बाइबल म इस ूाथना का भी उ र है –
63 प रवतन

o यह ूाथना सृ कता परमे र से है – और सच म हम हमारे


रचनाकार परमे र से ह दआ
ु करनी चा हए। बाइबल बताती है
क स चा सृ कता ई र कौन है – यीशु मसीह। (युह ना 1:1,
1:3, 1:14)
o यह ूाथना बु ूाि , स य ूकाशन, पाप मा तथा स य माग
दखाने के िलये है – य़ीशु मसीह ने कहा क स य, माग और
जीवन वो खुद ह (युह ना 14:6) जो परमे र के पुऽ ह, खुद
योित ह (युह ना 8:12) जो क मानव प म धरती पर आए
ता क हम ःवयं अपना ूकाश द, हमारे पाप क मा कर और
हमारे िलए शांित तथा उ ार का माग ूशःत कर (युह ना
3:16,17)।

***

जैसा मने पहले बताया है क ूभु यीशु के बारे म बताए जाने पर तुरंत ह
मने उन पर व ास नह ं कर िलया और इससे पहले क म ूभु यीशु को
परमे र का पुऽ और बाइबल को परमे र का एकमाऽ स य वचन मान
लेता, मने इसे और सभी उन शा को जो मने तब तक पढ़े थे, पहले
बताए सारे सवाल क कसौट पर कसा। मने गीता, रामायण तथा महाभारत
को अपनी पा य-पुःतक के प म पढ़ा था। पा यपुःतक म ह संतमत के
बारे म मने पढ़ा था तथा कबीर, रह म तथा मीरा के दोह का भी अ ययन
कया था। मने ओशो रजनीश का सा ह य पढ़ा था। मने दाद जी को पढ़कर
सुनाते हए
ु राधाःवामी स संग के सा ह य का अ ययन कया था और
अपनी एक दाद (पापा क बुआ) से ओम शांित व ास के बारे म सुना था
तथा पापा के उ सा हत करने पर डॉ टर अ बेड़कर के जाितवाद तथा धम
के बारे म य वचार को भी पढ़ा था।

इन सब जानका रय को एक ह कसौट पर कसने के बाद मने यह िनंकष


िनकाले क-
सभी धम ई र के बारे म बताने क कोिशश करते ह और जीवन जीने
के नैितक माग बताते ह।
सभी धम भले काम करने तथा ःवाथ अिभलाषाओं से दरू रहकर मो
कमाने क िश ा दे ते ह।
जीवन से सा ा कार 64

सभी धम ई र को ऐसे दे खते ह जैसे क वो बहत


ु दरू हो तथा उस तक
पहँु चना बहत
ु मुिँकल हो और यह भी क उसे ूस न करना दंकर

काय हो।

यह सब बात जानते हए
ु जब मने बाइबल पढ़ना शु कया तो मने इसम
अलग तरह क बात पा जो क ई र के बारे म मेरे पुराने वचार से
बलकुल िभ न थीं जो मने बचपन से सीखी थीं।

यदा यदा ह धमःय, लािनभवित भारत


अ यु थानंधमःय, तदा मानं सृजा यमहम।

प रऽाणायसाधुनां वनाशाय च दंकृ


ु ताम,
धमसंःथापनाथाय संभवािम युगे युगे।

संःकृ त भाषा के ऊपर िलखे वा यांश ( ोक ) म यह बात बताई गई है क


जब जब धरती पर धम क हािन होती है तो हर युग म पा पय का वनाश
करने तथा साधु (धािमक) लोग का उ ार कर धम क संःथापना करने के
िलए ई र कसी न कसी प म अवतार लेते ह।

इस बात ने मुझे यह जानने के िलए और ूे रत कया क कौन पापी है


और कौन साधु। और या परमे र सच म पा पय का नाश कर दे ते ह;
य क अगर ऐसा है तो ि़फर कसका उ ार हो सकता है । सबसे यादा तो
म अपने आप के िलए िचंितत था क मेरा या होगा, य क म इस बात
को साफ़ तौर पर जानता था क मने अपने जीवन म पाप कए थे और
अगर ई र सच म पा पय का नाश करने के िलए ह आते ह तो फ़र मेरा
तो नाश होना िनि त था। एक मायने म मेरा इस आ ममंथन म पड़ना
अ छा भी था य क मो (उ ार) एक य गत अनुभव है ।

मुझे बचपन से िसखाया गया था क पाप और पु य इं सान के लेखे म िलखे


जाते ह और इ ह ं के आधार पर उसका अगला ज म िनि त होता है ।
इसका मतलब यह है क हम जीवन भर पु य (अथात सुकम या अ छे
काम) करने चा हए ता क वो हमारे बुरे काम से यादा ह ता क अगले
ज म म हम अ छ योिन िमले। िसफ़ वे लोग िजनके सुकम उनके दंकम

65 प रवतन

से माऽा तथा गुणव ा म कह ं अिधक ह , वे ह मो क ूाि कर सकते


ह। ये भी तभी संभव है जब आप कसी धािमक गु क शरण म जाएँ।

मुझे िसखाया गया था क म पाप और पु य कम म अ तर को समझूं और


हमशा सदकम क ँ । मने दे खा क सभी इसम असफल ह होते थे। म भी
असफल रहा था। इसिलए म यह मान लेने के िलए बा य हआ
ु क कम के
ारा मो क ूाि असंभव है ।

बाइबल के अनुसार कोई भी धम नह ं है , एक भी नह ं (रोिमय 3:23) और


इसिलए हमार अपनी समझ और साम य के अनुसार हम ई र को रझा
नह ं सकते क वो हमारा उ ार करे । परमे र के प वऽता के मापद ड इतने
ऊँचे ह क उन तक पहँु चना मनुंय के िलए असंभव है । िजस ूकार एक
य जो क ल बाई म आधा इं च छोटा हो वह सेना म भत होने म
उतना ह असफल होता है िजतना क एक छह इं च छोटा य ; ठ क उसी
ूकार परमे र क नज़र म हम सब बराबर के पापी ह और अपने कम से
उसे पाने म हम सभी असफल रहते ह। हम उसक दया तथा क णा क
ज़ रत है ।

जब मने बाइबल को पढ़ा तो मने पाया क बाइबल का पाप को समझने का


तर का अलग था। इस वकट समःया से िनजात पाने का बाइबल का
तर का भी उन तर क से अलग था जो क मुझे पहले से मालूम थे। यह
दे खने म तो आसान लगता है पर समझने म मुिँकल है । इसम कहा गया
है क हम सब पापी ह और परमे र के कोप (बोध) के भागी ह। फर भी
हमारे कम के कारण नह ं बि क अपने असीम अनुमह (क णा) के कारण
उसने ःवयं हमारे पाप क मा के िलए अपने पुऽ य़ीशु मसीह को
बिलदानःव प दे दया क हमारे पाप का िनवारण करे । हम िसफ इस
बिलदान म व ास करने क ज़ रत है । यीशु मसीह धिमय के िलये नह ं
पा पय के िलये आये थे और उ ह ने कहा भी क भले चंग को वै क
ज़ रत नह ं होती बि क रोिगय को होती है , अथात जो अपने को पहले से
धम मानता हो उसके िलये यीशु मसीह का बिलदान यथ है परं तु जो
अपने आपको पापी के प म पहचानता हो, उसके िलये यीशु मसीह मो
का माग ह।
जीवन से सा ा कार 66

दसर
ू बात जो मने सीखी वो ये थी क ज म-मरण का कोई चौरासी लाख
योिनय का चब नह ं है बि क िसफ एक मानव जीवन है िजसके बाद याय
का होना और फर अनंत जीवन का िनणय होना िनि त है । यह अनंत
जीवन ःवग म हो या नक म, यह याय के बाद ह सुिनि त होगा। एक
अनोखी बात बाइबल से मुझे पता चली क हमारे अन त जीवन का िनणय
हमारे ह हाथ म है । हम परमे र क क णा को ितरःकार या ःवीकार कर
अपनी िनयित ःवयं िलखते ह। य द हम इसे ःवीकार करते ह और ूभु
यीशु म व ास करते ह तो तुरंत ह हमारे नाम जीवन क कताब म िलखे
जाते ह और द ड क आ ा हम पर से ख म हो जाती है ।

म तो पूर तौर पर इस बात को दल से जानता था क म पापी था और


मेरे पूव ान के अनुसार मेरे िलए मो का कोई राःता भी नह ं था। अपने
धम के अनुसार मेरे पास पाप- मा क कोई आशा नह ं थी। बाइबल म जो
मने पढ़ा इसने मुझे बहत
ु बल दया -

“ य क परमे र ने जगत से ऐसा ूेम रखा क उसने अपना एकलौता


पुऽ दे दया, ता क जो कोई उस पर व ास करे वह न न हो, पर तु
अन त जीवन पाए। परमे र ने अपने पुऽ को जगत म इसिलए नह ं भेजा
क जगत पर द ड क आ ा दे , पर तु इसिलए क जगत उसके ारा उ ार
पाए।”
[युह ना 3:16, 17]

मने यह भी महसूस कया क हम भजन, साधना, पूजा, तीथ इ या द के


ारा मो क ूाि करने के बारे म िसखाया तो जाता है परं तु सभी धम
म इन सब बात को िनरं तर करते चले जाने का िसफ एक खुला राःता है
िजसम मो -ूाि का कोई आ ासन नह ं है । इस बारे म जब मने बाइबल
को पढ़ा तो मने मो ूाि का एक अलग तर का पाया।

“तो उसने हमारा उ ार कया; और यह धम के काम के कारण नह ं,


जो हम ने आप कये, पर अपनी दया के अनुसार नए ज म के ःनान और
प वऽ आ मा के हम नया बनाने के ारा हआ।

[तीतुस 3:5]
67 प रवतन

और फर इ फिसय 2:8,9 म –

“ य क व ास के ारा अनुमह ह से तु हारा उ ार हआ


ु है ; और यह
तु हार ओर से नह ं, वरन परमे र का दान है , और न कम के कारण,
ऐसा न हो क कोई घम ड करे ।”

परमे र ने बाइबल के ारा मुझे िसखाया क मुझे एक उ ारकता क


ज़ रत थी जो मुझे मेरे पाप के प रणाम से (अथात सनातन जीवन म
परमे र से दरू नक म रहना जहाँ िनरं तर दःख
ु और दद ह है ), बचा सके।
हालां क नक मानवजाित के िलए नह ं बि क उन द ु आ माओं के िलए
बनाया गया जो क परमे र के वरोध म खड़ होती ह फर भी वे लोग जो
उपिवी होकर परमे र क आ ा तोड़ते ह तथा उसक क णा का ितरःकार
करते ह वे अिभमानी लोग भी उस आग क झील म डाले जाते ह (िजसे
हम नक के प म जानते ह)।

म समझ गया था क मेरे पाप क मा के िलए मुझे परमे र क क णा


क ज़ रत थी। पर ‘कैसे’ यह सवाल अभी भी खड़ा था। इस वषय म मने
बाइबल म पढ़ा –

“य द हम अपने पाप को मान ल, तो वह हमारे पाप को मा करने


और हम सब अधम से शु करने म व ासयो य और धम है ।”

इसी वषय पर बाइबल युह ना 1:1-18 म और भी बहत


ु सी बात करती ह
िजनम से 12वीं आयत ने मेरा यान अपनी ओर खींच िलया -

“…परं तु िजतन ने उसे महण कया, उसने उ ह परमे र क संतान होने


का अिधकार दया, अथात उ ह जो उसके नाम पर व ास रखते ह…”

और रोिमयो 10:10 –

“ य क धािमकता के िलए मन से व ास कया जाता है , और उ ार


के िलये मुँह से अंगीकार कया जाता है ।”

उपरो वचन से मने सीखा क मुझे अपने पाप से प ाताप कर परमे र


से माफ माँगनी थी, ूभु यीशु को अपने जीवन म उिचत सव च ःथान
जीवन से सा ा कार 68

दे ना था और अपने दल से व ास तथा मुख से अंगीकार करना था क वो


परमे र का पुऽ है और मेरे पाप क क मत उसने चुका द है , इसके बाद
म परमे र क संतान होकर जीवन जी सकता था। अब मेर समझ म आ
रहा था क पाःटर पीटर इस बात से या कहना चाहते थे क वो परमे र
के साथ स बंध म व ास करते थे। म अब अपने पाप से प ाताप कर
परमे र से मा चाहता था। म इस बात के िलए उ सा हत था क परमे र
के साथ एक य गत स बंध ःथा पत क ँ जैसे पता-पुऽ का रँता।

बाइबल क आिख़र पुःतक ‘ूकािशतवा य’ म परमे र (ूभु यीशु) इस


ूकार कहते ह -

“दे ख, म ार पर खड़ा हआ
ु खटखटाता हँू ; य द कोई मेरा श द सुनकर
ार खोलेगा, तो म उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन क ं गा और
वह मेरे साथ।”
[ूकािशतवा य 3:20]

उपरो वचन के अनुसार मने अपना दल ूभु परमे र के िलए खोल दया
था क वो उसम वास करे । यह जानने के बाद क म पापी था और परमे र
प वऽ, मने ूाथना के साथ अपना जीवन ूभु यीशु के सुपुद कर दया था।
मने अपने सभी पाप से तौबा क थी जो मने जाने-अनजाने म कये थे
और परमे र को अपने जीवन का ःवामी बना िलया।

माच 1998 म रिँम के साथ बैठकर मने प ाताप तथा उ ार क ूाथना


कुछ इस ूकार क :

“हे ूभु, म ःवीकार करता हँू क मने अपने जीवन म जाने और अनजाने म
बहतु से पाप कये ह। म अंगीकार करता हँू क ःवभाव से ह म पापी हँू ।
म यह भी जान गया हँू क आप प वऽ परमे र ह और आपके िसवा और
कोई मेरा ूभु नह ं है । ूभु यीशु मसीह, िसफ आपने मेरे पाप को मा
करने का वायदा कया है और मेरे पाप के िलए अपने ूाण दये ह। 2000
वष पहले आप मेर खाितर मरे , तथा तीसरे दन जी उठे और फर जी वत
ःवग म उठा िलए गए। म आपसे ूाथना करता हँू क मेरे पाप को मा
कर द िजए और मेरे जीवन का सारा अिधकार तथा िनयंऽण अपने हाथ म
69 प रवतन

ले लीिजये। ूभु, मेरे दल म आइए और ःवग रा य म मुझे ःथान द िजए।


आप अपने वायद पर स य परमे र ह इसिलए म आपका ध यवाद करता
हँू , आपने मेरे पाप मा कर दए ह और मेरे नाम आपने जीवन क
ःवग य कताब म िलख दया है । उ ार (मो ) के दान के िलए म आपका
आभार हँू । आमीन।”

परमा मा ने मेर ूाथना को सुन िलया और उसक असीम शांित मेरे जीवन
म ूवेश कर गई। परमे र के वचन के अनुसार ूभु ने मुझे अपनी संतान,
प वऽ आ मा का मि दर, तथा नई सृ बना दया। अब मुझे ई र को
खोजने के िलये आराधना के ःथान म जाने क ज़ रत नह ं थी।

िजस दन मने प ाताप तथा उ ार क ूाथना क तब से मेरे सारे पाप ूभु


यीशु के लहू से धुल गए और ूभु ने मुझे नया जीवन दया –

“इसिलए य द कोई मसीह म है तो वह नई सृ है ; पुरानी बात बीत


गई ह; दे खो, सब बात नई हो गई ह।”
[2 कु रि थय 5:17]

जब से मने ूभु यीशु म व ास कया है तब से मेर िज़ दगी बदल गई


है । म एक नए य व का, नई सोच का, मन फराया हआ
ु , उजले च रऽ
का तथा ई र य दशन का ःवामी हो गया हँू । इससे भी बढ़कर पता
परमे र तक मेर पहँु च हो गई है िजससे कसी भी समय म उससे ूाथना
कर सकता हँू । म सदै व उसक छऽछाया म रहने लगा हँू । आज मेरे पास
ःवग म एक चुना हआ
ु आरि त ःथान है । म जानता हँू क म वहाँ जाकर
रहँू गा जब म यह दे ह छोड़कर जाऊंगा।

बाद म 1998 म ह , मने परमे र क बपितःमा क आ ा को पूरा कया


तथा अपने व ास क गवाह द । इसके साथ ह पूण प से मने अपने
आपको ूभु को सम पत कर दया।

“जो व ास करे और बपितःमा ले उसी का उ ार होगा, पर तु जो


व ास न करे गा वह दोषी ठहराया जाएगा;”
[मरकुस 16:16]
जीवन से सा ा कार 70

मने परमे र पर भरोसा करके जीना सीख िलया है और उसने मेरे जीवन के
सभी ेऽ म अपनी जी वत उपिःथित भर द है तथा अपना आनंद दया
है । उसने मेर ूाथनाओं के उ र दये, मेरे प रवार का उ ार कया, मुझे
अ छ नौक रयां द तथा उनम सफलता भी द और एक व ासी तथा बहत

ह अ छ प ी द जो परमे र से ूेम करती है और उसका भय मानती है ।
परमे र ने मुझे वो सब कुछ दया जो एक य अपने जीवन म चाहता
है ।

मेरा जीवन ई र क कृपा से पूर तरह से बदल गया। हालां क मेरे जीवन
म पर ाएँ िनरं तर आती रह ं, पर तु म भी प वऽ जीवन जीने के िलए
परमे र के अनुमह से िनरं तर अपने शर र से लड़ता रहा हँू क पाप न क ँ ।
म कई बार िगरता भी हँू परं तु परमे र अपनी असीम क णा से मुझे उठा
लेता है और अपने साथ साथ चलाता है । वो मेर हरे क आवँयकता को पूरा
करता है । सभी खतर और मुसीबत से वो मुझे छुड़ाता है । मुझे कसी बात
क िचंता नह ं होती य क वो मेरा उयाल रखता है । वो मेरे बंधन से मुझे
छुड़ाता है और मेरे बोझ अपने ऊपर ले लेता है । जब मुझे ूाथना करना
नह ं आता तो वो मुझे िसखाता है और यहाँ तक क मेरे िलए ूाथना भी
करता है । मेरे ूभु महान है और उनक महानता का वणन करते समय मेरा
दल ध यवाद से भर आता है ।

***

ूय पाठक, य द ये आप के दल क भी ूाथना है और आप सोचते ह क


आप ूभु यीशु को अपने य गत उ ारकता के प म महण करने के िलए
तैयार ह तो म आपको उ सा हत करना चाहता हँू क आप शांित से बैठकर
परमा मा से ूाथना कर। परमे र आपके सभी पाप को मा करे गा और
आपको जीवन क योित दे गा ता क आप फर कभी अ धकार म न चल।

म आपको यह बताना चाहता हँू क उ ार (मो ) य गत होता है । न तो


हमारे पूवामह (पुराने ढ़ वाद वचार ) और न ह हमारे क ह ं स बंध के
कारण हम अपने आपको परमा मा से िमलन करने से रोकना चा हए।
परमे र हमसे ूेम करता ह और हम म से हरे क को पाप से मु दलाना
चाहता ह। म आपसे िनवेदन करना चाहता हँू क आप ई र को एक नई
71 प रवतन

नज़र से ब च जैसे प वऽ और शंकार हत व ास के साथ उसे दे ख। म


जानता हँू क वो आपसे बात करने लगेगा।

य द आपने भी ये ूाथना क है तो आ ःत र हए क परमे र ने आपके


पाप मा कर दए ह और ःवग के रा य के ार आपके िलए खोल दये ह
ता क आप ःवग य आशीष से प रपूण हो जाएँ। आपने शार रक या
भावना मक प से कुछ महसूस कया है या नह ं इस बात से कोई फक
नह ं पड़ता य क परमे र के प वऽ आ मा ने आपक आ मा के सारे पाप
तथा उसक अप वऽता क सफाई कर द है । आपक आ मा अब परमा मा
के सम िनद ष है । अब आपको िसफ ये करने क ज़ रत है क आप
िनरं तर परमे र से ूेम कर, उसका वचन पढ़, रोज ूाथना कर तथा
व ािसय क संगित कर ता क अपने व ास म मज़बूत होते चले जाएँ।
ऐसा करके आप परमे र के बारे म और जानगे और उसक आशीष का
अनुभव करगे।

आने वाले अ याय म म परमे र क व ासयो यता के वषय म वःतार


से बताऊँगा िजससे आप जानगे क परमे र अपने ूेम करने वाल के ूित
कतना उदार है ।
m)kj
7
उ ार (मो )

म बाइबल म दए उ ार अथात मो ूा करने के तर के से बड़ा अचंिभत


होता हँू । यह परमे र का वरदान है और कोई भी जो ूभु यीशु म व ास
करे , इसे पा सकता ह। अजीब बात ये है क न तो इसम धम क कोई
सीमा है और न कम का कोई ब धन।

जैसे हम कसी दान या उपहार क कोई क़ मत नह ं चुकाते बि क उसे सहष


ःवीकार कर लेते ह उसी ूकार हम
“हम म से हरे क को ई र क अथात
अपने उ ार (मो ) क भी क़ मत
ूभु यीशु क आवँयकता है भले ह
हम कोई भी य न ह , कसी भी चुकाने क कोई ज़ रत नह ं है यह
धम या जाित म पैदा हए ु ह , कैसे भी परमे र का मानवजाित के िलए
हम रहते ह , हमारा सामािजक ःतर उपहार है । हम उपहार क क़ मत
कुछ भी य न हो, हमने कुछ भी चुकाने क बात कर उपहार दे ने
य न कया हो और कुछ भी करने वाले का अपमान ह करते ह।
क यो यता हम य न रखते ह ।”
‘पाप क मा’ तथा ‘शा त
जीवन क आशा’ परमे र क ओर से ूभु यीशु के ारा हम दया गया दान
है । यह ‘अनुमह ारा उ ार’ क बात है जो व ास के ारा महण कया
जाता है । यह सच म इतना सरल है क कई बार हम इसे समझ ह नह ं
पाते ह य क यादातर लोग मो को एक बहत
ु ह ज टल काम समझते
ह।

म विभ न धम म ूचिलत ई र के बारे म बताई गई अवधारणाओं तथा


र ित- रवाज क अिधकता से भी आ यच कत होता हँू ; खास तौर पर उसम
िजसम म पैदा हआ
ु था।
जीवन से सा ा कार 74

धम म संःकार तथा र ित- रवाज िसखाए जाते ह िजनक पालना करने पर


यह समझा जाता है क हम अपना उ ार कमा सकते ह। इसे म “कम के
ारा उ ार’ के नाम से स बोिधत क ं गा। बचपन से िसखाए गए संःकार
हमारे जीवन का अिभ न अंग बन जाते ह िजनसे हम इतने ूभा वत होते
ह क ई र के बारे म हम उसके अलावा कसी और तर के से सोच ह नह ं
पाते ह।

कसी एक धम वशेष म पैदा होने तथा उसके अनुयायी होने के कारण कई


बार हम इतने स त हो जाते ह क स चाई को जानने से हम अपने आपको
रोकते ह वशेषकर ऐसा स य जो कसी और स ूदाय अथवा व ास से
आता ूतीत होता हो, िजसका हमने कभी पालन नह ं कया।

धम क पालना करने से य धािमक (आि मक नह ं) ज़ र हो जाता है ,


िजसका जीवन के ूित अपना एक नज़ रया होता है , अपना एक य व,
ई र के ूित अपनी एक सोच और अपनी य गत वचारधारा, िजसके
ारा वो ई र को पाने का ूयास करता है । मने दरदशन
ू म कई बार ऐसे
कायबम को दे खा िजसम कई तीथःथान के बारे म बताया जाता है । इनम
से एक कायबम म मने दे खा क कुछ लोग लगातार धूॆपान करते हए
ु ,
कुछ अपनी जगह िनरं तर चलते हए
ु तो कुछ लोग बहत
ु ल बे समय तक
अपनी जगह पर खड़े रहकर साधना करके तो कुछ अपने शर र को दःख

पहँु चाकर मो ूाि करने क नाकामयाब कोिशश करते ह।

यह बात सच है क य द हम ऐसे कसी भी पूवामह से मिसत ह , तो हम


मसीह व ास को नह ं समझ सकते य क सभी धम से अलग यह एक
व ास है जो क कसी भी ूकार के भले कम के ारा मो होने क बात
को नह ं मानता बि क िसफ परमे र क कृपा से अपने व ास के ारा
उ ार क बात को ह मानता है ।

अपने पुराने मनगढ़ं त वचार के कारण कई लोग अपने माग तो बनाते रहते
ह पर तु यीशु मसीह को ‘ वदे शी’ क़रार दे ते ह और उनके ूेम तथा बिलदान
का ितरःकार करते ह। म यह बात समझ नह ं पाता क वह ई र, िजसने
करोड़ – अरब कलोमीटर क ल बाई-चौड़ाई वाले ॄ ांड क रचना क , वो
इसी ॄ ांड के एक छोटे से सौरमंडल म नग य आकार के एक मह पर कुछ
75 उ ार

हज़ार कलोमीटर क दरू पर बसे एक छोटे से दे श म अवत रत होने पर


वह वदे शी कैसे हो जाता है ।

म समझता हँू क मसीह यत म स पूण मानवजाित का उ ार शािमल है जो


क मु त म उन सबको बांटा गया है जो ूभु यीशु मसीह म य गत प
से व ास करते ह। ूभु यीशु म व ास कये बना कोई मो नह ं है ।

परमे र सभी को आमं ऽत करता है क हम चख और दे ख क वो कैसा


भला परमे र है । िजस तरह से म आपको बता रहा हँू उस तर के से उसे
चखने के बावजूद य द आप उसम जीवन क भरपूर न पाएँ तो आप इसे
कसी भी कसौट पर कसने या यहाँ तक क छोड़ दे ने के िलए ःवतंऽ ह।
म िसफ आपको इस बात के िलए उ सा हत करना चाहता हँू क बना जांच
के आप इसे अःवीकार न कर।

समझदार जीव होने के कारण यह न िसफ हमारा अिधकार है बि क


िज़ मेदार भी है क हम उस ‘परमस य’ क खोजबीन कर जो हमार
प रिःथितय , संःकार अथवा भावनाओं के कारण बदलता नह ं है । य द
परमे र से हम मांग तो वो हम इस स य का अनुभव अवँय कराएगा।

म इस समय यह बात भी बताना चाहता हँू क ऐसी कौन सी खास बात ह


जो मसीह व ास को तथा बाइबल को बाक सभी धम से अलग करती है ।
वो बात यह है क िसफ बाइबल और इसम य परमे र ह हम मु त म
पाप- मा का दान दे ना चाहता है िजसका हमारे धम, जाित तथा संःकार से
कोई लेना दे ना नह ं है । हालां क ःवयं परमे र ने इसका बहत
ु बड़ा मू य
चुकाया है ।

फर जैसा क म पहले कह चुका हँू क व ास के ारा अनुमह ह से


(अथात परमे र क कृ पा से) हमारा उ ार हआ
ु है और यह हमारे भले
काम के कारण नह ं है क कसी भी र ित से इस पर घम ड कर सक।

मेरा मानना है क हमारा उ ार (मो ) हमारे काम पर िनभर नह ं करता है


य क िजतने भी भले काम हम कर वे सब परमे र के अितप वऽ और
ऊँचे मापद ड के सामने धूल और खाक के समान ह। हम ऐसे कोई काम
नह ं कर सकते िजससे हम ई र को ूस न कर सक क वो हमारा उ ार
जीवन से सा ा कार 76

करे । और बाइबल के अनुसार तो हम रचे ह इसिलए गये ह क भले काम


कर तो फर उनके ारा हम कोई वशेष यो यता तो यूँ भी नह ं िमल
सकती। बि क मन, वचार, ःवभाव तथा कम से कये गए अपने जीवनभर
के पाप के कारण हम वैसे ह उसके कोप तथा सज़ा के भागीदार हो गए ह
इसिलए यह बहत
ु ज़ र है क उसके याय का समय आने से पहले ह हम
उसे ढंू ढ और और अपने पाप क मा ूा कर।

हम म से हरे क को ई र क अथात ूभु यीशु क आवँयकता है भले ह


हम कोई भी य न ह , कसी भी धम या जाित म पैदा हए
ु ह , कैसे भी
हम रहते ह , हमारा सामािजक ःतर कुछ भी य न हो, हमने कुछ भी
य न कया हो और कुछ भी करने क यो यता हम य न रखते ह ।

***

इसिलये क सबने पाप कया है और परमे र क म हमा से र हत ह …


[रोिमय 3:23]

य क पाप क मज़दरू तो मृ यु है , परं तु परमे र का वरदान हमारे


ूभु मसीह यीशु म अन त जीवन है ।
[रोिमय 6:23]

बाइबल के अनुसार इस धरती पर कोई भी ऐसा य नह ं है जो िनंपाप


हो और िजसने मन से, वचार से, बोली से या कम से कोई पाप न कया
हो और इसिलए हम सभी परमे र क म हमा से दरू ह। और हम सभी को
पाप क क़ मत चुकाने क ज़ रत है य क पाप लेकर कोई भी ःवग म
ूवेश नह ं कर सकता। कई धम तथा मत, याय क इस बात को समझते
ह क सभी को अपने जीवन का लेखा दे ने के िलए परमे र के याय
िसंहासन के स मुख खड़ा होना है और परमे र के याय के अनुसार ह हम
ःवग अथवा नक म जाएँगे।

बाइबल के अनुसार वे लोग जो ूभु यीशु के आने का सुसमाचार नह ं सुन


सके और इस दिनया
ु से मानव शर र छोड़कर चले गये, उनका याय
परमे र के उिचत िनणय के अनुसार होगा परं तु िज होन परमे र क
क णा का समाचार सुनकर भी उसका ितरःकार कया है वे पहले ह से
77 उ ार

अपने ऊपर द ड ले आए। िसफ वे, िज होन यीशु मसीह पर व ास कया


है और उनको अपना मािलक/ूभु मान िलया है उनके िखलाफ द ड क
आ ा नह ं रह और वे सनातन परमे र के साथ हमशा का जीवन बताने
के अिधकार हो गए ह।

यह परमस य है । इसे समझना और अपने जीवन म ूमुख ःथान दे ना


ज़ र है । इसे तोड़ा-मरोड़ा, झुठलाया अथवा नकारा नह ं जाना चा हए।

हम न तो अपने य गत पाप के, और न ह कसी दसरे


ू के पाप क
क़ मत चुक
् ाने के यो य ह य क हम सभी बराबर के पापी ह और परमे र
के ूित उ रदायी ह।

तो फर कौन इन पाप क क़ मत चुका सकता है ?

िसफ ऐसा एक य िजसने कभी पाप न कया हो और जो प वऽ कहलाने


क ौेणी म आता हो। वह य जो हमारे पाप क क़ मत चुकाने के िलए
ूाण दे ने तक भी तैयार हो ( य क पाप क मज़दरू तो मृ यु है ) और
बदले म जो हमसे कुछ न मांगे य क हमारे पास उसे दे ने यो य कुछ भी
नह ं है ।

ऐसा दयाव त, ूेमी तथा भला य जो परमप वऽ भी हो, ःवयं परमे र


के अलावा कौन हो सकता है ?

म इसे एक उदाहरण के ारा समझाने क कोिशश करता हँू । मान लीिजए


क एक पता अपने नासमझ पुऽ के साथ एक महं गी दकान
ु से सजावट के
िलए कुछ कलाकृ ित लेने गया और गलती से बेटे ने दकान
ु म रखी एक
बेशक़ मती कलाकृ ित तोड़ द ।

तो आप या सोचते ह क दकानदार
ु उनको बना क़ मत चुकाए जाने दे गा?
बलकुल नह ं।

तो या पुऽ उसक क़ मत चुका सकता है जब क वो कुछ कमाता भी नह ं


है ? नह ं।
जीवन से सा ा कार 78

ले कन कसी को तो चुकाना ह पड़े गा। या तो पुऽ, या पता या ःवयं


दकानदार
ु नुकसान को सह ले और उ ह जाने दे । परं तु कोई दकानदार
ु ऐसा
तो नह ं करता है । तो या पता अपने बेटे को छोड़कर चला जाए य क
उसके बेटे ने एक ऐसी गलती क िजसक वो क़ मत चुकाने के यो य नह ं
है । नह ं।

तो ऐसे म एक ह राःता है क पता ह अपने बेटे क गलती क क़ मत


चुकाए और वो सहष ऐसा करता है य क वो अपने बेटे से यार करता है ।
भले ह उसे अपने बेटे क इस गलती क कतनी भी भार क़ मत य न
चुकानी पड़े ।

तो फर या पता हमशा अपने पुऽ को उस गलती क और अपने बिलदान


क याद दलाता रहता है ? नह ं, अ पतु एक अ छा पता यह चाहता है क
उसका पुऽ फर से भ वंय म ऐसी गलती न करे और ऐसा ह वह उसे
िसखाता भी है ।

सोिचए, परमे र अपने ब च से िजनको उसने बनाया, कतना यार करता


है ? तो या वो हम हमारे पाप के बोझ तले तड़पता छोड़ सकता है जहां
हमारा वनाश हो जाए? कभी नह ं, परमे र हम छुड़ाता है य क वो हमसे
ूेम करता है । उसने हम पैदा कया है और वो हमारा ःवग य पता है । वो
न िसफ हमारे पाप को मा करता है बि क हमारे सारे पुराने पाप को
मा करने के बाद हमशा के िलए भुला भी दे ता है । उसके बाद वो हमसे
अपे ा करता है क उसके ूेम तथा साम य को पहचानते हए
ु हम एक
प वऽ जीवन जीएँ ता क इस दिनया
ु के बाद हम अनंत जीवन पता परमे र
के साथ बता सक।

हम लोग उपरो उदाहरण को नह ं समझ सकते य द हम कम के ारा


मो पाने म व ास करते रहे ह । कम वाली यवःथा परमे र के यायी
ःव प को नह ं समझा सकती है ।

मेरे साथ एक और उदाहरण को दे िखए िजससे पहला उदाहरण और ःप हो


जाएगा और कम ारा उ ार न हो पाने क बात क स चाई और गहराई से
समझ आएगी।
79 उ ार

एक ह यारे क क पना क िजए जो क कसी क ह या के आरोप म


यायाधीश के सामने लाया गया। य द वो कहे क अपनी िजंदगीभर वह
भले काम करता रहा है , उसने समय पर पूरा कर चुकाया, सभी िनयम
तथा कानून का पालन कया, सामािजक काय के िलए चंदा दया और
तमाम तरह के भले काम कये और अ ततः वह इस दलील के चलते यह
कहे क उसे बाइएज़त बर कर दया जाए य क उसने एक सह कारण से
बदला लेने के िलये एक ह या क ।

मेरे वचार म आप ज़ र सोच रहे ह गे क भले काम अपनी जगह ह परं तु


कानून तोड़ने क और ह या जैसा जुम करने क सज़ा तो उसे िमलनी ह
चा हए। य द यायाधीश उसे छोड़ दे तो हम उस यायाधीश को िन य ह
प पाती ठहराएँगे।

तो फर हम इस बात को कैसे मान लेते ह क हम जीवनभर जो पाप करते


रहते ह उनके बदले भले काम कर हम उनका पलटा परमे र को दे सकते
ह। या आपको लगता है क परमे र का याय हमारे याय से भी िन न
ःतर का है ?

अब सोिचये क कसी जज के सामने अपराधी उसका अपना बेटा होता,


तौभी या जज यह कह सकता था, बेटे, "म तुमसे यार करता हँू और
इसिलये म तु ह माफ करता हँू "? नह ं।

याय क थोड़ भी समझ रखने वाला जज ऐसा नह ं कर सकता। पर य द


वो जज कहे , "बेटे म तुमसे बहत
ु यार तो करता हँू पर तुमने जो अपराध
कया है उसके िलये मुझे तु ह सजा तो दे नी ह पड़े गी", और वो उस बेटे
पर भार जुमाना करे , और फर अपनी जज क कुस से उतरकर अपनी
समःत जमापूज
ँ ी से उसका जुमाना भर दे तो या हम उसे प पाती जज
कह सकते ह। नह ं।

तो या बेटा उसपर ूेम न करने का आरोप लगा सकता है ? नह ं।


जीवन से सा ा कार 80

परमे र िनंप यायी है । वह कभी न तो अ याय करता है और न ह वह


कभी प पात करता है । वह तो परमप वऽ है । हम ह पापी ह, और यह बात
समझ लीिजए क जो भी पाप हम करते ह वे सभी परमे र के सम रहते
ह और परमे र सभी पाप को बराबर समझता है । उसके िलए कोई पाप
छोटा या बड़ा नह ं होता, वो तो सभी पाप से घृणा करता है । सोिचए क
हम सब कतने गुनाहगार ह और सज़ा के हकदार ह।

अपने अपने जीवन म हम सभी अलग अलग तरह के गलत काम करते ह
िजससे हमारा अनंत जीवन हमसे खोता चला जाता है । आप या करते ह
वो उससे अलग हो सकता है जो म करता हँू पर अ ततः सभी पाप हम
आि मक मृ यु (परमे र से हमशा के िलए अलगाव) क ओर खींचते चले
जाते ह।

य द हम अपने जीवन म कये वचार तथा कम क ओर दे ख और पाप क


ओर अपने ःवभावगत झुकाव पर वचार कर तो हम पाएँगे क हम पापी ह
और इसिलये हम हमारे पाप क सज़ा िमलनी चा हए। तौभी, पहले दए
उदाहरण के पता क तरह ूभु यीशु मसीह ने अपना र बहाकर हमारे
पाप क क़ मत चुका द ता क हम पाप तथा मृ यु के बंधन से छुड़ाकर
ःवग के रा य म ूवेश दलाएँ।

***

परमे र क क णा से हम तक पहँु चे ‘मो के सुसमाचार’ का ितरःकार


करना भी एक पाप है । य द इस क़ताब को पढ़ते समय कसी भी समय म
आपको ऐसा अहसास हआ
ु है क परमे र आपको आपके पाप क मा
मांगने के िलए ूे रत कर रहा है , तो अपना दल कड़ा मत क िजए बि क
तुरंत अपने पाप क मा माँगकर मा ूा क िजए ता क आप परमे र
क छऽछाया म अपना जीवन बता सक।

य द अब तक आपने अपना मन नह ं बनाया है तो फर आगे प ढ़ए ता क


आप जान सक क जी वत परमे र कस ूकार ूाथनाओं के उ र दे ता है ।
i k v k s!
8 izkFkZukvksa ds mRrj

“मने सीखा क परमे र अलग अलग तर क से हमसे बात करता है । कभी


प रिःथितय के ारा, कभी हमार ूाथना म मांगी गई वःतु दे कर, कभी अपने दास
के ारा तो कभी अपनी मीठ आवाज से जो हमारे मन म आती है । िसफ़ व ास के
ारा ह हम इन उ र को सुन सकते ह।”

सभी ूाथनाओं के उ र होते ह

जब ूाथनाओं के उ र होने क बात आती है तो आमतौर पर ये माना जाता


है क ये तो ई र क मज है क वो ूाथना को सुने या ना सुने और
उसका अिधकार है क उसका उ र दे या न दे । इसम परमे र के अिधकार
क बात तो ठ क है पर उपरो कथन पूर तरह से स य नह ं है य क
परमे र का एक ःवभाव है और वो उसके वपर त कभी यवहार नह ं
करता।

याद रख क वो प वऽ परमे र है और कभी न तो झूठ बोलता है और न


ह अपने वायद से मुकरता है । वह इं सान क तरह नह ं है क अपनी बात
से बदल जाए।

बाइबल म परमे र ने अपना ःवभाव य कया है । आइए दे ख क वो इस


बारे म या कहता है । ियमयाह क पुःतक 29:12 म ऐसा िलखा है –

तब उस समय तुम मुझ को पुकारोगे और आकर मुझ से ूाथना करोगे


और म तु हार सुनग
ूँ ा।

पुराने िनयम (ूभु यीशु के पृ वी पर मानव प म आने से पहले का


ववरण) म कये अपने वायद को परमे र नये िनयम (ूभु यीशु के मानव
जीवन से सा ा कार 84

प म आने का तथा उसके बाद का ववरण) म भी िस करता है । म ी


तथा लूका रिचत सुसमाचार म ऐसा बताया गया है क ूभु यीशु ने कहा
(म ी 7:7 तथा लूका 11:9) –

माँगो, तो तु ् हे दया जाएगा; ढँू ढो तो तुम पाओगे; खटखटाओगे, तो


तु हारे िलये खोला जाएगा।

और 11वीं आयत म भी क –

“अतः जब तुम बुरे होकर, अपने ब च को अ छ वःतुएँ दे ना जानते


हो, तो तु हारा ःवग य पता अपने माँगनेवाल को अ छ वःतुएँ य न
दे गा ?”

फर म ी 18:19 म –

“ फर भी म तुम से कहता हँू , य द तुम म से दो जन पृ वी पर कसी


बात के िलए एक मन होकर उसे माँगे, तो वह मेरे पता क ओर से जो
ःवग म है , उनके िलए हो जाएगी।”

और म ी 21:22 म –

“और जो कुछ तुम ूाथना म व ास से माँगोगे वह सब तुम को


िमलेगा”

मरकुस 11:24 म भी –

“इसिलए म तुम से कहता हँू क जो कुछ तुम ूाथना करके माँगो, तो


व ास कर लो क तु हे िमल गया, और तु हारे िलये हो जाएगा।”

युह ना के अ याय 14 के 13 तथा 14 आयत म ज़ोर दे ते हए


ु क –

“जो कुछ तुम मेरे नाम से माँगोगे, वह म क ँ गा क पुऽ के ारा पता


क म हमा हो। य द तुम मुझ से मेरे नाम से कुछ माँगोगे, तो म उसे
क ँ गा।”
85 ूाथनाओं के उ र

युह ना 16:24 म ूभु यीशु ने फर कहा –

“अब तक तुम ने मेरे नाम से कुछ नह ं माँगा; माँगो, तो पाओगे ता क


तु हारा आन द पूरा हो जाए।”

हमारा परमे र अ फ़ा (आ द) और ऑमेगा (अंत) है (ूकािशतवा य 1:8),


जो कभी नह ं बदलता परं तु कल, आज और कल एक सा रहता है (इॄािनय
13:8), जो क प वऽ है ( 1 पतरस 1:16, लै य यवःथा 11:44,45, 19:2
20:7) और िस है ( यवःथा ववरण 32:4, 2 शमुअल 22:31)। वो
परमे र जो स दय से वायदे करता चला आ रहा है वो अपने च रऽ क
अख डता के कारण अपने सभी वायदे पूरा करता है ।

य द हम ूभु यीशु मसीह क ूकृ ित, उनके ःवभाव तथा उनके च रऽ को


जानते ह तो हम इस बात म कतई संदेह नह ं होगा क परमे र हरे क
ूाथना का जवाब ज़ र दे ता है । व क ज़ रत िसफ इतनी है क हम
उसके जवाब को सुनने के िलए अपने आि मक कान को तैयार कर। जैसे
हम रे डयो या टे ली वजन म अपनी पसंद के कायबम सुनने अथवा दे खने के
िलए सह आवृित ( ृ वसी) पर चैनल लगाते ह उसी ूकार हम अपने
मन-मिःतंक को सह जगह लगाना पड़ता है ता क परमे र क मीठ
मह न आवाज़ को सुन सक।

य द हमार ूाथना सुनी नह ं जाती है या हम अपनी ूाथनाओं के जवाब


नह ं पाते ह तो इसके दोषी हम ःवयं ह, परमे र नह ं। मने कई लोग को
ई र पर दोष लगाते दे खा है जब क गलती हमार ह होती है । सच म यह
परमे र क लापरवाह नह ं है बि क हमारा अ व ास या गलत चीज म
(या गलत जगह पर) व ास है ।

परमे र के वायद को अपने जीवन म पूरा करने के िलए हम कुछ शत को


पूरा करना पड़ता है । अपनी ूाथनाओं के उ र पाने क शत ये ह क हम
परमे र के माग पर चलने वाले ह , उसके वचन म जड़ जमाए ह , उसक
जी वत आवाज़ को सुनने और मानने वाले ह , पापर हत जीवन बताते ह
तथा उसक मज़ पूर करते ह । य द हमसे कमजोर म या अनजाने म पाप
जीवन से सा ा कार 86

हो भी जाए तो उससे प ाताप कर आगे का जीवन परमे र के भय म


बताना ज़ र है ।

बाइबल म यशायाह 59:1,2 म िलखा है –

“सुनो, यहोवा (परमे र) का हाथ ऐसा छोटा नह ं हो गया क उ ार न


कर सके, न वह ऐसा ब हरा हो गया है क सुन न सके; पर तु तु हारे
अधम के काम ने तुम को तु हारे परमे र से अलग कर दया है , और
तु हारे पाप के कारण उसका मुँह तुम से ऐसा िछपा है क वह नह ं सुनता”

और युह ना 15:7 म –

“य द तुम मुझ म बने रहो और मेरा वचन तुम म बना रहे , तो जो


चाहो माँगो और वह तु हारे िलये हो जाएगा।”

जब हम ूाथना करते ह तो हम यह व ास रखना बहत


ु ज़ र है क
िजससे हम ूाथना कर रहे ह वह परमे र जी वत तथा भरोसेमंद है और
अपने वायद को पूरा करता है । ूाथना के समय हम पूरा व ास करना
चा हए (और संदेह नह ं होना चा हए) क वो इसका उ र ज़ र दे गा, यहाँ
तक क ूाथना करने के तुरंत बाद य द हम पूरा व ास है तो हम परमे र
का ध यवाद कर सकते ह क उसने ूाथना को सुन िलया और उसका उ र
दे दया है । इसके अलावा और भी बहत
ु सी बात म िलख सकता हँू पर य द
हम परमे र से ूेम करते ह और उसका भय मानते ह तो वो काफ़ है
य क इन के होते हम अपने मन, ूाण तथा आ मा से आ ाका रता का
जीवन बताते ह।

ये सभी बात मने अपने आि मक जीवन म धीरे -धीरे सीखीं जैसे जैसे म
प वऽ आ मा के चलाए जीवन जीता रहा। हालां क शु आत म तो मुझे ान
क बहत
ु सी बात नह ं पता थीं पर परमे र ारा दया नया जीवन, ब च
जैसा सरल व ास, ूाथना करने का तथा उ र पाने का उ साह और उसके
वचन क भूख थी जो मुझे सदा परमे र के साथ रखती थीं और मेर
ूाथनाओं के जवाब दलाती थीं। और म आज भी ये मानता हँू क परमे र
के साथ जीवन बताने के ूेम ह काफ ह, ान क कोई ूधानता नह ं है ।
87 ूाथनाओं के उ र

मने सीखा क परमे र अलग अलग तर क से हमसे बात करता है । कभी


प रिःथितय के ारा, कभी हमार ूाथना म मांगी गई वःतु दे कर, कभी
अपने दास के ारा तो कभी अपनी मीठ आवाज से जो हमारे मन म आती
है और व ास के ारा हम उसे सुनते ह।

य द हम सट क ूाथना करते ह तो हम सट क जवाब भी िमलता है । परं तु


य द हम बात को गोल गोल घुमाकर ूाथना करते ह तो या तो उसका
जवाब ह नह ं िमलता और य द िमल भी जाए तो हम इसे समझ नह ं
पाते। सट क ूाथना के िलए हम परमे र के व ास क ज़ रत पड़ती है ।

***

परमे र से ूाथना के जवाब कैसे पाएँ

यह एक बहत
ु मह वपूण िस ा त है जो मने बाइबल से सीखा है और म
आपके साथ बांटना चाहता हँू । बाइबल अनेक वायद से भरपूर है । परमे र
के वायदे खज़ाने क चाबी क तरह ह जो क हम दे द गई है ।

जब भी हम बाईबल म एक वायदा पाएँ, हम तब तक ूाथना करना चा हए


जब तक प वऽ आ मा हमारे मन म स पूण व ास न भर दे और हम
ऐसा लगने न लगे क यह वायदा हमारे ह िलए है । अगर वायदा कसी शत
के साथ हो तो पहले आप इस शत को पूरा कर और फर ूाथना कर;
पर तु य द यह वायदा बना कसी शत के दया गया हो तो तुरंत व ास
के ारा अपनी ूाथना का उ र ूा करना चा हए तथा यह मान लेना
चा हए क सह समय म परमे र इसे पूरा करगे और फर हम ूाथना के
जवाब के िलए परमे र का आभार ूकट करना चा हए। परमे र अपने
समय म आपको आशीष ज़ र दगे। हम तब तक ूाथना करनी चा हए जब
तक परमे र क आ ासन न आ जाए क ूाथना सुन ली गई है । म
आपसे कह सकता हँू क यादा समय नह ं बीतेगा क आप परमे र के
वायदे को अपने जीवन म पूरा होते दे खगे।

***
जीवन से सा ा कार 88

गवा हयां

ूभु यीशु म व ास करने के बाद धीरे धीरे मने ऊपर िलखा िस ा त


सीखा। म शु से लेकर अब तक परमे र क व ासयो यता से अचि भत
होता रहा हँू ।

यूँ तो हमारा जीवन ूभु के सभी व ािसय क तरह अनिगनत आशीष से


और गवा हय से भरा हआ
ु है , पर तु म यहाँ सब बात का उ लेख नह ं कर
रहा हँू । म आपको उ सा हत करने के िलए और यह दखाने के िलए क
परमे र कतना महान है और ूाथनाओं के उ र दे ने वाला भला परमे र
है , कुछ बात यहाँ िलख रहा हँू जो क मेर याददाँत म बलकुल साफ साफ
अं कत ह।

हरे क ूाथना के उ र के साथ परमे र ने हम कुछ िसखाया है िजससे


हमारा व ास बढ़ता चला गया है और ूभु यीशु हम उस दन के िलए
तैयार कर रहे ह जब वो फर से आने वाले ह।

असफलताओं का सफलता म बदलना

मुझे जहाँ तक याद है , म पढ़ाई म कभी भी बहत


ु तेज नह ं था। बि क
खेलकूद म ह मेरा मन यादा लगता था। ऐसे खेल िजनम शार रक
यायाम एयादा होता है वे मुझे पसंद थे जैसे कुँती, फुटबॉल तथा बकेट।

गिणत और व ान से तो मेरा हमशा से छ ीस का आंकड़ा रहता था। नवीं


क ा तक तो म साठ ूितशत (60%) अंक लेकर पास हो ह जाता था
परं तु 10वीं क ा के अध-वा षक पर ाओं म मेर भ पट गई य क मेरे
100 म से िसफ 3 ह अंक आए।

पढ़ाई के िलये ठ क वातावरण न िमलने के कारण ऐसा हआ


ु था। म ःकूल
से भागकर फ म दे खने लगा और पढ़ाई से मुझे डर लगने लगा था। दसवीं
क बोड पर ा म मेरे बहत
ु बुरे अंक आये। गिणत म तो म फेल ह हो
गया था िजसके िलए मने फर से इसका पचा िलखा और 47% लेकर पास
हआ।
ु बड़ मुिँकल से म तीय ौेणी से दसवीं म पास हआ।

89 ूाथनाओं के उ र

आगे क पढ़ाई के िलए म व ान नह ं चुनना चाहता था पर पापा ने कहा


क य द वे वषय मेर बस म न ह तो म न लूं। यह बात मुझे चुभ गई
और मने व ान के ह वषय लेना तय कया चाहे आगे कुछ भी य न
हो।

के ि य व ालय म तो मुझे यह वषय नह ं िमल रहे थे तो मने पौ ार


व ालय म जाने का िनणय िलया। यह िसफ लड़क का ःकूल था और यहाँ
के छाऽ के िलए दिनयाभर
ु क सार शरारत के बाद ह पढ़ाई का ःथान
आता था। मने वहाँ कई िमऽ बना िलए और कई नई गलत बात सीखीं। म
अपने दोःत के साथ िसगरे ट पीने लगा (शायद मेरे प रवार के लोग आज
तक भी ये बात न जानते ह ), स ाह म एक या यादा बार फ म दे खने
लगा, घर के बजाय हॉटल म खाना खाने लगा, लड़ कय को छे ड़ने लगा
और लड़ाई-झगड़ा करना मेरे िलए आदत सी बन गई।

इन सब बात के चलते, 11वीं क ा म मुझे स लीमटर आ गई। िगरते पड़ते


म उसम पास हो गया पर 12वीं म तो म फेल ह हो गया। 12वीं क पर ा
मने दोबारा द और 47% अंक से पास हआ।

मेर यो यता से नह ं पर आर ण के चलते जयपुर के सबसे अ छे व ान


कॉलेज (महाराजा कॉलेज) म मेरा दािखला हो गया। मने भौितक , भू व ान
तथा गिणत वषय िलए। अजीब बात ये थी क िजन वषय से मुझे डर
लगता था वो ह मेर िनयित बन गए थे।

ूथम वष म मेरे 55% अंक ह आये।

तीय वष म म कॉलेज के चुनाव म खड़ा हो गया। कई दोःत के चढ़ाने


पर मने यह िनणय िलया था और म भी सोचता था क इसी से मेर कुछ
तो पहचान बनेगी। चुनाव तो म हार ह गया पढ़ाई म भी मेर नुकसान
हआ।
ु इस साल मेरे िसफ 45% अंक ह आए।

हालां क म आ मिनभर होने क सोचा करता था ता क अपनी म मी तथा


भाई-बहन को खुश रख सकूँ परं तु इस दशा म म अब तक कुछ भी नह ं
कर रहा था। परं तु तीसरे वष म ूभु यीशु मेरे जीवन म आये और उसके
बाद मेरा जीवन ब कुल बदल गया।
जीवन से सा ा कार 90

मने सह या गलत, सभी कारण से लड़ाई-झगड़ा करना बंद कर दया। सभी


लड़ कय को म बहन क तरह दे खने लगा, मने िसगरे ट पीना बलकुल छोड़
दया, मेरा दमाग भी जैसे बदल सा गया था। म अपने जीवन के तथा
प रवार के ूित िज मेदार महसूस करने लगा था।

जैसे कोई अंधेरे कमरे म द या जलाता है ठ क उसी ूकार मेरे जीवन के


अंधकार म परमे र क योित आ गई थी। तीसरे वष म पहली बार मुझे
74% अंक िमले। यह मेरे जैसे व ाथ के िलए एक चम कार से कम नह ं
था। परमे र ने मेरे िलये यह कया था।

राजःथान व व ालय के क यूटर ड लोमा क भत पर ा म म ूभु क


दया से म आरि त सीट म ूथम ःथान पर आया था। यह भी एक
आ यकम ह था।

ूभु यीशु को जानने से पहले म नकल करने म उःताद था और पर ा से


पहले अपना यादा समय पिचयां बनाने म िनकालता था ता क पर ाओं म
उ र िलख सकूँ। परमे र को जानने के बाद ये आदत कहाँ चली गई ये
मुझे भी नह ं पता और न ह कभी ऐसी इ छा या ज़ रत मुझे कभी महसूस
हई।

मुझे भारत के सबसे ूित त संःथान म से एक, आई.आई.ट . ( ड़क ) म


उ च िश ा के िलये दािखला िमल गया। ये गवाह वृतांत म म आगे
बताऊँगा। ड़क म अपने आिखर ूोजे ट म म 92% अंक पा सका और
अपने िश क तथा गाइड से मुझे काफ सराहना िमली।

आगे नौकर म भी परमे र क बड़ क णा हम पर बनी रह और म ऊँचा


उठता चला गया।

मेर असफलताएँ गायब हो ग और सफलताएँ एक एक कर मेरे पास आने


लगी। परमे र का अनुमह िनरं तर मेरे साथ रहा और पढ़ाई, नौकर ,
पा रवा रक तथा य गत जीवन क सभी प रिःथितय म परमे र ने मुझे
सह िनणय लेने म मेर सहायता क । म सच म परमे र का तहे - दल से
शुबगुज़ार करता हँू ।
91 ूाथनाओं के उ र

तीन रा ीय ःतर क पर ाएँ पास क ं –


जो मनुंय के िलए असंभव है वो ई र के िलए संभव है

ःनातक पढ़ाई के आिखर वष म (1997-1998), मुझे दो बात म से एक


बात का चुनाव करना था – या तो म कोई नौकर क ँ या कसी अ छे
संःथान म उ च िश ा के िलए दािखला लू।ँ

पापा चाहते थे क म एक ूशासिनक अिधकार बनूं या फर कसी ूित त


जगह पर उ च तकनीक िश ा लूं। वो इस बारे म सार जानका रयां भी
इक ठ करके रखते थे। उनको शौक था क वो सलाह द। वो न िसफ
हमारा मागदशन करते थे बि क उन सभी को भी उ सा हत करते थे जो
उनसे राय लेने आते थे और उनको सब ूकार क जानकार दे ते थे।

म कॉलेज क पढ़ाई के बाद क यूटर (माःटर ऑफ क यूटर ए लीकेशंस)


क पढ़ाई करना चाहता था और मने इसी के िलए तैयार भी करना शु कर
दया था। पापा ने ज़ोर दे कर बहत
ु सी जगह पर अलग अलग वषय के
िलये फाम भरवाए। मने द ली व व ालय, बड़ोदा (वडोदरा) व व ालय,
ड़क व व ालय तथा बनारस हं द ू व व ालय के फाम भर दए।
भू व ान क उ च िश ा के िलए जाने क मेर कोई इ छा ह नह ं थी फर
भी पापा के कहने पर मने ड़क म भू व ान म एम. टै क. के िलए भी
फाम भर दया था।

हमार तैयार म एयादातर पापा के शराब पीकर आने से व न पड़ जाता


था। वो अगर इसे बंद नह ं कर सकते तो कम से कम माऽा तो घटा सकते
थे – यह वचार हमारे मन म आता था। कई बार मुझे अपने दोःत के
सामने पापा क इस आदत के कारण शिमदा होना पड़ता था। न तो म
अपने दोःत को अपने घर बुला सकता था और न ह तैयार करने उनके
घर जा सकता था य क फर मुझे घर क िचंता सताती रहती।

रिँम के सामने भी पापा ने कई बार घर म तमाशा कया पर िसफ ये एक


ऐसी दोःत थी िजसके सामने मुझे शम नह ं आती थी। वो हमारे प रवार का
एक भाग सी हो गई थी और हरे क बात म मुझे समझाती थी क यह पापा
जीवन से सा ा कार 92

क गलती नह ं है बि क शैतान उनके पीछे से हमको नाश करने क कोिशश


करता है । वो मेरे साथ इस वषय म ूाथना भी कया करती थी।

उन मह वपूण दन म एक दन पापा बहत


ु शराब पीकर घर लौटे और फर
आगे दो-तीन दन तक लगातार पीते रहे । आिखरकार मने उनको रोकने क
चे ा क और यह बात मुझे बहत
ु भार पड़ । वो बहत
ु गुःसा हो गये।
उ ह ने बड़े ःप श द म कह दया क म पहले िज़ दगी म कुछ करके
दखाऊं और फर उनसे बात क ँ अथवा नह ं।

उ ह ने कहा, "मुझे कुछ बताने क और समझाने क तु हार ह मत कैसे


हई
ु , तु हार औकात अभी या है ? तुम क ड़े के समान हो। क ड़े -मकोड़े रोज़
पैदा होते ह और मर जाते ह। मुझे कोई फक नह ं पड़ता य द तुम कह ं
जाकर मर जाओ।" उ ह ने मुझे कहा क म उनके घर से िनकल जाऊँ या
अपने आप को िस करके दखाऊँ। और यह भी, “जाओ और तीन
पर ाओं म पास होकर दखाओ वना मुझसे कभी ऐसी बात मत करना”।

मुझे बहत
ु दःख
ु हआ
ु और म परमे र के सामने बहत
ु रोया। इस पूरे वाकये
म एक ह खुशी क बात मुझे नज़र आ रह थी, वो ये क पापा ने कहा क
अगर म तीन पर ाएँ जो अभी बची थीं, उनम पास होकर दखा दँ ू तो वो
शराब पीना छोड़ दगे। फर भी दिनयावी
ु तर के से मेरे पास कोई आशा नह ं
थी य क तीन ह पर ाएँ बड़ ूित त संःथान क थीं और मेरे िलए
इन सबम एकसाथ पास हो पाना बहत
ु मुिँकल था।

मुझे तीन रा ीय ःतर क पर ाओं म बैठना था और मुझे मालूम नह ं था


क म कैसे पास होउं गा य क ये मेरे िलए ऐसा था जैसे कसी ने मुझे
अिभयां ऽक (इं जीिनय रं ग) और िच क सा व ान (मेड कल साइं स) दोन
के ूवेश पर ा म पास होने के िलए कहा हो, जो नामुम कन तो नह ं पर
बहत
ु ह दंकर
ु है ।

मेरे पास तैयार करने के िलए बहत


ु ह कम समय था। लोग साल साल भर
तैयार करते ह क ड़क म ूवेश पा सक, म 20-25 दन म या कर
सकता था। जो मेरे बस म था मने कया और बा क सब ूभु पर व ास
करके छोड़ दया था।
93 ूाथनाओं के उ र

बनारस हं द ू व व ालय क तथा ड़क क ूवेश पर ा दे ने के बाद म


ू आशा थी क परमे र ने मेर दआ
वडोदरा चला गया। मेरे पास एक अटट ु
सुन ली है और वो उसका जवाब ज़ र दगे। आिखर पर ा का प रणाम आ
गया और म वडोदरा के महाराजा सायाजीराव व व ालय का छाऽ हो
गया।

कुछ दन के प ात म मी ने फोन कया और मुझे अपना टकट बनाने के


िलए कहा। उ ह ने बताया क बनारस हं द ू व व ालय (MCA) क पर ा
का प रणाम आ गया और म पास हो गया था और मुझे वहाँ अपनी अंक-
तािलका (माक-शीट) जमा करनी थी। उन दन राजःथान व व ालय म
हड़ताल चल रह थी और इस कारण हमार अंक-तािलका नह ं आई थी।
मुझे य गत प म जाकर कायालय म उसक ूित मांगनी थी।

दसरे
ू दन फर म मी का फोन आया और उ ह ने मुझे ज द आने के िलए
कहा। उ ह ने फर बताया क बनारस जाने से पहले मुझे ड़क भी जाना
था य क म उसम भी पास हो गया था।

मेर आंख म आंसू आ गये और मेरा गला भर आया। म आगे कुछ नह ं


बोल पाया पर रोते रोते म ूभु का ध यवाद करता रहा। उसक क णा ने
मेरे िलए असंभव को संभव कर दया था।

म परमे र का ध यवाद करता हँू क उसने मुझे लि जत नह ं होने दया।


उसने अपना वायदा पूरा कया और मुझे पूँछ नह ं पर िसर ठहराया। ूभु क
ःतुित हो।

गिणत के एक ू का हल –
आवँयकता के समय व मान मदद

म ःनातक पढ़ाई के तीसरे वष म अंकगिणत का एक पचा दे ने के िलए


पर ा हॉल म बैठा था। अपनी नई आदत के अनुसार म ूाथना करने लगा
ता क ू मेरे िलए आसान ह तथा परमे र के बु और ान से म पचा
िलख सकूँ।
जीवन से सा ा कार 94

थोड़ दे र म पचा मेरे हाथ म आ गया। हमारे ू पऽ म तीन भाग हआ



करते थे िजनम तीन-तीन ू होते थे। हरे क भाग से कम से कम एक ू
लेते हए
ु हम कुल पाँच ू हल करने होते थे। पहले भाग से सवाल न हल
करने क दशा म हमार कॉपी क जाँच न होने क भी संभावना थी।

मुझे दसरे
ू और तीसरे भाग के सभी ू आते थे पर पहले भाग से एक भी
ू का हल नह ं आ रहा था। मुझे डर लगा क ऐसे तो म फेल ह हो
जाऊँगा। अब मुझे अपनी काबिलयत पर कोई भरोसा नह ं रहा। मने अपने
पेन-पेपर नीचे रखकर ूाथना करना शु कर दया।

ूाथना के तुरंत बाद जो भी मेरे दमाग म आने लगा, म उसे ज द ज द


िलखने लगा। इस ूकार पहले भाग से एक ू करने के बाद मने बाक का
पचा हल कया और घर भागा। घर पहंु चते ह मने कताब खोलकर दे खा तो
पाया क जो ू मुझे नह ं आता था और िजसका जवाब मने परमे र से
पाया था वो एकदम वैसा ह था जैसा कताब म िलखा था।

बाइबल म याकूब 1:5 म िलखा है –

“पर य द तुम म से कसी को बु क घट हो तो परमे र से माँगे,


जो बना उलाहना दए सबको उदारता से दे ता है , और उसको भी द
जाएगी।”

परमे र ने अपना ये वायदा भी पूरा कया। म परमे र क िनरं तर


उपिःथित के िलए और तुरंत ूाथना के उ र के िलए उसका सदा ध यवाद
करता रहता हँू ।

ड़क म चच का िमलना –
अनपेि त जगह म ूाथना के उ र िमलना

कॉलेज क पढ़ाई के बाद, परमे र ने अपनी मज मेरे जीवन म पूर क


और बाक सब ार बंद कर िसफ ड़क का ार खुला रखा। मने भू व ान
(ए लाइड िजयोलॉजी) के एम. टे क. ूोमाम म ूवेश ले िलया। पापा मुझे
95 ूाथनाओं के उ र

वहां छोड़ने गये थे, यह उनके िलए एक ऐसे ःव न के समान था जो पूरा


हो गया था।

वहाँ जाने के बाद बहत


ु समय तक मुझे कोई चच नह ं िमला। मेर िगदौन
बाइबल ह मुझे हर दन परमे र के बारे म िसखाती थी और मेरा
उ साहवधन करती रहती थी। म रोज इसम से पढ़ता था और ूाथना कया
करता था। म जयपुर फोन करके पाःटर पीटर से भी आमह करता था क
वो मेरे िलए एक चच ढंू ढे।

मेरे एक सहपाठ (और बहत


ु अ छे िमऽ) लेखराज के साथ, जो मेरे साथ
गंगा भवन (छाऽावास) म रहता था, मुझे परमे र के ूेम का सुसमाचार
बांटने का मौका िमला। कभी कभी म उसके साथ ूाथना करने के िलए
उसके कमरे म चला जाता था।

एक दन जब म उसके कमरे म बैठा था और वो अपना कमरा साफ कर


रहा था; तभी एकाएक परमे र ने जैसे मुझे उस कचरे म से कुछ उठाने के
िलए ूे रत कया। आमतौर पर हम ऐसा नह ं करते पर पता नह ं य मने
तुरंत उस कचरे म से, जो वो झाड़ू से िनकाल रहा था, एक मुड़ा-तुड़ा कागज़
उठा िलया। वो एक मसीह ूचार का कागज़ था िजसम कलीिसया का पता
तथा एक आमंऽण संदेश िलखा था। तब से लेकर जब तक हम ड़क म
रहे , हम (म और ूेरणा) उसी चच म संगित करते रहे । पाःटर लांस का यह
चच हमारे जीवन म एक अलग ःथान रखता है । यह वो जगह थी जहाँ
ूेरणा ने उ ार पाया और हम साथ म व ास म बढ़े ।

परमे र ने एक ऐसी जगह पर मुझे मेर ूाथना का उ र दया जहाँ म


कतई भी इसक उ मीद नह ं कर रहा था। इससे परमे र ने िसखाया क
जब हम ूाथना करते ह तो इसका जवाब पाने के िलए हमशा सब जगह
तैयार रहना चा हए य क परमे र अनपेि त जगह पर भी ूाथना का
जवाब दे सकता है ।
जीवन से सा ा कार 96

मेरे बैग का खोना और पाना –


परमे र पर व ास कर शांित के साथ आगे बढ़ना

य द हम ब च जैसे सरल व ास के साथ बना संदेह के ूाथना कर तो


हम हरे क ूाथना का जवाब पा सकते ह। परमे र ने ऐसा आ ासन बाइबल
म दया है ।

ड़क क पढ़ाई के दौरान स दय क छुि टय म मने घर जाने क योजना


बनाई। जब म तैयार कर रह था तो मुझे पता चला क दे हरादन
ू म एक 3
दन क मसीह सभा होने वाली थी। मने सोचा क म पहले इसम जाऊँगा
और फर सीधा जयपुर चला जाऊंगा।

वहाँ जाने का अनुभव बड़ा ह अ छा रहा। हर दन क शु आत ूाथना,


आराधना तथा बाइबल वचन से होती थी। उसके बाद पूरे दन म 2 या 3
ूचार होते थे, दन म अलग अलग गुट बनाकर कुछ आि मक वषय पर
वचार- वमश होता था। इन तीन दन म हम व ास से और वचन से
लबालब भर गये थे।

सभा का समापन होने के बाद म द ली जाने के िलए म दे हरादन


ू से एक
बस म बैठा। द ली जाने का राःता ड़क से होकर गुज़रता था। बस जैसे
ह ड़क म क , म थोड़ा तरोताज़ा होने के िलए और पानी क बोतल
खर दने के िलये नीचे उतर गया। भार भीड़ के कारण बस तक पहँु चने म
मुझे थोड़ दे र हो गई और मेर बस छूट गई।

मने इस प रिःथित को भी बड़े आराम से िलया, म बदहवास नह ं हआ


ु ।
बि क मने परमे र का ध यवाद कया य क म जानता था क सब बात
उसके िनयंऽण म थीं। मैने व ास कया क ूभु मुझे मदद करगे क म
‘चीतल मांड’ (िमड-वे जहाँ बस थोड़ दे र के िलये कती थी) पर अपनी बस
वापस पकड़ सकूँ।

थोड़ दे र के इं तज़ार के बाद मुझे एक ःथानीय बस िमली और म उसम बैठ


गया। यह बस रोडवेज बस क तुलना म बहत
ु धीरे चल रह थी, फर भी
मेरा व ास मुझे परमे र क काबिलयत पर संदेह नह ं करने दे रहा था।
97 ूाथनाओं के उ र

बस म जो य मेरे पास बैठा था उसने मुझे गीत गाते दे खा और समझा


क म बहत
ु खुश था। उसने मुझसे इसका कारण पूछा तो मने उसे परमे र
के ूेम के बारे म बताया जो मुझे हरे क प रिःथित म आनंद दे ता है । फर
उसने पूछा क म कहाँ जा रहा था। मने उसे सार बात बताई क कस
तरह मेर बस छू़ट गई और म उसे चीतल मांड पर पाने क अपे ा कर रहा
था। उस भाई को बड़ा आ य हआ
ु य क िजस बस म हम बैठे थे वो तो
बहत
ु धीरे चल रह थी और रोडवेज बस को इससे पकड़ पाना नामुम कन
सा था। मने उससे कहा क परमे र के िलए कुछ भी मुिँकल नह ं है और
वो बस को एक घ टे तक भी रोके रह सकता है ।
म चीतल मांड पर इस बस से उतरकर िमडवे के बस-ःटड क ओर लपका
जहाँ मेर बस खड़ थी। झट से म उसम चढ़ गया और दे खा क सारे याऽी
पहले से बैठे थे और साईवर के पछले आधे घ टे से न आने के कारण
िभनिभना रहे थे। मने अपना सामान अपनी सीट पर सुरि त पाया। ज द
ह साइवर भी आ गया और हम चल पड़े ।

इस घटना के ारा भी परमे र ने िसखाया क वो हमशा हर िःथित को


अपने िनयंऽण म रखता है । अपने व ािसय पर वो क णा करता है , हम
हर छोट और बड़ प रिःथित म िसफ उसपर भरोसा करने क ज़ रत है ।
इस बात से परमे र ने मेरे व ास को बहत
ु बढ़ाया।

हमार पहली नौकर –


अनदे खे को दे खना परमे र ने िसखाया

म और ूेरणा दोन सहपाठ भी थे और साथी व ासी भी। हमार परमे र


पर िनभरता बढ़ती जा रह थी और परमे र भी हमार ूाथनाओं के उ र
दे कर हमारे व ास को बढ़ाता जा रहा था।

हम दोन को ह नौकर क स त ज़ रत थी ता क अपने अपने प रवार क


िज़ मेदार उठा सक। हमने यह वनती परमे र के चरण म रख द और
हर दन इस बात के िलए दआ
ु करते रहे ।
जीवन से सा ा कार 98

पॉल य गी चो क एक कताब ‘ व ास क अ त
ु रे खा’ पढ़ने से हमने
बाइबल का ूाथना के वषय म एक िस ा त सीखा था और इसिलए न
िसफ हमने इस बात पर व ास कया क हम नौकर िमल चुक है बि क
हमने इस बात को सबके सामने बोलना भी शु कर दया।

“अब व ास आशा क हई
ु वःतुओं का िन य, और अनदे खी वःतुओं
का ूमाण है ।”
[इॄािनय 11:1]

मुझे लगता था क हमार नौकर NIIT (इसर इं डया) क पनी म ह


लगेगी। म कई बार ऐसा बोल भी दे ता था। जब हम बोलते थे क हम तो
नौकर िमल चुक है तो हमारे कई िमऽ और सहपाठ इस बात पर हमारा
मज़ाक भी उड़ाते थे। वे तरह तरह के सवाल करते थे; कोई पूछता क या
हमने कोई घूस िखलाई थी, तो कोई ये क या हमार बड़ पहँु च थी। हमारे
पास इन सब बात का कोई जवाब नह ं था य क हम तो बस व ास के
ारा ह ऐसा बोलते थे।

कई लोग हम हतो सा हत करने क कोिशश करते। वे कहते थे क NIIT


क पनी कै पस इं टर यू (सा ा कार) के िलए आएगी ह नह ं, और अगर
आ भी गई तो भू व ान के छाऽ को पर ा म बैठने क अनुमित नह ं
दे गी। और यह भी हो गया तौभी क ा के सबसे होनहार तथा उ म छाऽ
का ह चयन करे गी। हम फस ड तो नह ं थे पर अ वल भी नह ं थे।

अ ततः वो दन आया जब प रसर म हो रहे इं टर यू के ख म होने से एक


दन पहले NIIT आई। अपनी एक घोषणा म उ ह ने यह बता दया क ये
भू व ान के छाऽ के िलए भी खुली थी। उ ह ने फर बताया क वे तीन
तरह क पर ा लेने वाले थे। हम तीसर पर ा GIS (भौगोिलक सूचना
ूणाली) के वषय म कुछ नह ं मालूम था।

हमने ूाथना करना शु कर दया क बाक सभी टे ःट म तो हम पास हो


सक पर तीसर टे ःट हो ह नह ं। दो पर ाओं के ख म होते ह तुरंत हम
पाःटर के पास गए और उनसे कहा क हमारे िलए दआ
ु कर ता क तीसर
पर ा न हो। उ ह ने हम समझाया क क पनी जब तैयार के साथ आई है
99 ूाथनाओं के उ र

तो बेहतर है क हम ूाथना कर क हम उसम पास हो जाएँ। पर हमने


फर भी कहा क हम इसक प रभाषा के अलावा कुछ भी नह ं आता।
पाःटर ने हमारे व ास को दे खते हए
ु ह षत मन से दआ
ु क क GIS क
पर ा न हो।

वापस आकर हमने दे खा क ूभु क दया से हम पहली दो पर ाओं म


पास हो गए थे। थोड़ दे र म क पनी के एक मनेजर ने आकर कहा क
समय के अभाव के कारण वे GIS क पर ा नह ले पाएँगे।

हम व ास हो गया क परमे र हमारे साथ था।

सा ा कार शाम 7:30 बजे शु हए।


ु युवितय को पहले बुलाया गया। ूेरणा
और म टहल टहलकर िनरं तर परमे र से ूाथना करते रहे । कई दोःत
आकर पूछते थे क ये पढ़ा या वो पढ़ा, और हम कह दे ते थे क जो नह ं
पढ़ा वो हम अब नह ं पढ़ सकते और फर हम दआ
ु म लगे रहते।

ूेरणा ने कहा क 35-40 िमनट का सा ा कार दे पाना उसके िलए बहत



मुिँकल था और ये भी क उसे जी.आई.एस. के बारे म यादा मालूम भी
नह ं था। हमने ूाथना क क उसका इं टर यू 15 िमनट से यादा न हो
और कोई तकनीक सवाल भी उससे न पूछा जाए। जब उसका न बर आया
तो 15 िमनट से कम समय म वो बाहर आ गई और उसने बताया क
उससे कोई तकनीक सवाल भी नह ं पूछा गया। हमने फर परमे र का
ध यवाद कया। उसके बाद जब वो वापस हॉःटल जाने लगी तो मने उससे
कहा क मेरे िलए दआ
ु करती रहे ।

रात म 1:30 बजे मेरा न बर आया। म 10-11 िमनट म ह वापस आ गया।


मुझसे भी कोई ग भीर तकनीक सवाल नह ं पूछे गये। मेरे बाद म मेरे ह
एक िमऽ दे वे ि का न बर था जो क 5 िमनट म ह बाहर आ गया।

कई लड़के बहत
ु नाराज़ हो रहे थे और क पनी को गालीयाँ दे रहे थे। उ ह
लग रहा था क बाद म क पनी ने िसफ खानापूित क थी, और िज हे वो
लेना चाहते थे उ ह पहले ह से चुन िलया था। मुझे बड़ शाि त के साथ
चलते दे ख उनम से कसी ने मुझसे पूछा क या मुझे गुःसा नह ं आ रहा
जीवन से सा ा कार 100

था। मने उनसे कह दया क क पनी कम से कम 2 जन को तो लेकर ह


जाएगी, ूेरणा और बृजेश; तो म गुःसा य क ँ । शायद उ ह ने सोचा क
मेरा दमाग खराब है ।

उनम से कुछ तो हमारे व ास के बारे म जानते भी थे फर भी वे


आि मक जीवन और भौितक जीवन के बीच स बंध नह ं बना पा रहे थे।
यह तभी होता है जब हम धम क पालना तो करते ह, उसके र ित रवाज
को भी मानते ह पर परमे र को अपने जीवन का अंतरं ग भाग नह ं बना
पाते ह। बाइबल से हमने सीखा था क हम दोहर िज़ दगी नह ं जीनी
चा हए बि क हमारा जीवन पारदश और परमे र को म हमा दे ने वाला होना
चा हए।

अगले दन सुबह हम प रणाम पता चले और कुल 8 लोग चुने गये थे


िजनम म और ूेरणा भी थे। उसके बाद एक बार हम सा ा कार के िलए
बुलाया गया। हमने दआ
ु क क हमारे डपाटमट से कोई भी छांटा न जाए,
और अ ततः 6 ह लोग चुने गए जो सभी हमारे डपाटमट से ता लुक
रखते थे।

परमे र ने दिनया
ु क सोच से परे एक आ यकम हमारे जीवन म कया
था। लोग कहते थे क NIIT (इसर इं डया) क पनी नह ं आएगी, वो आई।
वो कहते थे क अथसाइं स डपाटमट के छाऽ को नह ं लेगी पर सभी लोग
जो चुने गए वो इसी वभाग के थे। और वो कहते थे क बृजेश और ूेरणा
को नह ं लेगी पर हम दोन को भी िलया।

बाद म सूचना तकनीक (IT) म काम करने वाली कई क पिनय ने


चयिनत छाऽ को खेद-पऽ भेज दए। हमारे साथ के कई लोग भी िचि तत
हए
ु पर हमने कहा क परमे र अपनी आशीष म दख
ु नह ं िमलाता और ये
नौकर परमे र क आशीष ह थी। सो हमने उ ह आ ःत कया क
परमे र हम कभी िनराश नह ं करता इसिलए क पनी खेद-पऽ नह ं भेजेगी।
और ऐसा ह हआ
ु और अ ततः अपनी पढ़ाई ख म करने के बाद िसत बर
2001 म हम सभी ने द ली म नौकर शु क।
101 ूाथनाओं के उ र

इस बात से परमे र ने हम िसखाया क हम अॄाहम क तरह अनदे खे को


व ास से दे खना और अनिगनत को व ास से िगनना सीखना चा हए।
परमे र का ध यवाद हो।

हमार दसर
ू नौकर –
परमे र के वायद पर खड़े रहना

परमे र ने बड़ क णा दखाकर हम (म और ूेरणा) एक ह क पनी म


पहली नौकर द थी और सच म परमे र का हाथ िनरं तर हम पर बना रहा
था। हम अपने काम और सहकिमय के िलए भी दआ
ु करते थे। वैसे हमार
तरह कई कमचार बहत
ु मेहनत करते थे परं तु परमे र ने हमारे
अिधका रय के मन म हमारे िलए ऊँचा ःथान बनाया। हमने अपने पेशेवर
जीवन म सफलता पाई।

काम के िसलिसले म अूैल 2004 म मुझे अमर का भेजा गया और कई


अ छे ूोजे ट करने का मौका मुझे िमला। अमर का जाने से पहले मेरा
ु ढंू ढने पर भी नह ं िमला तो म िनराश
पासपोट खो गया था और जब बहत
हो चला था। पता नह ं य मने ूाथना नह ं क , पर ूेरणा ने ूाथना कर
उसे ढंू ढा और उसी जगह से, जहाँ हम कई बार ढंू ढ चुके थे, वो मेरा
पासपोट लेकर आ गई। परमे र ने िसखाया क जीवन क भागदौड़ म और
आगे बढ़ने के समय म भी हम परमे र को नह ं भूल जाना चा हए।

क पनी म मेरा काम सराहनीय रहा और इस के बाद परमे र क दया से


मुझे हमार क पनी का बड़ा ूित त पुरःकार दया गया। इसी के साथ
क पनी से मेर आशाएँ बढ़ ग थी और म अपे ा करने लगा था क नये
व वष म मुझे तन वाह म अ छ बढ़ो र िमलेगी, पर ऐसा नह ं हआ।

म समझ गया क अब समय आ गया क हम आगे बढ़ना चा हए। हमने
परमे र से नई नौकर के िलए ूाथना करना शु कर दया।

इसी के साथ यह बताना भी ज़ र है क 2003 म मेर और ूेरणा क


शाद हो जाने के बाद से, अपने कज को दे खते हए
ु , ूेरणा ने इ ह ं दन म
ूभु से ूाथना करना शु कया था क परमे र कैसे भी अपने ःवग य
जीवन से सा ा कार 102

भ डार से हमार ज़ रत इस ूकार पूर कर क हमारे सारे कज ख म हो


जाएँ।

ूाथना करने से पहले भी म अपनी अज कई क पिनय म भेजता रहता था


परं तु वो कभी चुनी ह नह ं जाती थी, पर ूाथना करने के बाद कई जगह
से मुझे सा ा कार का िनमंऽण िमला। शारजाह क क पनी िजसटे क
(GISTEC) ने मेरा सा ा कार टे लीफोन पर ह ले िलया और कुछ दन म
मुझे सूिचत कया क वे मुझे नौकर क पेशकश करना चाहते थे।

म नई नौकर के िलए शारजाह जाने के बारे म सोचने लगा। मने योजना


बनाई क पहले म जाऊँगा और फर सब ठ क करने के बाद ूेरणा को भी
बुला लूँगा, ले कन ूेरणा इस बात से खुश नह ं थी। वो चाहती थी क हम
साथ ह म शारजाह जाएँ। हम हमशा साथ रहे थे और एकाएक ऐसा िनणय
लेना सच म क ठन था।

हमारे व ासी भाई और हमारे नज़द क िमऽ राजकुमार ने भी कहा क


बाइबल म वायदा है क पित-प ी साथ रहगे।

“पर सृ के आर भ से परमे र ने नर और नार करके उनको बनाया


है । इस कारण मनुंय अपने माता- पता से अलग होकर अपनी प ी के साथ
रहे गा, और वे दोन एक तन ह गे; इसिलये वे अब दो नह ं पर एक तन ह।
इसिलये िजसे परमे र ने जोड़ा है उसे मनुंय अलग न करे ।”
[मरकुस 10:6-9]

म भी इस बात को जानता था पर व ास का कदम नह ं उठा पा रहा था।


DBF म शिनवार को होने वाली जवान क सभा म हमने इस बारे म
ूाथना क । शांित-माग के नाम से जार राजकुमार भाई और हमार सेवा म
हर इतवार क शाम एक ूाथना सभा होती थी िजसम सभी क ज़ रत के
िलए दआ
ु क जाती थी। उसम हम सभी ने इस वषय पर और ूाथना क
और हम ये व ास करते थे क (जैसा परमे र के वचन म िलखा है ) जहाँ
दो या तीन धरती पर एक मन होकर ूाथना करते ह, परमे र ःवग से
सुनकर उसका जवाब दे ता है ।
103 ूाथनाओं के उ र

व ास का कदम उठाकर मने क पनी को एक ई-मेल िलखा िजसम मने


बताया क मेर प ी भी बराबर क पढ़ -िलखी और अनुभवी थी। मने पूछा
क या वे उसके िलए भी एक नौकर दे सकते थे। मुझे जवाब िमला क
क पनी क नीित (पॉिलसी) के अनुसार वे पित-प ी को साथ म नौकर
नह ं दे सकते थे। फर मने इस बाबत उ ह कोई मेल नह ं िलखा।

हम लगातार ूाथना म लगे रहे और ूेरणा खासतौर पर बड़े बोझ के साथ


इस वषय म ूाथना कर रह थी। 10-15 दन बाद मुझे एक ई-मेल िमला
िजसम क पनी ने ूेरणा को नौकर क पेशकश क थी। ूभु ने हमारे िलए
क पनी क पॉिलसी भी बदल द ।

हमने इस ूःताव को ःवीकार कया और जुलाई 2005 म साथ ह शारजाह


आए। अभी भी इस क पनी म हम ह एकमाऽ जोड़ा है जो साथ काम कर
रहा है । परमे र का अनुमह िनरं तर हमारे साथ बना रहता है । ूभु क
ःतुित हो।

शारजाह जाने के राःते म –


भरोसा रखना और आ ाकार रहना

िज दगी म हमशा हमारे पास चुनाव करने का समय आता रहता है । या


सोच और या नह ं, या बोल और या नह ं, या कर और या नह ं,
या दे ख और या नह ं, कहाँ जाएँ और कहाँ नह ं, कैसे ूित बया कर और
कैसे नह ं आ द।

जब हम जी वत परमे र को जान लेते ह और उसम भरोसा रखना शु


करते ह तो हम उसका आ ाकार भी बने रहना चा हए। हम दनभर म
बहत
ु से िनणय लेते ह। हम उसम परमे र क आ ा का पालन कर सकते
ह या उसका ितरःकार कर सकते ह। हम जो भी िनणय लेते ह वो परमे र
को पूर तरह मालूम रहता है ।

जब हम शारजाह जाने क तैयार कर रहे थे तो मेरा एकमाऽ वदे श-याऽा


का अनुभव वह था जो मने थाईलड तथा जापान होते हए
ु अमर का तक
कया था। अपने उसी अनुभव के अनुसार कन कन चीज क ज़ रत हम
जीवन से सा ा कार 104

पड़ सकती है उनका अनुमान लगाकर बहत


ु सारा सामान हमने जमा िलया।
हमारे सामान का कुल वजन 94 कलोमम हो गया जब क हम िसफ 50
कलो ले जाने क ह अनुमित थी।

हमने अपने सामान के सुरि त शारजाह पहँू चने के िलए ूाथना क ।

हम लोग जहाँ ज र हो वहाँ पैसा जमा करने के िलए भी तैयार थे। जब


हम अपना बो डग पास लेने पहंु चे तो वहाँ बैठे कमचार ने कहा क हमारे
सामान का वज़न बहत
ु एयादा है और हम कर ब कर ब 10,000 पये जमा
करने पड़गे। यह रकम बहत
ु बड़ थी, तौभी हम यह दे ने के िलए तैयार थे।
हम लाइन म खड़े हए
ु मन ह मन ूाथना करते रहे ।

उसने हम एक तरफ खड़े होकर ूती ा करने को कहा। 10 िमनट बाद


उसने पूछा क या हम 5000 पये दे सकते थे। हम बड़ा आ य हआ
ु पर
हमने कहा, “हाँ, पर हम रसीद चा हए”। उसने फर हम थोड़ दे र खड़े रखा
और फर पूछा क या 2000 पये दे सकते थे और हमने फर वह जवाब
दया।

आिखरकार उसने बना कुछ पैसे िलये हम बो डग पास दे दया और अ दर


जाने को कहा। हम नह ं मालूम ये कैसे हआ
ु पर हम िसफ ये जानते ह क
हमने परमे र के आ ाकार रहकर र त न दे ने का िनणय िलया और ूभु
ने हमार सहायता क ।

जैसे हम आगे बढ़े , एक कःटम अिधकार ने हम रोक िलया और हमारा


सामान पहचानने को कहा। हमारे सामान को पहचानने के बाद उसने भी
कहा क हमारा सामान काफ़ भार था और पूछा क हमने इसके िलए
कतना पैसा चुकाया। हमने साफ साफ बता दया क हमने कुछ भी नह ं
दया। इतने पर उसका एक साथी आकर हम समझाने लगा क हम उसे
कुछ पैसा दे द अ यथा वो हमारे सामान को रोक सकता था या भार
जुमाना लगा सकता था।

हमने बताया क हम तो पहले भी कानूनन पैसे दे ने को तैयार थे और अब


भी। पछले कमचार ने हमसे कुछ भुगतान नह िलया यह हमार गलती
105 ूाथनाओं के उ र

नह ं थी। फर भी वह हम डराने क कोिशश करता रहा। मुझे समझ नह ं


आ रहा था क हम या कर, तभी ूभु ने मेरे मन म कुछ बात डाली।
मेर बाइबल मेरे हाथ म ह थी और मने कहा, “भाई, हम तो ूभु यीशु के
व ासी ह और सेवक ह। ूभु का वचन यह बाइबल कहती है क वो सदा
हमारे साथ रहता है , तो बताओ क हम उसके सामने यहाँ आपको र त
कैसे द?” और इसके बाद हमने उसे बताया और बाइबल से परमे र के
वायदे दखाए क कैसे परमे र अपने लोग क सार ज़ रत पूरा करता है
और उनके साथ रहता है और कैसे वो हमारे पाप क मा कर हम नया
जीवन दे ता है ।

तुरंत उस कमचार का मन बदल गया और वो कहने लगा क म भी ऐसा


चोर का काम नह ं करना चाहता। उसने वनती भी क क हम उसके िलए
नई नौकर के िलए ूाथना कर। उसने हम आ ासन दया क हमारे सामान
म कोई द कत नह ं आएगी और हम िनि ंत होकर जाएँ। हमने उसके
िलए दआ
ु क और हवाईजहाज म चढ़ गए।

हम अपने साज़ो-सामान के साथ सुरि त शारजाह पहँु च गए और हम कसी


तरह का अित र खचा भी नह ं करना पड़ा। यह हम अज़ीब लग सकता है
परं तु परमे र ऐसे कई काम अपने लोग के साथ करता है ।

हमने हरे क प रिःथित म उस पर भरोसा करना और उसके आ ाकार बने


रहना सीखा। हम समझते ह क हर दन के जीवन म हम परमे र क
कतनी ज़ रत है । हमारे अनुभव के आधार पर म आपको आ ःत करना
चाहता हँू क य द आप परमे र का भय मान और हर प रिःथित म उसक
इ छा के अनुसार िनणय ल तो परमे र आपको अनिगनत आशीष दे गा।

***

म आज भी जब अपना जीवन दे खता हँू तो म पाता हँू क अपनी साम य


म म आज भी पितत इं सान ह हँू , और अपने तर के से य द म मो क
ूाि का ूयास करता तो ज़ र नाश ह हो जाता। म तो यह भी नह ं कह
सकता क म बहत
ु अ छा इं सान हँू , या म प वऽ हँू , पर हाँ, म मेरे परमे र
पर गव ज़ र करता हँू क उसने अपनी दया के कारण मुझ जैसे पितत
मनुंय को पाप के क चड़ म से िनकालकर च टान पर ख़डा कर दया। मेरे
जीवन से सा ा कार 106

पाप के नंगेपन को दरू करने के िलए अपनी जान तक यैछावर कर द क


अपनी प वऽता मुझको ओढ़ाए और उसने ह मुझे नया मनुंय बनाया है ।

आज म जहाँ तक हो सके, रोज़ सुबह और शाम परमे र के साथ समय


बताता हँू । म उसके ूेम से अिभभूत हो जाता हँू य क हर दन उसक
क णा मुझपर नई होती है । वो मेरे पाप को मा कर मुझे प वऽ जीवन
जीने क ूेरणा दे ता है और जब म एक ब चे क तरह िगर जाता हँू तो भी
वो मुझे पता क तरह उठाता है और अपनी अंगुली पकड़कर मुझे चलना
िसखाता है । वो मेर ूाथनाओं का उ र करता है ।

म अभी भी सीख ह रहा हँू और ूभु यीशु के बना म कुछ भी नह ं हँू । म


अपने आप से कुछ भी नह ं करता परं तु वो जो अब मेरे अंदर रहता है मुझे
बु और सामथ दे ता है क म रोजाना का जीवन जी सकूँ और उसक
म हमा क ँ ।

हमारे जीवन म परमे र क व ासयो यता क और भी बहत


ु सी गवा हयां
ह पर म सबका उ लेख नह ं करना चाहता, फर भी आपको उ सा हत
करना चाहता हँू क य द आप भी व ास कर और ूाथना कर तो ऐसा या
इससे भी अ छा जीवन आपका हो सकता है ।
ijes'oj dh fo'okLk;ksX;rk
9
परमे र व ासयो य है । वो कसी के साथ अ याय नह ं करता है बि क वो
तो इस संसार के दबे कुचल के उ थान के िलए मानव प लेकर दिनया
ु म
आया ता क उनका उ ार करे । उसके वचन बड़े ूभावशाली ह यहाँ तक क
बाइबल म िलखा है क ःवग और पृ वी तो टल सकते ह पर परमे र के
वचन क एक भी बंद ु या माऽा पूरे हए
ु बना ना टलेगी।

वो अपने वायद पर स चा परमे र है ।


“वह अपने वायद पर खरा
हम अपने अिनि त भ वंय के ूित भी
परमे र है जो क उसने अपने
िनि ंत होकर अपना जीवन जी सकते ह
वचन म हमसे कये ह। वह
य क परमे र जो आ द से अंत को हमसे ऐसी शांित का वायदा
जानता है वो हमारे साथ है । करता है जो इस दिनया
ु म नह ं
िमलती। वह अपने वायदे पूरा
पछले पाठ म द गई सार बात परमे र करता है । वो व ासयो य
क व ासयो यता क गवाह ह। फर भी परमे र है ।”
म कुछ और गवा हयां यहाँ दे ना चाहता
हँू िजससे आप जान सक क परमे र व ासयो य है और समय उसके
िलए कोई कारक नह ं है । व ास क िजए, उसके काम करने का समय
एकदम सट क होता है ।

वो ूाथना का उ र तुरंत दे सकता है या उसम साल लगा दे , फर भी वो


जो भी करता है , वो िस होता है । हम उस पर हरे क प रिःथित के िलए
व ास कर सकते ह।

***
जीवन से सा ा कार 108

मेरे घराने का उ ार (मो )

सन 1998 म, परमे र ने ूे रत के काम 16:31 से मुझे एक वायदा कया-

“…ूभु यीशु मसीह पर व ास कर, तो तू और तेरा घराना उ ार


पाएगा।”

मने परमे र पर व ास कया था और म उसक व ासयो यता को और


ूाथनाओं के उ र दे ने क मता को जानता था, इसिलए मेरे पास उसपर
संदेह करने के िलए कुछ भी नह ं था। मने परमे र के इस वायदे को पकड़
िलया और रोज़ इस बारे म दआ
ु करने लगा।

मने 1998 म ूभु यीशु पर व ास कया था और अपना जीवन उनके हाथ


म स पकर उनका अनुसरण करने लगा था। जब म अपने घराने (प रवार)
के उ ार के िलए ूाथना करने लगा तो एक एक कर परमे र ने मेरे
प रवारजन को बचाया और उ ह व ास म िलया। मेरे तुरंत बाद ह 1998
म मेर बहन हे मा ने ूभु को अपना जीवन दया।

पंकज, मेरे छोटा भाई पापा के ःवभाव से तंग आकर घर से भागकर सन


2000 म मेरे पास ड़क आ गया था। ूेरणा और मने उसे परमे र के ूेम
और कृ पा के बारे म बताया। हम तीन साथ म ूाथना करने लगे। उसने
परमे र क ूाथना के उ र दे ने क साम य को दे खा और व ास कया।
मने उसे बाइबल से दखाया क परमे र माफ़ करने के बारे म या कहता
है और सब बात को समझकर वो वापस पापा के पास घर चला गया। कुछ
बात म उसका व ास ढ ला तो पड़ा पर सन 2001 म वो जब से द ली
म मेरे साथ रहने लगा, ूेरणा के समझाने पर और हमार संगित से वो
वापस ूभु के नज़द क आ गया।

सन 2001 से म मी ने भी थोड़ा थोड़ा व ास करना शु कया। उनका



व ास कुछ ढलमु ल सा था, थोड़ा राधाःवामी मत म और थोड़ा ूभु यीशु
म। वो अपनी प रिःथितय से बौखलाई हई
ु थी और उ ह शा त करने के
िलए सब ूयास करती रहती थी। काफ ल बे समय तक वो इस असमंजस
क िःथित म रह क वो कस पर व ास करे और कस पर नह ं।
109 परमे र क व ासयो यता

एक ू उ ह सालता रहा क वो कैसे अपने पुराने व ास को याग कर


इस नए मसीह व ास म आगे बढ़े । मने उ ह चेताते हए
ु कहा, “म मी,
आप दो नाव क सवार करो यह बात ठ क नह ं है । कसी भी सूरत म ये
दोन बात एक नह ं है मतलब दोन नाव एक ह तरफ, एक ह राःते से
नह ं जा रह ह। दोन नाव म एक एक पैर रखने पर, नाव कोई सी भी
ठ क हो, पर ऐसा सवार तो पानी म ह जाता है ।” मेरे अनुभव को पहचानते
हए
ु और मेर बात को समझकर उ ह ने ठ क िनणय ले िलया। उ ह ने
समझ िलया क राःते तो बहत
ु लोग बताते ह पर सभी सह नह ं हो सकते।
परमे र कभी भी दो एकदम िभ न तथा वरोधाभासी तर क से अपने
आपको दो मत म ूकट नह ं करे गा। यह बात सच है य क हमारा
परमे र संशय और द ु वधा म डालने वाला नह ं पर सह माग दखाने वाला
स चा, जी वत तथा िस परमे र है ।

म ूभु का ध यवाद करता हँू क म मी ने पुरानी सार बात छोड़कर ूभु


यीशु को अपना उ ारकता ःवीकार कया और अपना जीवन ूभु को दे
दया।

इसके बाद िसफ पापा ह बचे थे िजनका जीवन प रवतन होना अभी बाक
था। शु म अकेले म ह अपने प रवार के िलए दआ
ु कया करता था
ले कन धीरे धीरे परमे र ने मेरे प रवार को बचाया और ूाथना म मेरे
साथी बढ़ते चले गए और प रवार बदलता चला गया। अब हम सब पापा के
मो के िलए ूाथना करते थे।

2003 म मेर शाद ूेरणा के साथ हई


ु जो बहत
ु अ छ व ासी थी और
ूाथनाओं म मेर साथी रह थी।

सन 2004 से पहले तक, मेरे घराने म कई लोग का उ ार हो गया। इसी


साल म दादाजी हमारे साथ कुछ दन रहने के िलए आए। उ ह ने हमारा
परमे र के िलए ूेम दे खा तो बहत
ु से सवाल कए िजनका जवाब उनको
अपने कर ब 40 साल के राधाःवामी स संग म जाने से नह ं िमला था। सारे
जवाब पाने के बाद, अपने पुराने वचार छोड़कर उ ह ने अपना जीवन ूभु
यीशु को दे दया।
जीवन से सा ा कार 110

मेरे और ूेरणा के कई चचेरे और मौसेरे भाई-बहन ने, हमारे जीवन को


दे खकर और हमसे ूभु के बारे म जानकर, ूभु यीशु म व ास कया।
ूेरणा के निनहाल म भी कई लोग ने ूभु के बारे म सुना और ूाथना
करने लगे और उसके 72 वष य नाना ने अपना जीवन ूभु को दे दया।

हम आशा है क एक दन हम अपने संपण


ू घराने को ूभु के व ास म
दे खगे ता क हम सब ःवग के रा य म ूवेश कर सक और अनंत जीवन
परमे र के साथ बताएँ।

***

पापा का उ ार

पापा के गम ःवभाव और शराब क आदत के बावजूद ूभु ने हम उनसे


यार करते रहने के िलए ूे रत कया। हम जान चुके थे क उनका ये
ःवभाव उनके अपने कारण से नह ं बि क अंधकार क उन श य के
कारण था जो उनका और हमारे प रवार का नाश करना चाहती थी। मुझे
पूरा यक न था क परमे र पापा को अपने समय म छुड़ाएगा य क शैतान
और उसक श य का िसर ूभु यीशु ने 2000 साल पहले ह कुचल दया
था।

म कसी भी तरह से पापा को


ूय पाठक, म आपको उ सा हत
नीचा दखाने क कोिशश नह ं कर
करना चाहता हँू क आप अपने आप
रहा हँू , पर जो भी मने िलखा है
को जांच ल। आपके प रजन भी य द
वो सब त य ह। जो भी हो, मेरे
अपनी गवाह िलख तो आपके बारे मे
शांित तथा स य क खोज के
या िलखगे? या वो आपके ःनेह
पीछे हमारे घर क प रिःथितयां
और ूेम के बारे म िलखगे या उन
ह मु य कारण रह , इसिलए म
दःख
ु का ःमरण करगे िजसम वे
हरे क बात के िलए ूभु का
आपके कारण होकर गुजरे ?
ध यवाद करता हँू ।

हम लोग परमे र के वायदे के अनुसार िनरं तर अपने घराने के िलए,


मु यतया पापा के िलए, ूेरणा क म मी और भाइय के िलए, ूाथना कर
रहे थे। हमारा व ास था क एक दन उनका भी उ ार हो जाएगा। हालां क
111 परमे र क व ासयो यता

शैतान भी शांत तो नह ं बैठता था और अलग अलग प रिःथितय से हम


हतो सा हत करने क कोिशश करता रहता था, ले कन हमारा व ास कम
होने के बजाय बढ़ता ह गया। हम िजतनी यादा िनराशा आती थी, हम
उतना ह ूभु क कृ पा म और व ास करते थे।

हमारे रँतेदार ने, पापा के दोःत ने, म मी ने, हम ब च ने, सभी ने


पापा को शराब पीने क आदत को छोड़ने के िलए कई बार समझाया पर वो
कसी क नह ं सुनते थे। मुझे ऐसा लगता है जैसे क वो इस बात म अपने
आप को असहाय महसूस करते थे और कोई श उ ह लगातार इस आदत
म खींचती जा रह थी।

शराब पीने क अपनी आदत के कारण उनका ःवभाव और ःवाः य लगातार


बगड़ता जा रहा था। म मी इन प रिःथितय को झेलने म असहज महसूस
करने लगी और हमारे पास द ली आ गई।

पापा शराब के ज़हर म घुलते जा रहे थे। डॉ टर ने उ ह मधुमेह


(डाय बट ज) होने के बारे म बताया और शराब छोड़ने के िलए कहा। फर
भी म मी के जाने के बाद एक मह ने तक बना कुछ ठ क से खाए-पीए वो
लगातार शराब पीते रहे िजसके कारण उनक हालत बहत
ु बगड़ गई। उ ह
कई बार अःपताल म भत कया गया पर ठ क होकर वापस आते ह वो
फर पीना शु कर दे ते थे।

माच 2005 म मुझे खबर िमली क उनक त बयत बहत


ु खराब थी। म
जानता था क वो न तो मेर सुनगे और न ह म मी के बना मुझे वहाँ
ु मुिँकल था।
ःवीकार करगे। म मी को ऐसी हालत म अकेले भेजना बहत
म बड़ अजीब सी िःथित म था और कुछ सोच नह ं पा रहा था।

उ ार पाने के बाद से ह म, परमे र के ूेम क जी वत गवाह अपने जीवन


से दे ता रहा और मने कभी भी पापा के िलए कड़वाहट नह ं पाली थी तौभी
जयपुर जाने क मेर इ छा नह ं हो रह थी। उस रात न तो म ूाथना-सभा
म गया और न ह बाइबल ःटड म। म बुर तरह बेचैन था। म घुटन पर
आ गया और ूभु से ूाथना करने लगा ता क परमे र मेर अगुवाई कर।
परमे र ने तुरंत मुझसे याकूब 2:26 म से बात क -
जीवन से सा ा कार 112

“अतः जैसे दे ह आ मा बना मर हई


ु है , वैसा ह व ास भी कम बना
मरा हआ
ु है ।”

म समझ गया क परमे र कह रहे थे क म जयपुर जाऊं। मने कहा, “हाँ


ूभु, य द आपक यह मज है तो म जाऊँगा।” मने और कुछ जानने क
भी कोिशश क पर परमे र ने और कुछ भी नह ं बोला। मने तुरंत जयपुर
जाने का इरादा बना िलया। प वऽ आ मा के चलाए म अगले दन िनकल
पड़ा।

राःतेभर मुझे अजीब अजीब से याल आते रहे और म शैतान को डांटता


रहा और ूाथना करता रहा। इसी याऽा के दौरान परमे र ने मुझे एक
युवती को जो द ली म ूशासिनक अिधकार के तौर पर काम करती थी,
को सुसमाचार सुनाने का मौका दया। य द हम उसक मज पर चल तो
कह ं भी वो हम अपनी इ छा पूर करने के िलए और अपनी म हमा के िलए
इःतेमाल करता है ।

म रात म 10 बजे घर पहंु चा। घर के सारे दरवाज़े खुले हए


ु थे और अंदर
वाले कमरे के अलावा पूरा घर अंधेरे म डबा
ू हआ
ु था। िसफ उस कमरे म
जहां पापा सो रहे थे वहां क ब ी जल रह थी। वो सच म बहत
ु ह
कमजोर दख रहे थे, मुझे उनक हालत पर रोना आ गया। म आंसू बहाते
हए
ु उनके पैर दबाने लगा और ूभु से उनके जीवन प रवतन के िलए ूाथना
करने लगा।

एकाएक वो जाग गये और मुझसे मेरे रोने का कारण पूछने लगे। उनक
बात का जवाब दे ने के बजाय म जोर जोर से रोने लगा। परमे र के प वऽ
आ मा ने मुझे बोलने के िलए श द दए। मने बड़े ह सरल श द म
परमे र पर व ास करने क तथा शराब छोड़ दे ने क वनती क । प वऽ
आ मा ने उनको छू िलया और उसी समय उ ह ने शराब छोड़ दे ने का
िनणय िलया।

मुझे तो इस बात पर यक न ह नह ं हो रहा था य क हम हज़ार बार ये


वनती उनसे कर चुके थे वो कभी हमार बात नह ं मानते थे। पर म समझ
गया क परमे र ने उनके जीवन म काम कया था।
113 परमे र क व ासयो यता

उनक हालत बहत


ु ह खराब दख रह थी, वो अपने आप पानी का िगलास
भी उठाने क िःथित म नह ं थे, उनके हाथ बुर तरह कांप रहे थे। उनको
ु दद भी हो रहा था। पापा को अपनी इस परे शानी के समय म
शर र म बहत
अपना भूला हआ
ु राधाःवामी व ास याद आया। उ ह ने मुझसे स संग क
सीड (CD) चलाने के िलए बोला। मने सीड चला द और गौर से उसे
सुनते हए
ु पापा के पैर दबाने लगा।

ूवचन ख म होने के बाद मने अपना िनंकष उनको दखाया। इस ूवचन


म 90 बार गु , 50 के लगभग भजन, 8 के कर ब सचख ड (ःवग य
भवन), और िसफ 3-4 बार सतगु अथवा मािलक श द आया। मेरे इतने
सूआमता से कये वचार से उनके आ यिमिौत खुशी हई
ु य क उनक
ःवयं क भी ऐसी ह आदत थी।

मने उ ह बताया क इस मत म गु पर सबसे यादा ज़ोर दया गया है


और मािलक पर सबसे कम, जब क हम िसफ अपने ूभु, अपने परमा मा
से ह स बंध बनाने क बात करते रहते ह। मेरे इस कथन से वो च कत
ज र हए
ु ।
पापा को लगने लगा था क वो अब एयादा समय जी वत नह ं रहने वाले थे
इसिलये वो म मी से िमलने के िलये बेताब थे। मने द ली म राजकुमार
भाई को फोन कया और पंकज के साथ अपनी कार से जयपुर आने के िलए
कहा ता क पापा को द ली ले जा सक। वो अगले दन सुबह जयपुर पहँु च
गए। पापा बार बार यह कह रहे थे क उनका अंत समय आ गया था पर
राजकुमार भाई ने उनसे कहा क य द वो ूभु यीशु पर व ास कर तो
अगले 10 दन म वो अपने पैर पर फर चल सकते थे। पापा को इस बात
का आ य हो रहा था क िसफ मेरे एक फोन पर मेरे िमऽ द ली से
जयपुर आ गए। पहली बार उ ह ने मसीह ूेम दे खा था।

द ली पहँु चने के बाद पापा का इलाज शु कराया गया। उनका शूगर लेवल
ु ऊँचा चला गया था और शराब एकाएक बंद कर दे ने के कारण उनको
बहत
बहत
ु बेचैनी भी हो रह थी। वो 2-3 दन तक सो नह ं सके और बहत
ु बेचन

ु ढंू ढने पर भी
होकर उ ह ने मुझे नींद क दवाई लाने के िलए कहा। बहत
कोई हम बना डॉ टर क सलाह के दवा दे ने को तैयार नह ं था। उनक
छटपटाहट दे ख उस दन हमने िमलकर उनके िलए ूाथना क और उस रात
जीवन से सा ा कार 114

उनको बहत
ु अ छ नींद आई।

अगले दन पहली बार उ ह ने खुद ःवीकार कया क ूाथना म श तो


ज़ र होती है । अब उनको मसीह व ास के बारे म और जानने क इ छा
हई।
ु उ ह ने कई सवाल पूछे और प वऽ आ मा क अगुवाई से सभी सवाल
का म भली-भांित जवाब दे सका।

पापा ने पहली बार चच जाने क इ छा ज़ा हर क । हम लोग DBF ( द ली


बाइबल फैलोिशप) क ह द सभा म गये जहाँ पाःटर दे वि अगुवाई करते
थे। वे बड़े मीठ बोली बोलते ह और उनके ूवचन ने पापा को ूभा वत
कया। परं तु यहाँ भी शैतान ने तु प का इ का चलाने क कोिशश क । ूभु-
भोज के दौरान उसने पापा के दमाग म फर एक उलझन डाली और एक
ह बतन से दाखरस पीने के कारण उ ह बोध दलाया। हमने ूाथना कया
और उ ह समझाया क हम एक प रवार ह और हम म कोई भेदभाव नह ं
ह।

ूभु ने उनके मन म बात क और वो बाइबल और मसीह व ास के पास


आने लगे। पाःटर दे वे ि और उनक प ी संगीता भी हमारे घर आये और
पापा के तथा हम सबके साथ ूाथना क ।

10 दन के बाद, हम सबक ूाथनाओं के फलःव प पापा शराब के सारे


दंूभाव
ु से और िसगरे ट तक क आदत से छूट गए थे और उनक हालत
म भी बहत
ु सुधार आ गया था। उनक आँख क रोशनी जो लगभग चली
ह गई थी, चँमे के साथ ठ क हो गई। उनका काँपना ख म हो गया था
और वो ःवयं सुबह क सैर करके आने लगे थे। उ ह ने ूभु यीशु पर
व ास कया।

यह मेरे जीवन के सबसे सुखद ण म से एक था। म जब उ ह ह द


भजन गाते, बाइबल पढ़ते, ूाथना करते और गवाह दे ते दे खता था तो सच
म भाव वभोर हो जाता था और मेर आंख से आंसू बह िनकलते थे। उ ह ने
सभी से (िमऽ से, रँतेदार से और सहकिमय से) अपने नये व ास क
चचा क । उनके जीवन म नया उ साह आ गया था और वो भरपूर के उस
जीवन का अनुभव करने लगे थे जो उ ह ूभु यीशु मसीह से िमला था।
115 परमे र क व ासयो यता

पापा एक समय मसी हयत से घृणा करते थे ले कन बाद म वो मसीह से


यार करने लगे। कभी उ ह ने म मी से कहा था क अगर वो चच गई तो
वो तलाक दे दगे, बाद म वो खुद अपने साथ गाड़ म बठाकर उ ह चच
लेकर जाते थे। उ ह ने म मी के साथ ह बपितःमा िलया और परमे र क
आ ा को पूरा कया। मसीह को पाकर उनका जीवन बदल गया। ःवयं
अपनी गवाह म उ ह ने एक असीम शांित का िजब कई बार कया। कई
लोग उस प रवतन क गवाह आज भी दे सकते ह जो उ ह ने ू य प
म पापा के जीवन म दे खा था।

***

पापा क मृ यु म परमे र क व ासयो यता

परमे र हमार वफलताओं को जानता है । िसफ वो ह है जो हमारे पाप को


मा भी करता है । न िसफ वो हमको माफ करता है बि क हमारे सारे
अधम को भुला भी दे ता है । जब हम प ाताप के साथ उससे माफ मांगते
ह तो वो यीशु मसीह के लहू से धोकर वो हम ऐसा बना दे ता है जैसे हमने
कभी पाप कये ह न ह ।

अपने आिखर दन म पापा फर से पर ाओं म पड़े और उनक यह


गलितयां उ ह बहत
ु भार पड़ । अब वो इस दिनया
ु म नह ं है पर म जानता
हँू क एक दन हम उनको ःवग म दे खगे य क परमे र के वायदे के
अनुसार वो अब परमे र के साथ ह।

मई 2006 म जब म शारजाह से जयपुर पहँु चा तो पापा संतोकबा दलभजी



अःपताल म भत थे। वो गहन िच क सा क (ICU) म थे और उनके सारे
शर र पर बहत
ु से तार, पाइप और यंऽ लगे हए
ु थे। िच क सक ने बताया
क उनक हालत बहत
ु ह खराब थी और उ ह कोई आशा नज़र नह ं आ
रह थी। मने फर भी िनणय िलया क चाहे िजतना पैसा खच हो जाए,
अगर आशा क एक भी करण नज़र आये तो म इलाज कराता रहँू गा।

मने गहन िच क सा क म अकेले उनके साथ समय यतीत कया और


उनके िलये ूाथना भी क । मने उनके िलये वो आि मक भजन भी धीमी
आवाज म गाया जो उनको व ास म आने पर बहत
ु ह अ छा लगता था।
जीवन से सा ा कार 116

मने उनसे बात क और कहा क अगर वो मेर आवाज सुन सकते थे तो वो


अपने सभी पाप से प ाताप कर और परमे र से मा मांग ल और उन
सभी को भी माफ कर िजनके ूित उनके मन म कोई े ष हो।

जब म घर वापस गया तो म बड़ द ु वधा म था। डा टर ने मुझसे कहा था


क मुझे अगले दन मुझे िनणय लेना था क पापा को अःपताल म और
रखा जाए या सब संयऽ
ं हटा दये जाएँ। यह मेरे िलये एक बहत
ु बड़ा ू
था। मुझे मालूम नह ं था क पापा के बचने क या कोई ीण सी भी
उ मीद थी या नह ं।
उस रात जब हमने ूाथना क तो वो कुछ इस ूकार थी –

“ूभु यीशु, हम आपक सामथ पर पूरा भरोसा रखते ह और जानते ह क


आप अभी भी आ यकम कर सकते ह। हम आपसे ूाथना करते ह क य द
आपक इ छा ये है क पापा अब आपके साथ चले जाएँ तो होने द क
डॉ टर कल हम कोई आशा न दखाएँ बि क पहली बार म ह यह कह क
सब ख म हो चुका है , अ यथा आप डॉ टर क अगुवाई कर ता क वो पापा
का ठ क इलाज कर सक और पापा ठ क हो जाएँ और आपक म हमा के
िलए जीय। आमीन”

अगले दन जब म डॉ टर से िमला तो पहली बात जो उ ह ने क वो ये ह


थी क उनके अनुसार पापा अब मृत थे और कोई आशा नह ं थी। उ ह ने
कहा क हम जब तक चाह तब तक उ ह अःपताल म रख सकते थे पर
उससे कोई लाभ नह ं होने वाला था। उनके शर र म जो सांस चलती दख
रह थीं वो िसफ मशीन के कारण थी।

डा टर क राय के अनुसार मने अपने जीवन का सबसे क ठन िनणय


िलया। सभी यंऽ जो पापा को अब तक चला रहे थे वो हटा दये गये। मेरे
पता हम छोड़कर जा चुके थे।

दाह-संःकार के बाद, म फर एक बार परमे र के पास आया और बात


करने लगा। परमे र ने अपनी क णा के अनुसार उस समय म भी मुझे
सां वना द । सब रँतेदार तो अपने ूेम के कारण वहाँ आये थे परं तु फर
भी परमे र क सां वना उस समय उन सबसे यादा कारगर सा बत हई
ु ।
117 परमे र क व ासयो यता

परमे र ने यशायाह 57:1,2 से मुझसे बात क –

“धम जन न होता है , और कोई इस बात क िच ता नह ं करता; भ


मनुंय उठा िलए जाते ह, पर तु कोई नह ं सोचता। धम जन इसिलये उठा
िलया गया क आनेवाली वप से बच जाए, वह शांित को पहँु चता है ; जो
सीधी चाल चलता है वह अपनी खाट पर वौाम करता है ।”

म सच म अपने मन म सोच ह रहा था क, मेरे पता िजनपर यीशु मसीह


क प वऽता ओढ़ाई गई थी, उ ह इतनी ज द ऐसी प रिःथित म इस
दिनया
ु को छोड़कर य जाना पड़ा। परमे र ने बताया क वो अपने उ ार
तथा उ ारकता ूभु यीशु का ितरःकार करने के बहत
ु नज़द क आ चुके थे
इसिलए परमे र ने उ ह ले िलया ता क आने वाली वप से बच जाएँ
और उ ह शांित द है ।

***

ूांजल के ज म म परमे र क व ासयो यता

ूभु यीशु मसीह मृ यु तथा ज म दोन के मािलक ह। सभी बात का


अिधकार उनके ह हाथ म है । ूभु यीशु ने बूस पर अपने ूाण ःवयं
परमे र पता के हाथ म स पे और तीसरे दन उ ह वापस भी ले िलया
ता क जी वत होकर अपने लोग के बीच म फर से जाएँ। वह जी वत ई र
है और आज भी ःवग म वराजमान है ।

म इस बात को जानता तो था पर पापा क मृ यु और ूांजल के ज म के


समय मने बड़ गहराई से इस स य को समझा।

ूभु क दया से हम सबक ूाथनाओं के फलःव प ूेरणा 2006 के आिखर


मह न म गभवती हई।
ु उस दन से हम इसके पूणकािलक होने के िलए
दआ
ु करने लगे। ूभु ने अपने वचन के ारा हम अपनी इ छा बता द ।

“जैसे वीर के हाथ म तीर, वैसे ह जवानी के लड़के होते ह।”


[भजनसं हता 127:4]
जीवन से सा ा कार 118

यूँ तो हम लड़का या लड़क दोन ह के िलए बहत


ु खुशी से तैयार थे परं तु
परमे र ने हम बता दया क हम लड़का होने वाला था। बना कसी
व ान के िसफ परमे र पर व ास के ारा हम ये बात जान गए थे।
ूेरणा ने उसका नाम ‘ूांजल’ रखने का सुझाव दया िजसका मतलब ‘सरल’,
‘शु ’ और ‘मनोहर’ होता है । म इसके शाि दक अथ से यादा श द- वमह से
उ सा हत था – ूाण + जल अथात जीवन का जल (भीःत सुसमाचार)
पहंु चाने वाला।

जब ूसव का समय आया तो एक बड़ समःया सामने आई। दो दन


इं तजार करने के बाद और दवाईय से सब ूकार के य करने के बाद भी
ूाकृ ितक ूसव शु नह ं हआ
ु । डॉ टर ने ऑपरे शन के ारा ूसव कराने क
बात क तो म इसे पचा नह ं पा रहा था। हम लोग िनरं तर ूाकृ ितक तर के
के िलए ूाथना कर रहे थे।

यह दन 22 जुलाई 2007 का था। मने ूाथना करना शु कया और


परमे र ने मुझसे भजनसं हता 22 पढ़ने को कहा। मने बाइबल खोलकर
पढ़ना शु कया।

“हे मेरे परमे र, हे मेरे परमे र, तू ने मुझे य छोड़ दया? तू मेर


पुकार से और मेर सहायता करने से य दरू रहता है ? मेरा उ ार कहाँ है ?
हे मेरे परमे र, म दन को पुकारता हँू पर तु तू उ र नह ं दे ता; और रात
को भी म चुप नह ं रहता।”

यह तो मेरे दल क पुकार थी। म ूेरणा को ूसव पीड़ा म दे खकर दन


और रात परमे र से ूाथना कर रहा था। परमे र ने आगे पढ़ने के िलए
कहा (9वीं आयत)।

“पर तु तू ह ने मुझे गभ से िनकाला; जब म दधपीता


ू ब चा था, तब
ह से तू ने मुझे भरोसा करना िसखाया है । म ज मते ह तुझी पर छोड़
दया गया, माता के गभ ह से तू मेर ई र है । मुझ से दरू न हो य क
संकट िनकट है , और कोई सहायक नह ं।”

मने ूांजल को परमे र के सामथ और दयाव त हाथ म स प दया था।


अपनी व ासयो यता और दया के अनुसार 30वीं आयत से परमे र ने मुझे
119 परमे र क व ासयो यता

शांित द । उसने कहा -

“एक वंश उसक सेवा करे गा; और दसर


ू पीढ से ूभु का वणन कया
जाएगा।”

मुझे मालूम हो गया क परमे र ने मुझसे बातचीत क है । मने कागज पर


हःता र करके वापस दे दये। 9:06 बजे सुबह ूांजल पैदा हो गया।

बाद म डॉ टर ने आकर हमसे कहा क यह ब चा ई र के चम कार के


कारण ह ूाकृ ितक तर के से नह ं हआ
ु य क एक तो ब चा भार था और
दसरे
ू ब चे क नाल उसके गले म दो बार िलपट हई
ु थी जो क कसी भी
दघटना
ु का कारण हो सकती थी। उसने कहा क कभी कभी ऐसे म गला
घुटने से ब चे क मौत तक भी हो सकती है । उ ह ने हम मुबारकबाद द
और कहा क ब चा बहत
ु ःवःथ और अ छे वजन के साथ पैदा हआ
ु था।

“और हम जानते ह, क जो लोग परमे र से ूेम रखते ह, उन के िलये


सब बात िमलकर भलाई ह को उ प न करती है ; अथात उ ह ं के िलये जो
उस क इ छा के अनुसार बुलाए हए
ु ह।”
[रोिमय 8:28]

इस बात से हमने सीखा क हम उसम भरोसा करने क ज़ रत है य क


वो अपने ूेम करने वाल और भय मानने वाल के जीवन म भलाई ह
लाता है । परमे र क व ासयो यता क और भी बहत
ु सी गवा हयां हमारे
जीवन म है । कुछ और आशीष का वणन म अगले अ याय म क ं गा।
10 vk'kh"ksa
वचन पर यान और मनन के समय म एक बार परमे र ने एक बड़
मह वपूण बात मुझे समझाई – हमारे शर र के वे भाग जो नह ं दखते वो
उनसे यादा मह व रखते ह जो क हम दखते ह।
हम हाथ के, आंख के, पैर के और बाल के बना जी वत रह सकते ह पर
दल के, गुद के या दमाग के बना हमारा जी वत रहना नामुम कन है ।

हम अपनी दिनयावी
ु आशीष के, जो दखती ह, पीछे लगे रहते ह और बढ़
चढ़कर बताते ह पर आि मक आशीष को भूल जाते ह या उनक धुन म
नह ं रहते ह। स चाई ये है क भौितक वःतुएँ अ छ तो ह और ूभु का
ध यवाद करने यो य भी ह पर इससे कह ं यादा ध यवाद के यो य हमार
वो आशीष ह जो अनंतकाल तक हमारे साथ रहगी। परमे र िसखाता है क
य द हम उसक प वऽता क और उसके रा य क खोज कर तो बा क ये
सब वःतुएँ तो हम ःवतः ह िमल जाएँगी।

कई बार लोग चम कार को दे खकर ूभु


“परमे र अपने भ के िलये
यीशु पर व ास करते ह या अपनी बहत
ु सी आशीष का वणन
दिनयावी
ु ज़ रत क पूित के िलए उनके अपने वचन म करते ह िजनम
पास आते ह। म इस बात प धर नह ं सुख-शांित, ूेम, सफलता तथा
हँू । म मानता हँू क परमे र पता है ज रत के पूरे होने के साथ ह
िजससे ूेम करने के िलए हम कसी आि मक आशीष जैसे पाप- मा

चम कार क आवँयकता नह ं है । जब तथा मो सि मिलत ह।”

हम उसम व ास करने लगते ह तो


आ यकम तो हमारे जीवन का भाग ह बन जाते ह। हम परमे र पर िसफ
इसिलए व ास नह ं करते क वो आ यकम करने वाला परमे र है बि क
इसिलए वो ह हमारा सृ कता परमे र है जो हम जीवनभर संभालता है
और हम अनंतकाल का सुखमय जीवन दे ता है ।
जीवन से सा ा कार 122

“और हम तो दे खी हई
ु वःतुओं को नह ं पर तु अनदे खी वःतुओं को
दे खते रहते ह, य क दे खी हई
ु वःतुएँ थोड़े ह दन क ह, पर तु अनदे खी
वःतुएँ सदा बनी रहती ह।”
[2 कु रि थय 4:18]

बाइबल कई अलग अलग जगह पर ये बात िसखाती है परं तु म इस बात


को अपने व ासी जीवन म बहत
ु दे र के बाद सीख सका।

***

बाइबल म विणत आशीष

ऊपर िलखे मह वपूण त य को सीखने से पहले, म अपने आपको परमे र


क भलाईय के और उसके ूेम के बारे म अपने दोःत को बताने म बहत

सीिमत पाता था, खास तौर पर उ ह जो क धनी प रवार से थे य क
यीशु मसीह पर व ास न करने के बावजूद भी उनके पास वो सब दिनयावी

चीज थी जो म कहता था क ूभु यीशु ने मुझे द थीं और उ ह भी दे
सकते थे। इस ूकार ूभु यीशु का स चा सुसमाचार म उनको नह ं दे पाता
था।

म आज ये मानता हँू क भौितक चीज अ छ ह और हमारे जीवन के िलये


ज़ र भी ह पर वो मह वपूण नह ं है । भौितक वःतुएं ूदान करना परमे र
के उन सब काम म से बस एक काम है जो वो अपने लोग के िलये करता
है ।

“इसिलये पहले तुम उसके रा य और धािमकता (प वऽता) क खोज


करो तो ये सब वःतुएँ तु ह ःवतः ह िमल जाएँगी।”
[म ी 6:33]

परमे र हम भरपूर (बाहु यता) का जीवन दे ने का वायदा करता है । ूभु


यीशु इस बहतायत
ु के जीवन म बहत
ु सी आशीष का वणन करते ह जो क
हम तब तक नह ं िमल सकती जब तक क हम उनपर व ास न कर।
परमे र हमारे व ास क माऽा के अनुसार हम सब भली वःतुएँ दे ता है ।
123 आशीष

य द परमे र क बताई हई
ु आशीष क हम एक सूची बनाएँ तो इसम पाप
क मा, परमे र से जुड़ना, ई र से हमारे अलगाव का समा होना, अनंत
जीवन तथा स ची खुशी जो क प रिःथितय पर िनभर नह ं करती इसका
एक भाग ह गी। परमे र का प वऽ ूेम, उसक शांित, उसक काबिलयत पर
व ास, हमारे जीने के िलए उसक कृ पा और ूभु यीशु के नाम से क गई
ूाथनाओं के उ र भी उसी सूची म सि मिलत ह गी।

शार रक आशीष जैसे ःवःथ शर र और सब ूकार क बीमा रय से


छुटकारा, हर प रिःथित म परमे र का साथ, पाप तथा मृ यु पर वजय,
परमे र क प वऽता का हमको िमलना, हर पर ा क घड़ म एक राःता
होना, भयानक प रिःथित म उसका साहस और जीवन के िनणय लेने के
िलये बु और ान भी हम परमे र के वचन म वायदे के प म दये गये
ह।

बाइबल म परमे र क बहत


ु सी आशीष का वणन है जो क उनके िलये ह
जो उसके वचन के अनुसार उसके पीछे चलते ह। भौितक आशीष, सफलता,
वैभव, आदर, बहतायत
ु , वजय और परमे र का अनुमहकार साथ उसम
विणत ह।

नये िनयम म भौितक आशीष के साथ आि मक आशीष का भी वणन है


जैसे – परमे र ारा पाप मा कर हम एक नई सृ बनाना, परमे र क
संतान और उसके उतरािधकार बनना, ःवग य ःथान तक पहंु च होना,
याजक का समाज होना, सतमत मो का दया जाना, ःवग म ूवेश का
आ ासन और द ड से पार होकर परमे र क छऽछाया म आ जाना, माँगने
वाला नह ं ले कन परमे र ारा दे ने वाला बनाया जाना, पूँछ नह ं बि क
िसर ठहराना इ या द।

म इन सब बात क आ याि मक ववेचना नह ं क ं गा। म आपको िसफ


यह बताना चाहता हँू क परमे र ने यह सब परमे र ने मुझे दया है ।

***
जीवन से सा ा कार 124

परमे र क शांित

अगर कसी ने आपको ूभु यीशु के बारे म बताया है और यह कहा है क


आप बस व ास कर और आपक सार परे शािनयाँ दरू हो जायगी, तो म
बता दँ ू क यह बात पूण प से सह नह ं है । म आपको कोई झूठ तस ली
नह ं दँ ग
ू ा क ूभु यीशु को जान लेने के बाद आपके जीवन क सभी
परे शािनयां ख म हो जाएँगी या आप फर कभी पाप नह ं करगे।

परमे र के पास आना फूल क सेज के समान नह ं है , पर हाँ, यह ज़ र


कहँू गा क जब उसके हाथ म हमारे जीवन क बागडोर होती है तो हमारे
जीवन म हर प रिःथित म एक शांित हमारे साथ रहती है ।

“म तु ह शाि त दए जाता हँू , अपनी शाि त तु हे दे ता हँू ; जैसे संसार


दे ता है , म तु हे नह ं दे ता, तु हारा मन न घबराए और न डरे ।”
[युह ना 14:27]

“तब परमे र क शाि त, जो समझ से ब कुल परे है , तु हारे ॑दय


और तु हारे वचार को मसीह यीशु म सुरि त रखेगी।”
[ फिलि पय 4:7]

हर परे शानी म माग सुझाने वाला परमे र आपके साथ होगा। बीमा रयाँ आ
सकती ह पर व ास करने वाल को चंगाई दे ने वाला परमे र हमारे साथ
होगा। अपने पाप से मन फराने और यीशु मसीह म व ास करने के बाद
पाप के व हमम एक सामथ काम करती है जो हम िसखाती है क हम
या कर और या नह ं।

***

ूभु यीशु म व ास कर लेने के बाद भी एकाएक हमार सभी मुिँकल दरू


नह ं हो ग थी, परं तु असीम शांित हमारे जीवन म आ गई िजससे हम
हरे क दःख
ु क घड़ भी सहजता से पार कर लेते ह।

सन 2005 से 2006 के बीच का एक ऐसा समय हमारे जीवन म आया


िजसम हमने बहत
ु आशीष भी पा और दख
ु भी झेले। अपने बुरे और अ छे
125 आशीष

समय म हम परमे र म व ास रखे रहे और वो हम हमार हरे क क ठन


प रिःथित से छुड़ाता रहा। उसक शांित िनरं तर हमारे जीवन म बनी रह ।

अपने उ म समय म परमे र ने बड़ अ त


ु र ित से काम कया। वो पापा
को 2005 म व ास म लाया और उनको उनक शराब पीने क बुर आदत
से छुड़ाया। ूाथनाओं के ारा शारजाह म हम दसर
ू नौकर िमली और पैसे
क परे शािनयाँ भी ख म होने लगीं।

म और मेर प ी ूेरणा जुलाई 2005 म शारजाह आए। म तो नौकर वीज़ा


पर ह था पर वो विज़ट वीज़ा पर आई थी। अ ू बर म उसे अपना वीज़ा
बदलने के िलये ईरान के किशम प पर जाना पड़ा। सामा य प रिःथित
म 1 दन म जो वीज़ा िमल जाता है उसम उसे 7 दन लग गए परं तु इस
याऽा के दौरान भी वो कई लोग को परमे र के ूेम के बारे म बताती रह
िजसम कई म हलाओं ने ूभु यीशु पर व ास भी कया। वापस आने के
बाद हम पता चला क अपनी इस याऽा के दौरान वह गभवती थी और ठ क
संभाल न हो पाने के कारण या कमज़ोर के कारण वह गभ संपूण नह ं हो
पाया। हम थोड़े दखी
ु तो ज़ र हए
ु पर िनराश नह ं। हमारा परमे र हम हर
प रिःथित म आशा दे ता है और हम जानते थे क अभी भी िनयंऽण म था।

नव वर के बाद हम सुनने को िमला क पापा अब ूाथना म मन नह ं


लगाते थे। दस बर के बाद तो उ ह ने चच जाना बंद ह कर दया और
शराब पीने क अपनी पुरानी आदत म पड़ने लगे। वो फर से म मी को
सताने लगे, इसिलए म मी च ड़ गढ़ चली गई जहाँ पंकज फैशन डज़ाइिनंग
का कोस कर रहा था।

जनवर 2006 क एक ठ ड सुबह जब पंकज और म मी चच जा रहे थे,


तभी मोटरसाइ कल म म मी क साड़ फंस जाने के कारण वो दोन एक
बहत
ु बड़ दघटना
ु के िशकार हो गए। पंकज को तो यादा चोट नह ं लगी
ू गया और उनके हाथ और मुह
पर म मी का पैर घुटने पर से टट ँ पर भी
चोट आई। फर भी म परमे र का ध यवाद करता हँू क परमे र ने उनको
मौत को मुँह से बचा िलया। पंकज और उसके दोःत ने िमलकर म मी को
अःपताल पहँु चाया और बहत
ु सेवा क ।
जीवन से सा ा कार 126

इस दौरान पापा भी वहाँ पहँु चे और उनको वापस जयपुर ले जाने क िजद


करने लगे। वो हल भी नह ं सकती थी और पापा फर भी उनको 10 घ टे
क याऽा कराकर जयपुर ले जाने पर अड़े रहे । सबने उनको बहत
ु समझाया
पर वो टस से मस नह ं हए
ु और वापस जयपुर ले ह गए। इसके कारण
लाःतर हल जाने से कुछ परे शािनयाँ भी पैदा हो ग िजनका इलाज
जयपुर म कराया गया। वहाँ वो नानाजी के घर म रह । पापा रातबरात फोन
कर उनको परे शान करते ह रहते थे। वो ठ क नह ं हो पा रह थीं।

म जब यह सुनता तो अपने आपको असहाय पाता था और परमे र से


ूाथना करता रहता था।

पापा अपने जीवन के सबसे बुरे ःवभाव का ूदशन कर रहे थे। उनके इस
ःवभाव से दादाजी का दमागी संतल
ु न बगड़ने लगा और उ ह कह ं कोई
आशा नज़र नह ं आती थी। आिखरकार फरवर के अंत म वो हम छोड़कर
इस दिनया
ु से चले गए।

पापा का शराब पीने का बम फर भी नह ं का और उनका ःवाः य भी


बगड़ता चला गया। कुछ ह दन म उ ह लीवर क ग भीर बीमार हो गई
और अगले 2 मह ने उ ह अःपताल म गुजारने पड़े । मई म वो चल बसे।

उनक मृ यु से तुरंत पहले म जयपुर पहँु चा, और मृ योपरांत ूेरणा को भी


जयपुर बुला िलया। अं ये ी के बाद हम लोग वापस शारजाह आ गये।
वापस आने के बाद एक बार फर हम पता चला क ूेरणा गभवती थी
परं तु कुछ वषमताओं के कारण यह दसरा
ू गभ भी जुलाई 2006 म चला
गया।

नव बर 2005 से जुलाई 2006 तक िनरं तर हमारे जीवन म क ठन से


क ठन प रिःथितयाँ आती रह ं। यह कसी भी सामा य आदमी को तोड़ने के
िलये काफ ह, पर तु परमे र हमारे साथ बना रहा और हरे क प रिःथित म
ह मत द । ूभु ने हम व ास के नये आयाम इस अंतराल म िसखाए।
कभी कभी परमे र अपने लोग के जीवन म ऐसा करता है िजससे क वो
उसम िखल सक और उसक सुगध
ं इस दिनया
ु म फैला सक। यह ऐसा ह
है जैसे एक बागवान अपने बगीचे के पौध क काँट-छाँट करता है ता क
127 आशीष

फूल सह तर के से िखल और बगीचे क सुद


ं रता को बढ़ाएँ।

हमारे व ास के कारण हमार द कत टल नह ं गई परं तु परमे र क शांित


हमारे साथ बनी रह । युह ना 16:33 म िलखा है -

“म ने ये बात तुमसे इसिलये कह ह, क तु हे मुझमे शाि त िमले;


संसार म तु हे कलेश होता है , पर तु ढाढस बांधो, म ने संसार को जीत
िलया है ।”

ूभु यीशु के उपरो वचन से हम बहत


ु ढाढ़स और बल िमलता है क हर
प रिःथित म उसम व ास करते हए
ु हम उसके साथ चलते रह। उसक
शांित हमशा हमारे जीवन म बनी रहती है ।

***

सबके िलए ूेम

परमे र ने अपना ूेम मुझपर इस ूकार ूकट कया क जब म पाप ह म


था तब ह मसीह मेरे िलये मारा गया। उसने बूस पर अपने ूेम क
ल बाई-चौड़ाई-ऊँचाई-गहराई मुझे दखाई है और फर ःवयं मुझसे ूेम
दखाने के बाद उसने मुझसे कहा क म भी वैसा ह ूेम इस दिनया
ु म
दखाऊँ। उसने मुझे अपने गुनाहगार को वैसे ह माफ करना िसखाया है
जैसे क उसने मुझे माफ कया है । म ी 9:13 से आगे ूभु यीशु ने यह
बात बड़े अजीब बम म बताई ह क हम अपने गुनाहगार को माफ कर
ता क परमे र हम माफ करे , और य द हम न कर तो परमे र भी न करे ।

मेरे जीवन म यादा लोग ऐसे थे िजनसे मुझे माफ माँगनी थी बजाय
उनके िजनको मुझे माफ करना था। मने पहले परमे र से और फर उनसे,
िजनसे मुझे माफ माँगनी थी, माफ माँगी। तब से लेकर अब म हर दन
अपनी रोजाना क गलितय से प ाताप कर परमे र के यो य जीवन
बताता हँू ।

परमे र ने मुझे अपने यार और क णा से भर दया है , खास तौर पर


उनके िलये जो भटके हए
ु ह। यह परमे र का ‘अगापे’ ूेम है जो मुझे
जीवन से सा ा कार 128

िनरं तर उनके िलये ूाथना करने के िलये और सुसमाचार बताने के िलये


ूे रत करता है । म इस बात क ड ंग नह ं मार सकता क म सबसे ूेम
करता हँू । म कोिशश करता हँू और कई बार इसम वफल भी हो जाता हँू ।
फर भी जब म अपने आपको परमे र के हाथ म स प दे ता हँू तो वो मुझ
म रहकर सब से यार करता है ।

ूभु यीशु को अपना य गत उ ारकता जान लेने के बाद से म एक बदला


हआ
ु इं सान हो गया हँू । म अपने प रवार से और यादा यार करने लगा हँू
और उनक ओर यादा िज़ मेदार हो गया हँू । मेरे भाई-बहन ने मुझम यह
अंतर दे खा है , और शायद यह ह मेरे प रवार को मसीह से ूभा वत करने
का कारण रहा हो।

परमे र ने सार कड़वाहट को मेरे जीवन से िनकालकर अपनी िमठास मुझ


म भर द ।

बाइबल ूेम के बारे म बहत


ु सी िश ाय ह –

“ूेम धीरजव त है , और कृ पाल है ; ूेम ईंया नह ं करता; ूेम अपनी


बड़ाई नह ं करता, और फूलता नह ं। वह अनर ित नह ं चलता, वह अपनी
भलाई नह ं चाहता, झुझ
ं लाता नह ं, बुरा नह ं मानता। कुकम से आनि दत
नह ं होता, पर तु स य से आनि दत होता है । वह सब बात सह लेता है ,
सब बात पर व ास करता है , सब बात क आशा रखता है , सब बात म
धीरज धरता है । ूेम कभी टलता नह ं...”
[1 कु रि थय 13:4-8]

“पलटा न लेना, और न अपने जाित भाइय से बैर रखना, पर तु एक


दसरे
ू से अपने समान ूेम रखना; म यहोवा (परमे र) हँू ।”
[लै य यवःथा 19:18]

“तुम सुन चुके हो, क कहा गया था; क अपने पड़ोसी से ूेम रखना,
और अपने बैर से बैर। परं तु म तुम से यह कहता हँू , क अपने बै रय से
ूेम रखो और अपने सतानेवाल के िलये ूाथना करो।”
[म ी 5:43, 44]
129 आशीष

“उस ने उ र दया, क तू ूभु अपने परमे र से अपने सारे मन और


अपने सारे ूाण और अपनी सार श और अपनी सार बु के साथ ूेम
रख; और अपने पड़ोसी से अपने समान ूेम रख।”
[लूका 10:27]

हम ऐसा लग सकता है क ये बात कहना आसान है पर करना मुिँकल -


और यह बात सह भी है जब हम अपनी सामथ म ऐसा करने क कोिशश
करते ह। परं तु जब हम अपने आपको परमे र क आधीनता म ऐसा करते
ह तो परमे र कृ पा करता है और िनरं तर िसखाता है ।

वो हमसे यह अपे ा रखता है क हम अपनी ओर से नॆता और द नता का


यवहार करते हए
ु उसके जैसा ःवभाव बनाएँ (गलितय 2:5), और परमे र
के उसी ःव प म प रवितत होते चले जाएँ जैसा उसने शु म हम आदम
और ह वा करके (उ प 1:27) बनाया।

म बाइबल म िसखाया गया िस ूेम नह ं कर पाता हँू । म अभी भी सीख


रहा हँू । पर मेरा व ास है क जो भला काम परमे र ने शु कया है वो
उसे ख म भी करे गा।

***

वचार म बदलाव (नकारा मक से सकारा मक)

मेर सोच बदल गई है । परमे र ने अपने वचन से िसखाया क हर वो


वचार जो परमे र क ओर से नह ं है उ ह बंद कर हम ूभु के चरण म
ले आएँ ता क वो हम पर ूभुता न कर सके, य क ऐसे वचार जो
परमे र क ओर से नह ं, वह शैतान क ओर से ह।

ूभु यीशु को जानने से पहले जब भी कसी युवक को म दे खता तो मेरे मन


म लड़ने के वचार उठते थे। म सोचता क य द म इस य से लड़ँू तो
इसे पीट सकूँगा या ये मुझे पछाड़ दे गा। म यु याँ बनाने लगता था क म
इसे इस तर के से पटकूँगा या इसे ऐसे हरा सकूँगा। मेरा अपने ह वचार
पर कोई िनयंऽण नह ं था या शायद मेर वचारधारा ह ऐसी हो चली थी।
मेरे वचार ूेम के या भाईचारे के नह ं पर तु लड़ाई के थे।
जीवन से सा ा कार 130

जब मने ूभु यीशु को जाना तो मने सीखा क वो तो हम अपना दसरा



गाल उसक ओर फेरना िसखाते ह िजसन हमारे एक गाल पर तमाचा मारा
हो, और उनके िलये ूाथना करना िसखाते ह जो हम सताते ह । ूभु कहते
ह क बदला लेना हमारा नह ं उनका काम ह, हम तो ूेम म सब सह लेना
है ।

परमे र क लालसा इसी बात क रहती है क वो आ माओं को नक से


बचाएँ, और उसने मुझ म भी वो इ छा पैदा कर द है । आज जब म कसी
को दे खता हँू तो उसके ूित े ष या लड़ाई क भावना पैदा नह ं होती बि क
मुझे उसम एक भटक और खोई हई
ु आ मा दखाई पड़ती है जो शायद नक
क ओर जा रह हो। मेरा दय ि वत हो जाता है और म अपने आपको
उनके ूित िज मेदार महसूस करता हँू ।

पहले वो समय था जब मेरे पास कोई आशा नह ं थी और म हर बात म


नकारा मक पहलू दे खा करता था। अपनी जीवन नैया म खुद ह खेने क
कोिशश करता रहता था और सच बताऊं तो बहत
ु मश कत करनी पड़ती
थी। यह आपका अनुभव भी हो सकता है । जीवन म कई बार हम ऐसी
प रिःथित म पड़ जाते ह क हम हाथ को हाथ नह ं सूझ पड़ता है । हम
पता नह ं चलता क इसका प रणाम या होगा और हमारे मन म
ःवाभा वक तौर पर नकारा मक वचार आने शु हो जाते ह।

जबसे मने ूभु यीशु को पा िलया है तबसे मेर जीवन नैया के खेवनहार वो
ह है और म आराम से रह सकता हँू य क म जानता हँू क उ ह सब
मालूम है । वो सब कुछ सह करते ह। अपने जीवन क उन क ठन
प रिःथितय को, िजनम पहले हम हारा हआ
ु महसूस करते थे, उनम
परमे र हम वजय दलाता है और उ ह हमारे आधीनता म ले आता है ।

बाइबल बताती है क उसने हम ःवग क कु़ि जयाँ दे द है ता क जो भी


हम धरती पर बाँध वो ःवग म बंध जाये और जो भी हम धरती पर खोल
वो ःवग म खुल जाए। हमारे मुख से िनकलने वाले श द ह वो कुंजी है ।
हमारे मुख से िनकले हर श द का बड़ा मह व है । हमारे सकारा मक श द
परमे र इःतेमाल करता है क हम आशीष दे और नकारा मक श द शैतान
इःतेमाल करता है क हम नाश करे । यह समझने के तुरंत बाद मने अपने
131 आशीष

नकारा मक श द के िलये परमे र से मा माँगी और उनके ूभाव को


यीशु के प वऽ नाम म ख म कया। अब म सकारा मक बोता हँू और
सकारा मक काटता हँू ।

मेरे वचार अब सकारा मक ह। कसी प रिःथित म म अब नकारा मक


बात नह ं ढंू ढता बि क हर बात म परमे र को खोजता हँू , और पाता भी हँू
इसिलये मेरे पास हमशा आशा रहती है और म हरे क बात म उसका
ध यवाद कर पाता हँू । मेरे जीवन म यह प रवतन ूभु क दया और सामथ
से हआ
ु है , म उनका आभार हँू ।

***

मौत का भय नह ं रहा

मौत का भय अब मुझम नह ं है ।

पौलुस फिलि पय 1:21 म यह बात कहता है क उसके िलये जीना मसीह


है और मरना लाभ। हर बात म वो परमे र को अपने साथ महसूस करता
था और इसीिलये न तो उसे अपने शार रक जीवन से कुछ वशेष ूेम था
और न मृ यु से कुछ भय।

इस दिनया
ु म एयादातर लोग मौत से भय खाते ह। इसके पीछे मु य
कारण ये है क उ ह यह नह ं मालूम क मरने के बाद हमारा या होता है ।
हमार आ मा कहाँ जाती है ? भ वंय क अिनि तता ह भय को लाती है ।

मुझे मालूम है क मृ यु के बाद मेरा या होगा। मुझे मृ यु से कोई भय


नह ं है । युह ना 14:3 के अनुसार यीशु का वायदा मेरे साथ है –

“और य द म जाकर तु हारे िलये जगह तैयार क ँ , तो फर आकर


तु हे अपने यहाँ ले जाऊँगा, क जहाँ म रहंू वहाँ तुम भी रहो।”

दसरा
ू कारक िजसके कारण लोग मृ यु से डरते ह वो है – मेरे बाद मेरे
प रवार का या होगा, मेर प ी, मेरे ब चे, मेरे माता- पता। ूभु यीशु म
मेरे पास एक आशा है य क वो मेर सुिध लेते ह। म जानता हँू क जो
परमे र मेर ज़ रत पूरा करता है वो मेरे प रवार क भी ज़ रत पूर करने
जीवन से सा ा कार 132

म स म और व ासयो य है । ूभु यीशु ने म ी 6:26, 27 म कहा है -

“आकाश के पि य को दे खो। वे न बोते ह, न काटते ह, और न ख


म बटोरते ह; तौभी तु हारा ःवग य पता उन को िखलाता है ; या तुम उन
से अिधक मू य नह ं रखते। तुम म कौन है , जो िच ता करके अपनी
अवःथा म एक घड़ भी बढ़ा सकता है ?”

और म ी 6:31, 32 म –

“इसिलये तुम िच ता करके यह न कहना, क हम या खाएँगे, या या


पीएँगे, या या प हनगे? य क अ यजाित इन सब वःतुओं क खोज म
रहते ह, और तु हार ःवग य पता जानता है , क तु हे ये सब वःतुएँ
चा हए।”

म अपने जीवन से संतु हँू और ूित दन परमे र का ध यवाद करता हँू ।


म मृ यु को कसी भी दन दे खने म नह ं डरता य क फर म ूभु यीशु
के साथ ःवग म रहँू गा।

***

परमे र के साथ सनातन जीवन क आशा

बाइबल बताती है क वो जो परमे र के पुऽ यीशु मसीह म व ास करते ह


वे परमे र क लेपालक (गोद ली हई
ु ) संतान है । उनका नाम जीवन क
कताब म िलखा है और उन पर द ड क आ ा नह ं है बि क वे याय के
दन खरे पाये जाएँगे।

ूभु के इस वचन पर व ास करने के मेरे पास ठोस कारण ह। यीशु मसीह


के बारे म क गई कर ब 332 भ वंयवािणय म से 99 ूितशत
ु ह, और जो बची ह वो िसफ
भ वंयवािणयाँ ब कुल ठ क ठ क पूर हई
उनके दसरे
ू आगमन के वषय म ह। म जानता हँू क जब पहले आगमन
क भ वंयवािणयाँ शत-ूितशत पूर हई
ु ह तो दसरे
ू आगमन के वषय म
भी पूर ह गी। और वैसे भी य द मेरा जीवन प रवतन स य है तो म
य कर संदेह क ँ ।
133 आशीष

यीशु मसीह फर से आने वाले ह ता क अपनी कलीिसया (चच) को अपने


साथ ःवग म ले जाएँ जहाँ उसने सब व ािसय के िलये ःथान तैयार कये
ू , सार जाितय के व ािसय , दे श दे श के
ह। वहाँ हम उसके सारे ःवगदत
लोग और मसीह संत के साथ उसक आराधना करगे और चार ओर
उसक म हमा का ूकाश होगा।

मुझे आशा है क म परमे र को दे खूँगा और उसके साथ उसके रा य म


रहँू गा। परमे र के प वऽ ःवग का ःप िचऽण बाइबल क आिखर पुःतक
‘ूकािशतवा य’ म दया गया है ।

यह एक आि मक आशीष है जो अ ँय है िजसे हम अपनी शार रक आँख


से नह ं दे ख सकते पर यह हम द गई है ता क ूभु के दसरे
ू आगमन म
इसे पूरा होते दे ख। जो व ास करगे वो इसके भागीदार ह गे बा क पीछे छूट
जाएँगे।

ऐसा या है जो मुझे उस म हमा क आशा रखने से रोक सके?

***

सफलता और समृ

बाइबल क एक पुःतक भजनसं हता के पहले अ याय म सफल पु ष क


एक प रभाषा द गई है –

“ या ह ध य है वह पु ष जो द ु क यु पर नह ं चलता, और न
पा पय के माग म खड़ा होता; और न ठ ठा करनेवाल क म डली म
बैठता है । पर तु वह तो यहोवा क यवःथा से ूस न रहता; और उसक
यवःथा पर रात दन यान करता रहता है । वह उस वृ के समान है ,
जो बहती नािलय के कनारे लगाया गया है । और अपनी ऋतु म फलता है ,
और िजसके प े मुरझाते नह ं। इसिलये जो कुछ वह पु ष करे वह सफल
होता है ।”

इसे म ऐसे भी कह सकता हँू क वह य ( ी अथवा पु ष) जो द ु क


म डली म न तो उठता बैठता है और न उनके वचार तथा योजनाओं म
जीवन से सा ा कार 134

कसी ूकार भागी होता है बि क वह िनरं तर परमे र का भय मानते हए



दन रात उसके वचन पर मनन कर पाप से परे आ ाका रता का जीवन
बताता है , और अपने जीवन म परमे र को सबसे मु य ःथान दे ता है वह
य अपने हरे क काम म सफल होता है ।

मने जब उपरो वचन का अ ययन कया और इसे समझने के बाद इसका


पालन करने लगा तो परमे र ने मुझे अपार सफलता द है । म यह नह ं
कह रहा हँू क म एक स त बन गया हँू या पापर हत हो गया हँू और न ह
यह क म दिनया
ु का सबसे सफ़ल य हँू । बि क म यह बताने क
कोिशश कर रहा हँू क मने अपनी सार बु , बल तथा ॑दय से परमे र से
ूेम कया और उसके वचन को मह व दया, और ऐसा जीवन जीने का
सतक ूयास कया जैसा परमे र चाहता है तो परमे र ने मेर मदद क ।
ूभु यीशु ने असफलताओं को मेरे जीवन से गायब कर दया है । जैसा मने
पहले कई गवा हय म बताया है क हर प रिःथित को ठ क से संभालने म
परमे र ने मेर बड़ सहायता क है । प वऽ आ मा मेर पढ़ाई से लेकर
नौकर तक और दै िनक जीवन से लेकर सामािजक बात म िनरं तर मेर
अगुवाई करता रहा है ।

ऐसा नह ं है क म बहत
ु धनी हो गया हँू पर आज मेरे पास परमे र क द
हई
ु वो सब भौितक चीज ह जो इस दिनया
ु म जीने के िलये हम आवँयक
ह। जो भी मेरे चीज मेरे पास ह उनके िलये म परमे र का ध यवाद कर
उनको ूयोग करता रहता हँू । वे मेरे िलये काम क तो ह पर मह वपूण
नह ं है । म उनम घम ड नह ं करता बि क अपने परमे र म घम ड करता
हँू जो मुझे वो सब भली वःतुएँ दे ता है । म अपने परमे र से िनरं तर ूेम
करता रहँू गा चाहे इस दिनया
ु क वःतुएँ मेरे पास रहे या न रहे ।

***

परमे र से िमऽता

परमे र क कृपा िनरं तर मुझ पर और मेरे प रवार पर बनी रह है । यह


सच म एक आि मक आशीष है िजसके कारण सार भौितक और शार रक
आशीष भी मेरे जीवन म आई ह।
135 आशीष

परमे र हमारा िमऽ बना है , और सच कहँू तो वो मेरा सबसे यारा दोःत


है । वो मेर सब बात सह लेता है , कभी िशकायत नह ं करता, मेर गलितय
को माफ करता है और अपना साथ मुझे दे ता है । म जब मुिँकल बात म
फँस जाता हँू तो वो मेर सहायता करता है । वो मुझसे रोज िमलता है और
बहत
ु बात करना चाहता है ।

परमे र से िमऽता करना मुिँकल नह ं है । हम िसफ इतना करने भर क


ज़ रत है क हम उसे जान, उसक िमऽता का ूःताव ःवीकार कर और हर
दन उसके साथ संगित कर।

म जानता हँू क हमारे ऐसा करने पर वो हमारे अंदर रहने लगता है । वो


चाहता है क हम अपने हरे क चुनाव म और हरे क िनणय म उसको
सि मिलत कर। वो चाहता है क हम ूाथना म उसके पास जाएँ और उससे
परामश ल। उसक इ छा रहती है क हम उसको अपने जीवन के हर ण
म ूाथिमकता द और उसको पहचान।

य द हम उसको अपने जीवन का एक अिभ न अंग बना ल तो हम उसक


िमऽता और उसके अनुमह का अहसास कर सकते ह।

परमे र से िमऽता क गवाह

शारजाह आने के बाद हमारे पास कोई क यूटर नह ं था िजससे हम


इं टरनेट पर भारत म अपने प रजन से चैट कर सक। अतः हम एक
क यूटर खर दना चाहते थे। हम ूाथना करने लगे। पैसा हमार ूाथना का
वषय नह ं था य क हमारे पास आवँयक पये थे। हम ूभु से राय लेना
चाहते थे क हम कैसा क यूटर खर द। यह बात उन लोग को हाःयाःपद
लग सकती है जो परमे र को जी वत या अपना िमऽ नह ं समझते।

अ ततः कई दन क ूाथना के बाद हम व ास हो गया क परमे र हम


लैपटॉप खर दने दे ना चाहता था। हम पहला मौका िमलते ह जाकर एक
लैपटॉप खर द कर ले आये।

लैपटॉप आने के बाद हम एक माउस, है डफोन, इं टरनेट तार तथा वैबकैम क


जीवन से सा ा कार 136

आवँयकता थी। यह सब चीज कुल िमलाकर 100 दरहम (अमीराती मुिा 1


दरहम = 11+ भारतीय पया) म आनी थीं।

एक शाम को शारजाह के िसट सटर म जाकर हमने एक बड़ दकान


ु म
सब सामान चुन िलया और पैसे चुकाने काउं टर पर पहँु चे। वहाँ आने पर ह
हम पता चला क िजस है डफोन को हम 36 दरहम का समझ कर ले आये
थे वो असल म 52 दरहम का था। शायद कसी ने उसे गलत जगह पर
रख दया होगा यह सोचकर हम फर भी उसे खर द लाए य क वो हम
पसंद आ गया था। हमने अपने बजट से यादा मू य चुकाया।

घर पहँु चने के बाद मने सबसे पहले माउस का पैकेट खोला। मुझे बड़ा
आ य हआ
ु य क पैकेट पर USB िलखा था जब क यह माउस PS2 तरह
का था जो क मेरे क यूटर म काम नह ं आ सकता था। इसके बाद मने
बड़ आशाओं के साथ वैबकैम का पैकेट खोला तो पाया क इसक साइवर
ू हई
सीड टट ु थी। आिखर म इं टरनेट केबल को इःतेमाल करने क कोिशश
क तो इसम भी मुझे असफलता ह िमली। ये केबल इं टरनेट के िलये नह ं
थी।

इस ूकार हम उनम से कोई भी वःतु इःतेमाल नह ं कर सके।

हम इस बारे म वचार करने लगे क ऐसा य हआ।


ु हम दोन (ूेरणा और
म) आिखर एक िनंकष पर पहँु चे क हमने यीशु मसीह से इस बाबत कोई
बात नह ं क । जब हम 5000 दरहम खच करने जा रहे थे तो हम िनरं तर
ूाथना कर रहे थे परं तु जब 100-150 दरहम खच करने क बात आई तो
हम अपने परमिमऽ से सलाह लेना भूल गये। यह हम छोट बात लग रह
थी पर ूभु ने िसखाया क यह छोट बात नह ं थी।

हमने ूभु से माफ माँगी और अपनी गलती ःवीकार क । इसके बाद हमने
िगदौन क तरह एक बड़ अनोखी बात ूभु से कह । हमने कहा क य द
ूभु ने हम माफ कर दया तो हम इन चीज का पैसा वापस दला द।
अनोखी इसिलये य क यह दकान
ु इस बात के िलये ूिस है क इसम वे
पैसा वापस नह ं दे ते बि क एक वाउचर दे ते ह िजससे माहक उसी दकान
ु म
अ य चीज क खर ददार कर सक।
137 आशीष

इस ूाथना के बाद हम उस दकान


ु के िशकायत काउं टर पर पहँु चे। उ ह ने
अपने िनयम के अनुसार हम वाउचर दे ने क बात कह , और हम ूती ा
करने के िलये कहा। कुछ समय के बाद उनके मु य लक के न आने पर
उ ह ने हम हमारा पैसा वापस कर दया। यह सामा य बात नह ं थी पर हम
जानते थे क ये य हआ।

हम मालूम हो गया क हमारे िमऽ ने हम मा कर दया था।

हमने इस बात से सीखा क ूभु यीशु हमारे उनके साथ संबध


ं को कतना
मह व दे ते थे। हम अब िनरं तर ूभु के साथ रहना पसंद करते ह और
उनको अपने जीवन म ूाथिमक ःथान दे ते ह और उनका वशेष साथ
िनरं तर हमारे संग बना रहता है ।

हम परमे र के इस वशेष साथ को कैसे पा सकते ह - उसके वचन म द


उसक आ ाओं के अनुसार जीवन यापन करके।

हमारा जीवन काफ ु सी पेचीदा प रिःथितयाँ हमारे


ज टल है और बहत
सामने रोज आती ह िजनका हम सह िनणय लेना ज़ र है अ यथा हम
बहत
ु बड़ परे शानी म फंस सकते ह (पाप और मृ यु के जाल म फंसे भी
हए
ु ह)। हमारे िनमाता ने हमारे जीवन के िलये भी एक िनदश पुिःतका द
है िजसका नाम बाइबल है । य द अपने जीवन को हम अपने तर के से
चलाते ह तो बहत
ु बार हािन उठाते ह परं तु य द हम, हम द गई िनदश-
पुिःतका के अनुसार जीवन बताएँ तो परमे र का वशेष साथ हम िनरं तर
िमलता है ।
***

परमे र ने अपने वचन म िलखा हरे क वायदा मेरे जीवन म पूरा कया है ।
म कई बार व ासह न और अयो य बन गया पर वो मुझसे िनरं तर ूेम
करता रहा। आपके िलये भी ऐसा ह करने के िलये वो त पर है । आप अपने
पुराने सारे पूवामह को आज छोड़ द और व ास कर क वो परमे र का
पुऽ मसीह है जो आपके पाप क क मत चुकाने इस धरती पर इं सान
बनकर आया, आपके खाितर मारा गया, गाड़ा गया और फर जी उठा और
जी वत ःवग म उठा िलया गया। उसको अपने जीवन म ःथान द और
उसक अगुवाई म जीवन यतीत कर।
जीवन से सा ा कार 138

चाहे आप पहले से व ास करते रहे ह या आपने अभी अभी ूभु यीशु को


अपनाने का िनणय िलया हो, संभव है क अब तक आप भरपूर जीवन खो
रहे ह , पर आज और अभी से ह आप इसे पा सकते ह। य द आप परमे र
के साथ एक िनणय करना चाहते ह तो मेरे साथ ूाथना कर :

“ ूय ूभु यीशु, म सच म आपका आभार हँू क आपने मुझे बताया है क


आप मुझसे ूेम करते ह। ःवामी, आपने अपने वचन म बहतु सी आशीष
का वणन कया है और म उनको पाना चाहता हँू । म जान गया हँू क म
पापी हँू और आप प वऽ परमे र ह। म अपने पापी जीवन से पछताता हँू
और अपने पाप से मन फराता हँू । मुझे मा कर द िजए। मेरे जीवन म
आइये और अपना प वऽ आ मा मुझे द िजए ता क आज के बाद का जीवन
म आपका आ ाकार िशंय बनकर जी सकूँ। आमीन।”
T k k v k s!
11 bZ'ojh; thou dSls th;sa
म यहाँ आपको संि ववरण दे दे ता हँू क हम अब तक चलकर कहाँ तक
आ पहँु चे ह।
आओ

हमने पहली सीमा पार क जब हमने दे खा क परमे र हम आने के िलये


बुलाहट दे ता है ।

परमे र ने हरे क आ मा को बुलावा दया है क आएँ, उसे जान और शांित


तथा व ास का जीवन उसके साथ
जीय। बाइबल कहती है जब तक हम “ व ास ारा जीवन” बाइबल यह
हम िसखाती है । परमे र को
उसक आवाज सुनकर उसके पीछे नह ं
जानने से पहले हम जो दे खते ह
जाते तब तक हम उसके साथ बैर रखते
उसी पर व ास करते ह परं तु
ह। एक भेड़ को अपने चरवाहे क
आि मक जीवन पाने के बाद हम
आवाज़ को सुनना और पहचानना ज़ र परमे र म भरोसा करके अपने
है ता क उसके पीछे चलकर सह गंत य सारे िनणय लेते ह।
तक पहँु च सके। जब तक हम परमे र
के अधीन नह ं आते तब तक हम शैतान
के अधीन रहते ह और नाश क ओर बढ़ते रहते ह।

पाओ

दसर
ू सीमा हमने पार क िजसम हमने दे खा क हम परमे र से कैसी कैसी
आि मक और भौितक आशीष पा सकते ह।

ूभु यीशु ने हमारे उ ार का काम एक ह बार मानव प लेकर अपने ूाण


से हमारे पाप क क मत चुकाकर कर दया है । हम इस उ ार को व ास
के ारा पा सकते ह। अपने मो क ूाि के िलये हम व ास के अलावा
कसी भी और वःतु क आवँयकता नह ं है ।
जीवन से सा ा कार 142

परमे र हम वैसे ह महण करता है जैसे हम ह। वो हम पहले अपना जीवन


बदलने, आदत बदलने, धािमक बन जाने या अ छे कम करने के िलये नह ं
बा य करता है । वो परमे र है और हमार उसके प वऽ मापद ड को पूरा न
कर पाने अ मताओं को जानता है , इसिलये हम हमारे िनरथक काम म
कुि ठत होने दे ने के बजाय हमार जीवन क समःयाओं का हल वो ःवयं
हम दे ता है ।

वो हमार दिनयावी
ु ज़ रत को भी पूरा करता है । वो हमारा पता है जो
हमारे माँगने से भी पहले हमार सार आव कताओं को जानता है और
व ास के ारा मांगने पर उनक पूित भी करता है । यहाँ तक क य द हम
उसक आ ाओं का पालन करते हए
ु आःथा का प वऽ जीवन बताय तो वो
अपने आप भी हमार सभी ज़ रत को पूरा करता रहता है ता क दिनया
ु के
सामने हम हाथ न फैलाना पड़े ।

जाओ

इसके बाद बड़े सं ेप म म आपको यह बताना चाहता हँू क परमे र हम


कस ूकार का जीवन जीने के िलये इस दिनया
ु म भेजता है । हो सकता है
क इस पुःतक को पढ़ने से पहले से आप ूभु यीशु को जानते ह या इस
पुःतक के पढ़ने के बाद आपने उनको अपने जीवन का ःवामी बनाया हो,
पर संभवतया आप वैसा जीवन नह ं जी रहे थे जैसी हमार बुलाहट है ।

हम या करना चा हए – हम ूभु यीशु भीःत जैसा जीवन जीने का ूयास


करना चा हए और परमे र क समानता म िनरं तर बदलते जाना चा हए।
इसके बाद यह क हम ‘जाय’ और इस दिनया
ु म परमे र क योित को
फैलाएँ। अपने यवहार तथा आचरण के ारा उसका ःव प दखाएँ।

ई र य जीवन जीने के िलये हमारे दै िनक जीवन म हम िन न बात का


समावेश करना ज़ र है । उसके अलावा बहत
ु सी और भी बात ह जो वचन
से, ूाथना से, मनन से और प वऽ आ मा क अगुवाई से हम सीखते ह म
यहाँ नह ं िलख रहा हँू ।
143 ई र य जीवन कैसे जीय

फर भी िन न बात से आप शु आत कर सकते ह:
परमे र से बात कर – रोज़ ूाथना कर
आ मा को भोजन द – हर दन बाइबल पढ़
व ास म जड़ पकड़ – हमशा संगित म रह
ूेम बाँट – अपने व ास क गवाह द

हर दन ूाथना

ूाथना करना और कुछ नह ं अ पतु परम पता परमे र से बातचीत करना


है । उसे अपना अंतरं ग िमऽ, ूेमी पता, सव ानी गु तथा सृ कता ई र
समझते हए
ु य गत तौर पर उससे बातचीत करना ह स ची ूाथना है ।

ूभु यीशु ने ःवयं अपने जीवन से हम दखाया क कैसे वो हर रात और


सुबह ज द ह ूाथना के िलये सुनसान ःथान म चले जाते थे ता क
अकेले म परमे र से वातालाप कर सक। इं सान के प म रहते हए
ु वह
अपने ई र य श य का उपयोग नह ं करते थे परं तु पता क संगित के
कारण वे बड़े बड़े चम कार कर दे ते थे।

या वो परमे र से कुछ पाने के िलये ूाथना करते थे ? नह ं।

परं तु अपने ूेम के कारण वो परमे र से िमलने के िलये रोज ूाथना म


समय बताया करते थे। हम भी य द ूाथना म समय यतीत कर तो हम
भी न िसफ वो सब कर सकते ह जो ूभु यीशु ने मानव प म कया
बि क उससे भी बड़े बड़े काम कर सकते ह, ऐसा ःवयं ूभु यीशु का कहना
है । ूाथनाओं म बड़े बड़े चम कार करने क श है ।

ूाथना करना िसफ हमारा िनणय नह ं है अ पतु यह परमे र क हमारे िलये


इ छा है ।

“िनरं तर ूाथना म लगे रहो। हर बात म ध यवाद करो; य क तु हारे


िलये मसीह यीशु म परमे र क यह इ छा है ।”
[1 िथःसलुनी कय 5:17, 18]
जीवन से सा ा कार 144

हम परमे र को पता क तरह दे खकर उसका प वऽ भय मानने क ज़ रत


है , उसको ःवामी क तरह दे खकर उसके आ ाकार दास बनने क ज़ रत
है , ूभु दे खकर उसक आराधना करने क ज़ रत है , स चा साथी दे खकर
िनरं तर उसम भरोसा रखने क ज़ रत है । वो अलग अलग प म िनरं तर
हमारे साथ रहता है बस हम उससे बात करने क आवँयकता है ।

हम एकांत म परमे र के पास जाने क ज रत है ता क उसक सामथ और


उसक उपिःथित का आनंद उठा सक। हो सके तो म अपना हर दन ूभु
के साथ बातचीत कर शु करता हँू और रात म उसका ध यवाद करके
ख म करता हँू । दन म हर समय उसको दे खता हँू और उसक उपिःथित
का अहसास करता रहता हँू ।

मेरा मानना है क सुबह उठकर इस दिनया


ु से बात करने से पहले हम
परमे र से बात करने क आवँयकता है । कई लोग अखबार पढ़कर अपना
दन शु करते ह तो कुछ और सुबह के यायाम से। इनम से कुछ भी
गलत नह ं है पर मेरे वचार म परमे र को पहला ःथान दे ने के बाद ये
सब काम करना बेहतर है । इसके बाद, पूरे दन संभालने के िलये हर रात
उसका ध यवाद करना ज़ र है । रोज ह हम कसी न कसी ूकार कुछ
बात ऐसी कर दे ते ह जो परमे र को पसंद नह ं है , अपनी ऐसी गलितय
क मा हर रोज़ मांगना भी िनहायत ज़ र है ।

जब हम ूाथना करते ह तो परमे र हम शांित, ूेम और आनंद दे ता है । वो


हमार हर आवँयकता क पूित करता है और हर परे शानी से हम छुड़ाता है ।
वो ह आ माओं को शैतान के चंगल
ु से छुड़ाता है । हम इस बात के िलये
अपने प रवार और अपने जानने वाल के िलये िनरं तर दआ
ु कर सकते ह।

हर दन बाइबल अ ययन

ूभु यीशु ने अपने वचन म (युह ना 15:7) कहा –

“य द तुम मुझ म बने रहो और मेर वचन तुम म बना रहे , तो जो


चाहो माँगो और वह तु हारे िलये हो जाएगा।”
145 ई र य जीवन कैसे जीय

यह बात मने अपने व ासी जीवन क शु आत से सीखी। मुझे बताया गया


था क परमे र का वचन (बाइबल) हमार आ मा का भोजन है ।

सामा यतया हम अपने शर र क अिभलाषाओं को पूरा करके उसे काफ


भोजन दे ते ह, ले कन अपनी आ मा को भोजन नह ं दे ते ह।

य द हम अपने शर र को तो भोजन द पर आ मा को नह ं तो फर शर र
तो मज़बूत होता चला जाता है परं तु आ मा ीण होती चली जाती है । और
फर य द कभी आ मा और शर र म कसी पर ा क घड़ म ं द होता है
तो यह बात बहत
ु आसानी से समझ म आनी चा हए क य आ मा हार
जाती है और परमे र के व हम पाप कर बैठते ह।

कमज़ोर आ मा पर ा म खड़ नह ं रह पाती और पाप म िगर जाती है ।

कई बार हम बाइबल पर आधा रत बहत


ु सी कताब तो पढ़ते ह जो क
ूिस लेखक और ूचारक के ारा िलखी गई ह और जो बाइबल के ह
बारे म िसखाती ह पर बाइबल को नह ं पढ़ते ह। यह ऐसा है जैसे क खाना
न खाना, परं तु खाने के बारे म ऐसी कताब पढ़ना जो अ छे रसोईय के
ार िलखी गई ह । या खाना खाये बना तृि िमल सकती है ?

म इस बारे म आपको सचेत करना चाहता हँू । म आपको सलाह दँ ग


ू ा क
आप बाइबल पढ़ने को अपने जीवन का एक अंतरं ग भाग बना ल। अपने
आप को हम शु म थोड़ा अनुशािसत करना पड़ता है ले कन धीरे धीरे यह
हमारे ःवभाव म आ जाता है और हम इसके िलये कोई अित र मेहनत
नह ं करनी पड़ती है । हम परमे र के वचन म जड़े जमानी बहत
ु ज़ र है
ता क हम व ास म बढ़ते चले जाएँ। हमारा यह व ास हमार ढाल बन
जाता है क हम शैतान क सार पर ाओं का सामना आसानी से कर सक।

व ास म जड़ पकड़ना

रोिमय 10:17 म बाइबल इस ूकार कहती है –

“अतः व ास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है ।”


जीवन से सा ा कार 146

जैसे बाइबल पढ़कर हम परमे र क आवाज को सुन सकते ह, जो क बहत



मह वपूण भी है , उसी ूकार उन लोग से परमे र के वचन के ारा सुनना
जो क व ास म मज़बूत हो चुके ह, आवँयक है ता क व ास के
िस ा त को हम और गहराई से समझ सक और व ास म मज़बूत होते
चले जाएँ।

इसी कारण परमे र हमसे चाहता है क हम एक प वऽ आ मा से भर हई



कलीिसया (चच) म जाकर ह ते दर ह ते (या हो सके तो यादा भी)
संगित कर।

और एक दसरे
ू के साथ इक ठा होना ना छोड़, जैसे क कतन क
र ित है , पर एक दसरे
ू को समझाते रह; और य य उस दन को िनकट
आते दे खो य य और भी अिधक यह कया करो।
[इॄािनय 10:25]

हम चच इसिलये नह ं जाते क वहाँ हम ई र िमलेगा, य क वो तो हमारे


िनमंऽण पर हमारे जीवन म ह आ चुका है । परमे र कसी भी आराधना के
ःथान म नह ं रहता बि क वो तो सव यापी परमे र है । चच म तो हम
साथी व ािसय क गवा हयाँ सुनते ह, ूवचन सुनते ह ता क बाइबल क
गूढ़ बात सीख सक। वहाँ हम साथी व ािसय के साथ िमलकर परमे र
क आराधना करते ह। वहाँ हम एक दसरे
ू से बात कर एक दसरे
ू को
उ सा हत करते ह और ूाथना भी करते ह।

जैसे हम अपने शर र क माँसपेिशयाँ बनाने के िलये कसरत करते ह, ठ क


उसी ूकार हम अपनी आ मा को मज़बूत करने के िलये व ास क कसरत
करनी ज़ र है ।

कुलुिःसय 2:6, 7 म िलखा है -

“अतः जैसे तुम ने मसीह यीशु को ूभु करके महण कर िलया है ; वैसे
ह उसी म चलते रहो, और उसी म जड़ पकड़ते और बढ़ते जाओ; और जैसे
तुम िसखाए गए वैसे ह व ास म ढ़ होते जाओ, और अिधकािधक
ध यवाद करते रहो।”
147 ई र य जीवन कैसे जीय

उसके ूेम का ूचार करना

बाइबल बताती है क यीशु मसीह इस दिनया


ु का याय करने के िलये ज द
आने वाले ह। वचार क िजये – आपको तो परमे र के ूेम का सुसमाचार
िमल गया और शायद आपने व ास कर भी िलया या अब कर लगे, मगर
आपके प रवार और अ य ूयजन का या होगा, उनको कौन यह राःता
बताएगा, वो अपना अन त जीवन कहाँ बतायगे?

म आपके प रवार को नह ं जानता। शायद कोई पाःटर भी वहाँ नह ं पहंु च


सके, पर आप तो ह। या आप नह ं चाहगे क वे भी मो पाएँ और ःवग
म ूवेश करने क आशा उनको भी िमल जाए?

हमारा हमारे प रवार, दोःत , सहकिमय (या सहपा ठय ) और हमारे समाज


के दबे कुचले लोग के ूित ूेम या हम दहाई
ु नह ं दे ता क हम ःवयं उन
तक यह बात पहँु चाय?

बाइबल हमारा आ ान करती है क हम परमे र के मो के वशाल काय म


सहभागी हो जाएँ ता क आ माओं को वनाश क कगार से खींचकर जीवन
क ओर ले आय।

इसी उ े ँय को लेकर ूभु यीशु हमारे बीच म इं सान बनकर आये जैसा क
लूका रिचत सुसमाचार म (लूका 19:10) िलखा भी है -

“ य क मनुंय का पुऽ खोए हओं


ु को ढंू ढने और उन का उ ार करने
आया है ।”

फर युह ना 20:21 म ूभु यीशु ने फर िसखाया –

“यीशु ने फर उन से कहा, तु हे शाि त िमले; जैसे पता ने मुझे भेजा


है , वैसे ह म भी तु हे भेजता हँू ।”

और म ी 28:19, 20 म वायदा कया -

“इसिलये तुम जाकर सब जाितय के लोग को चेला बनाओ और उ ह


पता और पुऽ और प वऽआ मा के नाम से बपितःमा दो। और उ ह सब
जीवन से सा ा कार 148

बात जो म ने तु हे आ ा द है , मानना िसखाओ; और दे खो, म जगत के


अ त तक सदै व तु हारे संग हँू ।”

ूभु यीशु ने हम आ ासन दया है क ःवग और पृ वी पर सारा अिधकार


उनका है और फर हम आ ा द है क हम जाकर उसके ूेम का सुसमाचार
सभी लोग को बताय और अपने च रऽ और जीवन से उसका ःव प
दखाय।

बाइबल बताती है क यह सुसमाचार हम अपनी साम य म नह ं सुनाते


बि क यह परमे र का उ े ँय है और वह इसम हमार सहायता करता है -

“पर तु जब प वऽ आ मा तुम पर आएगा तब तुम सामथ पाओगे; और


य शलेम और सारे यहू दया और साम रया म, और पृ वी के छोर तक मेरे
गवाह होगे।”
[ूे रत के काम 1:8]

ूभु यीशु ने चेले बनाने क आ ा द है धम प रवतन कराने क नह ं। उसने


स चे मसीह व ास का ूचार करने और उसका स चा ूित बंब अपने
जीवन से दखाने के िलये हम कहा है । बा क काम वो ःवयं करे गा क अपने
खोजने वाल को िमले और उनक आि मक यास बुझाए। हम तो िसफ
उसके आ ाकार बने रहने क आवँयकता है ।

***

ूभु यीशु मसीह म व ास कर लेने के बाद मने अपने चार ओर दे खा तो


पाया क कतने ह लोग ौा पत जीवन जी रहे थे और भटकते हए
ु सनातन
जीवन का माग खोज रहे थे। मने सोच िलया क मुझे उनको दखाना है क
परमे र िजसने मेरा जीवन प रवतन कया वो उनसे भी ूेम करता था और
उनका जीवन भी आशीष से भर सकता था। म अपने नये व ास के बारे
म सभी को बताने लगा था। मेरे पास बाइबल का ान नह ं था पर म िसफ
अपने ूेम, व ास तथा अनुभव क ह गवाह दे ता था।

जब हम अपने आप को परमे र को दे दे ते ह तो वो हमारे ारा बड़े


आ यच कत कर दे ने वाले काम करता है । म रह रहकर अपने आपको
149 ई र य जीवन कैसे जीय

बताता रहता हँू क म तो िम ट ह था, परमे र ने मुझे अपने काम का


बतन बनाया है और जैसे वो चाहे इसे इःतेमाल कर सकता है य क उसने
अपने ूाण क क मत चुकाकर मुझे खर द िलया है । यह बतन क नह ं
परं तु उसके बनाने वाले और इःतेमाल करने वाले के गुण ह िजनक ूशंसा
हो, य क वह मह वपूण है ।

म यहाँ एक उदाहरण दे कर बताना चाहता हँू क परमे र कस ूकार हम


जहाँ भी हम ह , हम अपनी म हमा के िलये इःतेमाल करता है , और बदले
म हम ह आशीष भी दे सकता है । आप ये भी दे खगे क सुसमाचार बताकर
कसी को मसीह के ूेम म लाने के िलये हम समय दे न,े धैय रखने और
व ास के साथ प वऽ ूेम दखाने क आवँयकता पड़ती है ।

***

गवा हय ारा उ ार
(उदाहरण – ूेरणा का उ ार)

सन 1998-99 म, ड़क म अपनी पढ़ाई के दौरान, मुझे मौका िमला क


अपनी एक सहपा ठन के साथ म ूभु के यार क खुशखबर बाँट सका।
उसका नाम ूेरणा है । वो बौ प रवार से स बंध रखती थी। यूँ तो बौ धम
के मानने वाले म यम माग पर चलते हए
ु िनवाण ूा करने म व ास
करते ह और मूित-पूजा नह ं करते ले कन वो मि दर म पूजा भी कया
करती थी और ोत भी रखती थी।

मेरा जीवन िस (परफे ट) नह ं था और न ह म इस बात का इं तज़ार कर


सकता था, बस मने ःप र ित से अपना व ास और उ ार क परमे र
क योजना के बारे म उसे बताया।

मेर हरे क बात को वो बड़े धैय के साथ सुनती थी पर सह मायने म कसी


बात पर व ास नह ं करती थी। वो मेरे व ास क कि करती थी पर उसम
खुद व ास करने क उसक कोई इ छा नह ं होती थी। उसक सोच थी क
यीशु मसीह ईसाईय के ई र ह जैसे क उसके अपने कई भगवान थे और
हम सबको अपने अपने तर के से ई र क आराधना करने क ःवतंऽता है ।
जीवन से सा ा कार 150

वो ये भी सोचती थी क यीशु अ य सभी ई र म से एक ई र थे और


मानती थी क चाहे उसे कसी भी नाम से पुकारा जाए, राम, अ लाह या
यीशु, बात एक ह है । म नाम के वषय म तो बहस नह ं करता था परं तु
मेर ूाथनाओं के उ र िमलने क गवाह से और ूभु के िनरं तर मेरे साथ
होने के अलग अहसास से मने उसे अंतर दखाया। मने उसे बताया क
ई र एक ह है और हम अपने बनाये तर क से उस तक नह ं पहँु च सकते
अ पतु ूभु यीशु ह एकमाऽ माग है िजनके ारा उस तक पहँु चा जा सकता
है य क िसफ यीशु मसीह ने ह हमारे पाप क क मत चुकाई है ।

मने उसे बताया क ये धम क बात नह ं थी बि क परमे र क बात थी।


यहाँ तक क ूभु यीशु भी धम म िच नह ं लेते थे जब क उनका ज म
यहद
ू प रवार म हआ
ु था। बि क वो उन पाख ड धमगु ओं के तर क का
ख डन करते थे जो कहते कुछ और थे और करते कुछ और। म हॉःटल म
उसके िलये ूाथना कया करता था।

ू आःथा से ूभा वत होती


मेर बात क तुलना म, वह परमे र म मेर अटट
थी थी और सोचती थी क कैसे मेर ूाथनाओं के उ र िमलते थे। उसने भी
एक बार बना मुझे बताये यीशु मसीह के नाम से ूाथना क और उसे तुरंत
उ र िमले और उसे पता चल गया क ूभु यीशु ूाथनाओं के उ र दे ने
वाले ई र है । और भी कुछ ऐसी घटनाएँ हु िजनसे उसे व ास हो गया
क यीशु मसीह परमे र का पुऽ है और ःवयं परमे र है ।

हम लोग हर रोज रात 8 बजे िमलकर मेर िग डयन बाइबल से पढ़ने लगे
और साथ साथ म व ास म बढ़ने लगे। िसत बर 2000 म उसने पानी का
बपितःमा लेकर अपने व ास तथा जीवन प रवतन क गवाह द और
पुराने तौर-तर के छोड़कर ूभु यीशु को व ास के ारा अपने जीवन का
ःवामी करके ःवीकार कया।

आज वो आ मा म नया ज म पाई हई
ु ूभु यीशु क व ासी है जो अपने
॑दय, बु और बल से परमे र से ूेम करती है । अब वो मेर प ी है
और म ूभु का ध यवाद करता हँू क परमे र क दया से हम एक अ छा,
संतिु लत मसीह प रवार बन सके ह िजससे कई लोग को ूेरणा िमलती है ।

***
151 ई र य जीवन कैसे जीय

ूेरणा और मै मसीह व ास म साथ साथ बढ़े । ऊपर िलखे सारे िस ांत


हमने साथ ह सीखे और अपने जीवन म लागू कये। परमे र हमशा हमारे
साथ दयावंत रहा है और अपनी व ासयो यता के अनुसार हमारे जीवन म
आ यकम (चम कार) करता रहा है तथा अपनी म हमा हर ूकार से उसने
हमारे जीवन म ूकट क है । उसने हम िसखाया क कैसे हम उसक नजर
से सभी बात को दे ख सक और सह िनणय ले सक।

हमारे घर का यह अिलिखत िनयम है क हमारे घर म आने वाला हरे क


य सुसमाचार सुनकर ह बाहर जाए। चाहे वह य हमारा सहकम हो,
रँतेदार हो, दधवाला
ू हो, पानी पहँु चाने वाला, सफाईवाला, अख़बारवाला,
सफाईवाली महर या पासपोट पूछताछ के िलए आया पुिलसवाला, हमने
सबको अपना ूेम दखाया और परमे र का माग बताया। हम सोचते ह क
उनम से कईय को (जो व ास करगे) हम ःवग म दे ख पायगे।

हमने अपने घराने म भी आ मा के उ ार का सुसमाचार पहँु चाया है और


मसीह के ूेम के बारे म बताने म हम कभी शरमाते नह ं ह। कुछ तो
व ास करने लगे ह और कुछ अभी मश कत कर रहे ह क इसपर व ास
कर सक। कुछ बेअसर ह तो कुछ वरोध म, पर हम आ ःत ह क
परमे र अपनी क णा म सबको ःवग के रा य के िलए तैयार करगे। हम
िनरं तर ूाथना करते ह और अपनी जीवन क गवा हयां बताते रहते ह।

हम अपना काम कर और वो अपना करे गा। हमारा परमे र महान है और


सब बात म सामथ है । परमे र हमार ूती ा कर रहा है । हमने सतमत
(मु त म) पाया है तो आइये, हम सतमत द भी।
12 fu"d"kZ
ूय पाठक, ूभु यीशु मसीह ज द ह फर आ रहे ह। म यह इसिलये
जानता हँू य क ूभु यीशु ने यह सार बात पहले से ह अपने चेल को
बता द थीं और वे बाइबल म िलखी ह। अपने चेल के साथ एक बार के
वातालाप म चेल के पूछने पर उ ह ने बताया क अंत समय (यीशु मसीह
के फर से आने से तुरंत पहले का समय) को पहचानने के कुछ िच ह
िज ह दे खकर हम पहचान सकते ह क उसका आना िनकट है । आपको यह
जानकर आ य हो सकता है क वे िनशान अब ःप र ित से ूकट होने
लगे ह।

तुम लड़ाइय और लड़ाइय क चचा (अफवाह) सुनोगे, तो घबरा न


जाना य क इन का होना अवँय है , पर तु उस समय अ त न होगा।
य क जाित पर जाित, और रा य पर रा य चढ़ाई करे गा, और जगह
जगह अकाल पड़गे, और भुक प ह गे। ये सब पीड़ाओं का आर भ ह गी।
[म ी 24:6-8]

य द ऊपर िलखे यीशु-वचन को आपने गौर से पढ़कर उस पर आज क


दिनया
ु क प रिःथित के प रपेआय म वचार कया है तो आप खुद ह
समझ सकते ह क हमारे पास कतना कम समय है । हम सह समय तो
नह ं जानते ले कन ये ज़ र समझते ह क यीशु मसीह का आना बहत

िनकट है ।

ूभु यीशु दसर


ू बार मानव प म नह ं आने वाले ह और न ह उनके आने
का उ े ँय सुसमाचार बताना या व ास दलाना है । वह याय के िलये आने
वाले ह। उनके आने के बाद स चे व ासी उनके साथ ःवग म चले जाएँगे
और जो पीछे रह जायगे उनके िलये िसफ पछताना और याय का इं तजार
ह बाक रह जाएगा।

***
जीवन से सा ा कार 154

दरू से सभी धम और व ास एक जैसे ह दखते ह पर जब हम नज़द क


जाते ह और गौर करते ह तो उनके च रऽ और िश ाओं म बहत
ु से अंतर
हमको दखाई दे ने लगते ह। ईसाई धम भी कोई अपवाद नह ं है , परं तु म
ईसाई धम के िलये नह ं मसीह व ास के िलये आपको उ सा हत कर रहा
हँू ।

हम ‘परमस य’ क खोज करने क और उसम ह व ास करने क


आवँयकता है । म आपको उ सा हत करता हँू क आप सभी गु ओं और
किथत ई र के जीवन से तथा उनक िश ाओं से ूभु यीशु मसीह के
जीवन क तथा उनक िश ाओं क तुलना क िजए और जो आपको सह
लगे उसका चुनाव क िजए। आप यीशु मसीह के जैसा जीवन जी सकते ह।
उनका अनुसरण करके आप कभी धोखा नह ं खाएँगे और न ह कभी आपको
खेद होगा।

य द आप अपने सारे धािमक र ित रवाज और संःकार का पालन करके


थक चुके ह और अभी तक मो के बारे म आपको कोई आ ासन नह है ,
तो थोड़ कए और वचार क िजए। साल तक िनरथक ूाथनाएँ कर करके
आप थक चुके ह तो यीशु मसीह के पास आइये।

म आपको एक नॆ चुनौती दे सकता हँू क जब आप सब जगह दआ


ु करके
थक चुके ह और कोई बात न बने तो आप यीशु मसीह से व ास के साथ
ूाथना करके दे ख। म जानता हँू क आपको अपनी ूाथना का उ र ज़ र
िमलेगा। वो आपसे यार करते ह।

आप ूभु यीशु पर व ास क िजए। उनपर व ास कर आप एक शांित से


भर , आशी षत और भरपूर िज दगी जी सकते ह जो पहले से कह ं यादा
मह वपूण होगी और ऐसा करके आप अपने इस जीवन का उ े ँय पूरा कर
सकगे। शार रक मृ यु के बाद के जीवन के िलये भी आपके पास एक आशा
होगी।
***

अगर आपने व ास कया है और आप नये ज म का अनुभव पाये हए



व ासी ह तो भी अपनी िज दगी परमे र के सुपुद कर द िजए और संपूण
व ास और आ ाका रता म अपना जीवन बताइये। पाप से बचे र हये और
155 िनंकष

अगर हो सके तो उ ार के बड़े काम म शािमल हो जाइए ता क परमे र का


रा य ज द ह आये। सच म, फसल तो बहत
ु है पर काटने वाले बहत
ु थोड़े
ह।

मने बाइबल म इस बारे म एक िस ांत पाया है क हम अपने से शु कर


और फर अपन तक और फर दिनया
ु के छोर तक इस सुसमाचार को
पहँु चाएँ (ूे रत के काम 1:8)।

यह िस ा त मने अपनी हवाई याऽा म भी कई बार दे खा। उसम बताया


जाता है क कसी आपातकालीन प रिःथित म ऑ सीजन क कमी हो जाने
पर माःक ऊपर के के बनेट से लटक जाते ह। याऽी कसी क भी मदद
करने से पहले अपने आप को सुरि त कर, ऐसा िसखाया जाता है । माँ-बाप
भी पहले अपने आप को सुरि त करने के बाद ह अपने ब च को माःक
लगाने म मदद कर। यह बड़ अजीब बात लग सकती है ले कन सच है क
य द हम अपने आप को पहले माःक लगाकर सुरि त न कर तो अपना दम
घुटने पर न तो हम अपनी मदद कर सकते ह और न दसर
ू क।

मसीह व ास म भी हम पहले खुद व ास करना ज़ र है । यह बहत



ज़ र है क हम ःवयं पहले ूभु यीशु म व ास कर और सनातन जीवन
ूा कर। फर अपने प रवितत जीवन क गवाह से, ूाथनाओं से और
वचन के ारा अपने प रजन को, रँतेदार को, अपने सहकिमय को और
िमऽ को सुसमाचार सुनाएँ और उ ह भी पाप मा तथा अनंत आि मक
जीवन क ओर आगे बढ़ाएँ। इसके बाद हम अपने शहर, रा य, दे श और
दिनया
ु के छोर छोर तक जाकर परमे र के ूेम का ूचार कर सकते ह।

***

इस के साथ हम अपनी याऽा के अंितम पड़ाव म आ पहंु चे ह। म आशा


करता हँू क आपने मेरे साथ इस याऽा म आनंद उठाया होगा। चिलए, हम
इसे एक सुखद मोड़ पर ख म कर और आगे के िलए परमे र के साथ
भरपूर जीवन जीने का िनणय ल। ूभु आपको आशीष द।
जीवन से सा ा कार 156

आइए, हम साथ म ूाथना कर –

“ ूय ूभु य़ीशु, हम आपका ध यवाद करते ह क आपने हम इस क़ताब


को साथ पढ़ने का मौका दया। हम आपक महानता के कारण आपक जय-
जयकार करते ह। ूभु, पाप मा कर नया जीवन द िजए ता क हम
बहतायत
ु के जीवन का अनुभव कर सक। जैसे अब हमने आपको जान
िलया है तो हम पाप म तो मर गए पर आप म जी वत ह। कृ पा कर हमारे
जीवन का िनयंऽण अपने हाथ म ले लीिजए ता क हम व ास म बढ़ते
चले जाएँ और आपक म हमा कर। ूभु, हम आपको ःवग म दे खना चाहते
ह और ःवगदत
ू के साथ आपक आराधना करना चाहते ह। आपका अनुमह
और व ास हम द िजए िजससे हम आपक आशीष से भरा एक साथक
जीवन जी सक। आमीन।”
I kf j f ' k " V
ifjf'k"V- iz'Uk vkSj Hkzkafr;ak
म यहां कुछ ऐसे ू के जवाब दे ना चाहता हँू जो क ॅांितय के प म फैले हए

ह। ऐसे ू उस समय दमाग म आते ह जब हम ूभु यीशु का सुसमाचार सुनने
को िमलता है और कभी कभी तो तब जब हम यक न भी हो जाता है क यीशु
मसीह ह स चा परमे र है फर भी उसके पीछे चलने का िनणय लेने म हम
द कत महसूस होती है । कई बार यह िनणय हम नह ं ले पाते य क हमारे मन म
कई सवाल उठते ह पर उनके उ र हम नह ं िमलते ह या फर उनके गलत जवाब
हम बाइबल के अलावा अ य ोत से सुनते रहते ह।

बाइबल से परमे र ारा मुझे य गत तौर पर िसखाई गई स चाईय के अनुसार,


म इन ू का उ र दे ने क कोिशश कर रहा हँू ।

इससे पहले क आप आगे पढ़ना शु कर, एक और बात को समझना ज़ र है क


आगे िलखे उ र सामा य ान क तरह ह इःतेमाल कये जाने चा हए। ये कसी
भी तरह से बाइबल का या मसीह व ास का एकमाऽ उपाय नह ं है बि क ये सब
मेरे अनुभव, समझ और प वऽ आ मा क अगुवाई से िलए गए िनणय का सारांश है
जो प रिःथितय को समझने म और उसम सह िनणय लेने म आपक सहायता
करे गी। ठ क िनणय लेने के िलए हरे क प रिःथित म आपको भी परमे र के वचन
– बाइबल, अपने ववेक, ूाथना और प वऽ आ मा क नेत ृ व का ह सहारा लेना
होगा।

मने जान िलया है क यीशु मसीह ह जी वत परमे र है । मने उसक


ूाथनाओं के उ र दे ने क सामथ को भी दे खा है । पर म उसका
अनुसरण करने का िनणय नह ं ले सकता/सकती। मेरे प रवार वाले,
रँतेदार और िमऽ या कहगे?

हाँ। य द धम क नज़र से दे खा जाए तो सच म यह बहत


ु क ठन काय है । परं तु
य द आप इसे य गत सोच (और िनणय) क नज़र से दे खगे तो आप पाएँगे क
आप िसफ परमे र से ूेम करने क बात कर रहे ह, धम प रवतन क नह ं।
सकारा मक जीवन प रवतन के आपके िनणय को कोई भी गलत नह ं ठहरा सकता।
और सोिचए क य द आप परमे र से ूेम करने लग और आपक सार बुर बात
जीवन से सा ा कार ii

ख म हो जाएँ और आप एक साफ सुथरा और आशीष से भरा जीवन बताने लग


तो कौन आपका वरोध करे गा?

म दो बात आपको और बताना चाहता हँू ।

पहली ये क हमारा उ ार (मो ) य गत चुनाव है ; जैसे कसी खास तरह का


भोजन खाना या खास तरह के रं ग का कपड़ा पहनना। इसम हमार इ छा और
िनणय ह सव प र होते ह। वैसे भी भारत के सं वधान म दये गये मौिलक
अिधकार म से यह भी एक है ।

भरोसा क िजए, न तो कोई आपके साथ पैदा हुआ था और न ह कोई आपके साथ
मरे गा। न ह कोई याय िसंहासन के सामने आपके बदले पाप का लेखा जोखा
दे गा। हम सब को यह अकेले ह करना है ।

दसर
ू बात ये क जब हम गलत (ई र, प रवार और समाज को नापसंद) काम
करते ह – जैसे शराब और िसगरे ट का सेवन करना, वासनामयी वचार करना, झूठ
बोलना, घम ड करना इ या द, तो या हम कसी से पूछकर करते ह। नह ं, वो सब
बात हम अपने आप करने लगते ह। तो फर ई र य िनणय लेने म कसी से डरने
क या पूछने क या ज़ रत है ? सोिचए, य द आप उ ार पा ल, तो शायद और
को भी नक क ओर जाने से रोक सक।

कोई नक म नह ं जाना चाहता परं तु अनजाने म सब उसी तरफ जा रहे ह। जब तक


क हम अपना जीवन जीने के मू य, उ े ँय, तर का तथा व ास न बदल ल, हम
सबक एक ह िनयित है ।

मेरे सभी दोःत , सहकिमय और रँतेदार क ओर से आये वरोध को सहते हए



जब मने िनरं तर व ास कया तो मेरे प रवितत जीवन को दे खकर कतने ह जीवन
बदल गये और आज परमे र से ूेम करते ह तथा शांितमय-सुखमय जीवन जी रहे
ह। जो व ास नह ं भी करते, वे भी मेरे जीवन के मू य और आदश के कारण
मेर इएज़त ज़ र करते ह।

परमे र यह आपके िलए भी कर सकता है । ज़ रत है तो िसफ इस बात क क


हम आ ाका रता के साथ परमे र पर व ास कर जीवन यापन कर।
जीवन से सा ा कार iii

या यीशु मसीह म व ास करने के बाद हम अपना नाम बदलना


होगा?

नह ं! परमे र यथ म नाम बदलने का इ छुक नह ं है ।

हमने अपना नाम नह ं बदला है । मेरा नाम बृजेश है , मेर प ी का नाम ूेरणा है
और हमारा बेटा ूांजल है ।

हालां क बाइबल म कई ऐसे संदभ ह िजनम परमे र ने नाम प रवितत कये, पर तु


उन सभी जगह पर परमे र का उ े ँय िसफ नाम बदलना नह ं था अ पतु ये क वो
व ास के और बोलचाल के नये आयाम िसखाये। उसने ऐसा कई जगह पर कया
जैसे क अॄाम का नाम अॄाहम, सारै का नाम सारा, शमौन का नाम पतरस
(पीटर), याकूब का नाम इॐायल आ द। यह सब उसने बाइबल के एक मह वपूण
िस ा त को समझाने के िलए कया।

“दे ख, मेर वाचा तेरे साथ ब धी रहे गी, इसिलये तू जाितय के समूह का
मूल पता हो जाएगा। इसिलये अब से तेरा नाम अॄाम न रहे गा, पर तु तेरा नाम
अॄाहम होगा; य क म ने तुझे जाितय के समूह का मूल पता ठहरा दया है । म
तुझे अ य त फलव त क ँ गा, और तुझ को जाित जाित का मूल बना दँ ग
ू ा, और
तेरे वंश म राजा उ प न ह गे।
[उ प 17:4-6]

उपरो वचन म बाँझ द प को जाितय के माता- पता बनाने का वायदा कर


उनको एक दसरे
ू को ऐसे ह नाम से पुकारने क बात िसखाई। परमे र ने नाम
इसिलए बदले ता क हम सीख सक क परमे र हमारे बोलचाल म, हमारे वचार म
तथा हमारे व ास म प रवतन करना चाहता है ता क हम नकारा मक वचार और
अ प व ास को छोड़कर सकारा मक हो जाएँ। परमे र का वशाल व ास पाएँ और
उसी के ारा जीवन बताएँ।

यह कसी भी तरह इस बात क ओर इं िगत नह ं करता है क हम अपना नाम


बदल। बाइबल कहती है क परमे र हम हमारे नाम से जानता है और उसने हमारा
नाम जीवन क कताब म िलखा है , तो फर य इसे बदल।

…तु हारे नाम ःवग पर िलखे ह।


[लूका 10:20]
जीवन से सा ा कार iv

वो हमारे दल (मन ) को जानने वाला ई र है और हमारे व ास तथा यवहार को


भी जानता है । नाम बदलने जैसे अवांिछत वषय म समय खराब करने के बजाय
यह बेहतर है क हम अपने व ास को मज़बूत करने क दौड़ दौड़।

हमारे धािमक यौहार का या होगा? या हम उ ह नह ं मना


सकते?

म सोचता हँू क यह एक वःतुिन ू नह ं है इसिलये म कोई एक जवाब नह ं


दँ ग
ू ा।

ूथमतया, हमारा ू ये नह ं होना चा हए क यौहार मना सकते ह या नह ं, बि क


ये क इसे य मनाया जाता ह और हम इसे य मनाना चाहते ह। य द आप इन
ू के उ र जान लगे तो संभव है क उपरो ू का उ र खोजने ज़ रत ह न
पड़े ।

ू ा क आप जो भी
फर भी य द इस सवाल के जवाब म म आपको यह सलाह दँ ग
यौहार मनाना चाहते ह उसके उन सभी काय से बच िजनम आप स चे और
जी वत परमे र क इ छाओं का स मान नह ं कर सकते। ऐसे मौक पर आप अपने
प रवार और िमऽ के साथ समय बता सकते ह और ूेम के साथ उनको परमे र
क स चाइय के बारे म और बता सकते ह।

मेरा सोचना है क यादातर यौहार के पीछे (चाहे वो कसी भी धम के य न


हो) कोई न कोई उ े ँय अवँय होता है । कुछ सामा य कारण से मनाए जाते ह
और कुछ धािमक कारण से। म यहाँ धम क बात नह ं कर रहा हँू इसिलए धािमक
यौहार को मनाने क तरफदार नह ं क ं गा पर बाक यौहार मनाने म कोई
समःया नह ं होनी चा हए। फसल क कटाई जैसे यौहार पर मनोरं जन करने और
िमलने जुलने के समय, परमे र के भजन और उसका ध यवाद कर आप प वऽ
जीवन जी सकते ह और अपने प रजन को सुसमाचार सुना सकते ह। ऐसे यौहार
मनान म या बुराई हो सकती है ?

लोग उ े शय को भूलकर र ित रवाज म लग जाते है और ई र का ह ितरःकार कर


बैठते ह। यह एक भयंकर गलती है । धम या यौहार हम परमे र से दरू लेकर जाए
ऐसा नह ं होना चा हए, ले कन हो ऐसा ह रहा है ।

आज सभी यौहार को यवसाियक प दे दया गया है जो क बेहद दखद


ु बात है ।
उदाहरण के तौर पर ईसाई यौहार ‘बड़ा दन’ ( बसमस) को ह ले लीिजए।
दिनयाभर
ु म ूभु यीशु के ज मो सव के उपल म यह पव मनाया जाता है । दःख

जीवन से सा ा कार v

क बात ये है क यादातर आयोजन म बाक सब चीज का समावेश तो कया


जाता है परं तु ूभु यीशु को ह उससे दरू कर दया जाता है । पाट , सजावट, नृ य
और मजे के सारे सामान जुटाये जाते ह पर िजसके ज म का ये सारा उ सव है
उसक िश ाओं का मज़ाक बना दया जाता है । ऐसे यौहार मनाने से अ छा है क
हम इसे न ह मनाएँ य क उ मु होकर नाचते गाते समय परमे र से दरू हो
जाना कहाँ तक तकसंगत हो सकता है ।

ऐसा नह ं होना चा हए। चाहे आपका ू कसी भी धम के यौहार के बारे म य


न हो, यह िस ा त उस पर लागू होता है । सोिचए, या आप ूभु यीशु को उसके
ारा म हमा दे सकते ह, अगर नह ं तो फर कसके िलए आप इसे मनाना चाहते ह?

िनचोड़ म हम कह सकते ह क हम बु मानी से िनणय लेते हए


ु ऐसा जीवन
बताना चा हए जो बहत
ु के िलए परमे र के ूेम का आदश बन सके।

और बाक र ित रवाज़? या हम अपने से बड़ के पैर नह ं छू सकते?

म समझता हँू क संःकार तथा धािमक र ित रवाज म अ तर करने क समझ हम


परमे र से माँगनी चा हए। हम पाखंड से तो दरू रहना चा हए पर अपने क ह ं
संःकार को छोड़ने क ज़ रत हम तब ह पड़ती है जब वो हम परमे र के माग पर
चलने म कावट डाल अ यथा नह ं। इसके अलावा ढ़ वाद से ऊपर उठना आि मक
जीवन से अलग बात है ।

आपके ू के जवाब म म कहँू गा क सामा य तौर पर आप ऐसा कर सकते ह पर


इसम कसी भी तरह से (अपने वचार से अथवा व ास से) आप अपने आदरणीय
को परमे र का ःथान न द।

कुछ र ित रवाज म पित को परमे र का दजा दया जाता है , जब क यह बात स य


नह ं है । उस संदभ म जब एक प ी अपने पित के पैर छूती है तो वह अपने वचार
म परमे र का ःथान अपने पित को दे ने लगती है जो क एक पाप है । पित िसफ
एक इं सान है जो क परम पता परमे र क एक रचना है , और उसके चरण ई र
का दज़ा दे कर नह ं छुए जाने चा हए।

ले कन, य द िसफ आदरवश कोई प ी अपने पित के पैर छुए तो इसे गलत नह ं
ठहराया जा सकता। बाइबल भी पित को प रवार का अगुवा (िसर) मानकर प ी को
उसके सम नॆ बनना िसखाती है , परं तु साथ ह पित को मसीह जैसा ूेम अपनी
प ी से करने के िलए भी आ ा दे ती है ।
जीवन से सा ा कार vi

उसी ूकार ब च का अपने से बड़ का पैर छूना और उनसे परमे र के आशीष-


वचन पाना गलत नह ं है । बाइबल हम अपने आपको छोटा बनाने के वषय म भी
िश ा दे ती है ।

बाइबल क िश ाओं के आधार पर परमे र का भय मानते हए


ु य द आप ूाथना के
साथ प वऽ आ मा क अगुवाई म सह िनणय ल तो परमे र आपको आशीष ह
दे गा।

शाद और अ य समारोह के बारे म आपके या वचार ह? हमारा


बाक सारा प रवार अभी भी पुराने धािमक र ित रवाज मानता ह, तो
या हम उनका वरोध करना पड़े गा?

यह भी य परक ौेणी का एक सवाल है । म फर कहँू गा क आपको ःवयं ह


परमे र क अगुवाई म यह िनणय लेना पड़े गा य क हरे क प रिःथित पर िनभर
करता है क आपको या करना चा हए।

आप दोन ह छोर पर लोग पाएँगे – कुछ वे जो अपने प रवार और समाज के


सामने बगावत करके ूभु को मह व दे ते ह (िजसम कोई गलती तो नह ं है , परं तु
यह दःसाहस
ु है ) और दसरे
ू तरह के लोग जो पूर तरह से प रिःथितय के वश म
हो जाते ह और वो सभी काम करते ह जो क जी वत परमे र को म हमा नह ं दे ते।
मेरे वचार म प रिःथित के अनुसार हमारा िनणय ऐसा होना चा हए क िजससे हम
परमे र क म हमा से तो समझौता न कर पर कसी तरह से अपने प रवार तथा
ू न जाएँ क फर हम उ ह सुसमाचार सुनाने का मौका ह न
समाज से भी ऐसे टट
िमले।

शाद इ या द समारोह के तर के से यादा जैसे पौलुस कु रि थय क कलीिसया को


समझाता है क व ासी और अ व ासी असमान जुए म न जुत, यह बात समझना
ज़ र है । ववाह एक िज दगीभर का िनणय है और यह एक परमे र के व ासी
य के साथ ह कया जाना चा हए।

अ व ािसय के साथ असमान जूए म न जुतो, य क धािमकता और अधम का


या मेल-जोल ? या योित और अ धकार क या संगित ?
[2 कु रि थय 6:14]

खासतौर पर पहली पीढ़ के व ािसय के िलए मेरा सुझाव है क हो सके तो वे


अपने पूवमत से मसीह व ास म आए व ासी य से ह वैवा हक संबंध बनाएँ।
ऐसा य आपक कसी कसी बात को न कर पाने क सीमाओं को और अ य
जीवन से सा ा कार vii

पा रवा रक मू य को समझ सकता है । इस बात से म कोई भेदभाव पैदा करने क


कोिशश नह ं कर रहा हँू पर म सोचता हँू क पहले से ईसाई प रवार म ज मे लड़क
या लड़के के िलए कसी दसरे
ू धम म ज म य क भावनाओं को तथा उसके
अ य अ व ासी रँतेदार के र ित रवाज से सामंजःय बठाने म द कत आ सकती
है । फर भी, यह कोई िस ा त नह ं है , बस एक सुझाव है । हो सकता है क परमे र
क आपके वषय म कुछ और ह योजना हो इसिलए प वऽ आ मा क अगुवाई ह
सव म उपाय है ।

कसी भी हाल म शाद क बात क शु आत म ह अपने व ास क गवाह स चाई


के साथ बताकर ह बात आगे बढ़ानी चा हए। ऐसे म संभव है क य द परमे र क
उस य के उ ार क योजना आपके जीवन से ह जुड़ हो तो आपका िनणय ठ क
सा बत होगा।

इसके अित र ज म तथा मृ यु स बंिधत अ य समारोह के वषय म म इतना ह


कहँू गा क मसीह व ास और बाइबल के िस ा त से समझौता न कर।

बाक दाह-संःकार और दफनाने के वषय म म कोई खास िच ता नह ं करता हँू । वे


लोग जो सोचते ह क परमे र हमारे इस न र शर र को ह हमारे फर जी उठने के
समय इःतेमाल करगे, संभवतया परमे र को सीिमत करते ह। म शर र म जी उठने
का वरोध नह ं कर रहा हँू । म पूरा पूरा व ास करता हँू क हमारे पुन थान के
समय हम अ वनाशी शर र दये जायगे जो कभी नाश होने के नह ं जब क हमारे
दिनयावी
ु शर र तो न र ह ह। जो परमे र िम ट म िमले शर र से नया शर र पैदा
कर सकता है वो िम ट म िमल चुक राख से भी ऐसा कर सकता है , उसके िलए
कुछ मुिँकल नह ं है । य द सबके साथ िमलकर एक मन होकर मृत शर र को
दफनाया जा सके तो ठ क है अ यथा इस वषय म धािमक अथवा सामािजक ववाद
खड़ा करना कोई समझदार नह ं है ।

2001 म मेर बहन का ववाह हं द ू र ित से हआ


ु और 2003 म ःवयं मेरा और
ूेरणा का बौ र ित से, य क हमारा बाक प रवार व ास म नह ं था। फर भी
हमने हरसंभव ूयास कया क कसी भी बात म परमे र ूभु यीशु के व कोई
पाप न हो। माच 2006 म दादाजी का और मई 2006 म पापा का दे हा त हो जाने
पर हमने उनका दाहसंःकार कया।
जीवन से सा ा कार viii

पर मेरा ूेम स बंध एक अ व ासी से है , और हो सकता है यह ूभु


क योजना हो ता क म उसे व ास म ला सकूँ और एक आ मा
नाश होने से बच जाए।

ऐसा हो सकता है पर ऐसा नह ं होने क संभावना यादा है ।

यह बात परमे र क इ छा पूर करने के बहाने हम परमे र से दरू ले जाने क


शैतान क एक चाल भी हो सकती है । परमे र तो आ माओं को बचाना चाहता है
पर उसके िलए वह अपने िस ा त के वपर त कोई काम नह ं करे गा। जब वो हमसे
कहता है क असमान जुए म न जुतो तो वह चाहता है क हम इस बात को मान
और इसका पालन कर।

और य द आप शाद से पहले अपने ूेम ूसंग के दौरान अपने साथी को परमे र के


ूेम के वषय म नह ं बता सके तो शाद के बाद ऐसा कर पाने क संभावना तो और
भी ीण है । लड़क के िलए तो यह फर भी संभव हो सके पर खासतौर पर भारतीय
समाज म लड़ कय के िलये तो अभी भी यह मुिँकल ह है । यादातर ऐसा होता है
क िजस बात म पित और उसके प रवार वाले व ास करते ह, उस प रवार क बहू
भी उसी बात को मानने के िलए बा य हो जाती है ।

ऐसा करके आप कह ं अपनी आि मक उ नित के माग म ःवयं रोड़ा तो नह ं लगा


रहे ह?

मने सुना है क ईसाई लोग जबरन या पैसे इ या द से लुभाकर धम-


प रवतन करते ह। या ये बात सच है ?

बाइबल इस वषय म कभी ऐसा नह ं िसखाती है क ज़बरन अथवा लुभाकर कसी


का धम प रवतन कया जाए। बाइबल और इसम विणत परमे र का धम से कोई
वशेष नाता नह ं है । इितहास म य द ऐसा हआ
ु हो तो अलग बात है पर य द आज
भी कोई ऐसा करता है तो यह सच म खेदजनक बात है ।

मेरा मानना है क हमारा परमे र धािमक नह ं अ पतु आि मक है । और उसका


उ े ँय आ माओं को पाप तथा मृ ् यु से बचाना है । परमे र हमसे ूेम करता है और
उस ूेम के िनिम वो हमको जीवन प रवतन कर (पाप से मन फराकर) उससे
ूेम संबंध बनाने को िलये बुलाता है ।
जीवन से सा ा कार ix

य द हम उसके स चे चेले ह तो धम-प रवतन हमारे िलए आिखर बात होगी जो


हम करना चाहगे। धम-प रवतन एक छलावा है , ढ ग है , दखावा है िजससे कुछ
हाँिसल नह ं हो सकता। हमारे अ तःकरण का प रवतन ह स चा प रवतन है ।

परमे र आ मा है , और अवँय है क उसक आराधना करनेवाले आ मा और


स चाई से आराधना कर।
[युह ना 4:24]

ूभु यीशु ने कसी धम क शु आत नह ं क बि क उ होन अपने ूेम तथा मो का


सुसमाचार इस दिनया
ु को दे ने के िलये कहा है ता क दिनया
ु के छोर छोर से
जाितगत, धमगत भेदभाव और रं गभेद से ऊपर उठकर सब लोग अनंत जीवन पाएँ।

या ये बात सच है क कई ईसाई लोग इं सान का माँस खाते ह?

हाह। पता नह ं ये बात कहाँ से लोग के दमाग म आई, पर यह बात शत ूितशत


गलत है । बाइबल म इस वषय म जो एकमाऽ उ लेख है वह ूभु यीशु का अपने
बिलदान के बारे म वो कथन है िजसम उ ह ने ांत के तौर पर इसको समझाया।

जीवन क रोट जो ःवग से उतर , म हँू । य द कोई इस रोट म से खाए, तो


सवदा जी वत रहे गा; और जो रोट म जगत के जीवन के िलए दँ ग
ू ा, वह मेरा मांस
ू यह कहकर आपस म झगड़ने लगे, “यह मनुंय कैसे हम अपना
है । इस पर यहद
मांस खाने को दे सकता है ?” यीशु ने उनसे कहा, “म तुम से सच सच कहता हँू
क जब तक तुम मनुंय के पुऽ का मांस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम
म जीवन नह ं। जो मेरा मांस खाता है और मेरा लहू पीता है , अन त जीवन उसी
का है ; और म उसे अंितम दन फर िजंदा कर दँ गू ा। य क मेरा मांस वाःतव म
खाने क वःतु है और मेरा लहू वाःतव म पीने क वःतु है । जो मेरा मांस खाता
और मेरा लहू पीता है वह मुझ म िःथर बना रहता है , और म उस म। जैसा जीवते
पता ने मुझे भेजा, और म पता के कारण जी वत हँू , वैसा ह वह भी जो मुझे
खाएगा मेरे कारण जी वत रहे गा”
[युह ना 6:51-57]

उपरो कथन के ारा ूभु यीशु एक बहत


ु गहर बात अपने चेल को समझा रहे थे
जो क मांस और लहू से कह ं बढ़कर है । वो अपने क , मृ यु तथा पुन थान के
वषय म और लहू बहाकर पाप क मा के वषय म बात कर रहे थे।

बाइबल म तो कौन सा खाना खा सकते ह और कौन सा नह ं इसका भी ःप


ववरण पुराने िनयम म िमलता है ।
जीवन से सा ा कार x

ऊपर िलखे बाइबल वचन के अलावा बाइबल म और कोई उ लेख नह ं है िजससे


कसी को यह गलतफहमी भी हो सके क मसीह व ासी इं सान का मांस खाते ह।

या मसीह व ास म माँसाहार (नॉनवेज) खाने पर जोर दया


जाता है ?

नह ं। यह एक ॅांित है , और इस बात म कह ं कोई स चाई नह ं है । मेर प ी ूेरणा


वेजीटे रयन (शाकाहार ) है और पछले 8 साल के मसीह व ास म उसने कभी भी
मांस का सेवन नह ं कया, और मेरे वचार म वो ूभु से ूेम करने वाली और
उसका भय मानकर जीवन यापन करने वाली म हला है ।

बाइबल म िलखा है क कोई खास वःतु खाना अथवा न खाना हम ःवग के रा य


के िनकट नह ं ला सकता बि क हमारे कुछ खाने से कसी नये व ासी भाई या
ब हन को ठोकर लगती हो तो बेहतर है क हम ऐसा भोजन न खाय।

भोजन हम परमे र के िनकट नह ं पहँु चाता। य द हम न खाएँ तो हमार कुछ


हािन नह ं, और खाएँ तो कुछ लाभ नह ं। पर तु सावधान! ऐसा न हो क तु हार
ःवतंऽता कह ं िनबल के िलये ठोकर का कारण न हो जाए।
[1 कु रि थय 8:8, 9]

ऐसा मने भी कया और कई साल तक मांस इ या द को हाथ नह ं लगाया ता क


ूेरणा के व ास को ठोकर न लगे। उसक आ मा को ःवग के रा य म लाने और
उसे व ास म मज़बूत करने के िलये जो ज़ र था मने कया ता क वो मेरे उसके
ूित मसीह ूेम को दे ख सके और उस परमे र म व ास करे जो उसके पाप मा
कर उसे भी अनंत आशीष दे ना चाहता था।

बाइबल के अनुसार हम या खाते ह उससे हमारे आि मक जीवन पर उतना ूभाव


नह ं पड़ता बि क उससे जो हमारे अंद नी वचार , भावनाओं, यवहार तथा व ास
के कारण बाहर आता है ।
या तुम नह ं जानते क जो कुछ मुह
ँ म जाता वह पेट म पड़ता है , और
स डास से िनकल जाता है ? पर जो कुछ मुह
ँ से िनकलता है , वह मन से िनकलता
है , और वह मुनंय को अशु करता है ।
[म ी 15:17, 18]
जीवन से सा ा कार xi

दसरे
ू हाथ पर य द हम तकनीक तौर पर जीव ह या के पाप क स चाई को जाँच
तो हम पाएँगे क हम ूाणी को मारने से अपने आपको बचा ह नह ं सकते। सड़क
पर चलते कतने ह छोटे छोटे जीव हमारे पैर के नीचे आकर मर जाते ह, फर
या वो पाप नह ं? व ान कहता है क पौध म भी ूाण है तो या उनको खाकर
हम पाप नह ं करते? इस आधार पर तो हम जी ह नह ं सकते इसिलये मेरे वचार
म इस बात पर ववाद करना यथ है ।

स चा मसीह व ास कसी पर कुछ थोपता नह ं है य क परमे र का प वऽ


आ मा हम ःवतंऽता दे ता है । परमे र ने हम ःवतंऽ इ छा के साथ बनाया है । हम
उससे ूेम कर या उसका ितरःकार, ये हमार इ छा है । ऐसा परमे र या कसी
बात के िलये हम बा य करे गा? नह ं, आप इस वषय म िनि ंत रह सकते ह।

***

आपके और भी ू हो सकते ह जो मने यहाँ उ र नह ं कये ह परं तु परमे र


आपके सवाल के जवाब दे सकता है । आप ूाथना और व ास से उसके पास
आइये। ूभु आपको आशीष दगे।
जीवन से सा ा कार xii

नो स बनाने के िलये जगह

_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________
_____________________________________________________________

You might also like